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श्री जन शासन संस्था
॥श्री वर्धमान स्वामिने नमः ॥ महोत्सव में कम से कम इतना तो पालन करना ही चाहिये १. सजावट-डेकोरेशन हेतु विद्युत-बिजली-लाइट नहीं।। २. चढ़ावा-बोली बोलने के अतिरिक्त पूजा भावना में माईक (लाउ___ डस्पीकर) नही (पूज्य साधु-साध्वी उपस्थित न होवें तो भी)। ३. रात्रि को भावना १० बजे बाद नहीं करें। रात्रि भोजन नहीं। ४. सिनेमा का संगीत-गीत नहीं। टेपरिकार्डर का उपयोग नहीं । ५. बहिनों का कोई कार्य-क्रम नहीं (पुरुषों की उपस्थिति में)। ६. रथ यात्रा में माइक वाला बैंड नहीं । ७. साधु-साध्वी की उपस्थिति में फोटो ग्राफी नहीं । ८. मुवी केमेरा (वी. सी. आर.) का उपयोग नहों। ९. बरफ, टमाटर, गोभी, हरा धनिया, पत्तर वेल के पान, बादाम
के अतिरिक्त अन्य मेवा (फाल्गुन मासपश्चाता) आदि अतिक्ष्य
(अभक्ष्य) वस्तुएं नहीं वापरना। १०. जलेबी अथवा बाहर के वासी मावा (खोआ) की मिठाई नहीं। ११. मिठाई नमकीन आदि रात्रि में न बनावें। १२. द्विदल का दोष लगे ऐसी वस्तुएं नही। १३. बहिनों द्वारा अथवा बहिनों के साथ डांडिया रास नहीं। १४. प्रभु भक्ति के नाम पर औपदेशिक गीत, कथा गीत, जलसा
मनोरंजन कार्यक्रम आदि नहीं। १५. वीतराग प्रभु की वीतरागता अक्षुण्ण रहे इस हेतु प्रभुजी को
पद्मासन मुद्रा क जावे ऐसी तथा मोहक विकृत अंगरचना
करना-करवाना नहीं। १६. अंगरचना में रुई, पुठ्ठा, रंगीन कागज, सनगाईका, प्लास्टीक,
सरस आदि का उपयोग नहीं करना। १७. इलेक्ट्रीक-बिजली संचालित अथवा यांत्रिक रचनाएँ नहीं करना।
लि. मुनि अभय सागर का धर्म लाभ दि. १-५-१९८३
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