Book Title: Jain Shasan Samstha ki Shastriya Sanchalan Paddhati
Author(s): Shankarlal Munot
Publisher: Shankarlal Munot

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Page 63
________________ क्रमांक गिनें । पृष्ठ १२ १३ १४ १५ १६ १७ १८ १९ श्री जैन शासन संस्था शुद्धि-पत्रक पुस्तक के नाम के नीचे आड़ी रेखा के बाद से पंक्ति २० पंक्ति क्र. ७ ረ २० १७ ४ १४ २० M 6 ४ १६ २१ २३ ११ २५ १४ ६ १० ११ २३ ७ ८ २५ अशुद्ध आगम जीत और आचार यह वीतराग, आज्ञा वीतराग आज्ञा कायों में आज्ञा और कार्यों में आज्ञा और आज्ञा को धर्मों शासत दुप्पहसूरि सिद्धातों मुताबित्तक श्री सघ एवं एवं सिद्धान्तों के आधीन है सचालन होना सघ द्रव्य. हींआ कार्य कायो लाने ५५] शुद्ध आज्ञा, आगम और जीत यह श्रावक-श्रावक देनी 4. आज्ञा का धर्मो शासन एवं सिद्धान्तों के आधीन है यह संचालन दुप्पसहसूरि सिद्धान्तों मुताबिक श्री संघ होना होता संघ द्रव्य, ही आ कार्य कार्मो लेने श्रावक देना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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