Book Title: Jain Shasan Samstha ki Shastriya Sanchalan Paddhati
Author(s): Shankarlal Munot
Publisher: Shankarlal Munot

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Page 11
________________ श्री जैन शासन संस्था स्थापित किया हुआ शासन पंचम आरे के अन्त तक २१००० वर्ष तक टिकेगा। श्री महानिशीथ सूत्र आदि के कथनानुसार पंचम आरे के अन्तिम दिन आषाढ़ शुक्ला पूर्णिमा के प्रथम प्रहर में अन्तिम युग प्रधान आचार्य श्री दुप्पसहसूरिजी (साधु) फल्गुश्री (साध्वी) नागिल श्रावक, सत्यश्री (श्राविका) इन चार व्यक्तिरूप चतुर्विध संघ का (उनके स्वर्गवास पर) विच्छेद होगा। ७. शासन के संचालक परम्परागत प्रभु आज्ञाधारी: श्रमण प्रधान चतुर्विध श्री संघ १. साधु २. साध्वी ३. श्रावक ४. श्राविका ८. मुख्य संचालक श्री ऋषभदेव प्रभु के शासन में:१. श्री पुण्डरीक स्वामी आद्य गणधर (साधु) २. श्री ब्राह्मी (साध्वी) ३. श्री भरत महाराज (श्रावक) ४. श्री सुन्दरी (श्राविका) ९. श्री महावीर प्रभु के शासन में: १. श्री इन्द्रभूति (गौतम स्वामी) आद्य गणधर (साधु) २. श्री चन्दनबालाजी (साध्वी) ३. श्री शंख (श्राक्क) ४. श्री रेवती (श्राविका) (मध्यकाल में हुवे तीर्थंकरों के शासन के चतुर्विध संघ के मुख्य संचालकों के नाम आवश्यक नियुक्ति आदि में मिलते हैं। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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