Book Title: Jain Bal Shiksha
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 68
________________ ( 63 ) मनुष्य का कर्तव्य है, कि वह प्रात:काल उठकर सबसे पहले भगवान् का भजन करे, बाद में और कुछ करे। जैन-धर्म में सच्चे देव का बहुत महत्व है। वीतराग देव ही हमारे भगवान् हैं। वीतराग की उपासना साधक को वीतराग बनाती है। वीतराग का अर्थ है— 'राग और द्वेष रहित होना।' जैन-धर्म का नवकार मन्त्र, वीतराग भगवान् का भजन करने के लिए सबसे अच्छा मन्त्र है। इसलिए प्रात:काल उठकर एक सौ आठ बार, अथवा कम-से-कम सत्ताइस बार नवकार मन्त्र का जप करना चाहिए। नवकार मन्त्र के जप के बाद कोई सरल-सा-स्तोत्र बड़े मधुर कण्ठ से पढ़ना चाहिए, जिससे तुम्हें भी आनन्द मिले और सुनने वालों को भी। प्यारे बालको, भगवान् का भजन करना कभी मत भूलो। जब तक भगवान् का भजन न कर लो, तब तक कुछ न खाओ। बाहर के खाने की अपेक्षा, आनी आत्मा के लिए अन्दर की यह खुराक बहुत जरूरी है। अभ्यास 1. भगवान् के भजन से क्या लाभ है ? 2. ध्यान के सम्बन्ध में तुम क्या समझते हो ? 3. जैन-धर्म में सच्चे देव कौन होते हैं ? 4. वीतराग का क्या अर्थ है ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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