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द्वितीय भाग
(९९)
दक्षिणा वापिस नहीं ले सकता।
मा०-प्रच्छा पुत्र तुम्हारा कल्याण हो । म अब जाती हूं। ( जाती है ) (सभासद लोग आ आ कर बैठते हैं । नाच गाना शुरु होता है। परियां आती हैं।)
नाच गाना यायो सखीरी, गायो सखीरी, मिल के सभीरी।
यानंद मनायो, जिया हरषारो॥ दुखड़ा निकालो, ग्राफत कुटालो गलबंय्या डालो।
ग्रामंद मनायो, जिया हरपायो । सिपाही-महाराजधिराज की जय हो । श्री नारदजी और पर्वतजी पधारे हैं।
व.--उन्हें सम्मान पूर्वक राज्य सभा में ले आओ। (दोनों आते हैं। घसू गले मिलता है। आसन देता है) कहिये आप लोगों ने मेरे ऊपर आज कैसे कृपा की?
प०-जब गुरुजी हमें पढ़ाया करते थे | तब वह यज्ञ के विषय में कहा करते थे। कि " अजैर्यटव्यं , अर्थात अज जो बकरी का बच्चा उससे यज्ञ करना चाहिये । किन्तु यह नारद उसमें अपनी नारदी लीला रचता है ।