Book Title: Jain Darshan me Shwetambar Terahpanth
Author(s): Shankarprasad Dikshit
Publisher: Sadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam

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Page 12
________________ को पवित्र जैन धर्म के नाम से लोगों को बताते हैं, इसलिए जैन धर्म के नाम पर लगते हुए कलंक को मिटाने का प्रयत्न करना हमारा एक साधारण कर्तव्य हो जाता है। इस पुस्तक विषयक हमारा प्रयत्न लोगों को तेरह-पन्थ के सिद्धान्तों से परिचित करने, और तेरह-पन्थी साधुओं की कुयुक्ति-चक्र से बचाने में सहायक हो, इसीलिये है; अन्यथा उनके व्यक्तित्व से तो मैत्री ही है।

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