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द्वितीय भाग
(१२९)
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रहा था । आपका रुदन सुन कर मेरा कलेजा भर पाया । मैंने विमान पृथ्वी पर उतारा । शप किसी उच्च कुन की पुत्री तथा वधू प्रतीत होती हो। कृपा करके आप मुझे अपने बन में आने का कुल हाल बताइये।
अंजना-क्षमा कीजिये, आपत्ती के समय में अपने कुल का नाम बताना उसका नामडवाना है। मैं अपने मुखसे न कहूंगी।
राजा-(वसन्ततिलका से ) ये नहीं बताती तो कृपया भाप बताइये?
वसन्तमाला--ये राजा महेंद्र की पुत्री अंजना हैं। श्रादित्यपुर के राजा महलाद के लड़के पवनकुमार इनके पति हैं। उन्होंने विवाह से वाइस बरस इन्हें छोड़े रखा । किन्तु जब वह रावण की सहायता के लिये जारहे थे । तव मानसरोवर के तट पर चावी की विहलता को देख कर उन्हें अंजना से प्रीति उपजी । वह रात्री में ही छुपे २ अंजना के महल में पाये ।
और अपने कड़े और मुद्रिका इन्हें दे गये। जब इन्हें ६ माह वीत गये । सासू ने इन्हें गर्भवती देख मुद्रिका भादि पर विश्वास न कर इन्हें घर से निकाल दिया । पिता के पास गई वहां भी इन्हें शरण न मिली ! यहां आई इस गुफा में चारण मुनि विराजे थे। उनसे पूर्व भत्र पूंछा । जब वह यहां से चले गये, तब हम दोनों उसमें रहीं हमें एक सिंह ने सताया जिससे