________________
( 40 ) कहना मानें। उनकी टहल-सेवा करें। जिस तरह भी वे खुश रहें, वही करना चाहिए। संसार के बड़े से बड़े महापुरुष अपने माँ-बाप का कहना माना करते थे। भगवान् महावीर अपनी माता के कैसे भक्त थे ? वे गृहस्थ अवस्था में अट्ठाईस वर्ष तक माता-पिता की सेवा में रहे। उन्होंने तो गर्भ में रहते हुए ही यह प्रण कर लिया था, कि “जब तक माता-पिता विद्यमान रहेंगे, मैं उनको छोड़कर मुनि दीक्षा नहीं लूँगा। मैं नहीं चाहता कि मेरे माता-पिता को मेरे किसी काम से दुःख हो।"
जो बालक और बालिकाएँ भले होते हैं, वे अवश्य माता-पिता की सेवा करते हैं। अभिभावकों की आज्ञा तो पशु भी पालन करते हैं। बन्दर मदारी का कहना मानता है, गाय-भैंस ग्वाले का इशारा मानती हैं, और गधा भी अपने मालिक का कहना मानता है। यदि मनुष्य होकर भी हम अपने अभिभावक माता-पिता की आज्ञा न मानें तो यह कितनी खराब बात होगी। माता-पिता की आज्ञा न मानना, उनको दुःखी करना, संसार में बहुत बड़ा पाप माना गया है। जो बालक-बलिका अपने माता-पिता का आशीर्वाद ग्रहण करते हैं, वे सदैव आनन्द मंगल में रहते हैं, उनका यहाँ भी भला होता है और आगे भी भला होता है।
अभ्यास 1. माता-पिता का क्या उपकार है ? 2. माता-पिता की आज्ञा न मानो तो क्या हो ? 3. भगवान् महावीर माता-पिता के कैसे भक्त थे ?
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org