________________ अनुस्यूत अर्थात् बुना हुआ है जिसके द्वारा मिथ्यात्व-आश्रव रुक जाता है / चारित्र से अविरति, एवं यतिधर्म से इन्द्रिय-आश्रव व कषाय, आश्रव रुद्ध होता है / गुप्ति, भावना और यतिधर्म से कषाय, आश्रव पर रोक लग जाती है / समिति, गुप्ति और परिषह आदि से योग क्रिया और प्रमाद आश्रव रुक जाते हैं / इस प्रकार संवर से आश्रवनिरोध होता है / 5 समिति-३ गुप्ति : पांच समिति-अर्थात् प्रवृत्ति में 'समिति' (सम्+इति) = सम्यग् उपयोग = लक्ष्य / ऐसी लक्ष्य जागृति-सावधानी वाली प्रवृत्ति यह समिति है / इस प्रकार की समिति पांच है / 1. इर्या समिति :- जाने आने में किसी जीव को पीडा न पहुँचे इस बात का लक्ष्य उपयोग रखते हुए नीचे जुआ (धूंसरा) प्रमाण दृष्टि रखकर चलना / 2. भाषा समिति :- खुले मुख से न बोलना, और सावद्य (सपापहिंसादि प्रेरक-प्रशंसक, या निंदा, विकथादि रुप) एवं अप्रिय, अविचारित, संदिग्ध, जिनाज्ञाविरुद्ध, मिथ्यात्वादि प्रेरक या स्वपरअहितकारी वचन न बोला जाए ऐसी सावधानी से युक्त वानी का प्रयोग / 3. एषणासमिति :- मुनिको आहार, वस्त्र, पात्र और वसति