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प्रथम भाग।
(६५)
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तुझे बड़ लाड़ से पाली । इतना रुपया खरच करके तेरा विवाह . किया।
प्रयला--तुमने सब कुछ किया । किन्तु कुछ भी नहीं किया। तुमने अपना अन्तिम कर्तव्य जो मेरे लिये योग्य पती ढूंढने का था उसे पूरा नहीं किया । उसी का यह परिणाम है कि मेरी आज यह अवस्था है।
. ससुर-यदि तू घर पर रहती तो यह अवस्था कैसे होती, यह सब राम के साथ भगने का फल है अब तू भुगत।
पिता-देखो सामने से आदमी आरहे हैं। वह अगर यह बात जान जायंगे तो हमारी हंसी रेगी।
ससुर-चलो वह सामने से सुधारक का बच्चा भी आ रहा है। पिता-पुत्री तेरा कल्याण हो।
अबला-पिताजी तुम्हारा नाश हो ( दोनों चले जाते हैं।
सुधारक--(भाकर ) भाइयों देखा सुधार का फल । यह बड़े बूढ़े हम युवकों को पागल बताते हैं। आप लोग सोचिये । पागल हम हैं या ये ?
अबला-भाई तुम कौन हो ? सुधारक-अपनी दृष्टी में समाज सेवक । शिक्षित समाज