Book Title: Jain Agam Prani kosha
Author(s): Virendramuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 68
________________ 54 होते हुए भी डरपोक होता है । इसलिए यह प्रायः दूसरे जानवरों द्वारा शिकार किए गए जानवरों के बचे-खुचे भाग को खाता है । चितकबरे लकड़बग्घे को चिंघाड़ने वाला लकड़बग्घा भी कहते हैं। क्योंकि भोजन पाने पर यह एक प्रकार की भयानक आवाज करता है । विमर्श : राजनिघंटु पृ. 563 में तरक्ष शब्द का अर्थ लकड़बग्घा तथा कैवदेवनिघंटु पृ. 442 में तेंदुआ, बाघ और पृ. 451 में भेड़िए का पर्यायवाची माना है । तिड्ड, तिड्डय [तिड्डु, तिड्डय] वृ. टी. पू. 675 अनु. टी. पृ. 4 Locust - टिड्डी देखें- डोल तित्तिर [तितिरि] सू. 2/2/6, 20 प्रश्नव्या. 1/9 उवा. 7/50 Common Sandgrouse-भट तीतर, तीतर आकार - कबूतर के समान । लक्षण - शरीर का रंग पीलापन लिए हुए। वक्ष में एक पतली काली आड़ी रेखा । मादा के पूरे शरीर में काले धब्बे तथा चित्तियां होती हैं। पूंछ छोटी एवं नुकीली । विवरण - असम को छोड़कर पूरे भारत में पाया जाने वाला यह पक्षी 10-12 पक्षियों के झुंड में रहना पसन्द करता है। उड़ते समय दो स्वर वाली कुट-रो जैसी बोली द्वारा पहचाना जाता है 1 तत्तिर [तित्तिरि] सू. 2/2/6 ज्ञाता. 1/17/36 उवा. 7/50 प्रश्नव्या. 1/9 Grey Partridge - तीतर, धूसर तीतर । आकार - कबूतर से कुछ बड़ा रोम पक्षी । लक्षण - पंखों का रंग पीला-सफेद तथा पीला-लाल । काले रंग की धारियां होती हैं। पूंछ छोटी एवं धूसर रंग की । 'विवरण - असम को छोड़कर भारत के शुष्क स्थानों पर पाया जाने वाला यह पक्षी भागने में काफी तेज होता है । पीछा करने पर उड़ते समय कतीइतर- कतीइतर या पतीइला - पतीइला जैसी ध्वनि करता है । Jain Education International जैन आगम प्राणी कोश तिंदुग [तिन्दुक] उत्त. 36/138 Beetle of Ebony tree-तेंदु के फल का भृंग आकार - मक्खी से कुछ बड़ा । लक्षण - शरीर का रंग हल्का भूरा । विवरण - यह तेंदु नामक फल के ऊपर रहने वाला कीट है। फल के अन्दर छेद कर फल को नष्ट कर देता है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- फसल पीड़क कीट, सचित्र विश्व कोश ] तिमि [तिमि] प्रज्ञा. 1 / 56 A Kind of Fish, Timifish - तिमि मत्स्य, वज्राभ, कुलिश । विवरण - तिमि - तिमिंगल आदि मत्स्य स्वयंभू समुद्र में रहते हैं। शरीर की लम्बाई 1000 योजन की होती है । ये छह मास तक अपना मुंह खोलकर नींद लेते हैं। नींद खुलने के बाद आहार में लुब्ध होकर अपना मुंह बंद कर लेते हैं, तब उनके मुंह में जो मत्स्य आदि प्राणी आते हैं, उनको वे निगल जाते हैं। विज्ञान ने अभी तक जितने प्राणी की खोज की है, उन सबकी लम्बाई-मोटाई तिमि, तिमिंगिल आदि मत्स्यों से अत्यन्त कम है, जो कि वैज्ञानिकों के लिए एक खोज का विषय है । (जिनेन्द्र कोश - भाग - 4 पृ. 129 ) विमर्श: कैयदेवनिघंटु में तिमि को सौ योजन विस्तृत कहा है। तिमिंगल [ तिमिंगल] प्रज्ञा. 1/56 Timingal Fish - तिमिंगल मत्स्य देखें - तिमि तिल्लहटिका [तिल्लहटिका] नंदी टी. पू. 133 Squirrel - गिलहरी देखें - कमेड (गिलहरी) तुरग [तुरग] आ. चू. 15/28 भग 11 / 138 ज्ञाता. 1/16/ 283 प्रश्नव्या. 3/5 Horse घोड़ा देखें - अस्स (अश्व ) तेदुरणमज्जिया [तेदुरणमज्जिया] प्रज्ञा. 1/50 [पा.] A Kind of Insect—तेदुरणमज्जिया देखें- हालाहल For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136