Book Title: Jain Agam Prani kosha
Author(s): Virendramuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश वाचना प्रमुख गणाधिपति तुलसी संपादक मुनि वीरेन्द्र कुमार प्रधान संपादक आचार्य महाप्रज्ञ Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ A पूर Ove Vey आगम साहित्य ज्ञान का खजाना है। उसमें अनेक विषयों का निबन्धन है । उसमें जीव राशि का विशद वर्णन हैं। उस प्रसंग में वनस्पति, प्राणी, खनिज आदि की लम्बी तालिकाएं उपलब्ध हैं। आगम संपादन के साथ कोश निर्माण का कार्य भी चल रहा है। छः कोश प्रकाश में आ चुके हैं। अध्ययन और शोध कर्ताओं के लिए वे बहुत उपयोगी सिद्ध हुए हैं। जैन आगम प्राणी कोश इस श्रृंखला का सातवां ग्रंथ है। भगवती, प्रज्ञापना, जीवाजीवाभिगम, प्रश्नव्याकरण, उत्तराध्ययन में प्राणियों के नाम विपुल • मात्रा में, विपुल परिमाण में हैं। अन्य आगमों में भी यत्र-तत्र वे मिलते हैं। उन नामों की पहचान करना बहुत कठिन कार्य है । इस कार्य के लिए लगभग 40 ग्रंथों का अध्ययन किया गया। Dr. K.N. Dave ने पक्षियों पर शोध प्रबन्ध लिखा है, जिसमें प्रश्नव्याकरण सूत्र में वर्णित पक्षी वाचक शब्दों की पहचान का प्रयास किया गया। अन्य किसी ग्रंथ में जैनागामों में उपलब्ध प्राणियों के विषय में कार्य नहीं किया गया। यह पहला कार्य है, जिसमें द्वीन्द्रिय से लेकर पंचेन्द्रिय तक के लगभग सभी प्राणियों की पहचान की गई है। इससे चिरकालिक अपेक्षा की पूर्ति हुई है । Jain Edtion International Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश वाचना प्रमुख गणाधिपति तुलसी प्रधान संपादक आचार्य महाप्रज्ञ संपादक मुनि वीरेन्द्र कुमार प्रकाशक जैन विश्व भारती, लाडनूं Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशक : जैन विश्व भारती लाडनूं - 341306 ( राजस्थान) © जैन विश्व भारती, लाडनूं सौजन्य : आचार्य महाप्रज्ञ के युगप्रधान पदाभिषेक के शुभ अवसर पर श्रीमती मांजी देवी (धर्म पत्नी श्री रूपचंद जी सुराणा ) (पड़िहारा - गुवाहाटी- शिलांग) प्रथम संस्करण : १९९९ चित्र संकलन : भिक्षु चेतना परिषद (गंगाशहर ) जैन दर्शन माला ( गंगाशहर ) मूल्य : 250 रू. मुद्रक : शान्ति प्रिंटर्स एण्ड सप्लायर्स, दिल्ली जैन आगम प्राणी कोश JAIN AAGAM PRANI KOSH Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अन्तस्तोष अन्तस्तोष अनिवर्चनीय होता है उस माली का जो अपने हाथों से उप्त और सिंचित द्रुम-निकुन्ज को पल्लवित, पुष्पित और फलित हुआ देखता है, उस कलाकार का जो अपनी तूलिका से निराकार को साकार हुआ देखता है और उस कल्पनाकार का जो अपनी कल्पना को अपने प्रयत्नों से प्राणवान् बना देखता है। चिरकाल से मेरा मन इस कल्पना से भरा था कि जैन-आगमों का शोधपूर्ण संपादन हो और मेरे जीवन के बहुश्रमी क्षण उसमें लगें। संकल्प फलवान् बना और वैसा ही हुआ। मुझे केन्द्र मान मेरा धर्म-परिवार इस कार्य में संलग्न हो गया। अतः मेरे इस अन्तस्तोष में मैं उन सबको समभागी बनाना चाहता हूं, जो इस प्रवृत्ति में संविभागी रहे हैं। संक्षेप में वह संविभाग इस प्रकार है प्रधान संपादक - आचार्य महाप्रज्ञ सह संपादक - मुनि वीरेन्द्र कुमार संविभाग हमारा धर्म है। जिन-जिन ने इस गुरुतर प्रवृत्ति में उन्मुक्त भाव से अपना संविभाग समर्पित किया है, उन सबको मैं आशीर्वाद देता हूं और कामना करता हूं कि उनका भविष्य इस महान कार्य का भविष्य बने। -गणाधिपति तुलसी Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भूमिका आगम साहित्य ज्ञान का खजाना है । उसमें अनेक विषयों का निबन्धन है । उसमें जीव राशि का विशद वर्णन हैं। उस प्रसंग में वनस्पति, प्राणी, खनिज आदि की लम्बी तालिकाएं उपलब्ध हैं । आगम संपादन के साथ कोश निर्माण का कार्य भी चल रहा है । छः कोश प्रकाश में आ चुके हैं। अध्ययन और शोध कर्ताओं के लिए वे बहुत उपयोगी सिद्ध हुए हैं। जैन आगम प्राणी कोश इस श्रृंखला का सातवां ग्रंथ है । 1 भगवती, प्रज्ञापना, जीवाजीवाभिगम, प्रश्नव्याकरण, उत्तराध्ययन में प्राणियों के नाम विपुल मात्रा में, विपुल परिमाण में हैं । अन्य आगमों में भी यत्र-तत्र वे मिलते हैं । उन नामों की पहचान करना बहुत कठिन कार्य है । व्याख्या ग्रंथों में उनके बारे में विशद जानकारी कहीं-कहीं उपलब्ध है । अनेक प्रसंगों पर “लोकतश्चावगन्तव्या " इतना सा उल्लेख मिलता है । वनस्पति और प्राणी दोनों की पहचान अपेक्षित थी । वनस्पति कोश में अनेक ग्रंथों के आधार पर वनस्पति के शब्दों की पहचान की गई। प्राणियों की पहचान का कार्य शेष था। मुनि वीरेन्द्र कुमार जी ने इस दिशा में कार्य शुरू किया। कार्य सरल नहीं था। क्योंकि किसी एक ग्रंथ में सबकी पहचान उपलब्ध नहीं है । इस कार्य के लिए लगभग 40 ग्रंथों का अध्ययन किया गया। Dr. K.N. Dave ने पक्षियों पर शोध प्रबन्ध लिखा है, जिसमें प्रश्नव्याकरण सूत्र में वर्णित पक्षी वाचक शब्दों की पहचान का प्रयास किया गया । अन्य किसी ग्रंथ में जैनागामों में उपलब्ध प्राणियों के विषय में कार्य नहीं किया गया। यह पहला कार्य है, जिसमें द्वीन्द्रिय से लेकर पंचेन्द्रिय तक के लगभग सभी प्राणियों की पहचान की गई है। इससे चिरकालिक अपेक्षा की पूर्ति हुई है । इस श्रम साध्य कार्य में डॉ. दीपिका कोठारी का काफी योग रहा। प्रस्तुत ग्रंथ में प्राणियों के विवरण के साथ-साथ चित्र भी दिए गए हैं। भारतीय जीव-जंतुओं के विषय में जानकारी प्राप्त करने वालों के लिए यह एक उपयोगी ग्रंथ होगा । जैन विश्व भारती, लाडनूं 17 मई, 1998 - आचार्य महाप्रज्ञ Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुरोवाक् आगम साहित्य में जीव-अजीव का विस्तृत वर्णन है। इस साहित्य में से जीव राशि के वर्णन को गुरुदेव तुलसी एवं आचार्य महाप्रज्ञ ने समझकर उसकी विवेचना समय-समय पर एक क्रम में की एवं इस विवेचना को मुनि श्री वीरेन्द्र कुमार जी ने “जैन आगम प्राणी कोश” एक कोश के रूप में संयोजन करने का पहला एवं कुशल प्रयास किया है। इस कोष में मूल आगमिक नाम के साथ उसके सन्दर्भ एवं हिन्दी, अंग्रेजी और जहां सम्भव हुआ (वैज्ञानिक) तकनीकी नाम दिये गये है। जहां जहां जीव एक से अधिक नामों से जाना जाता है वे सारे नाम भी बताने की कोशिश की गई है। हर जीव का आकार, लक्षण, विवरण काफी अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया गया है ताकि इन विवरणों को पढ़कर उस जीव की पहचान की जा सके। इस कार्य को और बल देने के लिए जीवों के फोटो (चित्र) भी इस कोश में सम्मिलित करने का एक बहुत ही मेहनती प्रयास किया गया है। इस कार्य में डॉ. दीपिका कोठारी (जैन विश्व भारतीय संस्थान में प्रोजेक्ट आफिसर) का भी अच्छा सहयोग रहा। उनके सहयोग से इस कोष को एक सुन्दर रूप मिला। इस कोष में प्रयुक्त जीवों पर नजर डालने पर ऐसा लगता है कि आगम में करीब-करीब सभी किस्मों के जीवों पर अनेकों प्रसंगों में प्रकाश डाला गया है। जहां एक ओर मानव के नजदीक रहने वाले जीवों का उपादेयता के साथ वर्णन है, वहीं तरह-तरह के पक्षियों का भी सुन्दर वर्णन है। उन जीवों का वर्णन भी है जो जंगली किस्म के हैं, जैसे-खूखार शेर, चीते, भेड़िये तो उनका भी वर्णन है जिन्हें देखते ही भय उत्पन्न होता है जैसे--अजगर, विभिन्न प्रकार के जहरीले सांप। वर्णन उन कीटों का भी है जो आम जीवन में मानव को परेशान करते हैं जैसे-चर्म कीट, दीमक, खटमल, अनाज की घुन, लकड़ी की घुन आदि। उसमें विविधता इस कदर है कि जहां एक तरफ सफेद मक्खी जो पेड़-पौधों में बीमारी फैलाती है, मकड़ियां जो जाले फैलाती हैं तो दूसरी तरफ चील, गिद्ध, उड़ने वाली गिलहरी, छिपकली जैसे जीवों का वर्णन है, लगता है आम आदमी की जानकारी के लिए कुछ भी नहीं छूटा। पानी में रहने वाले घड़ियाल, कछुआ, मछलियां, पानी के किनारे पर रहने वाले मेंढ़क, केकड़े, कछुवे आदि जीवों का वर्णन इसमें है। निश्चय ही यह सुन्दर संग्रह है और इसकी विशेषता इसलिये और बढ़ जाती है क्योंकि यह पहला इस तरह का सुन्दर संग्रह है। सुन्दर चित्रों के साथ यह कोश छपा है। मुझे आशा है कि यह कोश बहुत ही लोकप्रिय होगा व इसकी प्रेरणा से और सुन्दर कोश आगे आने वाले समय में बनेंगे। लाडनूं 5 जून, 1998 भोपालचंद लोढ़ा कुलपति जैन विश्व भारती संस्थान Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संपादकीय जैन आगमों का ज्ञान सूक्ष्म और गहनतम है। इसमें आत्मविद्या के साथ-साथ सृष्टि, पर्यावरण-संतुलन, अणु-परमाणु, वनस्पति, खनिज, वस्त्र, वाद्ययंत्र, आभूषण, प्राणी आदि के विषय में महत्त्वपूर्ण सामग्री प्राप्त होती है। किन्तु अभी तक कुछेक विषयों को छोड़कर अनेक विषय ऐसे हैं जिनका विधिवत् स्पर्श भी नहीं किया गया। अनेक विषय अछूते हैं। आवश्यकता है कि उन विषयों को छुआ जाये और आधुनिक संदर्भ में उनको प्रस्तुत किया जाये। वैसे तो लगभग उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध से ही विश्व के विद्वानों का ध्यान भारत के अमूल्य प्राचीन साहित्य की ओर आकृष्ट हो चुका था। मैक्समूलर जैसे प्राच्य विद्वानों ने जब से भारतीय वाङ्मय को अनुदित कर विद्वज्जगत् में प्रस्तुति दी है तब से विद्या की विभिन्न शाखाओं के तज्ज्ञों ने 2500-3000 वर्ष पुराने शास्रों को अपने अनुसंधान का विषय बनाना शुरू कर दिया था। वैदिक एवं बौद्ध परम्पराओं पर पिछले 150 वर्षों में सहस्रों शोध-ग्रंथ विभिन्न विद्या-शाखाओं के शोधकर्ताओं ने प्रकाशित किए हैं। इनकी तुलना में जैन परम्परा के विपुल साहित्य पर अब तक भी बहुत कम शोध-कार्य हो पाया है। वैसे तो आगम-साहित्य पर अनेक कोश निर्मित हुए हैं। फिर भी शोधकर्ताओं को एक विषय की सम्पूर्ण सामग्री एक ग्रंथ में प्राप्त हो सके, इस अपेक्षा को ध्यान में रखकर पूज्य गुरुदेव श्री तुलसी एवं आचार्य श्री महाप्रज्ञ ने आगम संपादन के साथ-साथ कोश निर्माण का कार्य भी हाथ में लिया। उनके मार्गदर्शन में एकार्थक कोश, निरुक्त कोश, देशीशब्द कोश, श्री भिक्षु आगम विषय कोश, वनस्पति कोश आदि कोश ग्रंथ प्रकाश में आए। प्राणी कोश की परिकल्पना और निष्पत्ति ___आज से लगभग तीन वर्ष पूर्व पूज्य गुरुदेव श्री तुलसी, आचार्य श्री महाप्रज्ञ के सान्निध्य में भगवतीसूत्र के संपादन का कार्य चल रहा था। संपादन के अन्तर्गत एक स्थान पर अनेक पशु-पक्षियों के नामों का उल्लेख आया। उनके अर्थावबोध के लिए व्याख्या ग्रंथों का अवलोकन किया गया। किन्तु व्याख्य अनेक शब्दों को 'लोकतश्चावगन्तयाः लोकतो वेदितव्याः' 'पक्षी विशेषः, पशु-विशेषः' आदि आदि कहकर उनके अवबोध की पूर्ण अवगति नहीं की। विभिन्न कोशों का अवलोकन करने के बाद भी हम निर्णायक स्थिति तक नहीं पहुंच पाए। तब गुरुदेव ने फरमाया-वनस्पति कोश की भांति यदि प्राणी कोश भी तैयार हो जाए तो चिर अपेक्षित कार्य की संपूर्ति संभव है। कोश निर्माण का कार्य भी आगम की महत्त्वपूर्ण सेवा है। इस कार्य के लिए गुरुदेव ने मुझे इंगित करते हुए कहा-क्या तुम इस कार्य को कर सकते हो? मैंने 'तहत्ति' कहकर अपनी सहमति प्रकट की और उसी दिन से इस कार्य में संलग्न हो गया। सर्वप्रथम मैंने जैनागमों में प्रयुक्त प्राणी वाचक शब्दों की एक सूची बनाई और फिर उनके स्वरूप निर्णय के लिए अनेक ग्रंथों का अवलोकन प्रारम्भ किया। यह स्पष्ट है कि इस प्रकार का कार्य सरल नहीं है। प्राकृत भाषा में प्रयुक्त प्राणीवाचक शब्द वस्तुतः किस प्राणी-विशेष के परिचायक हैं, उसे सही सही जान लेना एवं आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के संदर्भ में उसकी तुलनात्मक प्रस्तुति कर देना एक बहुत ही श्रमसाध्य कार्य है। एक ही प्रजाति के प्राणियों की विभिन्न नस्लों के लिए अलग-अलग नामों का प्रयोग जहां हुआ है, वहां उनके बीच रहे हुए Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (vii) अन्तर का स्पष्टीकरण करना और भी अधिक कठिन है। प्रस्तुत कोश में यथासंभव इन बातों पर विशेष ध्यान दिया गया है। समय के साथ भाषा, शैली और अर्थ में परिवर्तन होता है-यह सर्वविदित है। यही कारण है कि आगमों में वर्णित अनेक शब्द ऐसे हैं जो भाषा, शैली और अर्थावबोध के परिवर्तन के कारण उनकी पहचान दुष्कर-सी हो गयी है। वैसी स्थिति में यह उलझन पैदा हो जाती है कि शब्द-विशेष का बिल्कुल सही अर्थ क्या होना चाहिए। इसका निष्कर्ष निकालने के लिए अन्य आगम ग्रंथ, अन्य समकालीन साहित्य, विभिन्न प्रकार के कोश ग्रंथ, आधुनिक प्राणिशास्त्रीय ग्रंथ आदि का विश्लेषण आवश्यक हो जाता है। मैं कुछेक शब्दों का विमर्श यहां प्रस्तुत कर रहा हूं-'छीरल' शब्द प्रश्नव्याकरण सूत्र में भुजपरिसर्प (सर्पवर्ग) के अन्तर्गत उल्लिखित है। आधुनिक किसी भी कोश में यह शब्द प्राणी के अर्थ में प्राप्त नहीं हुआ। फिर प्रान्तीय भाषाओं के कोश के अवलोकन से यह ज्ञात हुआ कि 'छीरल' शब्द उ.प्र. में 'सांप की वामनी' (सर्पवर्ग) के लिए प्रयुक्त होता है। अतः अर्थ की संगति बैठ गई। 'पक्खिविराली' शब्द भगवती 3/1 और प्रज्ञा. 1/79 में चर्म पक्षी के रूप में प्रयुक्त हुआ है। व्याख्याकारों ने उसका संस्कृत रूपान्तर ‘पक्षिविडाली' किया है। किन्तु उसका स्पष्टार्थ नहीं बताया है यह किस पक्षी का वाचक है। अनेक कोशों एवं ग्रंथों का अवलोकन करने के बाद भी इस शब्द का अवबोध नहीं हो पाया। फिर डॉ. के.एन. दवे की Bird in Sanskrit Literature में यह शब्द प्राप्त हुआ। उन्होंने इनका अर्थ-A Flying fox, The large fruit Bat उड़ने वाली लोमड़ी, बड़ी चमगादड़ किया है। यही अर्थ संभवतः आगमकार को इष्ट था। 'चोर' शब्द ठाणं 1/3/15 भग. 9/150 में प्राणिवर्ग में प्रयुक्त हुआ है। व्याख्याकारों ने इसकी व्याख्या नहीं की है। इस शब्द की जानकारी के लिए अनेक कोशों को देखा गया, पर प्राणी के अर्थ में यह शब्द उपलब्ध नहीं हुआ। फिर प्रान्तीय भाषाओं के कोश के अवलोकन से यह ज्ञात हुआ कि 'चोर' शब्द हरियाणा में एक जंगली जानवर के लिए प्रयुक्त होता है जिसे वर्तमान में 'रेटेल' नाम से जाना जाता है। इसी प्रकार और भी अनेक शब्द हैं-जैसे क्षीर विडालिका, सल्ल, पोंडरीय, हलिमच्छ आदि। . जिस प्रकार अर्थवोध के परिवर्तन के कारण वर्तमान की चालू भाषा में पहचान दुष्कर है उसी प्रकार आगमों में अनेक शब्द ऐसे भी आए हैं, जो लक्षणों के आधार पर उल्लिखित हैं जैसे-आसीविष । आसीविष शब्द ठाणं, प्रज्ञा, प्रश्नव्या. आदि. आगमों में प्रयुक्त हुआ है, जिसका अर्थ है, जिस सर्प की दाढा में विष हो उसे आसीविष कहते हैं। यह शब्द सर्प के लक्षण के आधार पर रखा गया प्रतीत होता है। यह कोई नाम नहीं है, केवल लक्षण है। पुप्फविंटिय शब्द भी आगमों में अनेक स्थलों पर प्राप्त होता है। इसका अर्थ है-पुष्प के वृन्त में पाए जाने वाला कीट। यह नाम भी किसी एक कीट के लिए प्रयुक्त हुआ हो ऐसा संभव नहीं लगता, बल्कि जो भी कीट पुष्प के वृन्त में पाए जाते हैं वे पुष्पविंटिय कहलाते हैं। इसी प्रकार फल के वृन्त में पाए जाने वाले कीट ‘फलविंटिय,' तने में पाए जाने वाले कीट 'तणविंटिय' कहलाते हैं। जिनकी दृष्टि में विष होता है, वे सर्प दृष्टिविष कहलाते हैं तथा जिनकी लाला विषमय होती है वे सर्व लालाविष कहलाते हैं। Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आगमों में प्राणीवाचक शब्द भगवती, प्रज्ञापना, जीवाजीवाभिगम प्रश्नव्याकरण, उत्तराध्ययन आदि आगमों में प्राणी वाचक शब्दों की लम्बी तालिकाएं प्राप्त होती हैं। प्रज्ञापना में इन्द्रियों के आधार पर इनका वर्गीकरण इस प्रकार है प्राणी जगत द्वीन्द्रिय प्राणी मच्छ कच्छप ग्राह चतुष्पद स्थलचर त्रीन्द्रिय प्राणी साइक्लोस्टोमैटा जलचर प्राणी मकर सुंसुमार प्रोटोजोन पोरीफेरा (एक कोशिकीय प्राणी) (शरीर में छोटे-छोटे छिद्र वाले प्राणी) मत्स्य आदि इलैस्मोकाई (viii) सीलनटा स्थलचर प्राणी एक खुर वाले प्राणी द्वि खुर वाले प्राणी iड़ीपद वाले प्राणी सनखपद वाले प्राणी उरपरिसर्प भुजपरिसर्प जीव वैज्ञानिकों ने जन्तु जगत को उनकी समानताओं और असमानताओं के आधार पर अलग-अलग समूहों में बांटा है। उनके अनुसार जीवों (प्राणियों) का वर्गीकरण इस प्रकार है प्राणी जगत ऑस्टिक्थीस चतुरिन्द्रिय प्राणी किलोनिया स्क्वैमेटा आर्थोपोडा मोलस्को इनोइनोडर्मेटा (बिच्छू कनखजूरा (शंख आदि) (तारा मछली आदि) आदि) चर्म पक्षी रोम पक्षी समुद्र पक्षी वितत पक्षी टेट्रापोड़ा उभयचर पंचेन्द्रियं प्राणी खेचर प्राणी क्राकौडिलिया परिसर्प स्थलचर कार्डेटा वर्टीब्रेटा सरीसृप पक्षी स्तनपायी प्रोटोथीरिया मेटाथीरिया यूथोरिया Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ix) प्राणी कोश की रूपरेखा प्रस्तुत ग्रंथ में कीट-पतंग, पक्षी, रेंगने वाले जीव, मछली, जानवर आदि के नामों की कुल संख्या 570 है। उनको अकारादि अनुक्रम से संयोजित किया है, इसमें मूल शब्द प्राकृत भाषा के हैं । वे मोटे, गहरे टाइप में क्रमांक से अनुगत हैं। उनके सामने कोष्ठक में संस्कृत छाया दी गई है। जिस शब्द की छाया नहीं बनती यानि जो देशी शब्द हैं वे मूल शब्द ही कोष्ठक में दिये गये हैं । कोष्ठक के सामने उसके प्रमाण स्थल का निर्देश है । मूल प्राकृत शब्द के नीचे अंग्रेजी भाषा में प्रचलित संज्ञा है । अंग्रेजी शब्द के सामने हिन्दी के पर्याय तथा क्वचित् अन्यान्य भाषाओं के पर्याय भी दिए गए । 1 1 यह विवरण अनेक ग्रंथों से चयनित होने के कारण इसमें भाषा की एकरूपता नहीं है। फिर भी विषय की पूरी जानकारी हो सके, इसके लिए भाषा का यत्र-तत्र परिमार्जन भी किया है। डॉ. के. एन. दवे की पुस्तक Birds in Sanskrit Literature का इसमें काफी उपयोग किया गया है । 'जानवरों की दुनिया' नामक पुस्तक वर्तमान में अप्राप्त है। फिर भी हमें जो प्रति प्राप्त हुई, उसमें प्रकाशक और लेखक के नाम वाला पृष्ठ था । इसलिए ग्रंथ सूची में प्रकाशक और लेखक का नाम नहीं दिया गया । नहीं अंत में तीन परिशिष्ट दिए हैं- प्रथम परिशिष्ट में अकारादि क्रम से प्राकृत शब्द तथा उसका हिन्दी एवं अंग्रेजी दिया गया है। द्वितीय परिशिष्ट में मूल प्राकृत शब्द तथा द्वीन्द्रय आदि जाति दी गई हैं। तृतीय परिशिष्ट में संदर्भ ग्रंथसूची प्रस्तुत की गई है। आभार हमारे प्रेरणा-स्रोत परमाराध्य गणाधिपति श्री तुलसी का सतत मार्गदर्शन, अपूर्व वात्सल्य भाव, निरन्तर सान्निध्य ही इस कोश-ग्रंथ की निष्पत्ति में मूल आहार बना है। उनकी अद्भुत प्रेरणा- शक्ति न मिलती, तो शायद इतना दुरुह कार्य कभी संभव न होता । आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी 20 वीं शताब्दी के आगम- दिवाकर हैं। उनके प्रत्यक्ष निदेशन में यह कार्य संपादित करने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ । आचार्य श्री ने 50 वर्षों से अधिक समय से सतत आगम- शोध कार्य का उपक्रम चालू रखा है। उनकी यह दीर्घ तपस्या फलवती हो रही है। जैन विश्व भारती द्वारा प्रायोजित आगम साहित्य प्रकाशन के अन्तर्गत प्रकाशित सारे शोध ग्रंथ इनके अन्तः दर्शन (intuition) के लेजर (Laser) किरणों की पैनी पहुंच के कारण समग्र विद्वज्जगत में प्रशंसनीय हुए हैं । प्रस्तुत ग्रंथ में भी यत्र-तत्र जो नए तथ्य सामने आए हैं, उनमें उनकी मनीषा का अकल्पनीय योग है । श्रद्धेय युवाचार्य श्री महाश्रमण जी की सतत प्रेरणा, प्रोत्साहन और मार्गदर्शन ने मेरे मार्ग को प्रशस्त किया और गति प्रदान की / महाश्रमणी साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा जी का समय-समय पर सुझाव एवं मार्गदर्शन ने मेरे उत्साह को निरन्तर वृद्धिंगत रखा है। इस श्रमसाध्य कार्य में मुनिश्री महेन्द्र कुमार जी एवं डॉ. दीपिका कोठारी (सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. डी. एस. कोठारी की पौत्री), जो जैन विश्व भारती संस्थान मान्य विश्वविद्यालय में शोध - विद्वान के रूप में कार्यरत थीं, ने अपनी वैज्ञानिक जानकारी के आधार पर मेरी अनेक समस्याओं को समाहित किया । मुनि श्री सुखलाल जी, मुनि श्री दुलहराज जी, मुनि श्री मोहजीत कुमार जी और मुनि श्री धनंजय कुमार जी का अनुभव एवं सुझाव आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहा है । Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ __ मेरी संसारपक्षीया बहिन समणी रश्मिप्रज्ञा जी (साध्वी रक्षित यशा जी) का लिपिकरण एवं अनेक कार्यों में सहयोग रहा है, तदर्थ-साधवाद। चित्रों के संकलन में भिक्ष चेतना परिषद (गंगाशहर) एवं जैन दर्शनमाला (गंगाशहर) के योगदान को विस्मत नहीं किया जा सकता। कोश सम्बन्धी पुस्तकों को उपलब्ध कराने में ग्रंथागार के पुस्तकालयाध्यक्ष श्री के.सी. गुप्ता जी एवं अन्य लोगों का सहयोग भी उल्लेखनीय है। प्रकाशन व्यवस्था में कुशलराजजी समदड़िया एवं श्री पन्नालाल जी बांठिया की कार्यशीलता भी इस कार्य को निष्टा तक पहुंचाने में उपयोगी सिद्ध हुई है। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. वी.सी. लोढ़ा ने इस को का पारायण कर विद्वत्तापूर्ण पुरोवाक लिखा। उनके प्रति मेरी मंगल भावना। ज्ञात अज्ञात, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जिन-जिनका सहयोग प्राप्त हुआ है, उनके प्रति कृतज्ञता एवं शुभाशंसा। आशा है प्रस्तुत ग्रंथ न केवल आगम अध्येताओं के लिए उपयोगी होगा, अपितु प्राणी-विज्ञान, पर्यावर'' विज्ञान आदि विभिन्न शाखाओं के अध्येताओं के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा तथा उनकी जिज्ञासा को संता करने में सहयोगी बनेगा। - मुनि वीरेन्द्र कुमार स्वास्थ्य निकेतन, लाडनूं 22.5.98 Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संकेत अं.वि. नि. चू. निशीय चूाग पाठान्तर अनु. पा. अभि . पाइअ. पाइअसद्दमहाणा प्रज्ञा प्रज्ञापना आ.चू. अल्प. प्रश्नव्या. प्रश्नव्याकरण उत्त. K.N. Dave उवा. Birds in Sanskrit Literature भगवती भग. ओ. नि. औप. राज. जंबू - अंग विज्जा ___ अनुयोग द्वार अभिधान चिंतामणि कोश आयार-चूलो अल्प परिचित शब्द कोश उत्तरज्झयणाणि उवासगदसाओ औध नियुक्ति औपपातिक जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति ज्ञाताधर्मकथा जीव विचार वृत्ति जीव-विचार प्रकरण जीवाजीवाभिगम् स्थानांग दसवैआलियं दशाश्रुतस्कंध Purnelles concise Encylopedia of Nature सम. राजप्ररनीय समवायांग सूर्यप्रज्ञप्ति ज्ञाता. सूर्य. गुज. गुजराती हरि हरियाणा जीव.वि.वृ. जीव.वि.प्र. जीवा. ठाणं दसवै. राज. राजस्थानी कन्न. कन्नड़ . दशा. उ.प्र हा. टी. प. बंगाली उत्तर प्रदेश हरिभ्रदीय टीका पृष्ठ Nature Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश अंक [अंक] प्रश्नव्या. 2/12 A kind of Conch Shell — शंखराज की एक जाति । देखें- शंख अंधग [अन्धक] दस. 2/8 A kind of Snake— अन्धक सर्प विवरण- अगन्धन कुल में उत्पन्न सर्प मंत्रवादी के द्वारा बुलाए जाने पर भयंकर अग्नि में प्रवेश कर जाते हैं, पर वमन किए हुए विष को वापस नहीं पीते । आधुनिक विज्ञान इस बात को स्वीकार नहीं करता, उसके अनुसार उत्तम जाति के सर्प तीव्र विष वाले होते हैं अतः उनके द्वारा डसा हुआ व्यक्ति 10-30 मिनट में मृत्यु को प्राप्त हो जाता है । ( हा.टी.प. 95 ) अंधिय [अन्धिक] भग. 15/108, प्रज्ञा. 