Book Title: Jain Agam Prani kosha
Author(s): Virendramuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 23
________________ जैन आगम प्राणी कोश पीछे की ओर विषैले दांत वाले सर्प। (2) अग्रविषदंतधारी सर्प। पीछे की ओर विषदंत धारी सर्प अग्रविषदंतधारी सर्प की अपेक्षा कम खतरनाक होते हैं। अग्रविषदंतधारी सों में विष की बड़ी ग्रंथियां होती हैं और विष के दांत मुंह के आगे की ओर रहते हैं। अतः शिकार पर आक्रमण करते समय वे सहज ही उस तक पहुंच जाते हैं। आशीविष सर्पो में कई मणिधारी होते हैं। उन्हें देखने से ऐसा प्रतीत होता है मानो चमकते हुए चटकीले लाल और पीले मूंगे के छिलके जड़ दिए हों। [विवरण के लिए द्रष्टव्य-जानवरों की दुनिया, Common Indian Snake, Indian Reptiles] लाल तथा पेट कुछ सफेद रंग का होता है। बड़ी खोपड़ी इंदगोवय [इन्द्रगोपक] प्रज्ञा. 1/50 उत्त. 36/139 एवं शक्तिशाली जबड़ा इसका विशेष लक्षण है। इसकी अनु. 321 टांगें मजबूत और तेज दौड़ने के अनुकूल होती हैं। Insect of red & white color-इन्द्रगोपक (वीर विवरण-भारत, यूरोप, एशिया और उत्तरी अमेरिका वघूटी नाम का कीड़ा जो वर्षा के दिनों में उत्पन्न होता । में पाए जाने वाला यह जानवर अपने शिकार का पीछा कर उसकी गर्दन दबोच लेता है। यह मरा जानवर नहीं आकार-मटर के दाने के समान। खाता। भेड़िया बोलता है, भौंकता नहीं है परन्तु कुत्तों लक्षण-लाल रंग के शरीर वाला मखमली जीव। के साथ रहने पर यह भी भौंकना सीख जाता है। इसमें विवरण-वर्षा काल के प्रारम्भ में ये जीव पैदा होते सूंघने, सुनने और देखने की शक्ति तीव्र होती है। यह हैं। इनकी अनेक जातियां हैं। राजस्थानी भाषा में इसे अपनी धूर्तता के कारण गोद के बच्चे को भी छीन ले 'सावन की डोकरी', गुजरात में 'गोकल गाय', हरियाणा जाता है और बड़े-बड़े जानवरों को सामूहिक बल से में 'तीज' आदि नामों से जाना जाता है। मार देता है। वैज्ञानिकों के अनुसार भेड़िया उत्तरी [विवरण के लिए द्रष्टव्य-फसल पीड़क कीट, Nature गोलार्द्ध का मूल प्राणी है। कुत्ता इसका वंशज है। Incyclopedia in Colour] उंदुर [उंदुर] प्रश्नव्या. 1/8 इंदिकाइय [इन्द्रकायिक] प्रज्ञा. 1/50 [पा.] उत्त Mouse, Rat-चूहा, मूषक, उंदरा। 36/138 आकार-गिलहरी से काफी मिलता-जुलता। Insect of Red White Colour-इंद्रकायिक। लक्षण-शरीर का रंग काले से लेकर सफेद भूरा तक देखें-इंदगोवय होता है। दांत तेज एवं मजबूत। मूंछे बड़ी बड़ी जो स्पर्शनेन्द्रिय का काम करती हैं। इसके दांत जीवन-भर ईहामिय [ईहामृग] आ.चू. 15/28 भग. 11/138 बढ़ते रहते हैं किन्तु कुतरने के कारण घिसते भी रहते ज्ञाता. 1/1/25 Wolf-भेड़िया। विवरण-यह एक मात्र ऐसा प्राणी है जो पूरे विश्व आकार-कुत्ते से कुछ बड़ा। में पाया जाता है। 2-10 इंच तक की लम्बाई वाला लक्षण-शरीर का रंग मटमैला भूरा, जिसमें कभी-कभी यह प्राणी अनाज, छोटे-मोटे कीड़े और फसल आदि को काला रंग भी मिला होता है। इसका चेहरा व हाथ-पैर नुकसान पहुंचाता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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