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भी जैन नाटकीय रामायण ।
मोय घायल है किया तेरी नोखी चालों ने ॥
मोय प्रेमी बना भरमायारे ॥ मोय
मोहनी - अधकटी मूंछ तुम्हारी है गजब का चेहरा | जब से कालिज में गई मोह लिया मन मेरा ॥ मोय रूप तेरा यह भाया रे ॥ मोय • ॥ दोनों साथ ( एक दूसरे से )
तुम ही ने पहले मुझे प्रेम में फंसाया है । झूठ बोलो हो तुम्हीने तो ये सिखाया है । खर जाने दो ये झूठी मायारे ।
प्रेमियों के निकट प्रेम आया रे ||
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है न १
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( दोनों भाग जाते है ) क प्रथम - दृश्य तृतिय
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( ब्रह्मचारी और साधू आते हैं ।
ब्र० - कहिये साधुजी आपकी सब समझ में आ रहा
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साधु --- जब दशरथजी का स्वयंवर में दूसरे राजाओं से युद्ध हुआ तो उसके पश्चात क्या हुआ ।
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ब्र० - सुनिये जिस समय स्वयंबर में युद्ध छिड़ा उस समय