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भारतवर्ष
शिल्प, शास्त्र, कृषिकर्म, कलाकौशल का है जो जन्म-स्थान,
जग की जड़ता-तिमिर हटाकर,
चमका है जो सूर्य-समान। मानव-जीवन का पृथ्वी पर, जिसने चित्र उतारा है,
सब देशों में सभ्य-शिरोमणि, भारतवर्ष हमारा है।।
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दुःखी देखकर अज्ञ विश्व को, . जिसने ज्ञान-निधान दिया,
प्रान्त असभ्यों को भी जिसने,
शिक्षित सभ्य महान् किया। मुक्ति-रत्न का देने वाला, जिसने धर्म प्रचारा है,
सब देशों का उपदेशक वह, भारतवर्ष हमारा है।।
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