1/51, उत्त. 36/146 Caipsid bug-कैपसिट बग (कीट), अंधा आकार - लगभग 5 M.M. की लम्बाई वाला कीट । लक्षण - शरीर का रंग पीला-हरा होता है। यह फसलों आदि को नुकसान पहुंचाता है। विवरण- इसकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। वैज्ञानिक भाषा में इसे कैलोकोरिस अंगस्टैटस लैथिरी कहते हैं । [विवरण के लिए द्रष्टव्य-सचित्र विश्व कोश, फसल पीड़क कीट] अच्छ [ऋक्ष] भग. 3/209, ज्ञाता. 1/1/178, प्रश्नव्या 1/6 Sloth Bear - रीछ आकार - भालू से काफी मिलता-जुलता । 1 लक्षण - शरीर का रंग गहरा काला । बाल-लंबे, खुरदरे और घने । छाती पर 'V' के आकार का सफेद चिह्न । मस्तक चौड़ा और थूथन लंबी होती है विवरण - यह भालू की जाति का ही एक प्राणी है । इसका चेहरा देखने में तिकोना लगता है । चपटी पैरों वाली टांगें झुकी हुई होती हैं। पैरों के अंत में लम्बे सफेद पंजे होते हैं। यह संपूर्ण भारत में चट्टानी एवं जल स्रोतों के समीप वाले जंगलों में पाया जाता है। [विशेष- विवरण के लिए द्रष्टव्य-भारत के संकट ग्रस्त प्राणी, सचित्र विश्व कोश ] अच्छिल [अक्षिल] उत्त. 36/148 A kind of Locust - टिड्डी की एक जाति । देखें- डोल अच्छिरोड [अक्षिरोड़क] प्रज्ञा. 1/51. उत्त. 36/148 A kind of Locust - टिड्डी की एक जाति । देखें - डोल अच्छिवेहए [अक्षिवेधक] प्रज्ञा. 1/51, उत्त. 36/147 A kind of Locust - टिड्डी की एक जाति । देखें- डोल अट्ठिकच्छभ [अस्थिकच्छप] प्रज्ञा. 1/57 Hawksbill-बाजचोंचा कच्छप, अस्थिबहुल कच्छप । आकार - चौकोर, त्रिकोणाकार आदि अनेक प्रकार के होते हैं। लक्षण – इनमें अस्थि का भाग अधिक और मांस का भाग कम होता है। संकरा कांटेदार 'केरापेस' जिसमें एक दूसरे को ढंकते हुए कवच जैसी पट्टियां होती हैं । पतली गर्दन व बाज की चोंच जैसी थूथनी इस जाति Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश अडिल [अटिल] प्रज्ञा. 1/78 के कछुए की विशेषताएं हैं। शरीर का रंग कहरुव., पीला-नारंगी और लाल-भूरा होता है। विवरण-संसार के अनेक भागों के गर्म समुद्रों में इनकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं, जैसे बाजचोंचा, कठखोपड़ी वाला कच्छप, खप्पर वाला कच्छप, झटका मारने वाला कच्छप आदि। विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-कच्छभ अड् [अ] प्रश्नव्या. 1/36, प्रज्ञा. 1/79 House Sparrow-गौरेया, गृह-चटक, चिड़िया। आकार-बुलबुल के समान। House-Swift-बबीला, बतासा, जाडला । मल आकार-गौरेया से कुछ छोटा। लक्षण-धुएं की तरह काला पक्षी। गले एवं पीठ के पीछे का हिस्सा सफेद । दुम छोटी तथा चौकोर। पंख लम्बे, नुकीले होते हैं। ति विवरण-पुराने किलों, उजड़ी हुई इमारतों, एवं खाली मकानों में रहने वाला यह पक्षी दिन-भर तेज गति से उड़ता रहता है। पैर विशेष प्रकार के बने होने के कारण, चारों उंगलियां आगे की ओर रहती हैं। रंग-भेद के लक्षण-नर के सिर का ऊपरी भाग स्लेटी और गर्दन आधार पर इनकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। के नीचे का भाग काला तथा पीठ व डैने कत्थई रंग विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- K.N. Dave पृ. के होते हैं, जिनमें छोटी-छोटी काली और सफेद धारियां 166] होती हैं। मादा के शरीर का ऊपरी हिस्सा भूरा और डैने गहरे-भूरे रंग के होते हैं। अडिल [अटिल] प्रज्ञा. 1/78 7 विवरण-संसार भर में पाए जाने वाला यह पक्षी The Small bat-छोटी चमगादड़।। मानव-बस्ती के आस-पास रहना पसंद करता है। संध्या आकार-4-5 इंच से 10-12 इंच तक लम्बा स्तन के समय अनेक गौरेया आपस में मिलकर बहुत शोर धारी प्राणी। । मचाते हैं। इनकी चहचहाहट से प्रायः सभी परिचित लक्षण-शरीर का रंग कत्थई-भूरा। अगले पैर पंखों हैं। में परिवर्तित होने वाले। यह दिन-भर वृक्ष एवं Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश अब अंधे-व्यक्तियों को चलने में मदद करने वाले यंत्रों के रूप में किया जा रहा है। विशेष-विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N.Dave पृ.-166 एवं सचित्र विश्व-कोश] अणुल्लक [अणुल्लक] उत्त. 36/129 A Small Wood-Worm-अणुल्लक, छोटा काष्ठ-कीट। देखें-काष्ठाहार अंधकारमय स्थान आदि में उल्टा लटका रहता है। विवरण-विश्व-भर में इनकी 950 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें अधिकांश मांसाहारी, कुछ शाकाहारी एवं तीन प्रजातियां खून पीने वाली होती हैं। इटली के जीव वैज्ञानिक लैजारो स्पैलेजानी के अनुसार शिकार पकड़ने या अवरोधों से बचने के लिए चमगादड़ आंखों की जगह कानों का इस्तेमाल करता है। उसके गले से एक विशेष प्रकार की ध्वनि निकलती है जो सामने वाली वस्तु से टकराकर उसके गुण धर्म आदि की सारी सूचनाएं ले आती है। 1938 में वैज्ञानिकों ने पहली बार जाना कि चमगादड़ जो ध्वनि निकालता है उन ध्वनि तरंगों की आवृत्ति 50.00 हर्टस से लेकर 1,50,000 हर्टस के बीच होती है। जबकि मनुष्यों के कानों को सुनाई देने की क्षमता मात्र 20 हर्टस से लेकर 20 हजार हर्टस तक ही होती अत्थभिल्ल [अत्थभिल्ल] नि.चू. 2 पृ. 93 Bear-भालू खुद के द्वारा निकाली गई आवाज की प्रतिध्वनि की सूक्ष्म बारीकियों को सुनने के लिए चमगादड़ का कान प्राणी-विशेषज्ञों के लिए आश्चर्य का विषय है। चमगादड़ों की श्रवण शक्ति की बारीकियों का उपयोग Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4 आकार - देखने में रीछ के समान प्रतीत होने प्राणी । लक्षण - शरीर का रंग गहरा काला । घने लम्बे बाल और ठूंठ जैसी पूंछ । हाथ-पैर मजबूत एवं खोदने तथा लड़ने के लिए शक्तिशाली पंजे होते हैं । विवरण- विश्वभर में इनकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। काला भालू 40 K.M. प्रति घंटा की गति से दौड़ सकता है। कुछ भालू गिलहरी की तरह पेड़ों पर तेजी से चढ़-उतर सकते हैं। ध्रुव प्रदेशों और उत्तरी साइबेरिया तथा कनाड़ा में सफेद भालू पाए जाते हैं। इनका वजन 1000 K. G. तक होता है। 1 वाला यह बर्फ पर 25 K.M. प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है तथा पानी में 15 फीट की छलांग भरता हुआ सिर्फ 6 मील प्रति घंटा की गति से तैर सकता है। इनमें सूंघने की क्षमता अत्यधिक होती है। अमेरिका के पश्चिमी पहाड़ों पर मिलने वाला ग्रिन्ली भालू बेहद शक्तिशाली और भयानक होता है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-विश्व के विचित्र जीव-जंतु, सचित्र - विश्व कोश, संकट ग्रस्त वन्य प्राणी] अमिल [अमिल] ओ.नि. 368 Sheep-भेड़, गाडर, उरभ्र, मेंढ़ । आकार - बकरी से कुछ छोटा एवं मोटा । लक्षण - पालतू भेड़ों के पैर छोटे और दुम लम्बी होती है, उनके ऊपर ऊन का घना आवरण तथा सींग छोटे होते हैं। जब कि जंगली भेड़ों के पैर बड़े और दुम जैन आगम प्राणी कोश छोटी होती हैं। विवरण - विश्व में भेड़ों की अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। यह एक सीधा-सादा प्राणी है। जंगली भेड़ के सींग बहुत लम्बे होते हैं। इनका दूध औषधि के रूप में भी प्रयुक्त होता है। अमेरिका की एक भेड़ के बारे में कहा जाता है कि वह 5 से 10 मील की दूरी से अपने शत्रु को देख लेता है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-सचित्र विश्व कोश, जानवरों की दुनिया ] अय [अज] प्रज्ञा. 1/64 जम्बू. 2/34 उत्त. 7/7, 9 अनु. 12 Goat-बकरी, मष । आकार - 2 फीट से 1 मी. तक ऊंची। लक्षण - सभी रंगों में पाए जाने वाली बकरी के सिर पर दो सींग होते हैं। पूंछ छोटी एवं मोटी। पैर शरीर की अपेक्षा बड़े होते । विवरण - विश्वभर में इनकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। हिमालय की जंगली बकरी 1 मी. तक ऊंची होती है। इसके सींग घुमावदार होते हैं जो कभी-कभी डेढ़ मीटर तक लम्बे होते हैं। तुर्की में अंगोरा नामक बकरी ऊन के लिए पाली जाती है। स्विट्जरलैंड में 'सानेन' जाति की बकरी दूध खूब देती है। भारत में दक्षिणी पठार की अमनापुरी बकरी, पश्चिम भारत की Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश सूरती बकरी तथा बंगाल की गंजाम और तेलंगाना की बकरी उत्तम जाति की होती है। अयगर [ अजगर] प्रश्नव्या. 1/7, प्रज्ञा. 1/68 जम्बू. 2/41 Python-अजगर, पेरिया पम्बू, मालाई पम्बू (तमिल), मलामपम्बू (मलयालम), पेड़ा-पोड़ा (तेलुगू) । आकार - 20-40 फीट लम्बा एवं एक फीट तक मोटा । लक्षण - पीठ का रंग पीला होता है, जिस पर टेढ़े-मेढ़े चौकोर चकत्ते होते हैं। मुंह बहुत बड़ा और धड़ चपटा होता है । शरीर के बीच का भाग सबसे मोटा होता है। विवरण - विश्व में अजगर की मुख्य दो जातियां पाई जाती हैं- पाइथन और बोया । यह अपने शिकार को समूचा ही निगल जाता है। इसकी पकड़ इतनी सुदृढ़ होती है कि एक बार इसके पाश में फंसने के बाद शिकार की हड्डी पसलियां सुरक्षित नहीं रह पातीं। इस जाति के कुछ सर्प अच्छे तैराक होने के साथ-साथ पेड़ों पर चढ़ने में भी कुशल होते हैं। एनाकोण्डा नामक अजगर प्रायः जलाशयों के पास पेड़ों पर लटके रहते हैं और रात को पानी पीने के लिए आए जानवरों को अपना शिकार बना लेते हैं। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-जानवरों की दुनिया, संकट ग्रस्त वन्य प्राणी, इंडियन रेपटाइल्स] अरक [अरक] अं वि पू. -39 Worm कृमि, लट । आकार - कुछ मिलीमीटर से 2 मीटर तक लम्बा । समय दुम्पेद ब सै लक्षण - बहुरंगी, चपटा, गोल, लम्बा, मुलायम तथा दो भागों में विभक्त शरीर । विवरण- पेड़-पौधों, सूखी गीली जमीन, मनुष्य एवं. जानवरों के शरीर में पाए जाने वाला यह बिना पैर वाला कीट है। कुछ के यदि पैर होते हैं तो भी नहीं के बराबर । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- Encyclopedia in Color, Nature] TFF अलक्कडअ [अलक्कडअ] उत्त. वृ.टी. पृ. 829 Rabid dog - पागल कुत्ता । आकार - सामान्य कुत्तों की भांति । लक्षण - पागल कुत्ते की पूंछ नीचे की ओर झुकी हुई और मुख से निरन्तर लार गिरती रहती है। चाल बेढंगी एवं अस्थिर होती है। विवरण- किसी भी जाति के कुत्ते पागल हो सकते हैं। ये बहुत खतरनाक एवं डरावने से लगते हैं । इनके समीप अन्य कुत्ते जाने का साहस नहीं करते। ये चलते -दौड़ते समय अर्थात किसी भी समय किसी को काट सकते हैं। [विवरण के लिए द्रष्टव्य- Nature ] अलस [अलस] उत्त. 36/128 Asmall Poisonous Animal-अलस, छोटा जहरीला कीट । आकार - 1-2 मिलीमीटर से 5-6 फीट तक लम्बा । Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश लक्षण-शरीर का रंग भूरा-लाल तथा कई छल्ले में काठियावाड़ के घोड़े प्रसिद्ध हैं। इनका उपयोग युक्त। प्राचीन काल से अब तक घुड़सवारी, दौड़, माल ढोने, विवरण-वर्षा ऋतु में सांप जैसे लम्बे लाल रंग के सवारी आदि के लिए किया जाता है। इनके होठों में जीव उत्पन्न होते हैं, जिनको अलसियां कहा जाता है। गजब का स्पर्श ज्ञान होता है। यह अपने मालिक का [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- Jainasutra, जीव अत्यधिक वफादार होता है। विचार प्रकरण] विवरण के लिए द्रष्टव्य-Nature, सचित्र-विश्वकोश] अवधिका [अवधिका, उपदेहिका] प्रश्नव्या. 1/33 अस्सतर [अश्वतर] प्रज्ञा. 1/63 Mule-खच्चर। आकार-खर (गधा) से कुछ बड़ा। लक्षण-शरीर का रंग कत्थई और कालापन लिए हुए। घोड़े और गधे के बीच का प्राणी। विवरण-इसकी अनेक जातियां पाई जाती हैं। यह घोड़े और गधे का मिश्ररूप है। इसकी पूंछ घोड़े जैसी एवं मुख गधे जैसा प्रतीत होता है। यह भार ढोने में बेजोड़ होता है। Termite-दीमक। देखें-उद्देसग (दीमक) अहिणूका [अहिणूका] अंवि, पृ. 69 Female Snake-fifunt देखें-अही। अस्स [अश्व] आ. चू. 15/28 सू. 1/3/33 ज्ञाता. 1/1/128, प्रज्ञा. 1/63 Horse-घोड़ा अहिलोढ़ी [अहिलोढ़ी] दसा. चू.पू. 68 Female Chamileon-मादा गिरगिट। आकार-घरेलू छिपकली से बड़ा। लक्षण-पार्श्व में चपटे डील-डौल वाला यह दिनचर प्राणी हरे रंग का होता है किन्तु स्थान आदि के अनुसार अनेक रंगों में बदल सकता है। सिर पर टोप जैसी रचना इसे विचित्र सूरत वाला प्राणी बना देती है। इसके शरीर आकार-5 फीट से 7 फीट तक की ऊंचाई वाले प्राणी। लक्षण-शरीर का रंग- कुम्मैद, सुरंग, सफेद, मुश्की आदि अनेक प्रकार का। पूंछ लम्बी एवं गर्दन अपेक्षाकृत छोटी। विवरण-विश्व में इनकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। अरबी नस्ल के घोड़े विश्व में विख्यात हैं। भारत Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश पर दानेदार चकत्ते होते हैं। यह एक साथ दो भिन्न दिशाओं में देखने की क्षमता रखता है । क्योंकि सिर को बिना घुमाए आंखों को किसी भी दिशा में घुमा सकता है। पूंछ लम्बी तथा घड़ी की स्प्रिंग की तरह कुंडलित होती है । विवरण- इसकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। पेड़ों पर रहने वाला गिरगिट जीभ से शिकार नहीं पकड़ता बल्कि शिकार के बहुत पास जाकर सीधे मुंह से शिकार पकड़ता है। जमीन पर रहने वाला गिरगिट अपने शिकार पर दोनों आंखें फोकस कर काफी दूर से बिजली की गति से जीभ बाहर फेंकता है। गोंद जैसे चिपचिपे स्राव में शिकार चिपक जाता है, जिसे यह तुरंत मुंह में खींच लेता है । शिकार को चबाता नहीं। सीधे निगल जाता है। [विवरण के लिए द्रष्टव्य- रेंगने वाले प्राणी, जानवरों की दुनिया, Indian Reptiles अहिसलाग [ अहिसलाग] प्रज्ञा. 1/71 Jones saind Boya - दुमुंही सर्प, राजसर्प, श्रेष्ठ सर्प, अहिसलाग । देखें- चक्कलड़ा, चक्कवुंडा । अही [अहि] प्रज्ञा. 1/68, 71 Snake- सांप, सर्प । आकार - कुछ इंच से लेकर लगभग 40 फुट तक लम्बा । लक्षण - लम्बा, बलखाने वाला शरीर । खाल के ऊपर चीमड़ छिलके रहते हैं। इनके छाती की हड्डी नहीं होती है और न पैर । बिलों में रहने वाले सांपों को छोड़कर अधिकतर सांपों की दृष्टि अत्यन्त तीव्र होती है। आंखें पलक रहित और पारदर्शी खाल से ढकी रहती हैं। यही कारण है कि इनकी आंखें सदा खुली हुई और घूरती हुई-सी दिखाई देती हैं। ये सीधे न चलकर टेढ़े-मेढ़े या लहरदार ढंग से चलते हैं। 7 विवरण- भारत में सांपों की लगभग 300 प्रजातियां और विश्व भर में 2500 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से लगभग 500 जातियां ही अधिक विषैली हैं। विषैले सांपों के मुंह में दो विष-दंत होते हैं जो लम्बे और पोले होते हैं, जिनकी जड़ के पास विष की थैली होती है। जब सांप किसी के शरीर में अपने विष-दंत गड़ाते हैं तो विष की थैली पर दबाव पड़ता है और दांतों द्वारा विष शरीर में प्रवेश कर जाता है। सांप की रीढ़ में मनुष्य की रीढ़ की अपेक्षा बहुत अधिक छोटी-छोटी हड्डियां होती हैं । इसीलिए ये अपने को इधर-उधर मोड़ते हुए रेंग सकते हैं या कुंडली मार कर बैठ सकते हैं। ये तेजी से दौड़ सकते हैं, पेड़ पर भी चढ़ सकते हैं, पानी पर तैर सकते हैं। जो सांप दिन में शिकार करते हैं उनकी आंखों की पुतली गोल होती है और जो रात्रि में विचरण करते हैं, उनकी आंखों की पुतली बिल्ली के समान लंबी अंडाकार होती है। इनमें सूंघने की शक्ति अत्यधिक होती हैं। दुशाखी जीभ थोड़ी-थोड़ी देर में बाहर निकालते रहते हैं। अजगर, वाइनसांप, वाइपर आदि कुछ सांपों को छोडकर शेष सांप अंडे ही देते हैं । आइण्ण [आकीर्ण] द.चू. 2/6 दसा. 10/14 Horse of Good breed - जातिवान् घोड़ा । अथर्ववेद में अश्व को तीन श्रेणियों में विभक्त किया # है- अधम, मध्यम और उत्तम । उत्तम जाति के घोड़े दस योजन (15 मील) से 12 योजन (18 मी.) की यात्रा एक दिन में कर सकते हैं। ये इतने समझदार होते हैं कि मालिक के इशारे पर कार्य में प्रयुक्त हो जाते हैं। प्राचीन काल में कंबोज के घोड़े अपनी अनेक विशेषताओं के कारण प्रसिद्ध थे । Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 8 (अथर्ववेद 6/131/6 ) [शेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-अस्स (अश्व)] आडातीय [आडासेतीक] प्रश्नंव्या. 1/9 Black ibis-बाज, कालाबाज, करनकुल, आडासेतीक । आकार - सफेद आइविस से कुछ बड़ा । लक्षण - काले रंग का पक्षी । इसकी कर्फ्यू जैसी लम्बी दुम नीचे की ओर झुकी रहती है। कंधों के पास सफेद धब्बा और ईंट जैसी लाल टांगें होती हैं विवरण- -भारत, वर्मा, पाकिस्तान आदि में पाए जाने वाला यह पक्षी देखने में सुन्दर एवं मनोहर लगता है। इनकी टोलियां अनेक आकृतियां बनाती हुई उड़ती हैं। [विवरण के लिए द्रष्टव्य - K. N. Dave, पृ. 81, 124, भारतीय पक्षी ] 1 आवत्त [आवर्त्त] ठाणं, 2/540, प्रश्नव्या. 1/6, 3/7 A horse with curly hair consided lucky- घुंघराले बालों वाला भाग्यशाली घोड़ा। देखें- आइण्ण [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - विलियम डिक्शनरी] आवल्ल [आवल्ल] उ.शा.टी.प. 192 Bull-बैल | F आकार - लगभग 4-7 फीट तक ऊंचा । लक्षण - शरीर का रंग सफेद से लेकर हल्का भूरा तक । गर्दन के पास कुछ ऊंचा कूबड़ सा होता है। कुछ के सींग लम्बे एवं मुड़े हुए होते हैं । विवरण - विश्व भर में इनकी सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती हैं। कुछ बैल अधिक काम करते हैं और कुछ जल्दी ही थक जाते हैं। इनमें गर्मी, सर्दी और सीलन को बर्दास्त करने की क्षमता अन्य पशुओं की अपेक्षा अधिक होती है। जैन आगम प्राणी कोश भारत में नागौरी एवं कच्छी कठियावाड़ी नस्लें मजबूती तथा श्रम के लिए प्रसिद्ध हैं । आस [अश्व] दसा. 6/3 Horse-T देखें- अस्स (अश्व) आसालिय [आशालिक, आसालिग] सू. 2/3/79 प्रज्ञा. 1/68 प्रश्नव्या 1/7 Very Large Snake- एक बहुत विशाल सांप। आकार - 12 योजन लम्बा । लक्षण - अन्तर्मुहूर्त्त की स्थिति वाला सम्मूर्च्छिम प्राणी । विवरण — पंद्रह कर्मभूमि में चक्रवर्ती, वासुदेव, बलदेव, मांडलिक और महामाण्डलिकों की सेना के नीचे पृथ्वी मैं उत्पन्न होने वाला यह सर्प 12 योजन की मिट्टी खा जाता है, जिससे भूमि में बहुत बड़ा गड्ढा हो जाता है 1 गड्ढे में सेना गिरकर विनाश को प्राप्त हो जाती है। चक्रवर्ती आदि की सेना के विनाश के समय में ही इस सर्प की उत्पत्ति होती है । आसीविस [आशीविष] ठाणं 2/336 प्रज्ञा. 1 /70 प्रश्नव्या. 6/6 A snake Having Poison in large Tooth - आशीविष [दाढ़ों में विष वाले] आकार - 2 - 16 फुट तक लम्बा । ★ लक्षण - इन सर्पों के ऊपरी जबड़ों में प्रायः दो विषैले दांतों के सिवाय दूसरे दांत नहीं होते। ये लम्बे दांत विष की ग्रंथि ( थैली) के नीचे एक चलनशील हड्डी में जुड़े रहते हैं और हर दांत के भीतर विष-प्रवेश करने के लिए एक नली बनी रहती है। विवरण- विषदंत धारी सर्प दो प्रकार के होते हैं- (1) Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश पीछे की ओर विषैले दांत वाले सर्प। (2) अग्रविषदंतधारी सर्प। पीछे की ओर विषदंत धारी सर्प अग्रविषदंतधारी सर्प की अपेक्षा कम खतरनाक होते हैं। अग्रविषदंतधारी सों में विष की बड़ी ग्रंथियां होती हैं और विष के दांत मुंह के आगे की ओर रहते हैं। अतः शिकार पर आक्रमण करते समय वे सहज ही उस तक पहुंच जाते हैं। आशीविष सर्पो में कई मणिधारी होते हैं। उन्हें देखने से ऐसा प्रतीत होता है मानो चमकते हुए चटकीले लाल और पीले मूंगे के छिलके जड़ दिए हों। [विवरण के लिए द्रष्टव्य-जानवरों की दुनिया, Common Indian Snake, Indian Reptiles] लाल तथा पेट कुछ सफेद रंग का होता है। बड़ी खोपड़ी इंदगोवय [इन्द्रगोपक] प्रज्ञा. 1/50 उत्त. 36/139 एवं शक्तिशाली जबड़ा इसका विशेष लक्षण है। इसकी अनु. 321 टांगें मजबूत और तेज दौड़ने के अनुकूल होती हैं। Insect of red & white color-इन्द्रगोपक (वीर विवरण-भारत, यूरोप, एशिया और उत्तरी अमेरिका वघूटी नाम का कीड़ा जो वर्षा के दिनों में उत्पन्न होता । में पाए जाने वाला यह जानवर अपने शिकार का पीछा कर उसकी गर्दन दबोच लेता है। यह मरा जानवर नहीं आकार-मटर के दाने के समान। खाता। भेड़िया बोलता है, भौंकता नहीं है परन्तु कुत्तों लक्षण-लाल रंग के शरीर वाला मखमली जीव। के साथ रहने पर यह भी भौंकना सीख जाता है। इसमें विवरण-वर्षा काल के प्रारम्भ में ये जीव पैदा होते सूंघने, सुनने और देखने की शक्ति तीव्र होती है। यह हैं। इनकी अनेक जातियां हैं। राजस्थानी भाषा में इसे अपनी धूर्तता के कारण गोद के बच्चे को भी छीन ले 'सावन की डोकरी', गुजरात में 'गोकल गाय', हरियाणा जाता है और बड़े-बड़े जानवरों को सामूहिक बल से में 'तीज' आदि नामों से जाना जाता है। मार देता है। वैज्ञानिकों के अनुसार भेड़िया उत्तरी [विवरण के लिए द्रष्टव्य-फसल पीड़क कीट, Nature गोलार्द्ध का मूल प्राणी है। कुत्ता इसका वंशज है। Incyclopedia in Colour] उंदुर [उंदुर] प्रश्नव्या. 1/8 इंदिकाइय [इन्द्रकायिक] प्रज्ञा. 1/50 [पा.] उत्त Mouse, Rat-चूहा, मूषक, उंदरा। 36/138 आकार-गिलहरी से काफी मिलता-जुलता। Insect of Red White Colour-इंद्रकायिक। लक्षण-शरीर का रंग काले से लेकर सफेद भूरा तक देखें-इंदगोवय होता है। दांत तेज एवं मजबूत। मूंछे बड़ी बड़ी जो स्पर्शनेन्द्रिय का काम करती हैं। इसके दांत जीवन-भर ईहामिय [ईहामृग] आ.चू. 15/28 भग. 11/138 बढ़ते रहते हैं किन्तु कुतरने के कारण घिसते भी रहते ज्ञाता. 1/1/25 Wolf-भेड़िया। विवरण-यह एक मात्र ऐसा प्राणी है जो पूरे विश्व आकार-कुत्ते से कुछ बड़ा। में पाया जाता है। 2-10 इंच तक की लम्बाई वाला लक्षण-शरीर का रंग मटमैला भूरा, जिसमें कभी-कभी यह प्राणी अनाज, छोटे-मोटे कीड़े और फसल आदि को काला रंग भी मिला होता है। इसका चेहरा व हाथ-पैर नुकसान पहुंचाता है। Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 10 जैन आगम प्राणी कोश उक्कड़ [उत्कट] प्रज्ञा. 1/50 जम्बू 3/31 A kind of Insect-कीट की एक जाति। देखें-हालाहल - उक्कोस [उत्क्रोश] प्रश्नव्या. 1/9 White-bellied-seaeagle-कोहासा, समुद्री उकाब, उत्क्रोस। उक्कल [उक्कल] Spider-मकड़ी, उक्कड़, अष्टपद, उत्कल। आकार-लगभग 2 मिली मी. से 9 से.मी. तक लम्बा। लक्षण-चपटा, गोल अथवा लम्बा शरीर। शरीर का रंग भूरा से लेकर काला तक। आंखों की संख्या आठ तक होती है। तार कातने के लिए शरीर में तकुए या स्पिनरेट होते हैं। विवरण-विश्व भर में इनकी 20,000 प्रजातियां पाई जाती हैं। इसके वास्तविक जबड़े नहीं होते। यह Tarantela Trapdoor spider आकार-सामान्य चील से कुछ बड़ा।।। लक्षण-शरीर का ऊपरी रंग भस्मी-भूरा। सिर, ग्रीवा, निचला भाग एवं दुम का अंतिम अंश बिल्कुल सफेद होता है। चोंच छोटी, मुड़ी हुई एवं मजबूत। विवरण-भारत और आस्ट्रेलिया में पाए जाने वाला arden spider यह पक्षी अकेले या जोड़ों में समुद्रतट के आस-पास अपना भोजन चूसता है। जब यह किसी कीड़े को देखा जाता है। हवा में उड़ते समय इनके दोनों पंख पकड़ता है तो अपने विषदंतों से कीड़े में थोड़ा-सा विष पृष्ठरेखा से ऊपर जाकर Vजैसी आकृति में स्थित रहते डाल देता है। लेकिन ज्यादातर मकड़ियों में इतना विष हैं। समुद्री सर्प के लिए यह एक खतरनाक प्राणी है। नहीं होता कि मनुष्य को हानि पहुंचा सकें। ब्लैक विन्डो, ऊंचे स्वर वाली विशिष्ट नास्य वाली कुडकुडाहटबुल्फ स्पाइडर आदि मकड़ियां खतरनाक होती हैं। इनके केंक-केंक-केंक जल्दी जल्दी दोहराता है। काटने पर मानव बीमार पड़ जाता है। ब्लैकविंडो का [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. बनाया रेशम इतना मजबूत होता है कि इसे मूल लम्बाई -212, भारत के पक्षी, सचित्र विश्व कोश, Nature] से 27 प्रतिशत और खींचा जा सकता है और यह टूटता नहीं। कुछ मकड़ियां बिल खोद कर उसमें कई सुरंगें उग्गविस [उग्रविष] ज्ञाता. 