Book Title: Jain Shasan Samstha ki Shastriya Sanchalan Paddhati
Author(s): Shankarlal Munot
Publisher: Shankarlal Munot

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Page 45
________________ श्री जैन शासन संस्था ३७]] विगेरे आ सम्बन्धीन द्रव्य ते ते कार्यों मां वापरी शकाय अने जरूर पड़े तो (संघनी सम्मतिथी) सातक्षेत्र पैकी कोईमां पण वापरी शकाय । ___ जैन शासननी एवीव्याख्या छे के सात क्षेत्रोमां नीचेथी उपरना क्षेत्रो एक एक थी अधिक पवित्र अने उच्च स्थाने छ माटे नीचे ना द्रव्यों ते ते उद्देशोमां न खरचाया होय, वधारे होय, अगर ते उद्देश्य निष्फल गयो होय या वहीवटदारों या संघने ते ते क्षेत्रमा खरचर्चा जरूरी न लागे अगर वधु लाभ- कारण प्रतीत थाय तो ऊपर उपरना क्षेत्रमा खरची सकाय जेम के : श्रावक श्राविका क्षेत्रनु उपरना पांचे क्षेत्रमा पण वापरी सकाय । साधु, साध्वी क्षेत्रनुं द्रव्य उपरना त्रणे क्षेत्रमा पण खरची सकाय । ज्ञान द्रव्य उपरना वे क्षेत्रमा पण खरची शकाय जिनप्रतिमा अने चैत्य (मन्दिर सम्बन्धी) द्रव्य ने फक्त एकज देवद्रव्य तरीकेज खरची सकाय । (एटले) पहेला बीजा क्षेत्रनं त्रीजामां, पहेला बीजा-त्रीजा क्षेत्र चीथामां के पांचमामां के प्रथमना पांचे क्षेत्रोनु छट्ठा सातमामां नीचे नीचेना क्षेत्रमा खरची न सकाय । (१०) अनुकम्पा द्रव्य १. कोई पण दोन दुःखी मनुष्य ने दुःख मुक्त करवा माटेनुं द्रव्य अनुकम्पा द्रव्य ।। २. ते द्रव्य-दीन, दुःखी मनुष्य ने हरेक प्रकारनी सहायमां आपी सकाय-अने ते धार्मिक (रोलोजिअस) द्रव्य छ कारण के आपनारना ध्यानमां शुभ परिणामनी रक्षामाटे ते अपाय छे माटे ते तेमांज खरची सकाय छे बीजामां आपी सकाय नहीं । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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