Book Title: Jain Shasan Samstha ki Shastriya Sanchalan Paddhati
Author(s): Shankarlal Munot
Publisher: Shankarlal Munot

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Page 42
________________ ३४ ] श्री जैन शासन संस्था देव द्रव्य (१) जिन प्रतिमा देवद्रव्य की व्याख्या : (२) जैन देरासर (मन्दिर) प्रभुना मंदिरमा के मन्दिर बहार गमे ते ठेकाणे प्रभुना पांच कल्याणकादि निमित्ते तथा माला परिधानादि देवद्रव्यवृद्धिना कार्य थी आवेल तथा गृहस्थोए स्वेच्छाए समर्पण करेल इत्यादि देवद्रव्य कहेवाय । उपयोग सं० १९९० श्री श्रमणसंघना निर्णयानुसार । ( १ ) श्रावकोए पोताता द्रव्यथी प्रभुनी पूजा विगेरेनो लाभ लेवोज जोईए, परन्तु कोई स्थले अन्य सामग्रीना अभावे, प्रभुनी पूजा आदिनो बांधो आवतो जणाय, तो देवद्रव्यमाथी प्रभु पूजा आदिनो प्रबंध करी लेवो, पणप्रभुनी पूजा आदि जरूरी थवा जोईए । (२) प्रभु प्रतिमा अंगे पूजाना द्रव्योथी, लेप आंगी आभूषणो आदि प्रतिमा भक्ति अंगेनु खर्च करी शकाय । (३) जीर्णोद्वार, नवं देरासर, समारकाम तथा देरासर संबंधी बांधकाम, रक्षाकार्य साफसुफी विगेरे कार्यमां खरची शकाय (४) प्रतिमा के देरासर ऊपर आक्रमण या आक्षेप ना प्रतिकार माटे तथा वृद्धि टकाव विगेरे माटे खरची शकाय । (५) उपरना तमाम कार्यों माटे ते देरासर तथा ते उपरांत बहारना बोजा कोईपण गामना देरासर प्रतिमा अंगे पण आपी शकाय । देवद्रव्यना व्ययनी बधु विगत सं० १९९० ना मुनि सम्मेलन नो ठराव, सं० १९७६ नो खंभातनो ठराव अने उपदेशपद, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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