________________ (2) यदि ईश्वर साकार यानी सशरीर है तो उसके शरीर का निर्माता कौन? (3) यदि उसे निराकार मानते हो तो निराकार ऐसा ईश्वर इस साकार विश्व की रचना किस प्रकार कर सके? सारांश यह है कि ईश्वर जगत् का कर्ता नहीं है / यदि जीवों के जैसे कर्म तदनुसार ईश्वर उनकी रचना करता है तो दरअसल कर्ता कर्म हुए, ईश्वर कर्ता नहीं / तात्पर्य, ईश्वर जगत् को बनानेवाले नहीं किन्तु बतानेवालें हैं / ईश्वर यानी सर्वज्ञ तीर्थंकर भगवान समग्र विश्व का स्वरूप बताते हैं / एवं विश्व के अंतर्गत जड-चेतन द्रव्यों की गति-विधियाँ स्पष्ट करते हैं, अर्थात् उनके विषय में यथार्थ प्रकाश डालते हैं / प्र०- वृक्ष, पत्थर की खान आदि में काटने छेदने के बाद लम्बे समय पर जैसे के वैसे ईश्वर कर्तृत्व के बिना कैसे एक रूप में भर जाते हैं? उ०- जैसे मानव-शरीर में जीव की शक्तिवश घाव भर जाता है, वैसे वहां भी एकेन्द्रिय जीव की शक्तिवश अखंड हो जाता है / पेड़, खान आदि में जीवसत्ता होने में यही प्रमाण है / मानवशरीर में जीव रहने तक घाव भर जाता है, व जीव निकल जाने के बाद शरीर जड निर्जीव हो जाने से घाव नहीं भरता है, वैसे SR 41