Book Title: Jain Bal Shiksha
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 8
________________ जीवों के भेद तुम यह तो जानते ही हो कि जीव किसे कहते हैं, जीव का क्या लक्षण है? अगर यह याद न हो तो सुनो “जिसमें जान हो, जानने और समझने की ताकत हो, जिसे सख-द:ख का अनुभव होता हो. वह जीव कहलाता है।" अच्छा, अब तुम्हें यह बतायेंगे कि जीव कितने हैं ? भगवान् महावीर ने कहा है कि- “जीव अनन्त हैं।' अनन्त का अर्थ है- “जिसका अन्त न हो, जिसकी गिनती न हो सके।" जीव अनन्त हैं, परन्तु वे दो भागों में बाँटे जा सकते हैं- एक मुक्त, और दूसरे संसारी। ये जीवों के दो प्रकार हैं, दो भेद हैं। 1.मुक्त जीव मुक्त जीव उन्हें कहते हैं, जो संसार से छूट गये हैं, मोक्ष में पहुँच गये हैं, जो फिर कभी संसार में नहीं आते हैं, जन्म-मरण नहीं करते हैं, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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