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राजीमती भगवान् नेमिनाथ जी के चरणों में संयम धारण कर साध्वी बन गई। उसने बहुत बड़ी कठोर और उत्कृष्ट तपः साधना की । संयम की, ध्यान की साधना ज्यों ही उच्च दशा पर पहुँची, त्यों ही राजीमती को केवल - ज्ञान प्राप्त हुआ। वह समस्त कर्म-बन्धनों का सदा काल के लिए नष्ट कर, जन्म-मरण को नष्ट कर मोक्ष में जाकर विराजमान हो गई। वे सिद्ध, बुद्ध और मुक्ति हो गई।
अभ्यास
1. राजीमती किसकी पुत्री थी ?
2. नेमिनाथ ने विवाह क्यों नहीं किया ? 3. रथनेमि के साथ राजीमती की क्या बात हुई ?
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