Book Title: Jain Bal Shiksha
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 50
________________ ( 45 ) चन्दनबाला के हर्ष का पार न रहा। बड़ी श्रद्धा-भक्ति के साथ भगवान् को उड़द के बाकले ही अर्पण कर दिये। दान के प्रभाव से पैरों में पड़ी लोहे की बेड़ियाँ सोने के गहने बन गये, आकाश से देवताओं ने फूलों की वर्षा की। कौशाम्बी नगरी में घर-घर चन्दनबाला के गुण गाए जाने लगे। मूला ने भी आकर क्षमा माँगी। आखिर, प्रेम ने घृणा और द्वेष पर विजय प्राप्त की। भगवान् महावीर को जब केवल ज्ञान हुआ, तो चन्दना ने प्रभु के पास दीक्षा ग्रहण कर ली। वह छत्तीस हजार आर्याओं में सबसे बड़ी अभिनेत्री बनी। लम्बी साधना के बाद आर्या चन्दना को केवल ज्ञान प्राप्त हुआ और वह मोक्ष में जाकर अजर-अमर हो गई। अभ्यास 1. चन्दना कौशाम्बी कैसे आई ? 2. चन्दना ने भगवान् महावीर को क्या बहराया ? 3. इस कथा से क्या शिक्षा मिलती है ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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