Book Title: Jain Bal Shiksha
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 12
________________ ( 7 ) 4. मन, वाणी, तन को शुभ रखना, रखना सब सुन्दर व्यवहार ! 3 5. क्षमाशील मितभाषी बनना, वाणी में मधु का संचार ! लक्ष्य एक जिन-पद का रखना, है यह उत्तम मंगलाचार !! 7. सीधा-सादा 6. सब जीवों पर निशिदिन करना अपनी ममता का विस्तार कडुवा बोल कभी मत कहना, है यह उत्तम मंगलाचार !! Jain Education International सत्य, शील पर अविचल रहना, है यह उत्तम मंगलाचार ! रहन-सहन हो, हो न कहीं भी जरा विकार ! रहे सदा जाग्रत मानवता, है यह उत्तम मंगलाचार !! For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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