1/9/20 प्रज्ञा. 1/70, बना कर रहती हैं। मकड़ी एक बार में इतना खा लेती The Snake of Fowerfull Poison-उग्रविष है कि वह कई दिनों तक पर्याप्त होता है। (तीव्र विष वाले) [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-सचित्र विश्व कोश, आकार-3-16 फीट लम्बा। Nature, Encyclopedia in Colour, विश्व के लक्षण-उग्रविष वाले सर्पो में विष दंत आगे की ओर विचित्र जीव-जंतु] रहते हैं। देखने में भयानक तथा शीघ्र कुपित होने वाले उक्कलिय [उत्कलिक] ठाणं. 3/77 प्रज्ञा. 1/50 सर्प हैं। इन सर्यों में विष की ग्रंथियां अन्य सों की उत्त. 36/137 अपेक्षा बड़ी होती हैं। A Kind of Spider-मकड़ी की एक जाति। विवरण-यूरोप को छोड़कर अन्य सभी महाद्वीपों में देखें-उक्कल उग्रविष वाले सर्प पाए जाते हैं। सर्प-दंश द्वारा जितने Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश प्राणियों की मृत्यु होती हैं, उनमें सबसे ज्यादा उग्रविष रेगिस्तान की जलती हुई बालू से बचाए रखती है। बालू सर्प के दंश से होती हैं। कोबरा, करैत, शेषनाग, का तूफान आने पर यह अपनी नाक बंद कर लेता है। महानाग आदि सर्प उग्रविष वाले सर्पो की गणना में कानों और आंखों पर उगे लम्बे बालों के कारण इसके आते हैं। कान और आंख सुरक्षित रहते हैं। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-जानवरों की दुनिया, बैक्ट्रियाई ऊंटों के दो कोहान होते हैं जबकि अरबी ऊंटों IndianReptiles, Snakes ofAustrailia, Snakes के एक ही कोहान होता है। रेगिस्तान में तेजी से चलने of Southern Africa) के कारण यह रेगिस्तान का जहाज भी कहलाता है। ऊंट को बहुत कम प्यास लगती है। कुछ लोग समझते हैं कि उट्ट [उष्ट्र] प्रज्ञा. 1/64 जम्बू. 2/35 अनु. 12, 16 इनके पेट में पानी एकत्रित करने के लिए कोई थैली या Camel-ऊंट विशेष अंग होता है। मगर ऊंट के शरीर में न कोई थैली होती है और न कोई विशेष अंग। गर्मी के कारण मनुष्य के शरीर में खून का दबाव बढ़ जाता है इसलिए उसे अधिक प्यास लगती है। मनुष्य की भांति गर्मी के कारण ऊंट के खून का दबाव नहीं बढ़ता इसलिए वह कई-कई दिनों तक पानी के बगैर रह सकता है। उद्द [उद्द] सू. 1/7/15 आकार-पूर्ण वयस्क ऊंट की ऊंचाई लगभग 8-11 Otter-ऊदबिलाव, जलमानुष। फीट तक। आकार-लगभग 60 से 100 से.मी. लम्बा बिल्ली की लक्षण-शरीर का रंग कत्थई-भूरा। पैर लम्बे एवं पूंछ शक्ल का प्राणी। वर छोटी। पीठ पर एक कूबड़-सा होता है। लक्षण-शरीर का ऊपरी हिस्सा भूरे रंग का होता है, विवरण-इनकी विश्व में अनेक प्रजातियां पाई जाती जिसमें कुछ कत्थई-स्लेटी रंग की झलक दिखाई पड़ती हैं। यह गर्म रेगिस्तानों में विशेष रूप से पाया जाता है। इसके बड़े बालों के नीचे घने बालों की तह होती है। कई दिनों तक बिना कुछ खाए पिए रह सकता है है। इसका कद छोटा और लम्बा होता है। सिर चपटा क्योंकि यह अपने कूबड़ में भोजन इकट्ठा कर लेता है। और चौड़ा। इसके पैर के पंजे बत्तखों के पंजों की भांति यह एक बार में 90 लीटर तक पानी पी सकता है। आपस में जुड़े रहते हैं। कागा ऊंट में गर्मी एवं उड़ती हुई बालू को सहन करने की विवरण-समुद्रों और नदियों में इसकी कई प्रजातियां विशेष क्षमता होती है। इसके पैरों में लगी गद्दी इसे पाई जाती हैं। यह जल और थल- दोनों स्थानों पर रह Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12 जैन आगम प्राणी कोश सकता है परन्तु अधिक समय जल में ही व्यतीत करता जबड़े बहुत मजबूत होते हैं। जिला है। यह जलीय स्थानों के किनारे बिल बनाकर रहता विवरण-इनकी सफेद, भूरी, काली आदि अनेक रंगों वाली अनेक प्रजातियां पायी जाती हैं। दीमकों की यह बहुत ही चालाक और फुर्तीला है, जो आसानी से बम्बियां कभी-कभी तीन मनुष्यों जितनी ऊंची होती हैं। पकड़ में नहीं आता, परन्त बचपन में पकड़े जाने पर लेकिन ठण्डी जलवायु वाले प्रदेशों में दीमक जमीन या इसे बड़ी आसानी से पालतू बनाया जा सकता है। चूहे लकड़ी के भीतर बिल बनाकर रहती हैं। दीमकें प्रायः से मिलती-जुलती-चूं-sssचूं-sss की तीखी आवाज लकड़ी खाती हैं। मेज, कुर्सियां और लकड़ी की अन्य करता है। चीजों को खा खा कर खोखला और कमजोर कर देती हैं। दीमकों की एक बाम्बी में एक राजा, एक रानी और उइंसग [उद्देशक] प्रज्ञा. 1/50 . हजारों लाखों मजदूर व सिपाही होते हैं। अण्डे देने का Bed Bug-खटमल। चात काम रानी दीमक करती है। [विवरण के लिए द्रष्टव्य-सचित्र विश्व कोश, जानवरों की दुनिया, फसल पीड़क कीट, Nature] उद्देहिया [उपदेहिका] प्रज्ञा. 1/50 उत्त. 36/137 Termite-दीमक देखें-उद्देसग उप्पाड़ [उत्पादय] प्रज्ञा. 1/50 AKind of White Ant-दीमक देखें-उद्देसग आकार–छोटा, चपटा एवं भूरे रंग का कीट। लक्षण-यह मानव के समीप बिस्तर आदि में रहता उप्पाय [उत्पाद] प्रज्ञा. 1/50 [पा.] है। इसका भोजन खून चूसना है। इसके पंख नहीं होते Termite. White Ant-दीमक देखें-उद्देसग विवरण-यह रात्रि में अपना भोजन प्राप्त करने के लिए निकलता है। दिन में बिस्तर आदि में छुपा रहता उरग [उरग] उत्त. 14/47, अनु. 708/5 है। यह लगभग एक वर्ष तक बिना भोजन किए रह Snake-सर्प। देखें-अही सकता है। [विवरण के लिए द्रष्टव्य-सचित्र विश्व कोश, Nature, उरब्भ [उरभ्र] सू. 2/2/19, ज्ञाता. 1/1/33 उवा. Incyclopedia in colour] 2/21 प्रश्नव्या. 1/6 Sheep-भेड़, मेष, मेंढ़। उद्देसग [उद्देशग] अणु. 3/75 जीव. टी.पू. 32 देखें-अमिल Termite-दीमक आकार-चींटी के समान। उरुलुंचग [उरुलुंचग] प्रज्ञा. 1/50 [पा.] लक्षण-इनके छः टांगें होती हैं। सिर के Insect of Pumpkin-घीया अथवा कद्दू का कीट, आगे दो चिमटेनुमा अंग निकले होते हैं। उरुलुंचग। Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश 13 आकार-2-5 मिलिमीटर लम्बा। का लक्षण-शरीर का रंग भूरा-कत्थई। मुंह के आगे संडासीनुमा-जबड़े। विवरण-यह कीट विशेष रूप से घीया या कद की वल्ली पर पैदा होता है। विवरण के लिए द्रष्टव्य-फसल पीडककीट.Nature. Cyclopedia in-Colour, afar faga 2121] उलाण [उलाण] नि.चू-2 पृ. 281 Crested Hawk-Eagle-शाहबाज, बाज, शिकरा, चिपका, चपाक। आकार-कबूतर से कुछ बड़ा। रार का रंग ऊपर से हल्का स्लेटी राख की भांति तथा नीचे से सफेद जिस पर जंग या ईंट की तरह बारीक आड़ी धारियां होती हैं। सिर सलेटी धूसर, गर्दन की तरफ तथा पीछे की ओर हल्का लाल-भूरा रंग, आंखें देखने में भयानक लगती हैं। विवरण-विश्व में इसकी लगभग 6 जातियां पाई जाती हैं। यह शिकार पर तेजी से झपटकर या पीछा कर पकड़ लेता है। इसके पंजों की पकड़ इतनी तीव्र होती है कि एक बार आया हुआ शिकार छूट नहीं सकता। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-भारतीय पक्षी, सचित्र विश्व कोश, Nature, K.N. Dave पृ. 118] आकार-जंगली कौवे के समान। लक्षण-शरीर का रंग हल्का पीला तथा निचला भाग गहरा पीला होता है। पंखों की एक कलंगी सिर पर दिखाई देती है जो कभी-कभी लंबे कान होने का भ्रम भी उत्पन्न करती है। आंखों का रंग सुनहर होता है। विवरण-इनकी अनेक किस्में पाई जाती हैं। जैसे-कुरैया अथवा करैल, घुग्घु, छिपक, दाबचिरी, चपक, थकार्वी आदि। यह एक समतापी प्राणी है अर्थात इनके शरीर का तापमान वातावरण के साथ घटता-बढ़ता नहीं, सदा एक सा रहता है। जल के पास रहना इन्हें पसंद है। प्रायः नदी के किनारे, खंडहरों तथा वीरान स्थानों में अकेले या जोड़ों में आसानी से देखे जाते हैं। घुग्घु, ऊ-ऊ की बोली से पहचाना जाता है। उसभ [वृषभ] आ.चू. 15/28 ज्ञाता. 1/1/25 प्रश्नव्या. 4/8 Bull-बैल, सांड़। देखें-आवल्ल उस्सासाविस [उच्छ्वासविष] प्रज्ञा. 1/70 A kind of Cobra-उच्छ्वासविष। देखें-निस्सासविस और नाग। ऊरणी [ऊरणी] अनु. 330 Sheep-मेष, भेड़ देखें-अमिल एगओवत्त [एकतोवृत्त] प्रज्ञा. 1/49 A kind of Conch Shell-शंख की जाति। देखें-संख और संखनग। उलूक [उलूका] सू. 2/2/13 भ. 18/109 अनु. 378 Indian great Horned owl-उल्लू, घुग्घु Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 14 एलग [एडक] प्रज्ञा. 1/64 जम्बू. 2/34 द. 5/22 अनु. 12 Sheep - भेड़, मेष, मेंढ़ । देखें- अमिल ओभंजिया [अभंजिया] प्रज्ञा. 1/51 A kind of Lobster- केकड़ा की एक जाति । देखें - जलकारि ओलाबी [ओलावी आव. चू. 1 पृ. 425 Femal e = Crested - Hawk Eagle - मादा बाज, मादा शाहबाज । देखें-उलाण ओवइय [ओवइय] प्रज्ञा. 1/50 1 A kind of Sykid- कीट की एक जाति, औपपातिक । आकार-2 मिलीमीटर से 10 मिलीमीटर तक लम्बा । लक्षण - लार्वा अवस्था में ही बनाए गए कोष्ठों में रहने वाले जीव हैं विवरण — पूल शलभ (कैगट कर्म), स्थून शलभ ( बैमवर्ग), करंड शलभ आदि के नाम से जाने जाते हैं। ये कोष्ठों का निर्माण स्वयं पैदा किए हुए धागों और वानस्पतिक सामग्री से करते हैं। हर जाति की कोष्ठ बनाने की तकनीक भी भिन्न-भिन्न होती है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- फसल पीड़क कीट, Incyclopedia in colour, Nature] ओहार [ओहार] प्रश्नव्या. 3/7, 23 Hawksbill-बाजचोंचा कच्छप, अस्थि बहुल कच्छप । देखें-अट्ठिकच्छप ओहिंजलिया [ ओहिंजलिया] उत्त. 36/148, जीव. टी.प. 32 A Kind of Lobster - केकड़ा की एक जाति । देखें- जलकारि कंक [कङ्क] सू. 1/1/62 भग 7/123 जीवा. 3/598 Bellied Sea-Eagle - कोहासा, सफेद-चील, कंक । देखें-उक्कोस जैन आगम प्राणी कोश कंथंग [कंथक] ठाणं 4/472, उत्त. 11 / 16, 23/58 A speeies of Horse - कंथक घोड़ा (जो तोपों की आवाज से भी न डरे ) 'विवरण - कंथक घोड़ा एक जातिवान् घोड़ा होता है, जो 'युद्ध के मैदान में तोपों की भयंकर आवाज से भी विचलित नहीं होता । [शेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- आइण्ण (आकीर्ण)] कंदलग [कन्दलक] प्रज्ञा. 1/63 A kind of Horse घोड़े की एक जाति । देखें - अस्स (अश्व) कंदलग [कन्दलका प्रज्ञा. 1/63 Flying Squirral- उड़ने वाली गिलहरी आकार - सामान्य गिलहरी की भांति । लक्षण - शरीर मुलायम व घने छोटे वालों से ढका रहता है। इसकी पीठ पर साधारण गिलहरी के समान सफेद रंग की दो धारियां भी पाई जाती हैं। इसके कानों के पास वाले बालों का रंग कुछ काला तथा पीठ का रंग कत्थई होता है। आमतौर पर इस गिलहरी का शरीर 13.5 सेमी. से 20.5 सेमी. लम्बा एवं पूंछ की लम्बाई 9 से.मी. से 14 सेमी. तक होती है। इनकी लटकती हुई ढीली त्वचा पैराशूट जैसा काम करती है यानि शरीर को हवा में साधे रहती है। सरलता विवरण- भारत, लंका, जापान और बोर्निया आदि देशों में पाए जाने वाला यह प्राणी, ऊंचे-ऊंचे वृक्षों पर निवास करता है। यह कड़े से कड़े फलों के छिलके बड़ी अपने तेज दांतों से कुतर डालता है। एक वृक्ष से दूसरे वृक्ष तक पहुंचने के लिए हवा में तैरता हुआ 80 मी. से भी अधिक का फासला तय कर लेता है। इसके पैरों में पांच-पांच अंगुलियां होती हैं । अगले पैरों से पिछले पैरों के मध्य शरीर के दोनों ओर झिल्ली होती है। जिस पर छोटे-छोटे मुलायम रोएं होते हैं । यह एक शाकाहारी एवं रात्रिचर प्राणी है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - K. N. Dave, पृ. 25, Nature, विश्व के विचित्र जीव जंतु, सचित्र विश्व कोश] Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश 15 कंदलग [कंदलग] प्रज्ञा. 1/63 नीचे की ओर प्लास्ट्रोन । खोल में शल्की ढालों की एक Chestnut bullied Nuthatch-सिरि, कठफोड़िया, बाहरी परत होती है। अंदर की परत अस्थियों की पट्टियों कंदलग। से बनी होती है। शरीर खोल के अंदर रहता है तथा आकार-गौरेया से कुछ छोटा। गर्दन, पैर और पूंछ खोल के बाहर स्वतंत्र रूप से लक्षण-शरीर के ऊपर का रंग स्लेटी नीला, नीचे । गतिशील होते हैं। का रंग गहरा चैस्टनट (Chestnut)। छोटी दुम और विवरण-नदियों, समुद्रों आदि में रहने वाले कच्छुओं लम्बी भारी नुकीली चोंच। विवरण-रंग-भेद के आधार से इसकी 5 प्रजातियां पाई जाती हैं। यह शाखा की चिपकी सतह पर ऊपर नीचे की ओर तेजी से दौड़ता है। इसकी कुछ क्रियाएं तथा व्यवहार कठफोड़ा से कुछ वल्गुली तथा कुछ चूहे की तरह होती हैं। उत्तरी अमेरिका के जंगलों में लाल की विश्व भर में 300 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। इनकी लंबाई 4 इंच से 8 फीट तक तथा शरीर का वजन 700 kg. तक होता है। कुछ कच्छुए अस्थि बहुल एवं कुछ मांस बहुल होते हैं। मुंह में दांतों के स्थान पर हड्डी के प्लेट से रहते हैं, जिसके द्वारा ये बड़ी आसानी से मांस तक काट सकते हैं। आंखों में दो की बजाय तीन पलकें होती हैं। ये अपने मुंह और गुदा से पानी खींचकर उसे बाहर निकालते हैं जिससे दोनों स्थानों की रक्त शिराएं पानी में घुली हुई थोड़ी बहुत हवा सोख सिर वाला कठफोड़वा पाया जाता है, जो सर्दी के मौसम में वंजुफल व बीचफल ही खाता है। बंजूफल के अभाव में यह अन्य क्षेत्रों में चला जाता है। विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. 26] लें। मादा कच्छप अपने अंडे मिट्टी में गड्ढा खोद कर देती है। अधिकांश कछुए मांसाहारी होते हैं। कंबोय [कम्बोज] उत्त. 11/16 A Species of horse born in a Probince of Afghanistan-अफगानिस्तान के एक भाग में उत्पन्न घोड़ा। देखें-आइण्ण (आकीर्ण) और अस्स (अश्व) कट्ठाहार [काष्ठाहार] प्रज्ञा. 1/50 उत्त. 36/137 Wood Worm] Furniture beatle-काष्ठहारक, घुन। कच्छभ [कच्छप] प्रज्ञा. 1/55 Tortoise, Turtle-कच्छुआ, कच्छप। आकार-गोल डब्बे के समान। लक्षण-यह अस्थियों के खोल से पहचाना जाता है। जिसके दो भाग होते हैं- ऊपर की ओर केरापेस और आकार-लगभग 2 मिलीमीटर से 9 मिलीमी. तक लम्बा । लक्षण-शरीर का रंग सफेद-भूरा । प्रारम्भ में यह लट के आकार का होता है। इसका लार्वा या प्रारम्भिक दिन लकड़ी खाने में व्यतीत होता है। Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16 जैन आगम प्राणी कोश विवरण-इसकी अनेक जातियां लकड़ी में छिपकर जाती हैं। यह बहुत शर्मीला किंतु सतर्क रहने वाला लकड़ी को खाती हैं तथा उसमें सुरंगें-सी बना लेती हैं। . यह लकड़ी को भीतर ही भीतर कमजोर कर मिट्टी जैसी बना देती हैं। विवरण के लिए द्रष्टव्य-Nature, Incyelopedia in-Colur, सचित्र विश्व कोश, फसल-पीड़क कीट] कणग [कनक] प्रज्ञा. 1/51 [पा.] Grain-Wom-अनाज के घुन (कनक)। प्राणी है। जरा-सी आहट पाते ही गर्दन ऊंची कर तथा [Sitophilus oryzae Linnaeus) दुम गिराकर छुप जाता है। आकार-जूं के आकार का जंतु। [विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. 277] लक्षण-3 मिलीमीटर लम्बा लाल-भूरा कीट । जिसका कण्हसप्प [कृष्ण सर्प] प्रज्ञा. 1/70 थूथन सूंड की तरह थोड़ा आगे निकला होता है। एक Black-Cobra-कालासर्प अहीराज, कृष्ण सर्प जोड़ा अधोहनु मजबूत जवड़ा इसकी प्रमुख विशेषता (मलयालम), संखमुखी, संखचुर (बंगाली)। आकार-लगभग 5-6 फीट लम्बा। विवरण-इसकी अनेक जातियां हैं। यह अन्न के लक्षण-इसका फन शेष नाग से भी बड़ा होता है। गोदामों में बहुलता से पाया जाता है। कभी-कभी अन्न के गोदामों से उड़कर आस-पास के खेतों में पहुंच जाता फन के पीछे की ओर गाय के खुर की भांति काला और सफेद चिह्न होता है। फन के आगे प्रायः एक या दो धब्बे होते हैं। [विवरण के लिए द्रष्टव्य-जानवरों की दुनिया, फसल विवरण-यह केवल मलाया महाद्वीपों में ही पाया पीड़क कीट, Nature] या जाता है। छेड़ने पर शीघ्र ही सिर उठाकर फन फैलाए धनुषाकार रूप में अपनी गर्दन टेड़ी करके खड़ा हो जाता कणिक्कामच्छ [कणिक्कामत्स्य] प्रज्ञा. 1/156 है। काटते समय बहुत देर तक शत्रु के शरीर में दांत A kind of Rice Fish-तंदुल मत्स्य की एक जाति। घसेडे रहता है ताकि काफी विष प्रवेश कर जाय और विवरण-वर्तमान में यह काणलिमत्स्य और कर्णफल शिकार बचने न पाए। नाम से जाना जाता है। शेष विवरण के लिए [विवरण के लिए द्रष्टव्य-जानवरों की दुनिया, Indian द्रष्टव्य-तंदुल मत्स्य। Reptiles, common Indian Snakes] कण्णत्तिय [कण्णत्तिय कर्णत्रिक] प्रज्ञा. 1/48 कप्पास ट्ठिसमिंजिय [कर्पासस्थिमिंजिय] प्रज्ञा. Grey Jungle Fowl-जंगली मुर्गा, घूसर वन 1/50 उत्त. 36/138 कुक्कुट। White fly in the kernel of cotton आकार-देहाती मुर्गों के समान। seed-कासास्थि मिंजक, कपास की सफेद मक्खी। लक्षण-शरीर के ऊपर का रंग पीलापन लिए हुए भूरा आकार-लगभग 1 मि.मी. लम्बा कीट। तथा नीचे का रंग हरा-काला, नीला युक्त होता है। सिर लक्षण-वयस्क होने पर सफेद पंख होते हैं जिन पर पर लाल रंग की कलंगी से पहचाना जा सकता है। नसें दिखाई देती हैं। ऐसा प्रतीत होता है जैसे उन पर विवरण-इसकी अनेक प्रजातियां विश्व-भर में पाई मोम लगा हो। Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश 17 विवरण-यह सफेद मक्खी लगभग 50 तरह के पौधों पर आक्रमण करती है। इसका प्रकोप कपास पर सबसे अधिक होता है। जिससे कपास के पौधे की हर अवस्था की शारीरिक क्रिया गड़बड़ा जाती है। [विवरण के लिए द्रष्टव्य-फसल पीड़क कीट, Harmanjacobl, Nature] कमल [कमल] भ. 2/66 ज्ञाता. 1/1/24 अणु. 3/52 ABeautiful Deer-सुंदर हिरण। देखें-किण्हमिय (कृष्ण-मृग) [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. 298-299] कमल [कमल] भ. 2/66, 9/168 ज्ञाता. 1/1/24 अंत 3/43 अणु. 3/52 Purple Moorhen-कैम, खारीम, कार्म, कमल। आकार-देहाती कुक्कुट के समान। लक्षण-शरीर का रंग नील रोहित। लम्बे लाल पैर और भारी लाल चोंच। विवरण-भारत और बर्मा में पाए जाने वाला यह पक्षी दलदल के आस-पास सरकंडों की झाड़ियों में झुंड के साथ मिलता है। बैठते समय या उड़ते समय कई तरह की घू-घू, कुड-कुड जैसी ध्वनि उत्पन्न करता है। विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. 295, 298] कानड [कमेड] जीम्य. 1237 शिकली गान Lizard-छिपकली। आकार-लगभग 4-15 इंच तक लम्बा। लक्षण-शरीर का रंग विभिन्न प्रकार का। शरीर पतला, पूंछ लम्बी तथा पांच पंजों वाले चार छोटे पैर। पैरों में पदांगलियों के अगले भाग छोटे प्यालियों के समान होते हैं। बहसंख्यक दांत होते हुए भी यह भोजन को चबाता नहीं है। कमेड कमेड] जीम्य. 1237 Squirrel-गिलहरी। आकार-नेवले से छोटा। लक्षण-शरीर का रंग सफेद काला से लेकर लाल-भूरा तक। पूंछ लम्बी, जिस पर घने बाल होते हैं। तीखे एवं मजबूत दांत जो जीवन भर बढ़ते रहते हैं। विवरण-विश्व में इनकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। ये अधिकतर वृक्ष पर रहती हैं। कुछ गिलहरियां जमीन पर भी निवास करती हैं। कुछ गिलहरियां शाकाहारी एवं कुछ मांसाहारी होती हैं। Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 18 विवरण- घरों में रहने वाली छिपकलियों की लगभग 300 प्रजातियां हैं। ये मुख्यतः गर्म देशों में पाई जाती हैं। इनका मुख्य वर्ग गैको कहलाता है। इनकी सबसे बड़ी जाति बंगाल, मलाया प्रायद्वीप तथ पूर्वीय द्वीपों एवं दक्षिणी चीन तक पाई जाती है। आमतौर पर छिपकली अंडे देती है लेकिन कुछ प्रजातियां बच्चे भी देती हैं। ये कीट, पंतग, मकड़ी, बिच्छु यहां तक की दूसरी छिपकलियों को भी खा जाती हैं। इन पर बिच्छु के डंक का असर नहीं होता। दक्षिण भारत में पाए जाने वाली बरकुदिया छिपकली तथा ग्लास स्नेक [जो यूरोप, अफ्रीका, एशिया व उत्तरी अमेरिका में पाई जाती हैं ।] नामक छिपकलियों के पैर नहीं होते। ब्रीडेड तथा गिलामोनस्टर इन दोनों छिपकलियों को छोड़कर शेष छिपकलियों में विष नहीं होता और न ही इनके काटने से किसी की मृत्यु होती है। ब्रीडेड तथा गिलामोनस्टरये दोनों छिपकलियां एशिया में नहीं पाई जातीं। करभ [करभ] प्रश्नव्या 1/6 Young of Camel - ऊंट का बच्चा । देखें- उट्ट (ऊंट) करभ [करभ] प्रश्नव्या. 1/6 Young of Elephant-हाथी का बच्चा । देखें- कुंजर (हाथी) कलभ [कलभ] ज्ञाता. 1/1/157 Tharty Years old Elephant-30 वर्ष का हाथी । देखें - कुंजर (हाथी) कलहंस [कलहंस] ज्ञाता. 1/33 प्रज्ञा. 1/79 औप. 6 जीवा. 3/275 Barheaded goose - अत्यंत धूसर रंग का हंस, कलहंस, स्वान, वीरवा । आकार - घरेलू बत्तख से बड़ा । लक्षण - पंखों का रंग धूसर, भूरा तथा सफेद मिश्रित । • पैर छोटे तथा गुलावी रंग के चोंच छोटी, सीधी तथा 1 जैन आगम प्राणी कोश हल्की पीले रंग वाली। नर-मादा दोनों एक जैसे दिखाई देते हैं । विवरण - सर्दियों के दिनों में उत्तर भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश में पाए जाने वाला यह पक्षी पथभ्रष्ट होकर दक्षिण में मैसूर तक पहुंच जाता है। ऊपर से गुजरते हुए झुंड के झुंड कई स्थानों में अआंग अआंग ध्वनि करते हैं। कलुय [कलुक] प्रज्ञा. 1/49 A kind of Worm-कृमि की एक जाति, कलुस । देखें - अरक कवि [कपि] सू. 2/2/6 Monkey - बंदर । आकार - मुखाकृति एवं हाथ-पैर मनुष्य की भांति । लक्षण - शरीर का रंग अनेक प्रकार का होता है। हाथों अधिकतर बंदरों की । पंजे के नाखून बड़े की पकड़ बहुत मजबूत होती है। पूंछ लम्बी और मजबूत होती एवं मुड़े हुए होते हैं । विवरण - इनकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं जैसे चिंपाजी, बबून, गौरिल्ला, रीसस बंदर, सुनहरा लंगूर, हुलक गिब्बन आदि । 1 जापान का मकाकू बंदर फलों को धोकर खाता है दक्षिण अमेरिका का हाउलर बंदर बहुत ऊंची आवाज में चिल्लाता है। यह आवाज तीन किमी. तक सुनी जा सकती है। थुंथवाला बंदर चार फीट से कुछ लम्बा होता 4 Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश है । ब्राजील का मार्केसेट बंदर इतना छोटा होता है कि हम उसे अपनी हथेली पर बिठा सकते हैं। लंगूर की छलांग बहुत लम्बी होती है। वह 30-35 फीट की दूरी तक छलांग लगा सकता है। लंगूर की सबसे बड़ी विशेषता है कि वह एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए छलांग भरता है। यदि दूसरा स्थान उसकी कल्पना से दूर होता है तब वह वहीं से वापस अपने पहले वाले स्थान पर आ जाता है । द रीगण जीवाला बंदर कविंजल [कपिंजल ] सू. 2/2/6120 उवा. 7/5, प्रश्नव्या 2/12 प्रज्ञा 1/79 Blue Tailed Bee-eater-पत्रिंगा, लाल सिर का पत्रिंगा, तीतर, पतेना, कपिंजल । a आकार - गौरेया के बराबर लगभग 7 इंच लम्बा । लक्षण - शरीर का रंग चटक हरा सिर तथा गर्दन का 19 1 रंग लाल भूरा। गर्दन के नीचे का भाग नीले रंग का । दुम के बीच के पतले पंख काले होते हैं। चोंच लम्बी, नुकीली और आगे की ओर मुड़ी हुई होती है। विवरण - रंग-भेद के आधार पर इसकी 4 प्रजातियां पाई जाती हैं। यह दिन भर अबाबील की तरह हवा में उड़ता रहता है। अंडे देने के लिए मादा अपनी नुकीली चोंच से मिट्टी खोदकर कगारों में सुराख बना लेती है। यह बिल पांच-छह फुट तक गहरा होता है । [विवरण के लिए द्रष्टव्य - K. N. Dave पृ. 109, हिंदी शब्द सागर, हिंदी विश्व कोश] अर कविंजल [कपिंजल] सू. 2/2/6120 उवा. 7/5 प्रश्नव्या 2/12 प्रज्ञा. 1/79 Common Hawk, Cuckoo or Brainfever Bird - पपीहा, चातक, कपक, उपक आकार - मैना से कुछ बड़ा । लक्षण - सुन्दर शिखर वाला काला और सफेद पक्षी । पंख में एक गोल धब्बा । विवरण - यह कूक्कू परिवार का ही सदस्य है। मादा कोयल की भांति अपने अंडे अन्य पक्षियों के घोसले में देकर दायित्व मुक्त हो जाती है। एक दूसरे का पीछा करते हुए पियू-पियू पी पी पियू की ध्वनि करता है । कविंजल [कपिंजल] सू. 