________________ भरने की अपेक्षा से उपयोगी है, घी अथवा दूध भरने की अपेक्षा से निरुपयोगी ही है / अपेक्षा का उल्लेख न भी किया जाए तो भी उसे अध्याहार से समझ लेना चाहिए / अतः सापेक्ष वचन सच्चा होता है, निरपेक्ष नहीं / कहा भी है कि 'वचन निरपेक्ष व्यवहार मिथ्या होता है, वचन सापेक्ष व्यवहार सच्चा होता है / जिनवचन की उपेक्षा वाला व्यवहार, या क्रिया असत्य मिथ्या हैं जिनवचन की अपेक्षा रखने वालें, व्यवहार और क्रिया सत्य है, सम्यग् है / जिनवचन अनेकान्तवादी है; सापेक्षवादी है / अतः अनेकान्तवाद (सापेक्षवाद) का अनुसरण करने वाला कथन ही सत्य हैं / अनुयोग : 'अनुयोग' अर्थात् व्याख्यान, वर्णन, निरूपण / जैनशास्त्रो में अनेक विषयों पर व्याख्यान उपलब्ध हैं / इन्हें चार विभागों में विभक्त किया जा सकता है / अतः अनुयोग मुख्यतः चार है :- द्रव्यानुयोग, गणितानुयोग, चरणकरणानुयोग, धर्मकथानुयोग / 1. द्रव्यानुयोग :- जिसमें जीव, पुद्गल आदि द्रव्यो का निरूपण है / जैसे कि कर्मशास्त्र, सन्मतितर्क आदि दर्शनशास्त्र, स्थानांग सूत्र, लोकप्रकाश, प्रज्ञापना सूत्र, तत्त्वार्थ महाशास्त्र, विशेषावश्यक भाष्य आदि / 034280