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द्वितीय भाग।
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राजा-अच्छा चलो, मन हम सब लोग चलें । (सब चले जाते हैं। पर्दा गिरता है) अंक तृतिय-दृश्य द्वितिय
कौमिक (अगाडी एक लंगड़ा घिसटता चल रहा है । उसके पीछे उसकी अन्धी औरत है उसके पीछे उसका
अन्धा लड़का है)
गाना देदे देदे रे बाबा देदे।
अन्धों को पैसा देदे । मुहताज को पैसा देदे।
लंगड़े को पैसा देदे। देदे देदे रे बाबा देदे। (फटे कपड़े पहने हुवे हाथ में लकड़ी लिये हुवे अन्धी के रूप में बहू पैसा मांगती हुई आती है। उसकी लकड़ी लंगडे के लग जाती है । लंगड़ा उससे
लकड़ी छीन कर उसे मारता है।) बह-अरे कोई वचाओ २ इस दुष्ट ने मुझे मार डाला हायरे, बारे, मरी रे।
लोभीलाल-अन्धी धूप, तुझे दीखता नहीं । सामने