2/2/6, 20 उवा. 7/5 प्रश्नव्या. 2/12 प्रज्ञा. 1/79 House Sparrow- गौरेया, गृह चटक । आकार- बुलबुल से कुछ छोटा। लक्षण - शरीर का रंग काला तथा बादामी धारियां Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 20 जैन आगम प्राणी कोश युक्त होता है। नर के गले पर एक काला-कालर-सा Blue Rock Pigeon-धूसर रंग का कबूतर। होता है। आकार-घरेलू कौवे से कुछ छोटा।। विवरण-विश्व भर में इसकी अनेक जातियां पाई लक्षण-स्लेटी-धूसर रंग का लगभग 13 इंच लम्बा जाती हैं। यह मनुष्य की बस्ती से अलग नहीं रह शरीर। गर्दन पर चमकीले हरे पंखों का एक कंठ-सा सकता। संध्या के समय अनेक गौरेया मिलकर बहुत होता है, जिसके नीचे एक बैंगनी पट्टी होती है जो सूर्य शोर मचाती हैं। नर जोर से एकरागी हसी, हसी, हसी की रश्मियां पड़ने पर चमकती हैं। मुख का सिरा काला या चियर, चियर, चियर का गीत गाता है। होता है, जिसके अगल-बगल में सफेद धारी होती है। पैरों का रंग-हल्का गुलाबी। कविंजल [कपिंजल] सू. 2/2/6, 20 उवा. 7/5 विवरण-विश्वभर में इसकी लगभग 289 प्रजातियां प्रश्नव्या. 2/12 प्रज्ञा. 1/79 पाई जाती हैं। कबूतर एक शाकाहारी पक्षी है, जो Grey Partrige-तीतर, सफेद तीतर। अनाज के दाने, कंकर आदि खाकर अपना पेट भरता देखें-कविल और तीतर है। अपने भोले स्वभाव के कारण पक्षियों में इसका विशेष स्थान है। इसे घोंसला बनाना नहीं आता इसलिए कविल[कपिला भग. 7/119, ज्ञाता. 1/16/269-276 मकान के कोनों, छज्जों, मिट्टी के टीलों या कुओं की Black Partrige-काला तीतर, कविल। दरारों में थोड़ा सा घास फूस डालकर मादा अंडे दे देती आकार-धूसर तीतर के तुल्य। है। गूटर-गू, गूटर-गूंकी बोली द्वारा आसानी से पहचाना जा सकता है। वैज्ञानिक भाषा में इसे 'कोलम्बा लीविआ 'गैमैलिक' कहा जाता है। इसकी याददाश्त अन्य पक्षियों की अपेक्षा तीव्र होती है। 'पैसिंजर' नामक कबूतर अपनी लम्बी उड़ानों के लिए प्रसिद्ध कसाहिय [कषाधिक, कषाहिक] प्रज्ञा. 1/71 Snake of White-Red Colour-गेरुएं रंग का सर्प, कषाधिक सर्प। लक्षण-शरीर का रंग भूरा काला। जिसमें सफेद रंग की काफी चित्तियां तथा धारियां होती हैं और सिर तथा पंखों पर सिंदूरी रंग का प्रभाव होता है। विवरण-इसकी अनेक जातियां पाई जाती हैं। जैसेपहाड़ी भटतीतर, हन्डेरी काला तीतर, चित्रित तीतर आदि । यह पेड़ों पर बैठकर बोलती रहती है। पीछा करने पर पंखों को फड़फड़ाकर बड़ी तेज उड़ान भरती है। आकार-4-5 फीट लम्बा। लक्षण-शरीर का रंग गेरुवां । पूंछ पतली एवं लम्बी। कवोय, कवोयग, कवोत, कवोतग [कपोत] सू. विवरण-भारत, आस्ट्रेलिया आदि देशों में पाए जाने 2/2/58 भग, 15/52 प्रश्नव्या. 2/12 जीवा.. वाला यह सर्प देखने में अत्यन्त सुन्दर लगता है। कषाय 3/598 की अधिकता के कारण इसे क्रोधी सर्प भी कहते हैं। Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश इसका विष भयंकर तथा जलन पैदा करने वाला होता [विवरण के लिए द्रष्टव्य-जानवरों की दुनिया, रेंगने art groft, Indian Reptiles, Nature] काउल्ली [काउल्ली] सू.चू. पृ. 56 Little-Egret-छोटा बगुला, किलचिया, करचिया (बंगला)। गदन की अपेक्षा बड़ा होता है। विवरण-भारत-पाकिस्तान, अफ्रीका आदि में इनकी लगभग छः प्रजातियां पायी जाती हैं। इनमें से कुछ सर्प पानी में एवं कुछ जंगलों में रहते है। इनका विष सीधा तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव डालता हैं। इनके काटने पर पहले दर्द होता है। फिर कुछ समय बाद जहर तंत्रिका तंत्र एवं मस्तिष्क तक पहंच जाने पर चलना-फिरना असंभव हो जाता है और व्यक्ति सांस भी नहीं ले पाता। [विवरण के लिए द्रष्टव्य-Indian Reptiles, Nature] काकाकाक] ठाण. 2/325 भग. 3/33 प्रश्नव्या. 1/29 प्रज्ञा. 1/79 अनु. 546 आकार-18-22 इंच लम्बा। लक्षण-शरीर का रंग सफेद, चोंच और पैरों का रंग काला। विवरण-विश्वभर में इसकी 64 प्रजातियां पाई जाती हैं। यह नदी-नालों, झीलों आदि के किनारे अकेला या झुंड में पाया जाता है। उड़ते समय गर्दन अन्दर की ओर कर लेता है। काओदर काकोदर] प्रश्नव्या. 1/8, प्रज्ञा. 1/70 Common Krait-करैत, काकोदर, काला गदैत, House-crow-कौवा, देसी कौवा, घरेलू कौवा। कालोदर, कालातरो (गुजराती), कंदर (मराठी), आकार-लगभग 17 इंच लम्बा और कबूतर से बड़ा। कातुविरियन (तमिल)। लक्षण-शरीर का रंग काला सफेद । गर्दन भूरी एवं आकार-लगभग 3-5 फीट लम्बाजी आंखें जल्दी जल्दी घूमने वाली। लक्षण-शरीर का रंग गहरा काला-नीला। कहीं कहीं विवरण-धूर्तता एवं चालाकी के लिए प्रसिद्ध यह पर सफेद चकते भी होते हैं। आंखें एवं पूंछ छोटी । मुख पक्षी भारत, पाकिस्तान, ढाका आदि देशों में बहुलता Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 22 जैन आगम प्राणी कोश से पाया जाता है। रंग-भेद के आधार पर इसकी अनेक प्रजातियां हैं। यह धुआं देख कर ही अनुमान लगा लेता है कि अमुक स्थान पर भोजन बन रहा है। तब वह तत्काल ही उस स्थान पर पहुंच जाता है। कौए का स्वर-कक्ष सात मांसपेशियों से नियन्त्रित होता है जबकि अन्य पक्षियों में तीन या इससे कम स्वर संबंधी मांस पेशियां होती हैं। अत्यन्त चालाक, शैतान होने पर भी कोयल के अंडों को अपना समझकर सार संभाल करता है। इसके घोंसले के आधार पर ज्योतिषी लोग भविष्यवाणियां करते हैं। मानव-बस्ती के आस-पास रहने वाले इस प्राणी की उम्र बहुत लम्बी होती है। कामंजुग [कामयुग] प्रज्ञा. 1/79 Bronze Winged Jacana-पीपी, कुण्डई, कटोई (बिहार) पिहु, पिहूआ, कामयुग। ग्रा आकार-तीतर के समान। लक्षण-शरीर का रंग प्रायः भूरा और सफेद । शरीर के ऊपर वक्ष पर काला नैकलेस जैसा डिजाइन होता है। दुम नुकीली व नीचे झुकी हुई। इसके पैर की उंगलियां मकड़ी की भांति लम्बी होती है। नर-मादा दोनों देखने में लगभग एक जैसे लगते हैं। कादंवग [कादंवक] प्रश्नव्या. 1/9 Barheaded gosse-कलहंस, वीरवा, कादंबक। आकार-पालतू राजहंस की भांति। लक्षण-शरीर का रंग धूसर-भूरा तथा सफेद होता है। सिर तथा ग्रीवा के पार्श्व सफेद और कंधरा के आर-पार दो विशिष्ट चौड़ी काली पट्टियां होती हैं। विवरण-केवल भारत में पाए जाने वाला यह पक्षी झीलों में ही रहना पसंद करता है। इसकी कुछ जातियां रात्रिचर एवं कुछ दिवाचर होती हैं। इनके दल v विवरण-जैकाना जैकेनिडी परिवार की एक आकृति या सीधे फीते की आकृति बनाते हुए आकाश जल-चिड़िया है। इसकी सात जातियां पाई जाती हैं में गमन करते हैं। जैसे-वीजन पुच्छ जैकाना, कास्य पक्ष जैकाना आदि। [विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. 108] . तालाबों में तैरता हुआ वनस्पति जैसे लिलि और सिंघाड़े की पत्तियों और शाखाओं पर अपने मकड़ी जैसे लम्बे कामदुहाधेणु [कामदुधाधेनु] उत्त. 20/36 पैरों की सहायता से यह पक्षी आसानी से चलता है। इसकी बोली टर्बान, टर्बान जैसी होती है। AFAbulous cowYieldingallDesires-कामधेनु गाय। कारंडव [कारण्डक] ज्ञाता. 1/1/33 प्रश्नव्या. 1/9 विवरण- महाभारत-1/101 कालिकापुराण 91 औप, 6 जीवा. 3/275, जम्बू 2/12 आदि वैदिक ग्रन्थों में कामधेनु गाय का विस्तार से वर्णन Coot-बत्तख, अयरी, ठेकरी, खुशकुल, सरार, कारण्डक। प्राप्त होता है। वैदिक ग्रन्थों के अनुसार- दक्ष की बेटी, आकार-बत्तख के तुल्य। जिसका नाम सुरभि था। वह गायों की महाभाग माता लक्षण-शरीर का रंग स्लेटी-काला। हाथी दांत जैसी सर्वलोक की उपकारिणी थी। शरीर का रंग सफेद सफेद नुकीली चोंच तथा ललाट शिल्क रहित। बादलों के समान। चार पैर चार वेदों के प्रतीक तथा विवरण-भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश आदि में पाए चार स्तन-धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष के प्रतीक जाने वाला यह पक्षी नदियों, झीलों आदि के किनारे या पानी में झुंड के साथ देखा जाता है। उड़ान भरने Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश से पूर्व पानी में तेजी से कुछ सरकता है, कुछ दौड़ता है, कुछ उड़ता है। काफी कोशिश से दौड़ने के बाद, लक्षण-इनके छः पैर तथा शरीर तीन भागों में विभक्त फिर ऊपर उठता है किन्तु एक बार हवा में पहुंच कर होता है। पंखों पर चिमड़े (Scales) बने होते हैं। फिर कुशलता पूर्वक उड़ता रहता है। साफ तथा तेज विवरण-बहुरंगों वाली तितलियों की लगभग 5 हजार तूर्यनाद जैसी कूजन जो रात को अक्सर सुनाई देती प्रजातियां पाई जाती हैं। ये आमतौर से धूप में बगीचों या बगीचों के आस-पास फुदकती दिखाई देती हैं। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. 30 1, विश्राम अवस्था में अपने पंख ऊपर उठाए रहती हैं। भारत के पक्षी, सचित्र विश्व कोश] इनका शरीर दुबला-पतला होता है। तितली के जीवन की चार अवस्थाएं होती हैं- अंडा, लार्वा, प्यूपा और वय कालोइक [कालोइक] अंवि पृ. 226 प्राप्त कीट। तितली के लार्वा बहुत तेजी से खाते और Chinchilla-नकुल की एक जाति, मंगूसा, चिंचिला, बढ़ते हैं, जिससे इनके शरीर का खोल फट जाता है। कालोकी। ये अपने खोल कई बार बदलते हैं। इनका नया खोल आकार-10 इंच लम्बा गिलहरी के समान दिखने पहले खोल से बहुत भिन्न होता है। फूलों फलों आदि वाला भुजपरिसर्प प्राणी। का रस इनका मुख्य भोजन है। लक्षण-अति सुन्दर कोमल कबूतरी रंग का फर होता विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Nature, Manand है। लम्बी टांगें खरगोश की तरह प्रतीत होती हैं। मग. animals incyclopedia in colour] विवरण-यह प्राणी दक्षिण अमेरिका के चिली देश में विशेष रूप से पाया जाता है। यह सूखी चट्टानों को खोद किण्हमिग [कृष्णमृग] आ.चू. 5/15 निसि. 7/10 सकता है। सूखी घास आदि खाने वाला शाकाहारी जीव Black Deer, Black buck-काला हिरण। है। इनकी सुन्दर खाल के कारण इन्हें बहुतायत में मारा आकार-4 फीट लम्बा काले रंग का हिरण। गया, जिससे ये अब केवल चिली देश में ही स्वतंत्र रूप लक्षण-यह सामान्य हिरण के समान होता है लेकिन से पाए जाते हैं। इसके सींग सुन्दर आकार लिए घुमावदार होते हैं। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Nature, Manand विवरण-यह भारत एवं पाकिस्तान में पाया जाता है। animals, Incyclopedia in colour] 50 मील प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है। नर काले या गहरे भूरे रंग का होता है, परन्तु मादा पीले किण्हपत्त [कृष्णपत्र] प्रज्ञा. 1/51. भूरे रंग की होती है। Butterfly of Black wings-कृष्णपत्र वाली तितली। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-राजनिघंटु पृ. 562, आकार-पतंगों के समान बहुरंगी आकार वाली। कैयदेवनिघंटु पृ. 456] Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 24 जैन आगम प्राणी कोश किमिय [कृमिका] उत्त. 36/128 Worm-कृमि देखें-अरक हैं। अमरीकी वैज्ञानिकों के अनुसार चींटियां दीर्घ जीवी होती हैं। कीर [कीर] अंत 5/32 प्रश्नव्या. 3/13 Parakeet-तोता, सुगा, सुवटा, कीर, रक्ततुण्ड। कीड [कीट] उत्त. 36/146 Insect-कीट। आकार-लगभग .01 मि.मी. से 4-5 इंच तक लम्बा। लक्षण-शरीर का रंग मनमोहक। बनावट आकर्षक तथा तीन भागों में विभक्त शरीर। विवरण-भारत के विविध प्रकार के कीटों की 50,000 से भी अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। ये सभी प्रकार के वातावरण में रहने के अत्यधिक अनुकूल होते हैं। कुछ कीट गर्म प्रदेशों और गर्म रेगिस्तानों में रह सकते हैं। कुछ कीट अत्यधिक सर्दी में रह सकते हैं और तीव्र विष भी सहन कर सकते हैं। कीडज [कीटज] अनु. 40.43 Silk-Wom, Silk-Cocoon-कृमिकोश, रेशम का कीड़ा। देखें-कोसिकार कीड़ा आकार–सामान्यतः 16 इंच से 1 फीट 7 इंच तक लम्बा । कीड़ी [कीड़ी] आवटीप-168 लक्षण-सामान्यतः पूंछ हरी-नीली और चोंच लाल Ant-चींटी। होती है। नर की गर्दन के चारों तरफ काली या गुलाबी आकार-लगभग 0.1 मिली मी. लम्बा। पट्टी होती है जिसे कंठी कहते हैं। लक्षण-सामूहिक जीवन व्यतीत करने वाली श्रमशील भारतीय तोता प्रायः 35 सेमी. लम्बा तथा गुलाबी कंठी प्राणी। वाला होता है जिसके शरीर पर आंख से नाक तक काली विवरण-चींटियों की विश्वभर में 8000 से अधिक धारी होती है। किस्में पाई जाती हैं। सभी चींटियां बस्तियां बनाकर विवरण-विश्व भर में इसकी 160 प्रजातियां पाई रहती हैं। विभिन्न स्थानों की चींटियों की शारीरिक जाती हैं। कबूतर के बाद पक्षियों में बुद्धिमानता की संरचना भी भिन्न-भिन्न होती है। अफ्रीका के जंगलों दृष्टि से इसका दूसरा स्थान है। यह विद्याप्रेमी, मेधावी में पाई जाने वाली चींटियों की पीठ पर कूबड़ होता है। और तीक्ष्ण बुद्धि वाला होने के कारण मानव बोली की ये पेड़ों पर मिट्टी का घर बनाकर रहती हैं। यूरोप में हू-ब-हू नकल कर सकता है। सर्कस में तोतों के कई किसान व ग्वाले जाति की चींटियां पाई जाती हैं। आश्चर्यजनक करिश्मे दिखाए जाते हैं। किसान चींटियां पेड़ पौधे लगाती हैं। कई चींटियां गाएं यह अपनी छोटी, मजबूत एवं हुक के समान मुड़ी तीखी भी पालती हैं। ये गायें असल में पौधे पर पाई जाने चोंच से फलों पर आघात करता है। स्वामी भक्त एवं वाली एक तरह की जूं हैं। फौजी जाति की चींटियां विशुद्ध शाकाहारी होने के कारण पक्षियों में इसका बड़ी खूखार होती हैं, हाथी भी इनके रास्ते से हट जाते विशेष स्थान है। Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश कीव [a] प्रश्नव्या. 1/9 119THE Kiwi - किवी, कीव आकार - 30-45 से.मी. लम्बा मुर्गे के बच्चे के समान । लक्षण - अति मुलायम बालों में इसके डैने (उड़ने वाले पंख) छिपे रहते हैं। चोंच लम्बी तथा चोंच के अंतिम सिरे पर नथुने होते हैं। डैने छोटे होने के कारण यह उड़ नहीं सकता । विवरण - वर्तमान में किवी न्यूजीलैंड के उत्तर दक्षिण तथा स्टिवर्ट (Stewart) द्वीपों में एवं दक्षिणी द्वीप के पश्चिमी क्षेत्रों में विशेष रूप से पाए जाते हैं । किवी जंगलों में रहता है और दिन में बाहर नहीं निकलता लेकिन रात्रि के समय भोजन की तलाश में इधर-उधर घूमता नजर आता है, शत्रु को देखकर बहुत तेजी से भागता है और सीटी की भांति आवाज निकालता है इसका मुख्य भोजन कीड़े-मकोड़े, मिट्टी में पाए जाने वाले जीव तथा सरस फल हैं। । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - Nature, विश्व के विचित्र जीव जंतु, Incyclopedia in colour T TO FIS-TUTST कुंकुण [कुंकुण] प्रज्ञा. 1/ 51 उत्त. 36/146 A kind of flea-पिस्सू की एक जाति, कुंकु । देखें - पिसुय कुंच, कोंच [क्रौंच] ठा. 7/41/2 सम.प्र. 241 भग. 9/149 ज्ञाता. 1/5/3 प्रश्नव्या. 1/9 Demoiselle-crane-कुंज, कुंच, कुरर, खर, क्रौंच, कर्करा । अह कुसुम संभवे काले, कोइला पंचमं सरं । छटुं च सारसा कुंचा सायं सत्तमं गओ । [ठाणं 7/41] देखें- कुरर कुंजर [कुंजर] आ.चू. 15/28 सू. 2/2/64 भग. 11/138 Elephant-हाथी । आकार - लगभग 10 फीट ऊंचा तथा 5-6 टन वजन का विशाल प्राणी । 25 लक्षण - शरीर का रंग काला कत्थई । मुख के पास दो लम्बें दांत एवं आगे लटकती हुई लम्बी सूंड । सूंड के अंत में एक या दो खंड होते हैं। जिनका प्रयोग वह अत्यंत कुशलतापूर्वक कर सकता । सूंड का खंड अत्यन्त संवदेनशील एवं गंधग्राही होता है। विवरण- भारत और अफ्रीका में पाए जाने वाला यह प्राणी अपने सूंड को आगे-पीछे, ऊपर-नीचे सभी दिशाओं में घुमा सकता है। सूंड को हाथी पांचवें हाथ-पैर की भांति काम में लेता जिसके द्वारा 400-500 K.M. (किलोग्राम) बोझ उठा सकता है यह एक पूर्ण शाकाहारी जीव है। । सूंड से भारी लट्ठा उठाकर हाथी अपने दांतों पर ठीक स्थिति में रख लेता है और सूंड से उसे उस स्थान पर पकड़े रहता है। हाथी की प्राण शक्ति इतनी तीव्र होती है कि वह आसपास के स्थान की गतिविधियां जान लेता है । मदोन्मत्त हाथी मनुष्य आदि के लिए बहुत खतरनाक होता है। वह मनुष्य आदि को आकाश में काफी ऊंचाई तक उछालकर मार देता है। हाथी के बच्चों के दांत नहीं होते। 4-5 वर्ष के हाथी के दांत आने प्रारम्भ हो जाते हैं। कुंथु [कुंथु] प्रज्ञा. 1/50 उत्त. 36/137 Very Very Small Insect-कुंथु । आकार - अति सूक्ष्म कीट । लक्षण - सामान्य आंखों से दृष्टिगोचर न होने वाला । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-जीव विचार प्रकरण] Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 26 जैन आगम प्राणी कोश कुम्म (कूर्म) आचा. 6/6 सू. 1/7/15 कि निकाली Tortoise, Turtle-कछुआ, कूर्म, कच्छप।-Net देखें-कच्छभ। माना कुंदुल्लुय [कुंदुल्लुय] पा. 393 Indian great Horned owl-उल्लू, घुग्घू। देखें-उलूक कुक्कुड (कुक्कुट) ठा. 7/41/1 भग. 12/154 उवा. 7/50 प्रश्नव्या. 1/9 Grey Jungle fowl-मुर्गा, जंगली मुर्गा, धूसर वन कुक्कुट। देखें-कण्णत्तिय। कुरंग [कुरंग] प्रश्नव्या. 1/6 प्रज्ञा. 1/64 जम्बू 2/35 कुक्कुड [कुक्कुट] प्रज्ञा. 1/51 उत्त. 36/147 Akind of Flea-पिस्सू की एक जाति। देखें-पिसुय एकजना कुक्कुह [कुक्कुह] प्रज्ञा. 1/51 Scelsa-स्केल्स, कुक्कुह, कुकुम्बर मोजेक। आकार-लगभग 4-6 मिलीमी. लम्बा, अंडाकार से दीर्घायत आकार का कीट। General-Deer-साधारण मृग, बादामी या तामड़े लक्षण-शरीर का रंग सफेद, ढीले छिलके के अन्दर रंग का मृग। रहकर लकड़ी का रस चूसता है। आकार-लगभग 3-4 फीट की ऊंचाई वाला प्राणी। विवरण-विशेष रूप से अंगूर की बेल पर पाए जाने लक्षण-शरीर का रंग काला-भूरा। पेट की ओर का वाला यह कीट शाखाओं के मोड़ पर रहता है। इसके भाग सफेद तथा आंखों के चारों ओर सफेद धब्बे। इसके आक्रमण से पेड़-पौधे सूख जाते हैं। एक जोड़ी 50 से 60 से.मी. वर्तुलाकार सींग होते हैं। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-फसल पीड़क कीट, मादा का रंग बादामी या तामड़ा होता है। मादा के सींग Nature, Incyclopedia in colour] नहीं होते। विवरण-राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक कुच्छिकिमिय [कुक्षिकृमिक] प्रज्ञा. 1/49 की आदि में पाए जाने वाला यह प्राणी अत्यन्त भोला होता A Worm Found in the cavity of the है। यह अकेला रहना पसंद नहीं करता। इसकी गिनती abdomen-उदर प्रदेश में पैदा होने वाली कृमि। तीव्र-गति वाले प्राणियों में होती है। आकार-0.1 मिलीमी. से कई फीट तक लम्बा। विमर्शः सुश्रुत संहिता पृ. 188 में कृष्ण एवं ताम्र वर्ण लक्षण-शरीर का रंग सफेद-भूरा से कत्थई लाल तक। से रहित मृग को कुरंग कहा है। कुछ के शरीर खंडों में विभक्त होते हैं। सभी कीड़े पतले, विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-मानक हिंदी कोश, मुलायम और बिना पैर वाले होते हैं। हिंदी शब्द सागर, Apte] विवरण-चपटे, गोल और लम्बे शरीर वाले इन कृमियों की अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं, जैसे फीता कुरर [कुरर] प्रश्नव्या. 1/29 कृमि (Tapeworm), ऐस्केरिस (गोलकृमि), अंकुश-कृमि DemoisellaCrane-खर क्रौंच, कर्करा कूज, कुरर। (Hood worm) आदि। ये प्राणियों के पेट में परजीवी आकार-तीन फीट ऊंची बत्तख। गत के रूप में अपना पूरा जीवन व्यतीत कर देते हैं। लक्षण-शरीर का रंग धूसर, सिर तथा गर्दन काली। Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश करता है। कभी-कभी तो बिल्कुल पानी के अन्दर डूब जाता है। किन्तु शीघ्र ही चोंच में शिकार को पकड़े हुए बाहर आ जाता है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-भारतीय पक्षी, The Bird in sanskrit Literature) निम्न ग्रीवा के पंख लम्बे एवं भालाकार, जो वक्ष तक फैले रहते हैं। आंखों के पीछे सफेद कर्ण-शिखाएं होती हैं। विवरण-मैसूर से शीतकाल में दक्षिण वाले क्षेत्रों में आने वाले ये प्राणी काफी ऊंचाई तक उड़कर गोल चक्कर बनाते हुए मंडराते रहते हैं। सुरीली तथा उच्च तारत्व वाली तूर्यनाद जैसी ध्वनि काफी दूर तक सुनाई देती है। जमीन से उड़ते समय इनके झुण्ड काफी शोर गुल मचाते हैं। इनकी कुजन में कुरर्-कुरर् जैसी ध्वनि ऊंचे-नीचे कई तरह के स्वरों में सुनाई देती है। कुररी [कुररी] उत्त. 20/50 River Tem-सरित गंगाचील, टिहरी, कुररी कुररी [कुररी] उत्त. 20/50 Indian Wiskered Turn-टेहरी, कुररी, भारतीय गुम्फ कुररी आकार-कबूतर के तुल्य। लक्षण-शरीर का रंग धूसर-सफेद । वहुत छोटी और थोड़ी सी फटी हुई दुम। दुम के दोनों भाग वर्गाकार प्रतीत होते हैं। चोंच का रंग लाल होता है। विवरण-भारत, बंगलादेश, बर्मा आदि देशों में पाए जाने वाला यह पक्षी पानी में बहुत कम जाता है, यद्यपि इसके पैर जाल युक्त होते हैं। शिकार करने के अलावा अधिकांश समय चट्टानों या मिट्टी के टीलों पर बैठ कर बिताता है। शेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-कुररी [River Turn] कुरल [कुरल] प्रज्ञा. 1/79 Osprey-मछलीमार, मछरंग, मत्स्य कुररी, कुरल। आकार-कबूतर से कुछ बड़ा। लक्षण-शरीर का रंग भूरा-सफेद । दुम लम्बी तथा बीच से फटी हुई। गहरी-पीली चोंच तथा छोटी लाल टांगें। विवरण-भारत, लंका, बर्मा आदि देशों में पाए जाने वाला यह पक्षी नदियों, झीलों और तालाबों के ऊपर पंखों को फडफडा कर पानी में मछलियों की तलाश आकार-चील से काफी मिलता-जुलता। लक्षण-गहरा भूरा बाज (श्येन), जिसका सिर भूरा और निचला भाग सफेद होता है। ऊपरी वक्ष में एक चौडी भरी पड़ी या कंठी होती है। Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 28 जैन आगम प्राणी कोश विवरण-भारत, बर्मा, लंका आदि देशों में पाया जाने वाला यह पक्षी नदियों, झीलों और समुद्रों के ऊपर मछली पकड़ता दिखाई देता है। शिकार का उपयुक्त अवसर आते ही अपना पंख बंद कर शिकार पर झपटता कुलक्ख [कुलाक्ष] प्रश्नव्या. 1/21 Red munia, Waxbill-लाल, लाल मुनिया, कुलक्ष, सिनिबाज, नकल खौर। चलते समय आवाज नहीं होती। ये अपना शिकार अधिकतर रात्रि को करते हैं। इनकी लंबी मूंछे स्पर्शेन्द्रिय का काम करती हैं। रात में आंखों की पुतलियां फैलने के कारण यह अंधेरे में अच्छी तरह देख सकता है। सिक्किम और असम के घने जंगलों में गोल्डन केट नामक बिलाव पाया जाता है, जिसकी त्वचा सुनहरे रंग की होती है। लद्दाख और जम्मू-काश्मीर में पालास नामक बिलाव पाया जाता है। आकार-गौरेया के समान। जिसकी पूंछ लम्बी और झवरीली होती है। असम, लक्षण-शरीर का रंग भूरा। चोंच लाल और पिछली पश्चिम बंगाल आदि में नदी-नाले के किनारे जंगलों में पीठ गहरी लाल होती है। नर-मादा दोनों एक से प्रतीत फिंशीग कैट नामक बिलाव पाये जाते हैं, जो मछलियों होते हैं। को पकड़कर खाते हैं। कई बिलाव, बिल्लियां इतनी विवरण-पंजाब और राजस्थान को छोड़कर पूरे भारत खतरनाक होती हैं कि कुत्ते भी उन पर हमला करने में पाया जाने वाला यह पक्षी हरियाली और गीली घास से कतराते हैं। में झुंड बनाकर रहता है। उड़ते समय या बैठे बैठे मधुर स्वर में चूं-धूं करता है। सुन्दर आकृति के कारण लोग कुलल [कुलल] सू. 1/11/27 प्रश्नव्या. 1/9 इसे बहुतायत में पालते हैं। Crested Serpent Eagle-डोगरा चील, कुलल [कुलल] दस.8/53 Cat-मार्जार, विलाव।। आकार-सामान्य चील आकार-10 इंच से 3-4 फीट तक लम्बा एवं 1/2 से बड़ा। रण फीट से 2 फीट तक ऊंचा। लक्षण-गहरे भूरे रंग का लक्षण-शरीर का रंग काला, सफेद, मक्खनी, धूमिल पक्षी, जिसमें सुस्पष्ट काला पीला, नीला-मखमली, चित्तकबरा, धारीदार आदि । दांत और सफेद न्यूकल शिखर लम्बे, आंखें बड़ी एवं पीले रंग वाली। होता है। जो खड़े होने पर विवरण-विश्व भर में इनकी अनेक प्रजातियां पाई फैल जाता है। निचला जाती हैं। इनके पाव गद्दीदार होते हैं। जिसके कारण भाग गेहूआं भूरा एवं सफेद बिन्दियों से युक्त होता है। कुलल। Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश 29 शिकार को देखता रहता है और आसमान में बड़े-बड़े आवाज के कारण लोग इसे भी राजहंस के नाम से चक्कर लगाया करता है। 3 या 4 स्वरों की पुकारते हैं। इनकी टोलियां V आकृति या तिरछी लहर केक-केक-केक की ध्वनि से पहचाना जाता है। बनाती हुई या फिर सीधी रेखा में उड़ती हैं। विवरण-विश्व में इसकी अनेक प्रजातियां पाई जाती विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-भारत के पक्षी, K.N.. हैं। यह शाखा पर बैठ कर शिकार को देखता रहता Dave] है और आसमान में बड़े-बड़े चक्कर लगाया करता है। 3 या 4 स्वरों की केक-केक-केक की ध्वनि से पहचाना ___ कोइल, कोइला [कोकिल, कोकिला] ठाणं 7/41 जाता है। ज्ञाता. 1/5/3 प्रश्नव्या. 2/12, 4/18 Koel-कोयल, कोकिला, कूक्कू। कुलाल [कुलाल] सू. 2/6/44 आकार-कौवे की अपेक्षा कुछ दुबली-पतली। Cat-मार्जार, विलाव। देखें-कुलल कुलाल [कुलाल] सू. 2/6/44 Mottled Wood Owl-उल्लू देखें-उलूक जी कुलाल [कुलाल] सू. 2/6/4 Red Jungle fowl-जंगली मुर्गा, मुर्गा, वन कुक्कुट। देखें-कण्णत्तिय कुलीकोस [कुलीक्रोश] प्रश्नव्या. 1/9 Flamings-बॉग हंस, राजहंस, हंस, छानराज बागो। आकार-खड़ा होने पर 4 फुट ऊंचा घरेलू राजहंस की भांति। लक्षण-नर के शरीर का रंग चमकता हुआ काला। पीली हरी चोंच और गहरी लाल आंखें । मादा के शरीर का रंग भूरा तथा शरीर में काफी घनी सफेद चित्तियां और धारियां होती हैं। विवरण-विश्व में इसकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। बगीचों, कुंज और घनी पत्तियोंदार पेड़ वाले खुले स्थानों में कू-कू-कू की ध्वनि से पहचानी जाती है। गर्मी के साथ-साथ इसकी बोली बढ़ती जाती है। प्रत्येक कू के साथ दूसरी कू जोर से बोलती है। यह एक परजीवी प्राणी है। मादा कोयल अपने अंडे कौवे के घोसले में बड़ी चालाकी से रख देती है। लक्षण-शरीर का रंग गुलाबी-सफेद । लम्बी टांगें तथा कोंडलग [कुण्डलक, कोण्डलक, कोंटलक] औप. लम्बी गर्दन। गलाबी रंग की चोंच बीचोंबीच से नीचे 6 जीवा. 3/275 जम्बू. 2/12 की ओर मुड़ी रहती है। Kora, watercock-कोरा, कोंडलग, कोगंरा, कांगाड़, विवरण-केवल भारत में पाया जाने वाला यह पक्षी जलमुर्गा। ती देखने में अत्यन्त सुन्दर होता है। राजहंस की तरह भोंपू आकार-तीतर से कुछ बड़ा। काला Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 30 leox लक्षण - शरीर का रंग काला-भूरा। पैर लम्बे एवं लाल रंग वाले । चोंच हल्की लाल तथा सिर पर छोटी कलंगी । विवरण- भारत, पाकिस्तान आदि में पाया जाने वाला यह पक्षी प्रायः सांध्यचर होता है। बादलों वाले दिनों में बड़ी सतर्कता से बाहर निकलता है। थोड़ी-सी आहट सुनते ही झाड़ियों में छुप जाता है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - K. N. Dave पृ. 143] कोकंतिय [ कोकन्तिय] आ. चू. 1/52 ज्ञाता. 1/1/178 प्रश्नव्या. 1/6 जीवा. 3/275 Fox - लोमड़ी आकार - कुत्ते के समान । लक्षण - शरीर का रंग अनेक प्रकार का, मुंह नोकीला, छोटे खड़े कान, पूंछ झवरीली एवं अंडाकार आंखें । विवरण- संसार के अनेक भागों में पाया जाने वाला यह प्राणी अपने शत्रुओं को धोखा देकर बच निकलने तथा शिकार को खोज निकालने में बहुत कुशल होता है । यह रात्रिचर प्राणी है। दिन में सोता रहता है और रात में अकेले या जोड़े में शिकार करता है। यह आवाज जैन आगम प्राणी कोश और सूंघने की भाषा से अन्य लोमड़ियों से संपर्क स्थापित करता है। यह जमीन में बिल बनाकर झाड़ियों और खेतों में रहता है। सफेद रोएं वाली आर्कटिक प्रदेश की लोमड़ी सबसे प्रसिद्ध है। कोणाला [कोनालक] प्रश्नव्या. 1/9 Koral Water Cock - कोरा, कोंडलग, कोंगरा, कांगाड, जलमुर्गा । देखें - कोंडलग कोत्थलवाह [कोत्थलवाहग] प्रज्ञा. 1/50 A kind of Insect- सड़ान पैदा करने वाला कीट, कुत्थिका । आकार - 2-5 मिलीमी. लम्बा । लक्षण - शरीर का रंग चमकीला भूरा। मल द्वार से विशेष प्रकार की गंध निकालता है 1 विवरण- गंदे स्थानों पर रहने वाला यह कीट अत्यधिक सड़ान पैदा करता है। इसकी सड़ान से प्रारम्भिक अवस्था वाले पेड़-पौधे विनष्ट हो जाते हैं। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- फसल पीड़क कीट, Incyclapedia in Colour, Nature] कोल [कोल] प्रश्नव्या. 3/18 Lemming - चूहे की एक विशेष प्रजाति, कोल (कर्नाटक) । आकार - सामान्य चूहों से काफी बड़ा । लक्षण - शरीर का रंग कत्थई-भूरा। पूंछ चूहों की अपेक्षा छोटी। दांत तीखे एवं मजबूत । विवरण- भारत के कुछ स्थानों, उत्तरी अमेरिका और यूरोप में पाया जाने वाला यह प्राणी तीन-तीन फीट लम्बी कतार बनाकर पहाड़ों से उतरता है। दिन में जो कुछ मिलता है उसे खाता है। इनकी कुछ प्रजातियां समुद्र में डूबकर आत्महत्या भी करती हैं। कोल [कोल] दस. 4/22 Wood Worm, Furniture beetle-काष्ठ कीट देखें-कट्टाहार Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणो कोश 31 कोल [कोल] दस.1/6 हल्का लाल तक होता है। कुछ की पूंछ लम्बी एवं कुछ Pig-सूअर की छोटी होती हैं। आकार-जंगली सूअर से लगभग मिलता-जुलता। विवरण-भारत, आस्ट्रेलिया, जावा, सुमात्रा आदि के लक्षण-शरीर का रंग भूरा, काला, कत्थई, धारीदार जंगलों में इनकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। ये बड़े आदि। दांत मजबूत एवं खोल युक्त। पूंछ छोटी एवं भयानक एवं बूंखार होते हैं। इनकी टोलियां कभी-कभी पतली। बाघ, तेंदुआ, चीता आदि पर आक्रमण कर उन्हें मार विवरण-विश्व में इनकी अनेक प्रजातियाँ पाई जाती डालती हैं। हैं। चीन और अमेरिका में सबसे अधिक सूअर पाले जाते हैं। भारत का बौना सअर प्रसिद्ध है। अमरीका कोलाहा कोलाहा प्रज्ञा. 1/70 के फ्लोरिडा राज्य में ऐसे सूअर हैं जो मछली खाने के Akind of Krait Snake-करैत सांप की एक जाति। लिए पानी में डुबकी लगाते हैं। इनके बालों से ब्रश आदि देखें काकोदर अनेक चीजें बनती हैं। कोली [कोली] अंवि. पृ. 69 कोलसुणग [कोलसुणक] आर.चू. 1/52 प्रज्ञा. Spider-मकड़ी 1/66 प्रश्नव्या. 1/6 आकार-लगभग .0 1 मी.मी. से 9 से.मी. तक लम्बा। Wild Pig, Wild Bor-जंगली सूअर, बनैला सूअर, लक्षण-दो भागों में विभक्त शरीर, आठ टांगें, भोजन वन्य वराह। को चसने के लिए जबडे नमे अंग। शरीर में तकए या आकार-देशी सूअर से काफी मिलता-जुलता। स्पिनरेह होते है, जिसके द्वारा यह तार कातती है। लक्षण-शरीर का रंग मटमैला, भूरा अथवा कालापन विवरण-विश्व में 2000 विभिन्न किस्मों की र भूरे रंग के कड़क बाल । गर्दन की मकड़ियां पाई जाती हैं। इनमें कुछेक पानी में रहती हैं। संरचना देशी सूअर की ही तरह जटिल व मजबूत। दो परन्तु अधिकांश जातियां घरों, बाग-बगीचों और जंगलों मजबूत एवं तीखे दांत मुंह से बाहर निकले होते हैं जिन्हें में रहती हैं। जब मकड़ी किसी कीड़े को पकड़ती है तो 'केनाइन दांत' कहते हैं। अपने विष-दंतों से कीड़े में थोड़ा सा विष डाल देती विवरण-भारत, यूरोप, उत्तरी अफ्रीका, संपूर्ण दक्षिणी है। 'ब्लैक-विंडो' नामक काली मकड़ी के काटने पर अफ्रीका, जापान, सुमात्रा आदि के घने जंगलों में पाया आदमी बीमार पड़ जाता है। उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में जाने वाला यह प्राणी अत्यंत बलिष्ठ एवं सुघड़ होता पाई जाने वाली दैत्याकार मकड़ी (Birdeating __Spider) चिड़ियों और अन्य छोटे जन्तुओं को खा जात सामूहिक जीवन व्यतीत करने वाला यह मूलतः है। दक्षिण यूरोप की वुल्फ मकड़ी (Wolf Spider) के शाकाहारी प्राणी है। घास और कास की जड़ें इसका काटने से मनुष्य की मृत्यु तक हो जाती है। सर्वप्रिय भोजन है। 40 K.M. प्रति घंटे की रफ्तार से मकड़ियां एक दिन में इतना खा लेती हैं कि वह कई दौड़ सकता है। दिनों के लिए काफी होता है। कोलसुनय [कोलसुणका] आ.चा.1/52 प्रश्नव्या. कोल्लग [कोल्लग] नि.चू. 2 पृ. 179 1/66 जीवा. 3/620 Jackal-सियार। Wild-Dog-जंगली कुत्ता। आकार-भेड़िए से कुछ छोटा। आकार-भेड़िये के समान। लक्षण-शरीर का रंग हल्का भूरा और काला। लंबी लक्षण-शरीर के ऊपर का रंग हल्का भूरा से लेकर नुकीली थूथन, बड़े तथा सीधे कान । गहरी छाती वाला Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 32 सुगठित शरीर । झबरीली पूंछ और न सिकुड़ने वाले पंजों से युक्त पतले पैर । विवरण- भारतीय जंगलों एवं पहाड़ों पर रहने वाला यह प्राणी प्रायः श्मशान में देखने को मिलता है। यह मरे हुए जानवरों को खाना पसंद करता है । रात्रि के समय गांव के बाहर आकर हूआ हूआ की आवाज करता 1 कोल्हुल [कोल्हुक] आव. चू. पृ. 465 Jackal - गीदड़, सियार । देखें - कोल्लग विम कोसिकारकीड [कोशिकारकीट] प्रश्नव्या. 3/22 Sikl-Worm, Silk-cocoon - रेशम का कीड़ा आकार-लट, कृमि के समान । लक्षण - प्यूपा अवस्था में यह कीट लट के सदृश होता है। जो अपने ग्रंथि से निकलने वाले पदार्थ के द्वारा रेशम के धागे का निर्माण करता है । विवरण- शहतूत के वृक्ष पर पाए जाने वाले इस कीट में एक विशेष ग्रंथि होती है। जिसे रेशम ग्रंथि कहा जाता है। इन ग्रंथियों से एक विशेष प्रकार का पदार्थ उत्पन्न होता है । इल्लियां (Caterpillar) इस पदार्थ का उपयोग कर धागे सदृश संरचना बनाती हैं। यह धागे को अपने चारों ओर लपेट लेती हैं। इल्ली के चारों ओर रेशम का धागा लिपट जाने से गोल रचना बन जाती है। जिसे कृमिकोश या कोकून कहा जाता है। कृमिकोश में इल्लियां प्यूपा अवस्था में बदल जाती हैं। कृमिकोश को गर्म पानी में डालकर पश्विर्धित हो रहे कीट को मारकर रेशम निकाला जाता है। जैन आगम प्राणी कोश कोहंगक, कोरंग [कोभंगक] औप. 6 Bronze Winged Jacana - जलकोपी (बंगाली), पीपी, कुनजै, क्रोधांगक, कामंयुग । देखें - कामंजुग । खंजण [खंजन] औप. 13 Large Pied Wagtail- मामुला, खंजन, बृहत् शबल खंजन | RETTIG आकार - बुलबुल से बड़ा । लक्षण - काली और सफेद पक्ष वाली बड़ी वैगटेल चिड़िया, जो रंग-रूप में मैडपाई रॉबिन से मिलती-जुलती है। विवरण - विश्व भर में इसकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। नर किसी पहाड़ी से सुरीला गीत गाता रहता है। गीत मैग्पाई रॉबिन के गीत से काफी मिलता जुलता है। खग्ग [खड्ग] खग्गी [खड्गी] ठाणं. 5/72, ज्ञाता. 1/5/35, प्रश्नव्या 1/6 Rhinoceros - गेंडा (एक सींग वाला जंगली पशु) आकार - लगभग 6 फीट ऊंचा, 12 फीट लम्बा । लक्षण - शरीर का रंग काला एवं मोटी-मोटी परतें युक्त । नाक पर एक या दो सींग, जिनकी लम्बाई 2 फीट तक होती है। शरीर का वजन 2 टन तक । शरीर की खाल पर एक भी बाल नहीं होता । विवरण- गेंडों की पांच प्रजातियां पाई जाती हैंअफ्रीका का सफेद गेंडा (सैरेटोथीरियस साइमस), Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश लक्षण-इनके पेट पर एक विशेष अंग होता है। इसमें बनने वाला रसायन-द्रव्य जब ऑक्सीजन के सम्पर्क में आता है तो जगमगाहट होती है। विवरण-यह भंवरे की जाति का एक पतंग है जो बरसात के दिनों में अक्सर रात में पेड़ या झाड़ियों में देखा जाता है। इसकी कई प्रजातियां हैं। यह अपनी रोशनी के द्वारा पक्षियों को डरा कर भगा देता है। अफ्रीका का काला गैंडा या हुक वाला गेंडा (डाइसैरोस वाइकर्जिस), भारत का विशाल गेंडा (राइनोसेरिस थूनिकार्निस), जावा का गेंडा (राइोसेरिस सोंडेकस) तथा सुमात्रा का गेंडा (डाइसेरो राइनस सुमात्रेन्सिस)। यह ताकतवर होने पर भी बड़ा सुस्त प्राणी है। आंखें छोटी होने के कारण नजर पैनी नहीं होती किन्तु सूंघने, सुनने, की शक्ति तीव्र होती है। गेंडा एक शुद्ध शाकाहारी प्राणी है। जो ज्यादातर समय घास आदि खाने में बिताता है, शेष समय पानी में पड़े-पड़े गुजारता है। इसके सींग ही इनके लिए रक्षा का आधार बनते हैं। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Nature, सचित्र Parga gratet, Man and animals) खन्न खन्न] जीव. 3/781 Chauepin-चाऊपिन, घंटी जैसी आवाज करने वाला मत्स्य, खन मछली। आकार-लगभग 31/3 इंच लम्बा। लक्षण-शरीर का रंग सुनहरा-काला। तैरते समय बिल्कुल घंटी की भांति आवाज करता है। विवरण-अमेरिका में पाया जाने वाला यह मत्स्य तैरने में बड़ा कुशल होता है। विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-जानवरों की दुनिया] खज्जोत [खद्योत] अनु. 540 खर खर] भग. 7/17, ज्ञाता. 1/159 Paddybird, pond Heron-अंधा बगुला, बगुला नामक जल पक्षी, खर। आकार - पशु बगुला से कुछ बड़ा। लक्षण-बैठे हुए इस पक्षी के शरीर का रंग मटमैला-भूरा। उड़ते समय चमकीले सफेद पंख सुस्पष्ट दिखाई देते हैं। विवरण-भारत, लंका, नेपाल आदि में पाया जाने वाला यह पक्षी नदियों, झीलों और तालाबों के किनारे अकेला या झुंड के साथ शिकार खोजते हुए देखा जाता Afire-Fly, Glow-worm-जुगनू, प्रकाश पैदा करने वाला कीट। आकार-भंवरे से कुछ छोटा। विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-हिंदी शब्द सागर, मानक हिंदी कोश, भारतीय पक्षी, सचित्र विश्व कोश Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 34 जैन आगम प्राणी कोश खर खर] भग. 7/117 ज्ञाता. 1/1/159 प्रज्ञा. 1/18 जाति, खन्न मछली की एक जाति। देखें-खन्न। खाइडल, खाडहिलं, खाडहिल्ल, खाडहिल्ल, खाडहेल्ल [दे.] प्रश्नव्या. 1/8 नंदी 38/4 प्रटीप. 10 आवहाटी पृ. 278 Squirrel-गिलहरी देखें-कमेड (गिलहरी) खार [खार] सू. 2/3/80 प्रज्ञा. 1/76 Donkey-गधा। Duck-billed, Platypus-डकविल, प्लैटिपस, बत्तख आकार-घोड़े से छोटा। गि चोंचा, खारी। लक्षण-पालतू गधे के शरीर का रंग काला, सफेद, सलेटी अनेक प्रकार का। जंगली गधे के शरीर का रंग सलेटी से लेकर गहरा भूरा तक होता है। पेट का निचला भाग सफेद तथा कान काले सिरे वाले नोकीले होते हैं। विवरण-इनकी अनेक जातियां पाई जाती हैं। यह एक सीधे-स्वभाव का शाकाहारी पशु है। जिसका उपयोग बोझ आदि ढोने में किया जाता है। इसकी कोशिकाओं में निर्जलीकरण, सहन करने एवं जल का आकार-20 इंच लम्बा शरीर 12 1/2 इंच लम्बी एवं भंडारण करने की अद्भुत क्षमता होती है। अपनी इन्हीं 2 इंच चौड़ी चोंच। पर विशेषताओं के कारण यह जल की कमी वाले स्थलों लक्षण-बत्तख जैसी चोंच एवं पैर वाले इस में भी रह सकता है। भुजपरिसर्प प्राणी के मल और मूत्र के निष्कासन का मार्ग एक ही होता है। बचपन में इसके छोटे-छोटे दांत खलुंक खलुंक] ठा. 4/468 उत्त. 27/3,85 होते हैं, जो जवान होने से पूर्व ही टूट जाते हैं। Restive ox, Restive bull-अयोग्य बैल। विवरण-वर्तमान में केवल पूर्वी आस्ट्रेलिया और विवरण-जो बैल गाड़ी खींचे वह मध्यम बैल, किंतु टस्मानिया में नदियों, झीलों तथा तालाबों के किनारे जो गाड़ी और रथ दोनों में काम आए वह उत्तम बैल बिलों में रहने वाला यह प्राणी स्तनपायी होते हुए भी होता है। जो किसी के काम न आए वह अयोग्य बैल अंडे देता है। मादा के स्तन नहीं होते फिर भी यह बारीक की गिनती में आता है। अयोग्य बैल बार-बार चाबुक । छेद के द्वारा बच्चों को दुम से पेट पर चिपका कर दूध खाने पर भी कार्य में प्रयुक्त नहीं होता। पिलाती है। शेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-आवल्ल (बैल) बिल के प्रायः दो दरवाजे होते हैं- एक पानी के भीतर [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-पाणिनि 4/4/80, और दूसरा जमीन के ऊपर। जो घास-फूस आदि से अथर्ववेद 6/135/1] ढका होता है। अपने दुश्मनों को धोखा देने के लिए यह बिल में सुरंगें भी बना लेता है। यह तैरता है और खवल्लमच्छ खवल्लमत्स्य प्रज्ञा. 1/56 कोना गोता भी लगा सकता है। A kind of Chauepin Fish-चाऊपिन की एक विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Nature, Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश Incyclopedia in colour सचित्र विश्व कोश] खुरदुग [क्षुरदुक] सू. 2/3/84 Skin Insect-चर्म कीट। आकार-लगभग जूं के समान। लक्षण-शरीर का रंग हल्का लाल-भूरा। मुंह पर संडासी की तरह एक डंक-सा होता है। जिसके द्वारा यह खून पीता है। विवरण-यह जूं आदि के परिवार का ही सदस्य है। जो पशुओं के शरीर के ऊपर पैदा होता है और अपना पूरा जीवन परजीवी के रूप में बिताता है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-सूत्रकृतांग चूर्णि पृ. 381] मिट्टी में ही ।बल बनाते हुए आगे बढ़ते हैं और साथ साथ भोजन भी करते जाते हैं। वरसात के दिनों में अक्सर जमीन पर रेंगते हए दिखाई देते खुल्लय [क्षुल्लय] प्रश्नव्या. 2/12 प्रज्ञा. 1/49 Shells-समुद्री शंख के आकार के छोटे शंख। देखें-संखगण [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Nature, Incyclopedia in colour सचित्र विश्व कोश, फसल पीड़क कीट] गंड [गण्ड] प्रज्ञा. 1/65 जम्बू. 4/13 दसा. 10/14 गंडूयलग [गण्डूपदक] प्रज्ञा. 1/49 Rinoceros-गेंडा (दो सींग वाला गेंडा) खग्ग, गंड। Aworm Found in the abdomen-गिंडोला, पेट विवरण-वर्तमान में एक मात्र अफ्रीका में पाए जाने की कृमि। वाले गेंड़े की नाक पर दो सींग होते हैं। इनमें से नीचे देखें-कुच्छिकिमिय वाला सींग बड़ा एवं ऊपर वाला छोटा होता है। इन सींगों की लम्बाई 2 फीट तक होती है। राजा-महाराजाओं गन्धग [गन्धक दसवै. 2/8 के शिकार के शौक के कारण भारतीय उपमहाद्वीप तथा A kind of Snake-गन्धक सर्प जावा में दो सींग वाले गेडों का नामोनिशान ही मिट विवरण-गन्धक जाति में उत्पन्न सर्प मंत्रवादी के चुका है। द्वारा बुलाए जाने पर मृत्यु के भय से अपना विष वापस शेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-खग्ग (गेंडा) ण पी लेते हैं। प्राणी-शास्त्रज्ञ इस मान्यता को विज्ञान की कसौटी पर अभी तक सिद्ध नहीं कर पाए हैं। गंडूयलग [गण्डूपदक] प्रज्ञा. 1/49 शेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-अगन्धग Earth worm-केंचुआ। समाजागा [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-अ.चू.पृ. 45, नि.चू. आकार-पतले एवं मोटे रबड़ की भांति।शि पृ. 87] लक्षण-शरीर का रंग हल्का लाल तथा सफेद । शरीर कई छल्लों से बना होता है। एक लम्बे केंचुए के शरीर गंधहत्थि [गंधहस्तिन] ज्ञाता. 1/63, 1/5/16 भग. में 100 छल्ले तक हो सकते हैं। विवरण-तालाब, नदी आदि के किनारे की मिट्टी तथा Elephant of good breed-श्रेष्ठ हाथी नमी वाले स्थानों की मिट्टी में पाए जाने वाले केंचुए देखें-कुंजर 1/7 Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 36 जैन आगम प्राणी कोश गंभीर [गंभीर] प्रज्ञा. 1/51 A kind of crab, A kind of Lobster-केकड़ा की एक जाति। देखें-जलकारि वर्ष के बच्चे को भी उठा ले जाता है। golpont सीटी जैसी किआ-किआ की ध्वनि द्वारा पहचाना जाता प्रचलित मान्यतानुसार-यह अपने बच्चों की आंख खोलने के लिए पारस-पत्थर का प्रयोग करता है किन्तु प्राणि-शास्त्रविद् इस मान्यता को स्वीकार नहीं करते। . गद्दभ गर्दभ] सू. 1/3/65 सम. 30/1/13 प्रज्ञा. 1/63 Donkey-TTET देखें-खर। गलियस्स [गल्यश्व] उत्त. 1/12 Restive Horse-अविनीत घोड़ा देखें-खंलक गय [गज] प्रश्नव्या. 1/6 प्रज्ञा. 2/15 Elephant-हाथी देखें-कुंजर (हाथी) गवय [गवय] 1/6 प्रश्नव्या. 1/64 जम्बू. 2/35 गरुल [गरुड़ सू. 1/6/21 ठाणं 2/271 भग. 2/94 प्रज्ञा. 2/30-31 जम्बू. 3/109 तालगायनर Blue bull-नील गाय, रोझ, गवय र Golden Eagle-गरुल पक्षी, गरुड़ पक्षी। शता आकार-घोड़े एवं गाय के तुल्य। आकार–चील से काफी बड़ा। लक्षण-शरीर का रंग गहरा स्लेटी। छोटे तीखे और -शरीर का रंग काला-भरा। लम्बाई 82 से.मी. मजबत सींग। मादा तथा बच्चे हल्के भूरे रंग के होते तथा पंखों का फैलाव 188 से 196 से.मी. होता है। हैं। मादा के सींग नहीं होते। ठोढ़ी, होठ तथा चेहरे का चोंच छोटी एवं मजबूत। रंग सफेद होता है। पूंछ न अधिक छोटी और न अधिक विवरण-विश्व भर में इसकी अनेक प्रजातियां पाई बडी। जाती हैं जैसे- भयानक गरुड़, सुनहरा गरुड़, हापी गरुड विवरण-हिमालय की तराई से दक्षिण में मैसूर तक आदि । गरुड़ पक्षी की आंखें मनुष्य की अपेक्षा 8-10 पाया जाने वाला यह प्राणी दौड़ने और ऊंचा कूदने में गुना तेज होती हैं। यह लगभग 4 K.M. की दूरी से माहिर होता है। 7-8 फीट तक की बाढ़ तो यह आसानी खरगोश को देख सकता है। यह बड़ा भयानक पक्षी से लांघ जाता है। सर्दी, गर्मी को सहन करने की इसमें है, पक्षियों के अतिरिक्त खरगोश, हिरण तथा 8-10 विशेष क्षमता होती है। यह लम्बे समय तक पानी के Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश 37 बिना भी रह सकता है। गवल [गवल] ज्ञाता. 1/1/33 उवा. 2/22 प्रश्नव्या. 1/30 जाती हैं। शहरों और गांवों के आसपास के क्षेत्रों में उपयोगी परिमार्जक का काम करता है। यह दीर्घ दृष्टि वाला प्राणी है, अपने भोजन को कई मीलों की दूरी से देख सकता है। दक्षिण-अमेरिका का कोंडोर नामक गिद्ध का वजन 9.09-11.3 K.G. तक तथा पंखों का फैलाव 10 फीट तक होता है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. 42, Nature, विश्व के विचित्र जीव जंतु] गहरा [गहरा] प्रज्ञा. 1/79 Wild Buffalo-जंगली भैंसा, विशन। आकार-सामान्य भैंसे से बड़ा और भयानक। लक्षण-शरीर का रंग गहरा काला। बड़े और लम्बे सींग। आंखें बड़ी-बड़ी और डरावनी। अमेरिका में पाए जाने वाले जंगली भैंसों का रंग कुछ भूरा-काला होता हैं। ऊंट जैसे बाल, सिंह जैसे अयाल, मुड़े हुए पुढे, लम्बी दुम और खुर इसकी विशेष पहचान है। विवरण-भारत, अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका में पाया जाने वाला यह प्राणी अत्यन्त भयानक और शक्तिशाली होता है। यह भीमकाय होते हुए भी तेजी से दौड़ सकता है। क्रोधावस्था में ट्रक को भी अपने मजबूत सींगों से उलट सकता है। विशाला गवेलग [गवेलक] सू. 2/7/3 ठा. 7/41/1 ज्ञाता. 1/2/7 Sheep-भेड़, गाड़र, मेंढ़। देखें-अमिल Ruffand Reeve-गेहवाला, बगवद, भट-जल रंक। आकार-बटेर के तुल्य। लक्षण-शरीर के ऊपरी भाग पर गहरी शल्क जैसी चित्रकारी। उड़ते समय पंखों का रंग सफेद प्रतीत होता है। विवरण-भारत, नेपाल आदि देशों में पाया जाने वाला यह पक्षी लेक्स या हिल्स के नाम से भी जाना जाता है। इन पक्षियों की टोलियां किसी स्थान विशेष में एकत्रित होकर एक-दूसरों के साथ नोंक-झोंक या झड़प आदि करती हैं। उस समय का दृश्य बहुत ही रमणीय एवं दर्शनीय होता है। गहरा [गहरा] प्रज्ञा. 1/79 White backed or Bengal Vulture-गिद्ध आकार-मोर की भांति पूंछ छोड़कर। लक्षण-शरीर का रंग काला-भूरा तथा सिर कलंगी रहित। ग्रीवा पतली एवं मजबूत चोंच युक्त। विवरण-विश्व भर में इसकी अनेक प्रजातियां पाई गागर [गागर] प्रज्ञा. 1/56 Gagar-fish-गागर, गर्गर मत्स्य, गागूरा मत्स्य। आकार-लगभग 5 फीट लम्बा। Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 38 लक्षण -1 - पिच्छिल अंग तथा पीले रंग वाला मत्स्य। पीठ पर छिलके एवं बहुत रेखाएं होती हैं। विवरण- नदियों, समुद्रों आदि में इसकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। शत्रुओं से बचने के लिए यह अपने शरीर से विशेष प्रकार की गंध व रंग छोड़ता है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- राजनिघंटु मांसादिवर्ग, Nature, रेंगने वाले जीव, जानवरों की दुनिया ] गेवियल । गाव- गाय [गो] ठा. 