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( 19 ) बनायें आप भाग्य अपना, दिखा कर बल-पौरुष अपना ! न देखें झूठा कुछ सपना, कर्म का मन्त्र सदा जपना !
सत्य पर नित बलिहारी हों !
देश में ऐसी नारी हों !! दुःखों के सह लेवें जो शूल, न घबरावें निज पथ को भूल ! कर्म पर आप चढ़ावें फूल, सिखादें जग को जीवन मूल !
देश की, कुल की प्यारी हों ! देश में ऐसी नारी हों !!
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