Book Title: Jain Shasan Samstha ki Shastriya Sanchalan Paddhati
Author(s): Shankarlal Munot
Publisher: Shankarlal Munot

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Page 41
________________ श्री जन शासन संस्था ३३] परिशिष्ट ४ सं० २०१४ (सन १९५७) के चातुर्मास में श्री राजनगर (अहमदाबाद) स्थित श्री श्रमण संघ की तरफ से सात क्षेत्रादि धामिक व्यवस्था का दिग्दर्शन । श्री जैन शासन के धार्मिक क्षेत्रों के वहीवट और दृष्टों के लिये सरकारी अधिकारी वर्ग, चैरिटी कमिश्नर आदि की तरफ से नोटिस और कोर्ट के केशों से सेवाभावी वहीवटदार कार्यकर्ताओं को कठिनाई होती है और कितनेक स्थलों में अपने धार्मिक बंधारण से विरूद्ध भी जजमेन्ट कोर्ट की तरफ से हुवे हैं। इसके अनुसंधान में श्री जैन शासन के सात क्षेत्र और अन्य धार्मिक वहीवट की व्यवस्था जिस रीति से शास्त्र और परम्परा की रीति से चली आ रही है, उसका स्पष्टीकरण सरकार और संघों को सूचित करने में आवे तो एकवाक्यता रह सके और धर्मशास्त्र तया चालू रिवाज से विरुरू होने न पावे, इस शुभ आशय से आगेवान श्रावक वर्ग और वहीवटदारों की तरफ से मांग (विनती) होने से अहमदाबाद स्थित पूज्यश्री श्रमण संघ की एक बैठक भादवा सुदी आठम रविवार श्री डहेला के उपाश्रय में हुई थी। उसमें कच्चा (चिट्ठा) खरडा तैयार करने के लिये सात मुनिराजों को सौंपा । तदनुसार तैयार हुआ कच्चा खरडा (चिट्ठा) आसोज वदी (भादवा वदी) अष्टमी मंगलवार ता० १७-९-५७ के रोज श्री श्रमण संघ के समक्ष रजु होकर विचार विनिमय के बाद योग्य सुधार (कमी वेशी) बधारा किया और अहमदाबाद से बाहर स्थित पू० आचार्य भगवंतादि की अनुमति प्राप्त करने के लिये भेजा गया था। करीब-करीब सबको सम्मति प्राप्त हुई और जो सुधाराबधारा सूचनादि आये वे भी समाविष्ट किये गये जिसका व्यौरा रूपरेखा सहित निम्न प्रकार है । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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