Book Title: Jain Bal Shiksha
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 22
________________ ( 17 ) एक बार एक जंगल में भगवान् पार्श्वनाथ, जो ध्यान लगाये खड़े थे कि वह कमठ तपस्वी, जो मरकर अब मेघमाली देवता हो गया था, आ पहुँचा। मूसलाधार पानी बरसा कर उसने भगवान् को कष्ट पहुंचाया। भगवान् अपने ध्यान में तल्लीन रहे, जरा भी नहीं डिगे। अन्त में धरणेन्द्र-पद्मावती ने आकर भगवान् की सेवा की। मेघमाली हार कर प्रभु के चरणों में आ गिरा। क्षमा माँगने लगा। प्रभु दयालु थे, उसे क्षमा क दिया। भगवान् ने विशाल संयम साधना के बाद केवल-ज्ञान प्राप्त किया और जनता के वास्तविक भगवान् हो गये। भगवान् ने जड़ क्रिया-काण्ड के स्थान में विवेक-पूर्वक धर्म-साधना का उपदेश दिया। नाना प्रकार के पाखण्ड नष्ट कर दिये गये। भगवान् ने मगध, विदेह, कलिंग, बंगाल, काशी और कौशल आदि देशों में भ्रमण कर जैन-धर्म का प्रचार किया और अन्त में बिहार प्रदेश के सम्मेद्-शिखर पर्वत पर निर्वाण प्राप्त किया। अभ्यास 1. भगवान् पार्श्वनाथ का समय कैसा था ? 2. कमठ से क्या बात हई ? 3. प्रभावती से विवाह कैसे हुआ ? 4. मेघमाली ने क्या उपसर्ग दिया ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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