________________ (6) जैनधर्म में ऐसे अनेकान्तवाद आदि सिद्धान्त तथा अहिंसा, अपरिग्रहादि आचार बताये गये हैं, जिनसे समग्र विश्व की दुःखद समस्याओं का समाधान हो सकता है / ___ जैनधर्म में परमात्म बनने की सोल एजन्सी किसी एक को नही दी गइ है विश्व में किसी को भी यह अधिकार मिल सकता है | महात्मा गांधी के पुत्र देवीदास गांधी ने लण्डन में एकबार समर्थ नाट्यकार और महान् चिन्तक जोर्ज बर्नाड शॉ से प्रश्न किया- 'यदि परलोक का अस्तित्व हो तो आप अब यहाँ से दूसरा जन्म कहाँ लेने की इच्छा रखते हैं?' उन्होनें उत्तर दिया- 'मैं जैन होना चाहता हूँ / ' देवीदासने पुनः पूछा-'परलोक में विश्वास रखनेवालें हमारे यहाँ तीस करोड हिन्दु हैं / उन्हे छोडकर आप बहुत छोटी कम्युनीटी (जनसंख्यक कोम) में जन्म क्यों चाहते हैं?' बर्नाड शा ने कहा - 'हिन्दु धर्म में ईश्वर-परमात्मा बनने का अधिकार (Sole Agency) किसी एक व्यक्ति को दिया गया है / परन्तु जैनधर्म में विशिष्ट योग्यता से संपन्न कोई भी व्यक्ति आत्मा की उन्नति-उत्थान कर के परमात्मा बन सकता है / तो मैं इस पंक्ति में क्यों न खडे होऊँ? दूसरा कारण यह है कि जैनधर्म में व्यवस्थित, क्रमिक व वैज्ञानिक उत्क्रान्तिमार्ग बताया गया है, ऐसा अन्य धर्म में नहीं / ' 20 460