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मिथ्यात्व के प्रकार ३६५, (२) सास्वादन गुणस्थान (अधोमुखी वृत्ति) ३६७, (३) मिश्र गुणस्थान (भटकता विश्वास) (४) सम्यग्दृष्टि गुणस्थान (नैतिक भूमिका पर पदन्यास) ३६९, (५) देशविरति गुणस्थान ३७१, (६) प्रमत्तविरत गुणस्थान ३७२, (७-१२) गुणस्थान ४७३, (१३) तेरहवाँ गुणस्थान सर्वज्ञत्वदशा (जीवन्मुक्त दशा) ३७३ ।
खंड ३ जैन नीति और विभिन्न वादों का तुलनात्मक मूल्यांकन ३७५-४४६
Part III Jajna Ethics and Comparative Evaluation of other Ethical Thoughts १. जैन नीति और नैतिक वाद
३७७-३६८ ___ संदेहवाद ३७७, सुखवाद ३७६, नैतिक सुखवाद अथवा उपयोगितावाद ३८१, विकासवादी सुखवाद ३८३, बुद्धिपरकतावाद ३८५, आत्मपूर्णतावाद ३८७, विधानवाद ३८८, अन्तरात्मवाद३६१, सहानुभूतिवाद ३९२, नैतिक अन्तरात्मवाद ३९४, सहजज्ञानवाद ३६४, मानवतावाद ३९६, साम्यवाद ३९६, गाँधीवादी नीति दर्शन ३६७, उपसंहार ३६८। २. अधिकार-कर्तव्य और अपराध एवं दण्ड
३६९-४२० ___अधिकार और कर्तव्य ३६६, व्यक्ति के नैतिक अधिकार ४००, नतिक कर्तव्य ४०४, अधिकारों और कर्तव्यों में पारस्परिक संबंध ४०६, कर्तव्याकर्तव्य विचार ४०६, कर्तव्यों का वर्गीकरण ४११, मेरा स्थान और मेरे कर्तव्य ४१३, दण्ड ४१४, दण्ड क्या है ? ४१५, दण्ड के सिद्धान्त ४१६, बदला लेने का सिद्धान्त ४१७, निवर्तनवादी सिद्धान्त ४१७, सुधारात्मक सिद्धान्त ४१८, अपराध के सिद्धान्त ४२० । ३. नीति की सापेक्षता और निरपेक्षता
४२१-४२६ ___ सापेक्षता और निरपेक्षता का विवेचन ४२२, सापेक्षता का विवेचन और स्वरूप ४२३, एकांगी दृष्टि की अपूर्णता ४२४, सापेक्षता की कोटियाँ ४२६, नीति का मानक और आध्यात्मिक स्वतं
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