Book Title: Jain Agam Prani kosha
Author(s): Virendramuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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जैन आगम प्राणी कोश (परिशिष्ट-2)
115
तंतवग
पयंग पियंगाला
तिड्ड
तोट्ठा
पिसुग पेत्तिय
मसगा महुयर महुयर माहए लोहियपत्त
विरली विहंगम सरहा सारंग सिंगिरीडी सुक्किलपत्त हलिमच्छ
दोल नंदावत्त
भमर भरिली भिंगारी मक्कड़ा मच्छिया
विंछिए विच्छत
नीय
नीलपत्त पत्तबिच्छुय
विचित्तपक्ख विचित्तपत्तए
पंचेन्द्रिय जीव-जिन जीवों के स्पर्शन, रसन, घ्राण, चक्ष तथा श्रोत्र-ये पांच इन्द्रियां होती हैं, वे पंचेन्द्रिय जीव हैं।
अधंग अच्छ अट्टिकच्छभ अड अडिल अडिल अत्थभिल्ल अमिल अय अयगर अलक्कडअ अस्स अस्सतर अहिणुका अहिलोढ़ी अहिसलाग अही आइण्ण आड़ासेतीय आवत्त आवल्ल आस आसालिय आसीविस ईहामिय उंदुर उक्कोस उग्गाविस उट्ट
उद्द उरग उरब्भ उलाण उलूक उभस उस्सासविस ऊरणी एलग ओलावी ओहार कंक कंथग कंदलग कदंलग कंदलग कंबोय कच्छभ कणिक्कामच्छ कण्णत्तिय कण्हसप्प कमल कमल कमेड़ कमेड़ करभ करभ कलहंस कवि
कविंजल कविंजल कविंजल कविंजल कविल कवोय कवोयग, कवोत, कवोतग कसाहिय काउल्ली काओदर काक कादंवग कामदुहाधेणु कामंजुग कारंडव कालोइक किण्हपत्त किण्हमिग
कुलक्ख कुलल कुलल कुलाल कुलाल कुलाल कुलीकोस कोइल, कोइला कोंडलग कोकंतिय कोणालग कोल कोल कोलसुणग कोलसुनय
कोलाहा
कीर
कोल्लग कोल्हुक कोहंगक, कोरंग खंजन खग्ग
खन्न
खर
कीव कुंच, कोंच कुंजर कुंदुल्लुय कुक्कड़ कुम्म कुरंग कुरर
खलुंक खवल्लमच्छ खाडइल, खाडहिल खार गंड
कुररी
कुरल
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