________________ प्र०- गुण और पर्याय में क्या अन्तर है / उ०- 'सहभाविनो गुणाः, क्रमभाविनः पर्यायाः'। तत्त्वार्थ महाशास्त्र के ये दो सूत्र कहते हैं कि- द्रव्य में एक / साथ रहनेवाले गुण कहलाते हैं, व क्रमसर आनेवाले पर्याय कहलाते हैं / उदाहरणार्थ-जीव में ज्ञान, श्रद्धा, इच्छा, सुख आदि एक साथ होते हैं, ये गुण हैं / किन्तु बालपन, कुमारपन, वृद्धपन इसी प्रकार मनुष्यपन, देवपन, तिर्यंचपन आदि क्रमसर आते ये पर्याय है / वैसे जड-द्रव्य वस्त्र में जो श्वेतवर्ण, मृदु स्पर्श, आदि एक साथ रहते है वे 'गुण' हैं; और अभी नया, बाद में पुराना, पहले अमुक की मालिकी का, बाद में अन्य की मालिकी का...ये क्रमशः आनेवाले सब वस्त्र के 'पर्याय' हैं / ___ जीवद्रव्य के दो प्रकार के पर्याय है,-ज्ञान, श्रद्धा, वीर्य, तप आदि स्वाभाविक पर्याय है, और राग-द्वेष-काम-क्रोध आदि वैभाविक अथवा औपाधिक या आगंतुक पर्याय है / ___ द्रव्यों में वैसे वैसे कर्म के उदय एवं अन्य कारणों के मिलने पर जो गुण-पर्यायों में उत्पत्ति, नाश या परिवर्तन होता रहता है वही विश्व का संचालन है / 2 51