Book Title: Jain Bal Shiksha
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 44
________________ 15 माता-पिता की सेवा माता-पिता का पद बहुत ऊँचा पद है। इस पद की तुलना संसार के किसी भी उच्च पद से नहीं की जा सकती। अपनी सन्तान पर माता-पिता का बड़ा उपकार है। विचार करो कि हमारे माता-पिता यदि हमारा जन्म से पालन-पोषण न करें तो हमारा क्या हाल हो ? हमारे बीमार होने पर वे हमारी देख-भाल न करें, तो हम कैसे जी सकेंगे ? वे हमें न पढ़ाएँ, तो हम बिल्कुल जंगली जैसे बन जायेंगे। अधिक.क्या, वे यदि हमें प्रत्येक बात में सहायता न करें, तो हमारा कैसा बुरा हाल हो ? हमारे माता-पिता हमें खाने-पीने को देते हैं। पहनने को कपड़ा देते हैं, हमारी सुख-सुविधा के लिए सब साधन जुटाते हैं, हमारे लिये गरमी-सरदी झेलते हैं, दूसरों के अपमान सहते हैं। हमारे कारण उनको अनेक प्रकार के झंझटों में, झगड़ों में पड़ना पड़ता है। हमारे माता-पिता इतने दयालु हैं कि वे हमसे कुछ नहीं माँगते। उनका हम पर बड़ा प्रेम है। उनके उपकार का बदला हम किसी भी दशा में नहीं चुका सकते। हमें तो बस यहाँ एक काम करना चहिए कि सदैव उनका 39 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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