Book Title: Jain Dharm aur Jivan Mulya
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Sanghi Prakashan Jaipur

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Page 8
________________ प्रकाशन-सहयोगी संस्था श्री एम. आर, मिण्डा चेरिटेबल ट्रस्ट 132, बड़ा बाजार, उदयपुर-313001, फोन-23917 स्थापना: इस ट्रस्ट की स्थापना स्व. श्री मोतीलाल मिण्डा ने सन् 1978 में की थी। ट्रस्ट की स्थापना की पृष्ठभूमि में उनकी यह भावना थी कि शिक्षा, सेवा एवं अध्यात्म के उन कार्यों को इस ट्रस्ट द्वारा सहयोग प्रदान किया जाय जो समाज एवं राष्ट्र के उत्थान व संरक्षण में उपयोगी हों। उद्देश्य एवं प्रवृत्तियां :-- (i) उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले होनहार, मेघावी एव जरूरतमंद विद्यार्थियों को आर्थिक सहयोग प्रदान करना । (i) शिक्षा, साहित्य एवं संस्कृति के संरक्षण, विकास एवं प्रकाशन के कार्यों में यथा-संभव सहयोग प्रदान करना । (iii) समाज के साधनहीन एवं असहाय किन्तु कर्मठ एवं उत्साही उन व्यक्तियों को सहयोग प्रदान करना जो स्वावलम्बन एवं सदाचार का जीवन जीना च हते हैं। (iv) शिक्षा, चिकित्सा-सुविधा एवं जीविकोपार्जन हेतु विभिन्न प्रवृत्तियों का संचालन करना। (v) ट्रस्ट के द्वारा 1987 में सुखाड़िया विश्वग्द्यिालय, उदयपुर में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के अवसर पर उसकी 'जैनविद्या-स्मारिका' के प्रकाशन में सहयोग प्रदान किया गया है । (vi) प्रस्तुत 'जनधर्म और जीवन-मूल्य' पुस्तक के प्रकाशन में ट्रस्ट ने आंशिक अनुदान प्रदान कर सांस्कृतिक मूल्यों की प्रतिष्ठा और जैनधर्म के प्रसार. कार्य में सहयोग किया है । प्राशा है, पाठकगण इससे लाभान्वित होंगे। ट्रस्टी महावीर प्रसाद मिण्डा एम. एस. सी. (भू-विज्ञान), एम. ए. (प्राकृत) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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