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( 26 ) - उल्लू ने आँखें तरेरते हुए सूखे मुँह से कहा एक काम करो। सामने नदी के परली पार पर आम का पेड़ है। उसकी सबसे ऊँची टहनी पर तीन पके हुए आम लटक रहे हैं। वे पहिले मुझे लाकर दो, फिर मैं तुम्हारा फैसला करूँगा।
हाथी और बन्दर झटपट आम लाने को दौड़े।
नदी पर आते ही बन्दरजी। सिट-पिटा गए। नदी वेग से उछाल खाती हुई बह रही थी। बेचारा कैसे पार करे ?
हाथी ने कहा- "डरता है ? आ, मेरी पीठ पर बैठ जा !'' बन्दर झट उछल कर हाथी की पीठ पर बैठ गया।
हाथी मस्त झूमता हुआ नदी में घुसा और पार हो गया।
आम का पेड़ बहुत पुराना और बहुत ऊँचा था। उसकी सबसे ऊँची टहनी पर तीन पके हुए आम लटक रहे थे। आम लेने के लिए हाथी ने अपनी सूंड को बहुत ऊँचा किया, पर सूंड उस ऊँचाई तक पहुँच न सकी। ___ हाथी ने सूंड से टहनी को नीचे झुकाने की भी चेष्टा की, परन्तु इस काम में भी उसे निराशा ही मिली।
बन्दर ने कहा- “ हाथी भाई, जरा खड़े रहो। मैं अभी आम तोड़कर लाए देता हूँ। इसमें है क्या ?"
बन्दर झटपट पेड़ पर गया। पलक मारते आम तोड़ कर नीचे उतर आया। हाथी की पीठ पर बैठकर फिर पहिले की तरह नदी पार कर ली।
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