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देश में ऐसी नारी हो विश्वभर की उपकारी हों, सत्य, शील गुण-धारी हो ! धर्म में रत अविकारी हों, दुःखी के प्रति सुखकारी हों !
सदा-सन्मार्ग-विहारी हों !
देश में ऐसी नारी हों !! प्रेम की सरिता बहती हो, स्वार्थ की दाल न गलती हो ! राष्ट्र की दीप्ति दमकती हो, सुख की वृष्टि बरसती हो !
जगत में महिमा-धारी हों !
देश में ऐसी नारी हों !! दिखादें बिजली का-सा काम, न चाहें केवल अपना नाम। कर्म में निरत , रहें निष्काम, शील का ध्यान रखें अविराम।
वीर-गुण गरिमा धारी हों ! देश में ऐसी नारी हों !!
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