7/43/1 प्रज्ञा. 11/4 Cow - गाय TER TRACE TESTE आकार - लगभग घोड़े के आकार वाली । लक्षण - गायें अनेक नस्लों वाली और रंगों की होती हैं। भारतीय गायों के कंधे के पीछे कूबड़ होता है। दक्षिणी अफ्रीका की गायों के भी कूबड़ होता है । अमेरिका में गायों के कूबड़ नहीं होता। भारत और अफ्रीका की गायें अधिक सर्दी-गर्मी सहन कर सकती हैं । गावी [गौ] आ. चू. 1/44 जम्बू. 5/12 Cow - गाय देखें- गाव, गाय जैन आगम प्राणी कोश जाता 550 गाह [ग्राह] प्रज्ञा. 1/55 Crocodile, Geviyelis gentetices - घड़ियाल, आकार - मगरमच्छ से बड़ा । लक्षण - यह एक लम्बी थूथन वाला प्राणी है । ऊपर और नीचे के जबड़ों में हर तरफ दो दर्जन से अधिक पैने दांत होते हैं। शरीर कवच की पट्टियों से ढका होता है । शरीर पर गहरे भूरे रंग के धब्बे या धारियां होती हैं। वयस्क नर की थूथन के सिरे पर एक कूबड़ होता है जो एक मिट्टी के घड़े के समान दिखाई देता है। इसी कारण ये घड़ियाल के नाम से जाने जाते हैं । विवरण- घड़ियाल की अनेक प्रजातियां हैं, जो उत्तर भारत आदि की महानदियों में पाई जाती हैं। कद में मगर से बड़ा होने पर भी यह बड़े जानवरों तथा मनुष्यों पर हमला नहीं करता। भोजन पचाने के लिए पत्थरों को निगलना इसका स्वभाव है। मादा घड़ियाल अपने अंडे नदी, समुद्र आदि के किनारे बालू या मिट्टी में गड्ढा खोद कर देती है । विवरण- विश्व में इनकी अनेक प्रजातियां पाई जाती सम. 30/1/12 भग 7/22 प्रश्नव्या. 1/129 White backed, Bengal Vulture- गीध, गिद्ध । देखें- गहरा हैं। यूरोपीय गायों में जर्सी, ग्वेन्स, हाल्स्टीन और गिद्ध [गृद्ध, गृध्र] आचा. 3/31 सू. 1/2/62 स्विट्जरलैंड की भूरी गाएं खास तौर से दूध के लिए अच्छी मानी जाती हैं। दूध के लिए विकसित की गई नस्लों का शरीर मांसल नहीं होता बल्कि दुबला और बैडोल होता है । इंग्लैंड और स्काटलैंड में गाएं मांस के लिए पाली जाती हैं। गाय के बच्चे बछड़े कहलाते हैं जो बड़े होकर अनेक कार्यों में उपयोगी बनते हैं । गोकण्ण [गोकर्ण] प्रश्नव्या. 1/6 प्रज्ञा. 1/64 जम्बू. 2/35 A Deer Antelope Picta-चौसींगा हिरण, गोकर्ण । Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश आकार - सामान्य हिरण से कुछ बड़ा । लक्षण - शरीर के ऊपर का रंग भूरा या धूमिल - भूरा तथा नीचे की ओर सफेद होता है। एक दूसरे के पीछे चार छोटे और पैने सींग होते हैं। सींग केवल नर के होते हैं। आगे के सींग 5-6 से.मी. तथा पीछे के सींग 12 से.मी. तक लम्बे होते हैं। विवरण- भारतीय प्रायद्वीप के ऊंचे-नीचे पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाला यह प्राणी हिरणों में असाधारण होता है। इसकी दृष्टि, सूंघने तथा सुनने की शक्ति काफी विकसित होती है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-संकटग्रस्त वन्य प्राणी, Nature] गोजलोय [गोजलोक] प्रज्ञा. 1/49 A kind of leech—गोजलौक, जौंक की एक जाति । देखें- जलोया गोण [गो] आ.चू. 1/52 सू. 2/2/19 Ox, Bull-बैल, सांड़, खाग्गड़ देखें- आवल्ल (बैल) गोणस [गोनस] प्रश्नव्या. 1/7 प्रज्ञा. 1/71 Russells Viper-गोनस, वोड्, घोनस, गोनास । आकार-4-7 फीट लम्बा । लक्षण - शरीर का रंग सफेद-काला। ऊपर की चमड़ी चिकनी एवं मुलायम । मुंह देखने में गाय की नासिका के समान प्रतीत होता है। विवरण- घने जंगलों, जलाशयों, नदियों आदि के किनारे पाया जाने वाला यह सर्प करैत, काकोदर की अपेक्षा कम विषैला होता है। यह अपने शिकार पर सहमा आक्रमण न करके, धीरे-धीरे करता है। प्रश्नव्या. टीका के अनुसार यह दुमुंही सर्प है। गोमयकीडग [गोमयकीटक] प्रज्ञा. 1/51 Beetle - गोवरैला । कोलोराडो का आलु गुबरैला आकार - लगभग 1-2 इंच तक लम्बा । लक्षण - शरीर का रंग काला भूरा। इनके दो जोड़े पंख होते हैं। सामने वाले पंख सख्त होते हैं जो उसकी देह के लिए एक चिकने आवरण का काम करते हैं। पिछले पंख पतले होने के कारण उड़ने के समय इसकी मदद करते हैं। 39 विवरण- गोबर में रहने वाले या गोबर में उत्पन्न होने वाले इस कीट की हजारों प्रजातियां पाई जाती हैं। इसके पतले पंख, सख्त पंखों के नीचे दबे रहते हैं। अपने जीवन में गोबरैला को कई अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है, जैसे- अंडा, लार्वा, प्यूपा और अन्त में गोबरैला । गोमाऊ [गोमायु ज्ञाता. 1/4/23 Jackal-श्रृंगाल, सियार देखें - कोल्लग गोम्ही [गोम्ही] प्रज्ञा. 1 / 50 Centipede - कानखजूरा आकार - 1 इंच से 1 फीट तक लम्बा । लक्षण - इनका शरीर अनेक खण्डों में विभक्त होता । प्रत्येक खण्ड से एक जोड़ी टांगें निकलती हैं। इनके जबड़ों के साथ एक जोड़ा जहरीला चिमटानुमा अंग होता है। Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश CAR जाने वाला यह प्राणी सामान्य मृगों से कुछ कमजोर Millipede होता है। सफेद शरीर होने के बावजूद भी धूप में आंखें खोल पाने में पूरी तरह समर्थ होता है। दौड़ते समय लम्बी कुलांचे भरता है। विमर्शः वाजसनेयि संहिता 24, 32 ऐतरेय ब्राह्मण 2-8 में इसका अर्थ बैल की एक जाति किया है। Centipede गोरहग गोरथक] दस. 7/24 Calf-तीन वर्ष का छोटा बछड़ा। देखें-गाय (गो) विवरण-इनकी रंग-बिरंगी अनेक जातियां पाई जाती गोलोम [गोलोमन्] प्रज्ञा. 1/49 निसि. 10/38 हैं। इनके पैरों की संख्या अधिकांशतः 100 से अधिक A kind of Leech-गोलोम, जौंक की एक जाति। होती हैं। ये अधिकतर अंधकार और सीलन की जगहों देखें-जलौक में रहते हैं। गोह [गोध] सू. 2/2/58 भग. 8/222 प्रश्नव्या. गोरक्खर गौरखर] प्रज्ञा. 1/63 2/12 प्रज्ञा. 1/76 Wild Donkey, Wild Ass-जंगली गधा, गौर-खर, घोड़खर (गुज.)। आकार-घोड़े से छोटा परंतु पालतू गधे से बड़ा। लक्षण-शरीर का रंग सलेटी से गहरा भूरा तक होता है। कान काले सिरे वाले तथा नुकीली होते हैं। गहरे भूरे रंग की अयाल से बनी एक गहरी लकीर होती है जो इसकी पीठ से लेकर गच्छेदार पंछ तक पहंचती है। विवरण-कच्छ की खाड़ी के शुष्क खारे क्षेत्र में पाया Lizard-गोह, विषखपरिया, चंदनगो। जाने वाला यह प्राणी तेज दौड़ने में दक्ष होता है। जबकि आकार-नकुल से बड़े आकार वाला भुजपरिसर्प तिब्बत, लद्दाख और सिक्किम के जंगली गधे दौड़ने में प्राणी। इतने दक्ष नहीं होते। लक्षण-भारतीय गोह के शरीर का रंग हल्की काली जंगली गधों की कोशिकाओं में निर्जलीकरण, सहन आड़ी धारियों से युक्त होता है। जबकि इंडोनेशिया के करने एवं जल का भंडारण करने की विशिष्ट क्षमता गोह के शरीर का रंग गहरा जैतूनी होता है। खाल होती है। खुरदरी, जीभ सांप की तरह लम्बी, चिकनी एवं दो भागों गोरमिग [गौरमृग] आ.चू. 5/15 निसि. 7/10, में विभक्त होती है। 17/12 विवरण-गोह की अनेक जातियां हैं, जिनमें कुछ पानी White Deer-गौरमृग, सफेद हिरण। में भी तैर सकती है। प्राचीन काल में गोहों का उपयोग आकार-कृष्ण मृग की भांति। लड़ाई के समय किलों की ऊंची दीवारों पर चढ़ने के लक्षण-शरीर का रंग सफेद और कुछ काला। सींग लिए किया जाता था। वर्तमान में भी डाकू, चोर आदि लम्बे एवं घुमावदार।। इसका उपयोग करते हैं। इसके पैरों की पकड़ बहुत विवरण-सौराष्ट्र, असम और मध्य प्रदेश में पाया मजबूत होती है जिस पर चिपक जाती है, उससे छुटाना Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश आसान कार्य नहीं होता। भारतीय गोहों में कबरा गोह सबसे बड़ी एवं खतरनाक होती है। इंडोनेशिया महाद्वीपों में पाया जाने वाला कोमोदो ड्रैगन विश्व का सबसे बड़ा गोह है। इसकी लम्बाई 3 1/2 मी. तक होती है। यह बहुत शक्तिशाली एवं भयंकर होता है । विमर्श : राजनिघंटु पृ. 562 में गोह को घड़ियाल का पर्यायवाची माना है । गोह [गोध] सू. 2/2/58 भग. 8/222 प्रश्नव्या. 2/12 प्रज्ञा. 1/76 Yellow wagtail-पीलक, पानपीलक, पीलाखंजन । आकार - गौरेया से कुछ छोटा । लक्षण - शरीर के ऊपरी भाग का रंग पीला-हरा या जैतूनी हरा, नीचे का रंग पीला एवं पूंछ लम्बी होती है। विवरण- विश्व भर में इसकी लगभग 5 प्रजातियां पाई जाती हैं। यह दलदल वाले खेतों तथा चारागाहों में दुम ऊपर नीचे झटकता हुआ कूदता भागता रहता है । यह बड़ी सतर्कता के साथ जल्दी-जल्दी पंख फड़फड़ाने के बाद रुक-रुक कर लहरदार घुमाव में चक्कर लगाता रहता है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - K. N. Dave पृ. 41 yellow wagtail] घरोइल [गृहकोकिल] सू. 2/3/80 प्रज्ञा. 1/76 Kind of Lizard-छिपकली की एक जाति, घरेलू छिपकली । देखें - कमेड (छिपकली) घुण [घुण] ठा. 4/56 Wood Worm, A Weevid - घुण देखें - कट्ठाहार घूय [घूक] ज्ञाता. 1/8/72 प्रश्नव्या. 3/9 Indian Great Horned Owl उल्लू, घुग्घू देखें-उलूक घुल्ला [घुल्ला] प्रज्ञा. 1/49 A kind of Shell - घोंघरी, छोटा शंख। Commod देखें-संख और संखनग JEGS घोडग [घोटक] सू. 2/2/22, प्रज्ञा. 1/63 Horse घोड़ा। देखें - अस्स (अश्व) 41 चउरग [चकोरक] प्रश्नव्या 1/9 Common or Blue Legged busTurd-Quail विषसूचक, चलचंचु, चकोर । आकार - बरसाती बटेर की अपेक्षा छोटा ! लक्षण - शरीर का ऊपरी भाग बादामी भूरा तथा नीचे का भाग जंग जैसा धूमिल पीला होता है। चिबुक, कंठ और वक्ष काली धारियों से भरा होता है। मादा बड़ी और अधिक रंग-बिरंगी होती है। नीली-धूसर चोंच, पीले पैर तथा सफेद आंखें इसके विशिष्ट लक्षण हैं । विवरण - विश्व में इसकी लगभग 8 प्रजातियां पाई जाती हैं। मादा अन्य मादाओं को डराने-धमकाने तथा नर को अपनी उपस्थिति की सूचना देने के लिए ढोल जैसी भारी डर-र-र-र-र की आवाज निकालती है। प्राचीन कहावत के अनुसार चकोर एक पहाड़ी तीतर है, जिसको चंद्र प्रिय है तथा अंगारे खाने के लिए प्रसिद्ध है। वर्तमान प्राणी शास्त्रियों के अनुसार अंगारे खाने की कहावत सत्य नहीं है । चंदण [चंदन] प्रज्ञा. 1/49 उत्त. 36/129 Chandana-चंदनिया, अक्ष। आकार - 3-4 इंच लम्बा । Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 42 जैन आगम प्राणी कोश लक्षण-शरीर का रंग हल्का लाल। देती है। विवरण-पानी एवं जमीन पर रहने वाला यह कीट विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-रेंगने वाले जीव, केंचुए के समान प्रतीत होता है। कभी-कभी रुद्राक्ष एवं जानवरों की दुनिया] बेहड़ा के वृक्षों पर भी नजर आता है। जन साधारण भाषा में इसको चंदनिया, अक्ष के नाम से जानते हैं। चक्काग, चक्कवाग [चक्रवाक ज्ञाता. 1/9/20, [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-जीव टी. पृ. 31, जीव 30 प्रश्नव्या. 1/9 प्रज्ञा. 1/48 सूर्य 5/5 विचार वृत्ति, जीव विचार प्रकरण] The Ruddy Sheldrake, Brahminy duck चकवा, चकवी, सुर्खाव, चक्रवाक। चकोर [चकोर ] प्रश्नव्या. 1/9 Common or Blue Legged Busturd Quail-गुन्द्रा, गूलु, चकोर देखें-चउरग चक्कलड़ा [चक्कलड़ा] चक्कQडा [चक्कQडा] चक्कुलेंडा [चक्कुलेंडा] आव.टी.प. 163 आव. म.टी.प. 467 Jones Saind Boya-जोंस सैण्ड बोआ, दुमुंही-सर्प, राजसर्प, श्रेष्ठ सर्प, तेलिया सर्प, सेवी पम्बू (तमिल), वला (मराठी), अनसप (गुजराती)। आकार-पालतू बत्तख से बड़ा। लक्षण-शरीर का रंग नारंगी भूरा। सिर और ग्रीवा का रंग कुछ फीका। कभी-कभी ग्रीवा के नीचे हल्का काला कालर भी होता है। इसके पंख काले, सफेद तथा चमकीले हरे होते हैं। विवरण-भारत, लंका, बर्मा में पाया जाने वाला यह पक्षी पानी के बजाय अधिकतर पंक-मैदानों में और आकार–छोटा, मोटा एवं मांसल बनावट वाला सर्प। बलुवा तटों पर सर्दियों के दिनों में झुंड के साथ देखा लक्षण-शरीर का रंग चॉकलेटी भूरा, जबकि बच्चों जाता है। पानी के किनारे राजहंस की भांति विहरण का रंग अधिक ललाई लिए होता है। पीठ पर काले । करता है। पट्टे पाए जाते हैं। आंखें छोटी, पूंछ मोटी एवं भौंही (इंडी) होती हैं। सारे शरीर की मोटाई लगभग समान चडग [चटक] सू. 2/2/6 होने के कारण दो मुंह वाला सर्प प्रतीत होता है। House Sparrow-चिड़िया, गृह चटक, गौरेया। विवरण-भारत में इसकी तीन प्रजातियां पाई जाती देखें-अड़ हैं। यह एक मी. तक लम्बा एवं एक K.G. तक हो सकता है। वैज्ञानिक भाषा में इसे 'ऐरिक्स जोइनाई' चमर [चमर] प्रश्नव्या. 1/6 प्रज्ञा. 1/64 कहते हैं। स्थानीय भाषा में इसे दुमुंही, दुंबी, धनराई, A kind of Ox called yak-चवरी गाय (याक) आंधवोगा आदि कहते हैं। इसका नाम दुमुंही होते हुए आकार-गाय की अपेक्षा कुछ बड़ा। भी यह एक मुंह वाला होता है। मादा अंडे न देकर बच्चे लक्षण-इसका शरीर नीचे लटका हुआ, सिर झुका Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश हुआ तथा पैर छोटे होते हैं। पूरे शरीर पर खुरदरे, लंबे, जानते हैं। काले-भूरे बाल होते हैं। मादा छोटे सीगों वाली तथा यह खेतों वाले खुले प्रदेशों और कम घने पर्णपाती आकार में छोटी होती है। गायन जंगलों में अकेले या झुंड के साथ रहना पसंद करता विवरण-तिब्बत, लद्दाख और उत्तरी कुमाऊ की है। भारी स्वर में किट-किट काएं-काएं की सी आवाज पहाड़ियों में पाया जाने वाला यह प्राणी 816 K.G. करता है। मनोरंजन के समय कलाबाजियां खाना, गोता तक हो सकता है। इसमें हिमालय के बर्फीले क्षेत्र तथा लगाना, कर्कश स्वर में चिल्लाना इसका विशेष स्वभाव ठंडी जलवायु में रहने की क्षमता होती है। याक घास है।। और झाड़ियां खाता है तथा मुंह या खुरों से बर्फ हटाकर विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-भारत के पक्षी, घास ढूंढ लेता है। यदि पानी नहीं मिलता है तो बर्फ कैयदेवनिघंटु पृ. 466] खा लेता है। यह पहाड़ियों पर आसानी से चढ़ सकता है और बर्फीली नदियों को तैर कर पार कर सकता है। चिड़ग, चिडिग [चटक] प्रश्नव्या. 1/9 प्रज्ञा. इसके बाल के चवर आदि बनाए जाते हैं। 1/79 Indian Pipit-रुगेल, चरचरी, चिड़िया। चम्मटिठ्ल [चर्मस्थिल] प्रश्नव्या. 1/ 9RE आकार-गौरेया के समान। A Bat-चमगादड़ देखें-अडिल लक्षण-शरीर के ऊपर का रंग गहरा-हरा। नीचे का रंग पीला-गेहुआ। वक्ष में भूरे रंग की धारियां तथा चोंच चास [चाष] प्रज्ञा. 1/79, 17/124 उत्त. 34/5 बहुत नाजुक। ROLLER, Blue Jay-नीलकंठ, सबजक, चाष, विवरण-विश्व भर में इसकी अनेक प्रजातियां पायी पाला पित्ता (तेलुगू) पालकुर्वी (तमिल)। जाती हैं। हल चलाए गए या कटे हुए खेतों में, चरागाह आकार-कबूतर से कुछ छोटा और लंबोतरा पक्षी। या घासवाली पथरीली भूमि में रहना पसंद करता है। लक्षण-बहु चटक रंग वाला। सिर का भाग बड़ा। "वेगटेल' पक्षी की भांति लहरदार तरीके से उड़ता हुआ चोंच काली और भारी। पूंछ नीली-पीली। पंखों पर हरे पाईपिट, पाईपिट या टसीप-टसीप ध्वनि करता है। नीले, फिरोजी रंग की झलक। विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N.Dave-Indian विवरण-भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश आदि में पाए Pipit] जाने वाले चाष पक्षियों की तीन प्रजातियां हैं। नर्मदा नदी के दक्षिण में इसे मराठी में चाशा, तेलुगू में पाल चित्तचिल्लय [चित्तचिल्लड] आ. चू. 3/59, पित्ता और तमिल में पाल कुर्वी कहते हैं। दुनिया भर 1/52 के प्राणी शास्त्री इसे कारेसिअस बेंगाकेसिस नाम से Panther-तेंदुआ, गूलदार, चित्तचिल्ल। Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 44 छोटा । कुछ आकार - सिंह और बाघ से लक्षण - भारतीय तेंदुए के शरीर की त्वचा सुंदर, मुलायम पीली या भूरे रंग की होती है, जिस पर छोटे छोटे धब्बे होते हैं। काले तेंदुए का शरीर काला होता है। तेंदुआ वृक्ष पर आसानी से चढ़ सकता । विवरण- भारत, अफ्रीका आदि देशों में पाया जाने वाला यह प्राणी स्तनधारियों में सबसे फुर्तीला, काफी निडर तथा तंग किए जाने पर या घिर जाने पर भयंकर युद्ध करता है। यह प्रायः पेड़ या पानी वाले स्थानों के पास चट्टानी झाड़ियों में रहना पसंद करता है। शिकार पर अचानक आक्रमण करके उसे मार गिराता है। यदि शिकार इतना बड़ा होता है कि एक समय में पूरा न खाया जा सके तो शिकार (लाश) के अवशिष्ट भाग को पेड़ पर घसीट ले जाता है और किसी शाखा से बांध देता है, ताकि दूसरा जानवर उसे न खा सके [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-भारत के संकटग्रस्त वन्य प्राणी, Nature, सचित्र विश्व कोश, जानवरों की दुनिया] । चित्तपक्ख [चित्रपक्ष] प्रज्ञा. 1/51 Moth of Spotted Wings - चित्तिदार पंख वाला पतंगा । देखें - पतंग चित्तपत्त [चित्रपत्रक] उत्त. 1/148 Butterfly of Spotted wings - चित्तिदार पंख वाली तितली । देखें - किण्हपत्त जैन आगम प्राणी कोश चित्तलणा [चित्रलक] प्रज्ञा. 1/66, जम्बू. 2/136 White Spotted Antelope - चीतल (हिरण की एक जाति) आकार - सामान्य मृग की भांति । लक्षण - शरीर का ऊपरी रंग भूरा-पीला धब्बे युक्त तथा नीचे का रंग सफेद होता है। मादा के सींग नहीं होते । विवरण- भारत के अनेक स्थानों पर पाया जाने वाला यह प्राणी मृग जाति में सबसे अधिक सीधे स्वभाव का है। पालतू चीतल बाजारों, गलियों में घूमते हुए नजर आते हैं। द्रष्टव्य - राजस्थानी शब्द कोश चित्तलि [चित्रल, चित्रलन् प्रज्ञा. 1/71 A kind of Cobra - नाग की एक जाति, चित्रल, चित्तलि । देखें - नाग [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-जानवरों की दुनिया, Common Indian Snake, Indian Reptiles] चिल्ललक [चिल्ललक] प्रश्नव्या. 1/6 प्रज्ञा. 1/89, दसा. 7/24 Cheetah - चीता । आकार - सिंह और तेंदुआ से बड़ा । लक्षण - शरीर के ऊपर का रंग लाली लिए हुए पीला Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश 45 धब्बेदार होता है। पूंछ पर काले घेरे होते हैं। पैर लम्बे तथा सिर का भाग छोटा होता है। विवरण-सभी प्राणियों में तेज दौड़ने वाला यह प्राणी भारत, अफ्रीका आदि के घने जंगलों में पाया जाता है। यह कुशल शिकारी एवं अच्छा तैराक भी होता है। शिकार पर बड़ी चतुराई से छलांग लगाकर हमला करता है। यह 30-40 फीट तक छलांग आसानी से लगा सकता है। छप्पय [षट्पद] जम्बू. 2/12 तीन तलाक ABlack bee-भंवरा आकार-लगभग गोबरैला के समान। लक्षण-छह टांगों वाला काले रंग का कीट तथा वृक्षों पर गुंजन करता रहता है। विवरण-भंवरा बीटल [Beetle] गण का सदस्य है। इसके शरीर पर काला चमकीला कवच होता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह किसी एक फूल या एक वृक्ष पर ही आश्रित नहीं होता। अपना भोजन अनेक फूलों व वृक्षों से ग्रहण करता है। इसके काटने से कई बार शरीर पर सूजन आ जाती है। छणविच्छय [छनगवृश्चिक] प्रज्ञा. 1/51 Scorpion of dung-गोबर का बिच्छु विवरण-ये बिच्छु पुराने गोबर के ढेर आदि में पैदा होते हैं। इनका आकार सामान्य बिच्छु से छोटा होता है। चोर [चोर] ठाणं 1/3/15 भग. 9/150/71 Ratel-चोरा, रेटेल आकार-भालू से काफी छोटा।side लक्षण-शरीर पर घने बाल होते हैं, जिनका रंग हल्का भूरा तथा सफेद नीला होता है। पीठ का रंग निचले भाग के रंग से कुछ हल्का। पंजों के नाखून काफी बड़े होते हैं जिनकी सहायता से यह पेड़ पर आसानी से चढ़ सकता है। विवरण-शहद खाने का शौकीन यह प्राणी अफ्रीका व भारत में पाया जाता है। घने बालों के कारण मधुमक्खियां डंक नहीं मार पातीं। दिन में अपनी मांद में सोता है और रात को शहद की तलाश में निकलता है। शहद के अलावा यह चूहों तथा अन्य छोटे-मोटे जानवरों को भी पकड़कर खा जाता है। यह इतना शक्तिशाली होता है कि धातु की दीवारों वाले कटघरों को छोड़कर अन्य कटघरों को आसानी से तोड़ सकता पूर्ण विवरण के लिए द्रष्टव्य-विच्छुत व जलबिच्छु छीरल [क्षीरल] प्रश्नव्या. 1/8 Snake-Skink-नागर बामणी, सांप की बामणी, बामणी, क्षीरल (उ.प्र.)। आकार-छिपकली से काफी पतली एवं लंबी। लक्षण-शरीर कुछ चपटा तथा पैर पूर्ण विकसित होते [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-हरियाणवी शब्द कोश, सचित्र-विश्व कोश, Nature, Incyclopedia in Colour] छगल [छगल] प्रश्नव्या. 1/6E Goat-बकरा/बकरी। देखें-अय (अज) छप्पय [षट्पद] जम्बू. 2/12 Louse-जूं, छप्पय देखें-जूया हैं। थूथन से मलद्वार तक की लम्बाई 85M.M. तक हो सकती है। पूंछ की लम्बाई मुख्य शरीर से कुछ ज्यादा होती है। निचली पलकों पर आर-पार देखने के लिए पारदर्शक खिड़की होती है। प्रौढ़ का रंग भूरा तथा शरीर Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 46 1 के प्रत्येक चकते के आधार वाले भाग में एक काला धब्बा होता है। बच्चों के पूंछ का रंग लाल होता है। जैसे-जैसे अवस्था बढ़ती है वैसे-वैसे ललाई कम होती जाती है विवरण- इनकी विश्व में 600 प्रजातियां पाई जाती हैं, उनमें एक हैं- स्नेक स्किंक । वैज्ञानिक भाषा में इसे रिओपा पंकटाटा कहते हैं। यह एक निरापद एवं सरल स्वभाव का प्राणी है। इसे हाथ से पकड़ा जा सकता है। प्रश्नव्या. टीका में इसे कांटों वाला प्राणी माना है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - Indian Reptiles, Nature] छीरविरालिया [ क्षीरविडालिका] भग. 7/66, 23/1 प्रज्ञा. 1/76 Skunki civet cat, Weasel-गंध विलाव, स्कंक । आकार - बिल्ली के तुल्य । लक्षण - मुखाकृति नकुल के समान एवं पूंछ लम्बी । शरीर का रंग काला-सफेद । विवरण - नई दुनिया और मध्य अमेरिका से सं.रा. अमेरिका तक पाया जाने वाला यह प्राणी अपने दुश्मन को धमकाने के लिए जमीन पर पैर पटकता है, फुफकारता है और दुम ऊपर उठा लेता है, यदि दुश्मन फिर भी नहीं डरता तो स्कंक तरल दुर्गन्ध की पिचकारी मारता है । चित्तिदार स्कंक या गंध बिलाव जो स्कंक में सबसे छोटा होता है, अपने दुश्मन को भगाने के लिए अगली टांगों से खड़ा होकर शरीर के पिछले हिस्से को उठा लेता है और आगे की ओर झुकी हुई सफेद दुम जैन आगम प्राणी कोश को लहराता है। स्कंक की इस विचित्र मुद्रा को देखकर दुश्मन डर कर भाग जाता । विमर्शः कैयदेवनिघंटु, पृ. 452 में मार्जार के छह भेदों में एक भेद है - सुगंधित वृषण। बहुत संभव है, छीरविरालिया शब्द भी इसी का ही पर्यायवाची होना चाहिए । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- Nature; Incyclapedia in colour, विश्व के विचित्र जीव जंतु] छुद्दिका [छुद्दिका] अंवि पृ. 69 Moles, Shrewis-छछूंदरी 'आकार - चूहे के समान, किन्तु लम्बा । लक्षण - शरीर का रंग काले से लेकर सफेद तक । लम्बाई 2 इंच से 6-7 इंच तक । रोम विवरण - इनकी तारामुखी, रोमिपुच्छी, रेगिस्तानी आदि अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। छछंदर आमतौर से भूमि के अन्दर रहते हैं। दिन में चट्टानों की दरारों, शहतीरों और पत्तियों में छुपे रहते हैं और अंधेरा पड़ने पर शिकार की तलाश में निकलते हैं । यह अपने वजन के बराबर प्रतिदिन आहार करता है। मादा अपने वजन से 2-3 गुणा आहार करती है। कुछ छछंदरों के अगले पैर फावड़े का काम करते हैं। उनके तीखे पंजे भी खोदने के किसी औजार से कम नहीं होते। रात भर में छछूंदर सौ गज लम्बा बिल खोद सकता है 1 Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश ये बड़े खूंखार होते हैं। कभी-कभी ये एक दूसरों को मार डालते हैं। 1 छेलिय [छेलिय] जम्बू. 3/31 Lamb-छोटी बकरी देखें- अय (अज) जंबु [जंबुक] प्रश्नव्या. 3/9 Jeckal - सियार, गीदड़ । देखें- कोल्लग जमग [जमक] जीव. टी. पृ. 