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जम्बूस्वामी चरित्र
हुए। फिर मनमें विचार किया कि एक और प्रश्न करें। स्वामी। भाज भागने यह भी कहा था कि विद्युन्मालीका जीव जब मानकभवको ग्रहण करेगा र विद्युञ्चर नाम चोर भी उनके साथ तप ग्राण करेगा ! यह दिइच्छर कौन है, उसका क्या कुल है, चोरीकी आदत कैसे पड़ी, फिर वह मुनि कैमे होगा, विद्वद्वर ! कशा करके इसका सब वृत्तांत कहिये । मैं धर्मफलकी प्राप्तिके लिये विस्तार सहित सुनना चाहता हूं।
श्री महावीर तीर्थकरके दयारूपी जलसे पूर्ण समुद्र के समान गंभीर श्री गौतमलामी कहने लगे-हे श्रेणिक ! धर्मका अदभुत महाल्य है। तृ श्रवण कर।
विद्युच्चरका वृत्तांत । इसी मगधदेश हस्तिनागपुर नामका महान नगर है, जो स्वर्गपुरी समान है। वहां संवर नामका राजा राज्य करता था। उसकी रानी प्रियवादिनी कामकी खान श्रीषणा थी। उसका पुत्र विद्युच्चा पैदा हुका । यह बहुत विद्वान् होगया । जैसे जैसे कुमार भवस्था माती गई यह भनेक विद्यामोंको सीख गया । इसको जो कुछ भी विज्ञान सिखाया जाता था, जल्दी ही सीख लेता था। रात दिन अभ्यास करनेसे कौनसी विद्या है जो प्राप्त न हो ? यह शस्त्र व शास्त्र सर्व विद्यामों में निपुण हो गया । - किसी एक दिन इसके भीतर पापके उदयसे यह खोटी बुद्धि उत्पन्न हुई कि मैं चोरी करना नहीं सीखा, उसका भी अभ्यास