________________
[ ५३ ]
श्री जंन शासन संस्था
धर्म क्रिया की शुद्धि में उपयोगी बातें
संग्राहक - पू. पं. श्री निरूपमसागरजी संशोधक - पू. आ. श्री सूर्योदय सागर सूरिजी
१. सामायिक प्रतिक्रमण में कटासणा ( आस, बेटका ) ऊन का एवं मुहपत्ति सूत की होनी चाहिये ।
२. सामायिक प्रतिक्रमण में चरवला - कंदोरा अवश्य रखना
चाहिये !
३. सामायिक प्रतिक्रमण में लूंगी, बनियान, जांघिया पहिनकर नहीं कर सकते हैं ।
४. सामायिक प्रतिक्रमण में चखले के बिना खड़े नहीं हो सकते, दोनों गोड़े (घुटने) खड़े नहीं रख सकते ।
५. पौषध में ऊन को संथारिया तथा उत्तर पट्टा ( चद्दर ) सफेद ही चाहिये ।
६. पौषध में काल के समय स्थंडिल, मात्रा जाते समय सिर पर कदास रखकर नहीं जाया जाता । कामली ओढ़कर जाना चाहिये ।
७. सामायिक, पौषध में आधी धोती (अयं घोतियं) पहिनकर नहीं बैठ जाता ।
८. किसी भी चालू क्रिया में एक क्षण के लिये भी कटासण छोड़कर पंज्या बिना जावे तो ईरियावही करनी पड़े ।
९. सम्मायिक, प्रतिक्रमण में पुरुष सिले हुए वस्त्र का उपयोग नहीं कर सकते ।
१०. प्रतिक्रमण में खेस ( दुपट्टा उत्तरासन ) रखना आवश्यक है ।
११. सामायिक, प्रतिक्रमण गुरुनिश्रा में करने में अधिक लाभ है ।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com