286 Black Winged Kite - शकुनि, कपासी, मसुनवा, कृष्णपक्ष चील, जमग । आकार - जंगली कौआ से बड़ा । लक्षण - एक नाजुक मिजाज बाज, जो ऊपर से राख जैसा धूसर तथा नीचे से सफेद होता है। आंखों के ऊपर काली धारी और कंधों पर काले धब्बे होते हैं । विवरण - भारत, लंका आदि देशों में पाया जाने वाला यह पक्षी घने जंगलों और सूखे मैदानों में रहना पसंद नहीं करता। शिकार को पकड़ने के लिए अपने अचल पंखों को शरीर से ऊपर उठाए हुए धीरे-धीरे नीचे उतरता है। जमीन से कुछ दूर पहले पंख बंद कर शिकार पर गिरकर पंजों से पकड़ लेता है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - K. N. Dave Black Winged Kite] जरग्गव [जरद्गव] सू. 1/3/38 अणु. 3/36 Old Ox - बूढ़ा बैल देखें- आवल्ल जरुल [जरुल] प्रज्ञा. 1 / 51 Beetle of Tree-वृक्ष का भृंग, जरुल, कृमिकोश । आकार - तितली से कुछ छोटा । 1 लक्षण - यह वृक्षों के पत्तों को खाकर अपना जीवन यापन करता है । शरीर का रंग हल्का काला जिसमें कहीं-कहीं लाल धब्बे होते हैं विवरण- विशेष रूप से जरुल और शहतूत के वृक्षों पर पाई जाने वाली मादा कीट पत्तों पर अंडे देती है। अंडे क्रमशः लाव, प्यूपा की अवस्थाओं से गुजर कर तितली के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- फसल पीड़क कीट, Incyclopedia in Colour, जानवरों की दुनिया ] 15 जलकारि [जलकारिन्] प्रश्नव्या. 1/10 उत्त. 36/148 Lobster, Crab-केकड़ा, जलकारि, जलचरा (उ.प्र.) आकार - शरीर का आकार गोल, चपटा, लम्बा अनेक प्रकार का । लक्षण - एक फीट तक की लम्बाई वाले इस प्राणी का 47 Hermit orah Spider शरीर कई भागों में विभक्त होता है। अपने पांच जोड़े पैरों में से चार को यह चलने के काम में लाता है। अगले जोड़े जो कि चिमटे के समान होते हैं, उनसे शिकार पकड़ता है। केकड़े की आंख एक बाहर निकले हिस्से पर होती है, जिससे ये किसी भी दिशा में देख सकते हैं। विवरण- केकड़ों की अनेक प्रजातियां हैं, जो अधिकांशतः समुद्रों एवं उनके किनारों पर पाई जाती । आंखों की अपेक्षा इनमें सूंघने व स्पर्श करने की शक्ति ज्यादा होती । यह जीवित व मृत दोनों प्रकार के कीटों को खाता है। हरमिट नामक केकड़ा अपनी रक्षा के लिए घोंघे अथवा शंख के खाली घर में घुस जाता है। इसी घर को लादे वह सौ मील से भी अधिक. की दूरी तय कर लेता है। यह अपने वजन से दस-बारह गुणा वजन लादे आसानी से घूम फिर सकता है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - Nature, Incyclopedia in colour, जानवरों की दुनिया ] जलचारिय [जलचारिक] प्रश्नव्या. 1 / 10 Crab, Lobster-केकड़ा देखें-जलकारि ERINEL hiwe aniqla Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 48 जलविच्छुय [जलवृश्चिक] प्रज्ञा. 1/51 Scorpion of Water - जल का बिच्छु । आकार - सामान्य बिच्छु से छोटा । लक्षण - इसकी आगे की टांगें कुछ मोटी पंजे के समान होती है। विवरण- पानी में पाये जाने वाले इस बिच्छु की पूंछ एक नली के समान होती है जिसके द्वारा पानी में रहते हुए भी यह सांस लेता रहता है। यह पानी में पड़ी पत्तियों के समान प्रतीत होता है। शेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-बिच्छुत जलोउया [जलोतुक] प्रज्ञा. 1/49 A kind of Leech—जलोयुक (जलायुष्क), जौंक की एक जाति । देखें - जलोय (जौंक) जलोय-जलूग [ जलौक] उत्त. 36/129 भ. 13/ 153 अणु. 3/46 प्रज्ञा. 1/49 Leech - जौंक आकार - केंचुए की जाति के प्राणी, जो आकार में केंचुए से छोटे एवं मोटे होते हैं । लक्षण – सामान्य तौर पर देखने से शरीर में कई छल्ले नजर आते हैं। विवरण- अधिकांशतः पानी में रहते हैं। शरीर के एक सिरे पर खून चूसने के लिए मुख होता है। मछलियों व अन्य कीटों पर चिपक कर उनका खून चूसते हैं । समुद्रों, नदियों, झीलों आदि में इनकी पचासों प्रजातियां पाई जाती हैं। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-सचित्र विश्व कोश, Incyclopedia in colour, जानवरों की दुनिया] जलोय [जलौक] प्रज्ञा. 1/78, 49भग. 13/153 उत्त. 36/129 Alpine Swift- बड़ी बतासी, जलौक जैन आगम प्राणी कोश आकार - बुलबुल से कुछ बड़ा । लक्षण - शरीर का रंग ऊपर से गहरा भूरा, नीचे से सफेद । वक्ष के आर-पार एक गहरी भूरी पट्टी तथा दुम छोटी एवं चौकोर । पंख बहुत लम्बे, नोकीले तथा धनुष जैसे होते हैं। विवरण - विश्व भर में इसकी 4 प्रजातियां पाई जाती हैं। काफी तेज तथा काफी देर तक उड़ने वाला यह चर्म पक्षी 130 से 150 K.M. प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। टीलों तथा गुफाओं के बाहर की ओर निकली चट्टानों की दरारों में लार द्वारा चिपकाए पंख, तिनकों आदि की गिद्दी सी बनाकर मादा अंडे देती है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - K. N. Dave पृ. 166] जालग [जालक] उत्त. 36/129 A kind of Worm – जालक, कीट की एक जाति । देखें - कृमि । जालग [जालक] प्रश्नव्या. 1/18 उत्त. 36/129 Spider- मकड़ी देखें-उक्कल जाहक [जाहक] सू. 2/3/80 प्रश्नव्या. 1/8 Hedgehog-जाहक, झाऊ चूहा, कांटों वाला चूहा। आकार-सेही से काफी छोटा । लक्षण - सेही की भांति शरीर पर काले सफेद रंग के कांटे होते हैं। कांटों के नीचे मोटे-मोटे बाल होते हैं । घ्राणेन्द्रिय तीव्र और दृष्टि निर्बल होती है । विवरण - भारत (नील गीरि पर्वत एवं पंजाब, राजस्थान आदि मैदानी भाग) यूरोप, चीन और एशिया में इनकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। इनके शरीर की लम्बाई 8-9 इंच, टांगें छोटी, आंखें भी छोटी होती हैं। शरद ऋतु में अपने बिलों में सोते रहते हैं । चूहों को पकड़ने में यह बिल्ली से भी दक्ष होता है। सांप इसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। यह सांप को आसानी से खा जाता है। अपनी रक्षा के लिए Hedgehod गेंद की तरह गोल होकर, कांटों को खड़ा कर अपने कोमल अंगों को पेट के नीचे छिपा लेता है। भारत में इसे जाहक, झाऊ चूहा, कांटों वाला चूहा आदि Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश 49 नाम से जाना जाता है। विमर्श : राजनिघंटु पृ. 601 में जाहक को कृष्ण गिरगिट का पर्याय तथा कैयदेवनिघंटु पृ. 461 में सर्प आदि का पर्यायवाची माना है।। को लीख कहा जाता है। ये कई बीमारी फैलाने में सहायक होते हैं। इनकी कई जातियां पाई जाती हैं। झस [झस] प्रश्नव्या. 1/5 Fish-मछली, मत्स्य आकार-लंबी, गोल, चपटी, बेलनाकार आदि अनेक प्रकार की। लक्षण-मछलियों का शरीर तीन भागों में विभक्त होता है-सिर, धड़ और दुम। शरीर के ऊपर, नीचे, [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Nature,Manand animals, सचित्र विश्व कोश]opra जीवंजीव [जीवंजीव] प्रज्ञा. 1/78 जम्बू. 2/12 Common or Blue legged bustard Quail-TET, पीछे और दोनों बगल पखनियों के आकार के सुफने गूलु, चकोर, विषदर्शन, जीवंजीव। रहते हैं, जिन्हें पखनियां भी कहते हैं। ये सुफने ही देखें-चउरग (चकोर) मछलियों के हाथ पैर हैं और उन्हीं के सहारे ये इधर-उधर फिरती और अपना संतुलन कायम रखती जुगमच्छ [युगमत्स्य] प्रज्ञा. 1/56 हैं। ये मुंह द्वारा पानी खींचकर उसे अपने गले के दोनों A kind of fish-मछली की एक जाति। ओर के गलफड़ों से बाहर निकालती हैं तो गलफड़ों की देखें-झस तहों की रक्त शिराएं पानी में घुली हुई प्राण वायु को जुवंगव [युवंगव] आ.चू. 4/28 सोख लेती हैं। Young ox-तरुण बैल देखें-आवल्ल विवरण-मछलियों की लगभग विश्व भर में 15000 प्रजातियां पाई जाती हैं। मछलियों में सबसे बड़ी द्वेल जूया [यूका] प्रज्ञा. 1/50 मछली है जिसकी लम्बाई 50 फुट तक होती है। Louse-जूं मछलियों का वजन 100 ग्राम से 150 टन तक हो आकार-यह पिस्सू आदि की श्रेणी का बहुत छोटा सकता है। प्रवाल द्वीप के आस-पास की कुछ मछलियां प्राणी है। अत्यधिक रंगीन व सुन्दर होती हैं। अधिकांश मछलियां लक्षण-छः टांगों वाला बिना पंख का कीट। इसके अंडे देती हैं। कुछ मछलियां तो ऐसी हैं जो 8 से 10 मुख पर कांटे या चिमटे के समान अंग होता है जिससे लाख तक अंडे देती हैं। यह खून चूसता है। विवरण-ये परजीवी हैं अर्थात, परिपक्व अवस्था में झिंगिरा [झिंगिरा] प्रज्ञा. 1/50 [पा.]om गाय, भेड़, कुत्ते, मानव आदि के बालों में निवास करते Cricket-झिंगुर हैं तथा उनके शरीर का खून चूसते हैं। इनके अण्डों आकार-टिड्डे के समान। Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 50 जैन आगम प्राणी कोश लक्षण-शरीर का रंग कत्थई-भूरा । इनकी लम्बी टांगें फुदकने में सहायता करती हैं। सिर पर लम्बे एंटीना निकले होते हैं। लक्षण-प्रायः शरीर का रंग कांस्य भूरा या वलुई-भूरा होता है। पैर लम्बे एवं पतले होते हैं। उड़ते समय काले पंखों में एक सफेद पट्टी चमकती है। विवरण-भारत में इसकी लगभग छः प्रजातियां पाई जाती हैं। जैसे-रक्तवैटल टिट्टिभ, पीतवैटल टिट्टिभ, लघु वलयित टिटहरी आदि। कई टिटहरियों की चोंच कबूतर जैसी भी होती हैं। उड़ते समय यह पक्षी बहत सतर्क रहता है। यह रात को पैर ऊपर करके सोता है तथा अपने अंडों को सूर्य की गर्मी से बचाए रखने के लिए उन पर पानी डालता रहता है। खतरे के समय या उड़ते समय दो अक्षर वाली टी-ई के बीच-बीच में यदा-कदा कुछ ऊंचे स्वर वाली ट्विट, ट्विट, ट्विट जैसी ध्वनि करता है। विवरण-900 प्रकार की विभिन्न प्रजातियां पाई डंस [दंश] जम्बू. 2/40 जाती हैं। नर अपने शरीर से रगड़ पैदा कर के आवाज A kind of Large Sized Mosaquito-डांस उत्पन्न करता है। बैठने पर अपने पंखों को समेट लेता आकार-लगभग .01 मि.मी. से 1 इंच तक लम्बा। है। यह अपनी पीठ पर लगे हुए भूरे चौड़े पंखनुमा लक्षण-तीन भागों में विभक्त शरीर । मुख के आगे लाउडस्पीकर की मदद से तेज आवाज निकालता है। एक डंक नुमा अंग होता है, जिससे यह खून चूसता ये पंख लाउडस्पीकर के अलावा उड़ने वाले पंखों और है। वाद्य यंत्रों का भी काम देते हैं। झींगुर को प्रकृति का विवरण-विश्व में इनकी हजारों प्रजातियां पाई जाती सर्वोत्तम थर्मामीटर कहा जा सकता है। इसके गले से हैं। ये दिन-रात अपने शिकार के लिए घूमते हैं। इनकी बजने वाली घंटी के आधार पर कई लोग तापमान का अधिकतर प्रजातियां खून चूसने वाली एवं मांस खाने पता लगाते हैं। वाली होती हैं। इनके काटने से कई बार शरीर में दाफड़ [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Nature, सचित्र भी हो जाते हैं। विश्व कोश, समानान्तर शब्द कोश, राजस्थानी शब्द कोश Incyclopedia in colour] डोल [डोल] उत्त. 36/147 Locust-टिड्डी, फड़का, विट्टिल (तमिल), मिथा झिंगिरिडा [झिंगिरिडा] प्रज्ञा. 1/50 [पा.] Cricket-झिंगुर देखें-झिंगिर। झिल्लिया [झिल्लिका] प्रज्ञा. 1/50 Cricket-झिंगुर देखें-झिंगिरा। टिटिभी [टिटिभी] विपा. 1/3/20 Plover-टिटहरी, टिटीरी, टिटूरी, जिर्रिआ मिरवा, (तेलुगू), रिड (सिंधी, पंजाबी), पुल मोडु (मलयालम), छोटा वाटन। झिटिका (उड़िया), जिट्टी (कन्नड़), नाकतोड़ (मराठी)। आकार-तीतर से कुछ बड़ा। आकार-लगभग 2 इंच से 5 इंच की लम्बाई वाला। Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश 51 रंग-बिरंगा जंतु। ढिंक [ढिंक] प्रश्नव्या. 1/9 लक्षण-दो भागों में विभक्त शरीर तथा बीच की टांगें Jungle Crow-जंगली कौवा, डाल कौवा,द्रोण काक, लम्बी एवं जुड़ी हुई, सिर पर एन्टीना के समान दो छोटे ढिंक कौआ, बड़ा काक। सींग। देखें-ढंक विवरण-विश्व भर में टिड्डियों की 15 जातियां तथा अनेक उपजातियां पाई जाती हैं। रेगिस्तानी टिड्डी, ढिंकुण [ढिंकुण] प्रज्ञा. 1/51 उत्त. 36/146 प्रवासी टिड्डी और बम्बई टिड्डी-ये तीनों भारत में पाई Flea-पिस्सू, ढिंकुण। मा जाती हैं। इनके विशाल दल बन जाते हैं जो अकल्पनीय आकार-जूं के समान। वृंदों में उड़ान भरते हैं और अपने जन्मस्थान से लक्षण-शरीर का रंग-काला-भूरा। छः टांगें मजबूत . सैकड़ों-हजारों मील तक उड़कर फसलों को चौपट कर पकड़ वाली। कुछ के पंख होते हैं कुछ के नहीं। डालते हैं। तमिल में इसे 'विट्टिल', तेलग में मिथा, विवरण-इसकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। यह सिंधी और पंजाबी में टिड, मलयालम में पुलपोंडु, उड़िया भेड़, कुत्ते आदि के खून से अपना जीवन निर्वाह करता में सिटिका, कन्नड़ में जिट्टी, मराठी में नाकतोड़ और है अर्थात यह परजीवी प्राणी है। बीमारियों के फैलाने हिंदी में फड़का कहते हैं। में इसका बहुत बड़ा योगदान रहता है, जैसे-प्लेग, मलेरिया आदि। ढेलियालग [ढेलियालग] प्रश्नव्या. 1/9 Femal Common Peafown-मयूरनी, मोरनी। देखें-बरहिण ढंक [ढंक] प्रज्ञा. 1/76, जम्बू. 2/40, 137 जीवा. 115 Jungle Crow-जंगली कौवा, डाल कौवा, द्रोण-काक, ढींकड़ा (राजस्थानी), बड़ा काक। आकार-घरेलू कौवे से बड़ा। लक्षण-शरीर का रंग गहरा चमकीला-काला। चोंच संडासी के समान मजबूत पकड़वाली। शरीर की लम्बाई लगभग इक्कीस इंच तक होती णउल [नकुल] सू. 2/3/80 प्रज्ञा0 1/76 Mongoose-नकुल आकार-चित्तिदार लिंगनेश (मांस) से पतला एवं छोटा। विवरण-भारत, पाकिस्तान, लंका आदि में इसकी लगभग 20 प्रजातियां पाई जाती हैं। नर-मादा में कोई विशेष अन्तर दिखाई नहीं देता। मानव बस्ती के आस-पास अकेले या जोड़ों में या अस्थाई टोलियां बनाकर रहना पसंद करते हैं। शेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-काक लक्षण-शरीर का रंग कत्थई-भूरा। सिर नुकीला। आंखों का रंग लाल एवं पूंछ अपेक्षाकृत लम्बी। विवरण-भारत में इसकी छः प्रजातियां पाई जाती हैं। बहुत फुर्तीला व तेज होने के कारण यह सांप को Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 52 आसानी से मार देता है। दुश्मन को भगाने के लिए अपनी रक्षक ग्रंथियों से तेज गंध वाला द्रव्य छोड़ता है। बिल में रहने वाला यह प्राणी पानी में भी आसानी से तैर सकता है । गंदीमुह [नंदीमुख] प्रज्ञा. 1/9 औ प. 6 Blackbeaded orioll - पीलक कृष्णशीर्ष ओरिओल, नंदीमुख । आकार - मैना के तुल्य । लक्षण - स्वर्ण की भांति पीला शरीर । सिर, कंठ तथा ऊपरी वक्ष बिल्कुल काला । चमकीली गुलावी चोंच । गहरी लाल आंखें। मादा के सिर का काला रंग हल्का होता है । विवरण- विश्वभर में इसकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। उड़ते समय बांसुरी की सी आवाज निकालता है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - K. N. Dave पृ. 78] णंदियावत्त [नन्द्यावर्त] प्रज्ञा 1/49 जम्बू. 3/178, 4/28 A kind of Conch Shell - शंख की एक जाति । देखें-संख और संखनग णक्क [नक्र] प्रज्ञा. 1/56 A kind of Timfish - तिमि मत्स्य की एक जाति । विमर्श - Apte, Williams अदि कोशों में नक्र शब्द का अर्थ मगरमच्छ, घड़ियाल किया है। किंतु प्रज्ञापना 1/56 में नक्र शब्द तिमि, तिमिंगल के अन्तर्गत आया । अतः नक्र शब्द का अर्थ तिमि तिमिंगल मत्स्य की एक जाति होनी चाहिए। कारण कि घड़ियाल, मगरमच्छ का वर्णन प्रज्ञा. 1/55 में किया जा चुका है । जैन आगम प्राणी कोश गिंद [नागेन्द्र] आ. चू. 15/28/12 King Cobra - शेषनाग, शंखचूड । देखें- भुयईसर णीणिया [नीनिका] प्रज्ञा. 1/51 [पा.] A kind of Caipsid bug-कैपसिट कीट की एक जाति । देखें - अंधिया । उर [णेउर] प्रज्ञा. 1/49 दसा. 10/12 A kind of Worm कृमि की एक जाति, झिटिका (उड़िया) नउरा (तमिल), निरा (मलयालम) आकार- 1 मिलीमी. से कुछ इंच तक लम्बा । लक्षण - शरीर का रंग हल्का भूरा। नवजात वृक्षों एवं पौधों के तनों में निवास करता । विवरण - इसकी अनेक जातियां पाई जाती हैं। यह पौधों आदि के तनों में रहकर उनका गुदा खाता है, जिससे पौधे दिन-प्रतिदिन सूखते जाते हैं । यही कीट पूर्ण वयस्क होने पर तितली का सा रूप धारण कर लेता है। 1 [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- फसल पीड़क कीट, Incyclapedia in Colour] णेउर [णेउर] प्रज्ञा. 1 / 51 A kind of Insect कीट की एक जाति । देखें- उर (II) 1981 तउसमिंजिया [त्रपुषमिंजका] प्रज्ञा. 1/50 उत्त. 36/138 Tausmingiya-कटसरैया कीट, हल्दी कस्तूरी कीट, खीरा कीट । आकार - जूं से कुछ बड़ा । लक्षण - शरीर का रंग भूरा सफेद। मुंह के आगे दो चिपटे नुमा अंग 1 विवरण - कटसरैया, हल्दी, कस्तूरी और खीरा की बेल पर उत्पन्न होने वाला यह कीट अपने चिमटे नुमा अंग से रस पीता है । अत्यधिक मात्रा में इसका आक्रमण पौधे के लिए घातक होता है 1 Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-फसल पीड़क कीट, चावल के दाने के बराबर होता है। वे अपने मन में सचित्र विश्व कोश] ऐसा विचार करते हैं, यदि हमारा शरीर इन मत्स्यों के समान होता तो मुंह से एक भी प्राणी न निकल पाता, तंतवग [तन्तवक] उत्त. 34/148 हम संपूर्ण को खा जाते। इस प्रकार के अशुभ Cockroach-तिलचट्टा। अध्यवसाय के द्वारा मृत्यु को प्राप्त कर वे नरक में जाते आकार - लगभग 4-5 हैं। शेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-तिमि। C.M. लम्बा कीट। (1) दिगम्बर परम्परा के अनुसार तंदुल नामक मत्स्य लक्षण - सामान्यतः कान में रहता है। शरीर का रंग भूरा लाल। सिर पर दो बड़ी पीछे की तणविंटिय [तृणवृन्तक] प्रज्ञा. 1/50 [पा.] ओर मुडी हुई सींग जैसी A kind of Trogoderma Gramarium evertsमूंछे। खपराकीट की एक जाति। देखें-पुष्पविंटिय विवरण-इनकी लगभग 3500 प्रजातियां पाई तणाहारा [तृणाहारा] प्रज्ञा. 1/50 उत्त. 36/137 जाती हैं, जिनमें Grop Pest-तृणाहारक, पत्राहारक । देखें-पत्ताहारक अधिकांशतः उष्ण तयाविस [त्वचाविष] प्रज्ञा. 1/70 कटिबंध स्थानों एवं कुछ ठंडे स्थानों में पाई जाती हैं। A kind of Cobra-त्वचाविष (चमड़ी में विष वाले) यह एक रात्रिचर कीट है। दिन डूबते ही अपने भोजन की खोज में निकलता है। खाने-पीने के मामले में बड़ा विचित्र होता है। एक महीने तक तो यह बिना खाए-पिए तरच्छ [तरक्ष] प्रश्नव्या. 1/6 आ.चू. 1/52 भग. 03/209 ज्ञाता 1/1/178 रह सकता है। सिर्फ पानी ही मिल जाए तो दो माह Hyena-लकड़बग्घा। तक बिना खाए रह सकता हैं. और अगर सखा खाना मिल जाए तो पांच महीने तक पानी की भी चिंता नहीं करता। सर्दी-गर्मी को सहन करने की इसमें अद्भुत क्षमता होती है। 48 घंटे फ्रीज में रख देने के बाद भी मरता नहीं है। इसके पैरों के जोड़ों पर काले छोटे-छोटे बाल इतने संवदेनशील होते हैं कि जरा-सी आहट सुनते ही सेकंड के 54 हजारवें हिस्से में वहां से खिसक जाता पतहा अपन भाजन देखें-नाग विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Nature, आकार-कुत्ते से बड़ा। Incyclopedia in Colour] लक्षण-शरीर का रंग चितकबरा। अगली टांगें पिछली तंदुलमच्छ [तंदुलमत्स्य] प्रज्ञा. 1/56 टांगों से कुछ बड़ी। इसके पंजे और जबड़े इतने मजबूत A kind of Fish, Ricefish-तंदुलमच्छ, मत्स्य की होते हैं कि बड़े से बड़े बैल की हड्डियों को तोड़कर चवा एक जाति। डालता है। विवरण-तिमि, तिमिंगल आदि मत्स्यों के आंख के विवरण-यह भारत, अफ्रीका और एशिया के पश्चिम भौओं में तंदुल नामक मत्स्य रहते हैं, जिनका आकार भागों में पाया जाता है। ताकतवर और बड़ा जानवर Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 54 होते हुए भी डरपोक होता है । इसलिए यह प्रायः दूसरे जानवरों द्वारा शिकार किए गए जानवरों के बचे-खुचे भाग को खाता है । चितकबरे लकड़बग्घे को चिंघाड़ने वाला लकड़बग्घा भी कहते हैं। क्योंकि भोजन पाने पर यह एक प्रकार की भयानक आवाज करता है । विमर्श : राजनिघंटु पृ. 563 में तरक्ष शब्द का अर्थ लकड़बग्घा तथा कैवदेवनिघंटु पृ. 442 में तेंदुआ, बाघ और पृ. 451 में भेड़िए का पर्यायवाची माना है । तिड्ड, तिड्डय [तिड्डु, तिड्डय] वृ. टी. पू. 675 अनु. टी. पृ. 4 Locust - टिड्डी देखें- डोल तित्तिर [तितिरि] सू. 2/2/6, 20 प्रश्नव्या. 1/9 उवा. 7/50 Common Sandgrouse-भट तीतर, तीतर आकार - कबूतर के समान । लक्षण - शरीर का रंग पीलापन लिए हुए। वक्ष में एक पतली काली आड़ी रेखा । मादा के पूरे शरीर में काले धब्बे तथा चित्तियां होती हैं। पूंछ छोटी एवं नुकीली । विवरण - असम को छोड़कर पूरे भारत में पाया जाने वाला यह पक्षी 10-12 पक्षियों के झुंड में रहना पसन्द करता है। उड़ते समय दो स्वर वाली कुट-रो जैसी बोली द्वारा पहचाना जाता है 1 तत्तिर [तित्तिरि] सू. 2/2/6 ज्ञाता. 1/17/36 उवा. 7/50 प्रश्नव्या. 1/9 Grey Partridge - तीतर, धूसर तीतर । आकार - कबूतर से कुछ बड़ा रोम पक्षी । लक्षण - पंखों का रंग पीला-सफेद तथा पीला-लाल । काले रंग की धारियां होती हैं। पूंछ छोटी एवं धूसर रंग की । 'विवरण - असम को छोड़कर भारत के शुष्क स्थानों पर पाया जाने वाला यह पक्षी भागने में काफी तेज होता है । पीछा करने पर उड़ते समय कतीइतर- कतीइतर या पतीइला - पतीइला जैसी ध्वनि करता है । जैन आगम प्राणी कोश तिंदुग [तिन्दुक] उत्त. 36/138 Beetle of Ebony tree-तेंदु के फल का भृंग आकार - मक्खी से कुछ बड़ा । लक्षण - शरीर का रंग हल्का भूरा । विवरण - यह तेंदु नामक फल के ऊपर रहने वाला कीट है। फल के अन्दर छेद कर फल को नष्ट कर देता है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- फसल पीड़क कीट, सचित्र विश्व कोश ] तिमि [तिमि] प्रज्ञा. 1 / 56 A Kind of Fish, Timifish - तिमि मत्स्य, वज्राभ, कुलिश । विवरण - तिमि - तिमिंगल आदि मत्स्य स्वयंभू समुद्र में रहते हैं। शरीर की लम्बाई 1000 योजन की होती है । ये छह मास तक अपना मुंह खोलकर नींद लेते हैं। नींद खुलने के बाद आहार में लुब्ध होकर अपना मुंह बंद कर लेते हैं, तब उनके मुंह में जो मत्स्य आदि प्राणी आते हैं, उनको वे निगल जाते हैं। विज्ञान ने अभी तक जितने प्राणी की खोज की है, उन सबकी लम्बाई-मोटाई तिमि, तिमिंगिल आदि मत्स्यों से अत्यन्त कम है, जो कि वैज्ञानिकों के लिए एक खोज का विषय है । (जिनेन्द्र कोश - भाग - 4 पृ. 129 ) विमर्श: कैयदेवनिघंटु में तिमि को सौ योजन विस्तृत कहा है। तिमिंगल [ तिमिंगल] प्रज्ञा. 1/56 Timingal Fish - तिमिंगल मत्स्य देखें - तिमि तिल्लहटिका [तिल्लहटिका] नंदी टी. पू. 133 Squirrel - गिलहरी देखें - कमेड (गिलहरी) तुरग [तुरग] आ. चू. 15/28 भग 11 / 138 ज्ञाता. 1/16/ 283 प्रश्नव्या. 3/5 Horse घोड़ा देखें - अस्स (अश्व ) तेदुरणमज्जिया [तेदुरणमज्जिया] प्रज्ञा. 1/50 [पा.] A Kind of Insect—तेदुरणमज्जिया देखें- हालाहल Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश .55 तोट्ठा [तोट्टा] प्रज्ञा. 1/515 लक्षण-शरीर के आगे का भाग दैत्य के समान, और Silk-worm, Silk-Cocoon-कृमिकोश, रेशम का पीछे का भाग मछली के तुल्य होता है। सिर पर दो कीट। देखें-कोसिकारकीड लम्बे सींग तथा हाथ बड़े-बड़े। चमकता हुआ [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-फसल पीड़क कीट, लाल-काले रंग का शरीर। Incyclopedia in colour] विवरण-15वीं शताब्दी में इसे Adriatic Sea में सर्वप्रथम देखा गया। वैज्ञानिकों के मतानुसार वर्तमान दंस [दंश] आ. चू. 6/61 सू. 1/3/12 ज्ञाता. में यह विलुप्तप्राणी है। 1/1/17 [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Manand animals, A kind of Large Sized Mosaquito-TH सूत्र. चूर्णि पृ. 158] देखें-डंस दहुर [दर्दुर] औ. 51 जीवा. 3/10 सूर्य. 20/2 दगतुंड [दगतुंड] प्रश्नव्या. 1/9 प्रज्ञा. 2/49 तक Laggar-falcon-लग्गर, रघट खगान्तक, दगतुंड। FROG-मेंढक आकार-जंगली कौवें से कुछ बड़ा। देखें-मंडुक्क दद्दुर दर्दुर] औप. 57 जीवा. 