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श्री जैन शासन संस्था
३. स्थापक-इस अवसर्पणो युग की अपेक्षा से सर्वप्रथम आदि
तीर्थकर (ईश्वर) श्री ऋषभदेव प्रभु इस शासन के स्थापक हैं। वर्तमान शासन की अपेक्षा से चरमतीर्थंकर श्री महावीर परमात्मा (श्री वर्द्धमान स्वामी) इस शासन के स्थापक हैं। (तीर्थ-शासन की स्थापना
करने वाले होने से तीर्थकर कहलाते हैं।) ४. स्थापना स्थल-आदि तीर्थंकर श्री ऋषभदेव प्रभु ने अयोध्या
नगरी में भी पुरिमताल नगर के शकटमुख
उद्यान में जैन शासन की स्थापना की। तीर्थकर श्री महावीर प्रभु ने अपापापुरी (पावापुरी) के महासेन नाम के उद्यान में जैन शासन की स्थापना की। मध्यकाल में २२ तीर्थंकरों के शासन की स्थापना का उल्लेख भी आवश्यक नियुक्ति आदि ग्रन्थों में मिलता है। ५. स्थापना दिवस--श्री ऋषभदेव प्रभु ने इस अवसपिणी के तीसरे
आरे के लगभग अन्तिम भाग में (तीसरे आरे के एक हजार वर्ष न्यून एक लाख वर्ष पूर्व और तीन वर्ष साढ़े आठ महीने बाकी रहे तब) फाल्गुन कृष्णा ११ के दिन जैन शासन की
स्थापना की। श्री महावीर प्रभु ने चौथे आरे के लगभग अन्तिम भाग में वैशाख शुक्ला १० के दिन केवल ज्ञान की प्राप्ति के बाद वैशाख शुक्ला ११ के दिन आज से २५४६ वर्ष पूर्व जैन शासन (संस्था) की स्थापना की जो कि आचार्यों को परम्परागत रीति से आज भी सुव्यवस्थित रूप से चला आता है। ६. जैन शासन संस्था कहां तक टिकेगी
श्री भगवती सूत्र के कथनानुसार श्री महावीर प्रभु का
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