Book Title: Jain Shasan Samstha ki Shastriya Sanchalan Paddhati
Author(s): Shankarlal Munot
Publisher: Shankarlal Munot

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Page 58
________________ श्री जैन शासन संस्था २१. गभारे में स्नान किये बंगर - कोई भी व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता है । ५० ] २२. गभारे में लोहे-स्टील आदि की कोई भी वस्तु नहीं - रख सकते । २३. घड़ियाल (घड़ी - वाच) में लोहा होने से घड़ो पहिन कर पूजा नहीं हो सकती है । २४. प्रभु के पास घी के अधिक दीपक होने से आध्यात्मिकता तथा वातावरण में शुद्धि अधिक रहती है । ( अत्यधिक दीपक भी न रखें जिससे गर्मी अधिक बढ़ जावे तथा प्रतिमा / लेप को हानि पहुंचे) । २५. गभाडे में बिजली, गॅस, कंदील मोमबत्ती आदि का प्रकाश न करें। शुद्ध देशी घी का दीपक लगावें । गभारे में बिजली का फिटिंग ही नहीं होना चाहिये । यदि अज्ञानतावश फिटिंग हो गया है, तो उसे हटा देना चाहिये । २६. कुछ स्थान पर प्रभु की अंगरचना ( आंगी) करके तेज रोशनी हेतु बिजली के अधिक वॉट के लेप ( बल्ब - ग्लोब) फोकस, हेजोलिन, आदि लगा देते हैं इससे जिन मन्दिर एवं जिन मूर्ति को भयंकर हानि पहुंचती है। गुजरात में घी के दीपक के प्रकाश से आंगी के भव्य एवं प्राकृतिक रूप से दर्शन होते हैं, यह अनुभव सिद्ध है । महोत्सव प्रसंग पर सजावट हेतु भारी विद्युत् सज्जा (लाईट डेकोरेशन) का चलन हो रहा है इससे भयंकर हिंसा होती है तथा बिजली लगाने वाले आशातना एवं पाप के भागी बनते हैं । २७. प्रभुजी के सम्मुख बिजली के प्रकाश से आध्यात्मिकता घटती है, वातावरण अशुद्ध होता है । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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