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और वासनाएं ही हमें तनावयुक्त बनाते है। तनावों के कारण चित्त की वृत्ति असंतुलित हो जाती है और असंतुलित चित्तवृत्ति का प्रभाव हमारे बाह्य व्यवहारों पर भी पड़ता है और वह हमारे बाह्य व्यवहारों को भी असंतुलित बना देती है। बाह्य व्यवहारों के असंतुलन से परिवार, और समाज की शांति भंग होती है और यह असंतुलन क्रमशः विकसित होता हुआ राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय शांति को भी भंग कर देता है। वस्तुतः ध्यान इस वैयक्तिक, सामाजिक और वैश्विक असंतुलन को समाप्त करने की ही एक प्रक्रिया है। ध्यान का महत्त्व न केवल आध्यात्मिक साधना के लिए है, अपितु वह वैयक्तिक, सामाजिक, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय असंतुलन को समाप्त करने का भी एक महत्त्वपूर्ण साधन है। यही कारण है कि वैयक्तिक जीवन में जैसे-जैसे तनाव की वृद्धि हो रही है, सामाजिक असंतुलन में भी वृद्धि हो रही है। परिणामतः लोगों में ध्यान की रूचि का भी विकास हो रहा है । आज विश्व में ध्यान की विविध पद्धतियों के प्रति जो आकर्षण बड़ा है, उसका मूलभूत कारण वैयक्तिक जीवन और सामाजिक जीवन में असंतुलन की वृद्धि ही तो है। अतः ध्यान साधना एक अपरिहार्यता बनती जा रही है।
__चाहे ध्यान का लक्ष्य चित्तसमाधि या निविकल्पता हो किन्तु जब व्यक्ति उस चित्त समाधि या निविकल्पता के लिए विभिन्न पद्धतियों को देखता है तो स्वाभाविक रूप से उसके मन में यह प्रश्न उपस्थित होता है कि वह किसे चुनें। ध्यान की साध्यात्मक एकरूपता के बावजूद जो साधनात्मक वैविध्य रहे हैं, वे हमारे चुनावों को विकल्पयुक्त बनाते है, किन्तु इन विधि विकल्पों में से हम किसको चुने यह निर्णय करने से पूर्व हमें ये जानना आवश्यक होता है, कि ध्यान साधना की कौनसी पद्धति किस युग में विकसित हुई। क्योंकि साध्यात्मक एकरूपता के बावजूद जो साधनात्मक वैविध्य आता है, वह देश कालगत परिस्थितियों पर आधारित होता है। साथ ही उस युग में ध्यान साधना की जो विविध पद्धतियाँ प्रचलित होती है वह भी एक दूसरे को प्रभावित करती हैं। यही कारण है कि जैन परम्परा में भी ध्यान साधना की विधियों को लेकर कालक्रम में एक परिवर्तन देखा जाता है। साध्वी श्री उदितप्रभाजी ने मेरे सानिध्य में शोध कार्य करते हुए जैन साधना पद्धति में कालक्रम में क्या-क्या परिवर्तन आए है और किन-किन कारणों से आए है, इसका विश्लेषण विस्तार से किया है और यही उनके इस शोध प्रबन्धन की विशेषता कही जा सकती है।
हम देखते है कि जैन ध्यान साधना पद्धति, बौद्ध ध्यान साधना पद्धति और
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