3/10 प्रज्ञा. 2/49 Frog-Bird, Night-Jar-छिपक, दाब-चिरी, चपक, नाइटजार। लक्षण-राख जैसा भूरा बाज (श्येन) जिसके निचले भाग में भूरी धारियां होती हैं। आंखों के आगे-पीछे से पतली भूरी मूंछ जैसी धारियां नीचे की ओर जाती हैं। विवरण-केवल भारत में पाए जाने वाला यह पक्षी शिकार करने में दक्ष होता है। उड़ते हुए शिकार पर झपट्टा मारने तथा उनका पीछा करने में इनके जोड़े मिल आकार-मैना से कुछ छोटा। कर काम करते हैं। कबूतरों के लिए यह यमराज के लक्षण-शरीर का रंग धूमिल पीला तथा गेहुंआ। जिस तुल्य होता है। पर धूसर बिन्दियां होती हैं। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. 221] विवरण-मुलायम पंखों वाला यह पक्षी रात्रि में ही शिकार करता है। झाड़-झंखाड़ वाले क्षेत्रों में अकेला दगरक्ख स [जलराक्षस] सू. 1/7/15 रहना पसंद करता है। बिना पंख फड़फड़ाए यह काफी Seadevil-जलराक्षस (मनुष्य की आकृति वाला दूर तक उड़ सकता है। इसकी बोली चुक-चुक-चुक-र-र-री जलचर प्राणी जो समुद्रों में रहता है।) की होती है। आकार-मनुष्य की आकृति से मिलता-जुलता [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. 171, जलचर प्राणी। चरक 1/27] Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 56 दब्भपुप्फ [दर्भपुष्प] प्रश्नव्या 17 प्रज्ञा. 1/70 Leaf-nosed snake-दर्भपुष्फ सर्प, दर्भकुसुम, पत्रपुष्फ । आकार - लगभग 4-5 फीट तक लम्बा । लक्षण - शरीर का रंग भूरा लाल । पत्ता या दर्भ की भांति मुख । विवरण- घने जंगलों में पाया जाने वाला यह सर्प साधारण सर्पों की अपेक्षा विषैला होता है। क्रोधावस्था में पत्र के आकार का फन फैलाकर फुफकारता है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- Encyclopedia in colour, Indian Reptiles, Indian Common Snake] दव्वीकर [दवकर प्रज्ञा. 1/70 4/9 The Expanded hood of a Snake, A snake having Hood-फन वाले सांप । आकार- छोटे, बड़े लगभग सभी आकार के । लक्षण - इन सर्पों का सिर चिपटा, मुड़ा हुआ थूथनी के समान होता है, जिसके पीछे गरदन की खाल फैल कर फन का रूप धारण कर लेती है। ये प्रायः सभी रंगों में पाए जाते हैं । विवरण- फन वाले सर्पों की अनेक जातियां पाई जाती हैं। ये अन्य सर्पों की अपेक्षा विषैले, शीघ्र कुपित होने वाले तथा डरावने होते हैं। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - जानवरों की दुनिया ] दिट्टिक्स [दृष्टिविष] प्रज्ञा. 1/70 A kind of Cobra-दृष्टिविष (दृष्टि में विष वाले) विवरण - दृष्टिविष नाग की ही एक प्रजाति है । यह दृष्टि से विष प्रक्षेप करता है। वर्तमान में प्राप्य सर्पों में इस प्रकार की जाति का सर्प प्राणी - शास्त्रज्ञ के लिए अभी तक खोज का विषय है। दिली [दिली] प्रज्ञा. 1 / 58 A Kind of Crocodile - घड़ियाल की एक जाति देखें- ग्राह दिलिवेढ्य [ दिलिवेष्टक] प्रश्नव्या. 1/6 Sea-horse Hippocampus-पंछ से लपेटने वाला जलीय प्राणी, समुद्री घोड़ा । आकार -4-30 सेमी. लम्बा घोड़े के आकार का प्राणी । लक्षण - मुंह शेष शरीर से लगभग समकोण पर मुड़ा होता है। दोनों आंखों को यह अलग-अलग घुमा सकता है। पानी में खड़े-खड़े तैरता है। शरीर छोटी-छोटी हड्डी की प्लेटों से ढंका रहता है। विवरण - विश्व के सभी जैन आगम प्राणी कोश | महासागरों में पाया जाने वाला यह मत्स्य अपनी पूंछ को किसी पौधे में लपेटकर जल में खड़ा रहता मादा - समुद्री घोड़ा अपने अंडे नर की पीठ पर बनी एक थैली में देती है। इसी थैली में अण्डों का निषेचन तथा विकास होता है। विश्व भर में इनकी सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती हैं। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-incyclopedia in colour, Man and Animals] दिव्वा [दिव्या] प्रज्ञा. 1/71 [पा.] Koral - कोरल, दीप्ति युक्त चमकीला सर्प । आकार - 2 से 3 फीट लम्बा । लक्षण - सिर छोटा तथा शरीर पर अत्यन्त सुंदर चित्रकारी । विषदंत बहुत लम्बे । विवरण - इनकी अनेक जातियां अमेरिका महाद्वीप में पाई जाती हैं। ये असाधारण मनोहर होते हैं । उन पर अत्यन्त सुंदर चित्रकारी बनी रहती हैं। उन्हें देखने से ऐसा प्रतीत होता है मानो चमकते हुए चटकीले लाल और पीले मूंगे के छिलके एक के पीछे एक जड़ दिए गए हों। आश्चर्य की बात है कि ये सर्प अत्यन्त विषैले होते हैं। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-जानवरों की दुनिया, Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश Poisonous Snakes of Southern Africa] दीविग [द्विपिक] आ.चू. 1/52 ज्ञाता. 1/1/39 प्रश्नव्या 1/6 Leopard-चित्तिदार तेंदुआं । आकार - सामान्य तेंदुए से कुछ बड़ा । लक्षण - मोटे, कोमल तथा सुंदर फर वाली त्वचा । बर्फीले प्राकृतिक आवास के साथ मेल खाती हुई गुलाब के गुच्छे जैसी पीले स्लेटी धब्बों से युक्त शरीर । विवरण- भारत एवं अफ्रीका के घने जंगलों में यह अक्सर घने वृक्ष के ऊपर पाया जाता । यह एक कुशल शिकारी है, जो अपने शिकार को वृक्ष के ऊपर ले जाकर वृक्ष की डालियों से बांध देता है। विमर्श: अथर्ववेद, 4, 8, 7, 6 और मैत्रायणी संहिता 2, 1, 9 में द्विपिन का अर्थ तेंदुआ तथा राजनिघंटु पृ. 591 में व्याघ्र का पर्यायवाची माना है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - Nature, संकटग्रस्त वन्य प्राणी] दीविय [द्विपिक] प्रश्नव्या 1/9 Spotted Dove-चित्रक फाखता, चित्ता फाखता, पर्की । आकार - मैना और कबूतर की भांति । लक्षण - शरीर का रंग सफेद चित्तिदार तथा गुलावी भूरा । पश्चग्रीवा पर शतरंज जैसे सफेद-काले धब्बे । नर-मादा दोनों एक से होते हैं। विवरण - भारत, लंका आदि देशों में पाया जाने वाला यह पक्षी न छेड़ने पर काफी निडर और पालतू सा हो जाता है। अन्य पण्डुकों की तरह ही जल्दी-जल्दी पंख फड़फड़ाकर तेज तथा जोरदार उड़ान भरता 1 [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - K. N. Dave पृ. 11] दुलि [दुलि] उशाटी. पृ. 400 Tortoise, Turtle-कच्छप देखें- कच्छभ 57 ओवत्ता [द्वितआवर्त] प्रज्ञा. 1/49 A Small Shell or A kind of Shell-द्वि आवर्त (शंख का एक प्रकार) । देखें-संख और संखनग दोल [दोल] प्रज्ञा. 1 / 51 Locust of green colour-हरे रंग की टिड्डी, खडमाकड़ी (गुजरात) आकार - टिड्डी के समान । लक्षण - शरीर का रंग हरा । प्रायः बरसात के दिनों में ही देखी जाती है । विवरण - मकई, बाजरा आदि के खेतों में इनके दल फसलों को अत्यधिक नुकसान पहुंचाते हैं। इनका डंक भी मधुमक्खी के समान खुजली पैदा करता है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-जीव विचार प्रकरण] धत्तरट्ठ [धार्त्तराष्ट्र] प्रश्नव्या. 1/9 Barheaded goose - कलहंस, धृतराष्ट्र । देखें- कलहंस [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-हरिवंश पुराण 2/91/36 वेणीसंहार 1/6] धवलवसह [धवलवृषभ] अनु. 353 White Ox - सफेद बैल देखें- आवल्ल [] आ. चू. 4/ 28, दश. 7/25 उत्त. 20/36 Cow - गाय देखें - गाव Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 58 नंदमाणग [नदमाणक] प्रश्नव्या. 1/9 Song Birds - गायक चिड़िया, नंदमाण । आकार - गौरेया के समान । 1 लक्षण - शरीर का रंग कुछ भूरा तथा सफेद धब्बों से युक्त । चोंच छोटी एवं पूंछ लम्बी होती है। विवरण- भारत में पाया जाने वाला यह पक्षी अपनी गायन कला के द्वारा पहचाना जाता । मधुर बोली के कारण लोग इसे बड़े शौक से पालते हैं [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-सचित्र विश्व कोश, K.N. Dave पृ. 124] । नंदावत्त [नन्दावर्त्त] प्रज्ञा. 1/51, उत्त. 35/147 A Kind of Spider- मकड़ी की एक जाति । देखें - कोली नाग [नाग] प्रज्ञा. 2/30 जम्बू. 3/185 Cobra - नाग आकार - सामान्य सर्पों की तुलना में लम्बे एवं बड़े आकार वाले । लक्षण - सिर चिपटा, मुडा हुआ, थूथनी के समान होता है, जिसके पीछे गर्दन की खाल फैलकर फन का रूप धारण कर लेती है। यह फैलाव पसलियों के फैलते ही खाल के तन जाने से होता है। इनका रंग जैतूनी या गहरे भूरे से लेकर बिल्कुल काला तक होता है, जिसमें जहां-तहां पीलापन और कालिमा लिए हुए पट्टियां होती हैं। शरीर की लम्बाई 11 फुट से 18 फुट तक होती है । 100 जैन आगम प्राणी कोश विवरण - भारत वर्ष के अतिरिक्त यह बर्मा, इन्डोचीन, दक्षिणी चीन, अंडमान द्वीप समूह आदि में पाया जाता है। इनकी अनेक जातियां हैं जैसे- शेष नाग, महानाग, नागराज, शंखचूड आदि । नागराज विश्व का सबसे अधिक विषमय तथा घातक सर्प है। यह बहुत ही फुर्तीला एवं शीघ्रगामी होता है। यह दौड़ में घोड़े को भी पछाड़ देता है। अफ्रीका में अनेक प्रकार के नाग पाए जाते हैं। उनमें वृक्ष कोबरा अथवा माम्बा अत्यंत भयानक एवं विषैला सर्प है, जो 13 फीट तक लम्बा होता है। प्रसव काल तथा वर्षा के पश्चात इसका क्रोध और भी तीव्र हो जाता है। जरा-सी भी छेड़छाड़ करने पर यह सीधा शत्रु पर टूट पड़ता है। इसके विष का प्रभाव शरीर में बहुत तीव्रता से होता है। क्योंकि इसका विष सीधा तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव डालता है। इसके काटने पर पहले दर्द होता है। फिर कुछ समय बाद विष तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क तक पहुंच जाता है । अतः इसके द्वारा डसा गया प्राणी मृत्यु को ही प्राप्त होता है नाग [नाग] उत्त. 13/30 दसा. 10/18 Elephant-हाथी । देखें - कुंजर (हाथी) निस्सासविस [निःश्वासविष] प्रज्ञा. 1/70 A Kind of Cobra— निःश्वास विष (श्वास में विष छोड़ने वाले) आकार - प्रायः 8-10 फीट लम्बा । लक्षण - शरीर का रंग काला किंतु सफेद चकत्तों से युक्त । क्रोधित होने पर निःश्वास के साथ विष छोड़ता. है 1 विवरण- इनकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं, जैसे- प -पफ ऐंडर, बुलस्नेक आदि । अफ्रीका का पफ ऐंडर नामक सर्प फेफड़ों में खूब हवा भरकर नथुनों से ऐसी तीव्रता से निकालता है कि सनसनाती हुई उसकी फुफकार बड़ी दूर तक सुनाई देती है। उत्तरी अमेरिका का 'बुलस्नेक' अर्थात सांड़ सर्प ऐसी तेजी से आवाज निकालता है कि वह 30 या 35 गज दूरी तक सुनी Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश 59 जा सकती है। झुकी हुई पीली आंखें। नर-मादा दोनों एक से प्रतीत [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-जानवरों की दुनिया, होते हैं। Snakes of Southern Africa) नीय [नीच] उत्त. 36/148 'AKind of Cockroach-तिलचट्टा की एक जाति देखें-तंतवग नीलच्छाय नीलच्छाय] ज्ञाता. 1/7/13 FairyBlue bird-ललिता (मलयालम), पाना-काराख कुरुबी (तमिल) नील-परी। आकार-मैना से कुछ बड़ा। लक्षण-शरीर का रंग गहरा नीला जिसमें सफेद एवं विवरण-भारत, लंका, नेपाल आदि देशों में पाया काले धब्बे से होते हैं। आंखें लाल तथा पैर काले। पूंछ जाने वाला यह पक्षी गांवों, खंडहरों तथा पुराने पेड़ों के अपेक्षा कृत लम्बी एवं झबरीली। कोठरों में देखा जाता है। यह एक समतापी प्राणी है। विवरण-केवल भारत में पाया जाने वाला यह एक इसके शरीर का तापमान वातावरण के अनुसार घटता,. शाकाहारी प्राणी है। यह अन्य शाकाहारी पक्षियों के बढ़ता नहीं है सदा एक सा रहता है। इसकी आवाज साथ फल वाले वृक्षों पर देखा जाता है। पूंछ के तेज काफी रुक-रुक कर सुनाई देती है। कभी-कभी यह झटकों के साथ हर दो पल पश्चात एक-दो सुर वाली चहचहाट या खिलखिलाकर हंसने जैसी ध्वनि उत्पन्न तालवाद्यी कठोर सीटी-व्हीट् अर्थात पीपिट दोहराता है। करता है, जिसे सुनने पर ऐसा भ्रम होता है, मानो [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. 71, एकान्त अंधेरे में कोई हंस रहा हो। 138, अष्टांग हृदय-1939] [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave, पृ. 177, 178] विद्यारहवाम नीलपत्त [नीलपत्र] प्रज्ञा. 1/51 Butterflyof Blue Wings-नील पत्र वाली तितली पक्खिविराली [पक्षिविडाली] भग. 13/9 प्रज्ञा. देखें-किण्हपत्त 1/79 नीलमिग [नीलमृग] आ.चू. 5/15 निसि. 7/10, Flying fox, the large fruit Bat-उड़ने वाली 17/12 लोमड़ी, बड़ी चमगादड़। Blue Deer-नीलमृग आकार-लोमड़ी के समान मुखाकृति वाला प्राणी। देखें-किण्हमिय लक्षण-शरीर का रंग काला-कत्थई तथा भूरा । अगले पैर पंखों में परिवर्तित होने वाले। दो बड़े कान तथा पंगुल [पंगुल] प्रश्नव्या. 1/37 तीखे-दांत। The spotted owlet-खकूसट, खूसटिया, चुगद, विवरण-भारत, एशिया, अफ्रीका आदि देशों में पाया बिन्दुकित उलूक। जाने वाला यह एक स्तनधारी प्राणी है। इन्हें टेरोपस आकार-मैना से कुछ बड़ा। जिगैटियस नाम से जाना जाता है। दिन भर बांस, आम, लक्षण-गोल, बड़ा सिर वाला उल्लू। शरीर का कटहल आदि के वृक्ष पर लटके रहते हैं, रात को फलों रंग-धूसर भूरा तथा सफेद चित्ति युक्त। आगे की ओर की खोज में निकलते हैं, ये गले से एक विशेष तरह Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 60 जैन आगम प्राणी कोश की ध्वनि निकालते हैं। जो सामने की किसी वस्तु से धारियां होती हैं। आंखें बड़ी एवं गोल। भिन्न-भिन्न टकराकर जब लौटती है तो उस वस्तु की स्थिति देशों में इनका रंग भी भिन्न भिन्न होता है। आकृति, चरित्र और गुणों के बारे में सारी सूचना ले विवरण-भारत, लंका, बर्मा, आस्ट्रेलिया आदि देशों आती हैं। में इनकी अनेक जातियां पायी जाती हैं। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. यह सर्प एक वृक्ष से दूसरे वृक्ष पर जाते समय अथवा 197] वृक्ष से नीचे जमीन पर आने के लिए एक विशेष प्रकार की छलांग भरता है। यह 50 मीटर तक हवा में उड़ पडागा [पताका] प्रज्ञा. 1/56 सकता है। A fish having a flag, Monster-पताका वाली [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Indian Reptiles, मछली। common Indian Snake, Snakes of Southern आकार-कछुए की मुखाकृति वाली मछली। Africa] लक्षण-शरीर का रंग गहरा-भूरा। पंख सिलवटे (सिल्क) युक्त। पंख (पताका) की लंबाई 6 फुट । कुल पडागातिपडागा [पताकातिपताका] प्रज्ञा. 1/56 शरीर की लम्बाई लगभग 50 फुट। Sea Cow, Flying Fish-समुद्री गाय, उड़ने वाली विवरण-महासमुद्रों में पाया जाने वाली यह मछली मछली। अत्यन्त तीव्रता से तैरती है। तैरते समय शरीर 6-7 आकार-गाय की आकृति वाली मछली। या फुट पानी से ऊपर रहता है। सर्वप्रथम ब्राजील के समुद्री लक्षण-शरीर का रंग काला-सफेद। सींग बड़े और तट के पास प्राणी-शास्त्री माइकन जोहन, निकल और काले, ललाट पर सफेद पट्टा। गले की लं. 20 फीट। E.G.B. मीड वाल्डो ने सन् 1905 में इस मछली को कुल शरीर की लं. 60 फीट। देखा था। विवरण-महासमुद्रों में पाई जाने वाली इस मछली के [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-ManandAnimals] शरीर पर पंख (पताका) होते हैं। जो तैरते समय पानी से 4 फीट तक ऊपर रहते हैं। पंख का रंग काला त्रिकोण पडागा [पताका] प्रज्ञा. 1/71 [पा.] सा दिखाई देता है। सर्वप्रथम इसे विश्व महायुद्ध के Flying-Snake, Golden Tree-Snake-पताका समय ग्रेट ब्रिटेन के कैप्टन FWDeen ने देखा था। वाला सर्प, उड़ने वाला सर्प,कालाजीन, माल-कारावला। विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Manand Animals आकार-लगभग 3-5 फीट लम्बा। सचित्र विश्व कोश लक्षण-शरीर का रंग काला, जिस पर हरी-पीली पड्डिका [पड्डिका] विपा.टी.प. 48 Calf-पाड़ी, बछिया। देखें-गाव (गाय) पत्तविच्छ्य [पत्रवृश्चिक] प्रज्ञा. 1/51 Scorpion of Leaf-पत्रबिच्छु, पत्रवृश्चक। विवरण-पुराने पत्तों के ढेर में उत्पन्न होने वाला यह बिच्छु साधारणतया अन्य बिच्छुओं की अपेक्षा छोटा एवं खतरनाक होता है। [शेष-विवरण के लिए द्रष्टव्य-विच्छुत] Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश पत्ताहार [ पत्राहार] प्रज्ञा. 1/50 उत्त. 36/137 Crop Pest - पत्राहारक आकार - शुंडी के समान । लक्षण - शरीर का रंग अनेक प्रकार का । विवरण- इन कीटों का शरीर मुलायम एवं अनेक पैर वाला होता है। इनकी प्रारम्भिक अवस्था लार्वा है, जो पत्तों को खाती है । पयंग [पतंग] प्रज्ञा. 1/ 51 उत्त. 36/146 Moth - पतंग आकार-तितली. के समान । लक्षण - तीन भागों में विभक्त शरीर एवं छः पैर । पंखों पर चिमड़े (Scales) बने होते हैं। विवरण-पतंगों की लगभग 5 हजार प्रजातियां पाई जाती हैं। तितली की भांति पंखों का रंग अनेक प्रकार का होता है। पतंगें रात में ही भोजन के लिए निकलते हैं। इनका शरीर मोटा और थलथल होता है जिस पर रोएं उगे रहते हैं। ये विश्राम करते समय अपने पंख फैलाए रहते हैं। इनके जीवन की चार अवस्थाएं होती हैं - अंडा, लार्वा, प्यूपा और वय प्राप्त कीट। इनके लार्वा इतनी तेजी से खाते और बढ़ते हैं कि इनकी चमड़ी का खोल फट जाता है। ये जीवन में अपने खोल कई बार बदलते हैं। इनका नया खोल पहले से बहुत भिन्न हुआ करता है। फूलों, फलों का रस इनका मुख्य भोजन है । XAV de de god de derbek पयलाइया [पयलाई सू. 2/3/80 प्रज्ञा. 1/76 Beaver - बीवर, प्रचलिका 61 आकार - ऊदबिलाव से बड़ा । लक्षण - शरीर की लम्बाई 80 से.मी. से 1 मी. तक । पूंछ की लम्बाई 30 से.मी. से 35 से.मी. तथा वजन 21-30 kg. तक होता है। पूंछ लम्बी झबरीली तथा दांत तीखे होते हैं । विवरण - यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका में पाया जाने वाला यह एक शाकाहारी प्राणी है। यह मोटे-से-मोटे वृक्षों को बड़ी तेजी से काट डालता है। यह प्राणी जगत का एक कुशल इंजीनियर कहलाता है । यह पानी पर बांध बनाकर बांध में अपना घर बनाता है। बांध बनाने में कई बीवर मिलकर काम करते हैं । विमर्श : राजनिघंटु पृ. 607 में प्रचालाकी शब्द प्रयुक्त हुआ है, जिसे मोर का पर्यायवाची तथा कैदेवनिघंटु पृ. 473 में गिरगिट का पर्यायवाची माना है । विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-विश्व के विचित्र जीव-जंतु FFFFF noal8 nsibil परस्सर [परस्सर] प्रज्ञा. 1/66 जम्बू. 2 / 136 भग. 7/122 आकार - 4 फीट लम्बा भालू की प्रजाति का जन्तु । लक्षण - मजबूत एवं बड़े नाखून वाला पंजा, टांगें छोटी। विवरण- वर्तमान में यह आस्ट्रेलिया में पाया जाता है। दिन में अपने बिल में छुपा रहता है और रात में भोजन के लिए बाहर निकलता है। यह पूर्ण शाकाहारी जीव है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - Nature, सचित्र विश्व कोश ] Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 62 जैन आगम प्राणी कोश परासर [परासर] प्रज्ञा. टी.प. 9 A fabulous animal-अष्टापद, शरभ, परासर, परिसर। देखें-परिसर सुश्रुत संहिता में प्रशय के स्थान पर पृषत् शब्द मिलता है, जिसका अर्थ चित्तलमृग किया है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-सचित्र विश्व कोश, Nature] परिसर [परिसर] आ.चू. 1/5/52 पाठीण पाठीना प्रश्नव्या. 1/5. A fabulous animals-अष्टापद, शरभ, परिसर AKind of Fish-पाठीन मत्स्य, पठिन मत्स्य, वागुस, आकार-बिल्ली से कुछ बड़ा। वागजारक कण्टक पाश्व, वल मत्स्य लक्षण-शरीर पर चार पैर तथा नेत्र ऊपर की ओर आकार-5-6 फीट लम्बा।। होते हैं। लक्षण-शरीर का रंग सलेटी। मुंह चौड़ा एवं शरीर विवरण-सिंह और हाथी से भी अधिक बलवान आठ पतला। पैर वाला जानवर जो बर्फीली पहाड़ियों पर रहता है तथा विवरण-तालाबों, हाथी को भी अपनी पीठ पर उठा सकता है। जानवरों झीलों आदि में पाया का खून पीने वाला यह प्राणी बादलों की गर्जना से जब जाने वाला यह मत्स्य कभी आकाश में छलांग लगाने के पश्चात पीठ के बल अपनी चिकनी खाल गिरता है तो अपने पीठ पर के पैरों से संभल कर खड़ा के कारण प्रसिद्ध है। हो जाता है। विदेशों में इसे "Cat [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-महापुराण-27170, Fish" कहते हैं। Williums, महाभारत 117/12-15] पकड़े जाने पर यह बिल्ली की तरह पल्लोय [पल्लोय] उत्त. 36/129 कर्कश ध्वनि उत्पन्न करता है। Wood-wom-पल्लोय, काष्ठकीट [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-रेंगने वाले जीव, देखें-काष्ठाकार कैयदेवनिघंटु पृ. 474] पसय [प्रशय, पसय] प्रज्ञा. 1/64 जम्बू. 2/35 पायकुक्कुड [पादकुक्कुट] ज्ञाता. 1/17/14/1 Indian Bison-गौर, दो खुरवाला जंगली पशु Red Jungle Fowl-लाल वनकुक्कुट, पाद कुक्कुट, आकार-सामान्य भैंसे के समान। करमाला जंगली मुर्गा। लक्षण-मजबूत एवं विशाल देहवाला जंगली पशु। देखें-कुलाल अमेरिकी बाइसन की तुलना में इसके हाथ-पैर छोटे व सफेद रंग के होते हैं। बालों का रंग गहरा भूरा, गहरा पायहंस [पादहंस] प्रज्ञा. 1/797 जामुनी, भूरा या काला होता है। सिर पर बालों का गुच्छा Cottonteal-गिर्रिआ, गुड़गुड़ा, पाय हंस। एवं भारी मजबूत सींग होते हैं। न ही आकार-कबूतर से कुछ बड़ा। विवरण-यह जंगली भैंसे की ही एक प्रजाति का प्राणी लक्षण-शरीर पर सफेद रंग की प्रधानता। चोंच छोटी है। 6 से 12 के झुंडों में अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु, एवं राजहंस जैसी। नर के शरीर का ऊपरी भाग घने उष्ण कटिबंधीय वनों में चमकीला-काला। किन्त सिर ग्रीवा तथा नीचे का भाग पाया जाता है। यह इतना शक्तिशाली होता है कि बाघ सफेद होता है। मादा में ये बातें दिखाई नहीं देतीं। भी इस पर हमला करने से घबराता है। विवरण-भारत, लंका, बर्मा आदि देशों में पाया जाने Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश 63 वाला यह पक्षी झीलों, नदियों आदि के किनारे झुंड के कापोती रंग के कबूतर को छोड़कर शेष सभी कबूतरों साथ देखा जाता है। यह काफी तेज उड़ने वाला एवं का ग्रहण करना चाहिए। मौका पड़ने पर बहुत खूबी से गोता भी लगा सकता विवरण के लिए द्रष्टव्य-कापोत Susmitalco है। उड़ते समय विशिष्ट प्रकार की गुनगुनाहट सुनाई देती है। पाहुया [प्राभृता] प्रज्ञा. 1/50 [पा.] मारी हरी [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. 118] A kind of Insect-कीट की एक जाति । देखें-कीड (कीट) पारिप्पव पारिप्लव] प्रश्नव्या. 1/9 प्रज्ञा. 1/79 पिंगलक्ख [पिंगलाक्ष] जीवा. 3/275 औ. 6 Whitebreasted Waterhen-जलमुर्गी, डोक, Painted Stork-जंघिल, डोख, कनकरी, झींगरी, जलकुक्कुटी। विचित्र बलाक। आकार-तीतर से कुछ छोटा। आकार-सफेद बलाक से कुछ बड़ा। लक्षण-शरीर का रंग स्लेटी-धूसर और भूरा। चोंच लक्षण-शरीर के ऊपर का रंग चमकीला हरा-काला। का आधार चमकीला लाल । लम्बी हरी टांगें और पैर सिर पर कुछ मुड़ी हुई लम्बी, भारी पीले रंग की चोंच। बड़े होते हैं। पिच्छहीन चेहरा मोम जैसा पीला होता है। नर-मादा विवरण-विश्व भर में इसकी अनेक प्रजातियां पाई दोनों एक से प्रतीत होते हैं। जाती हैं। यह अपना अधिक समय पानी में ही विताता विवरण-भारत, पाकिस्तान, लंका, बर्मा आदि देशों है। सरकण्डों के नीचे बैठा हुआ जोर से तीखी तथा में पाया जाने वाला यह पक्षी झीलों, तालाबों आदि के एकाएक बंद होने वाली किर्रिक-क्रम-रेक-रेक जैसी किनारे झुंड या जोड़ों के साथ देखा जाता है। वोली निकालता है।TOBE [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. 395] पारेवय [पारापत] प्रज्ञा. 1/79 जम्बू. 3/35 उत्त. 34/6 पिंगुल [पिंगुल] प्रश्नव्या. 1/9 Common green Pigeon, Nilgiri wood The Spotted owlet-खकूसट, खूसटिया, चुगद । Pigeon-सामान्य हरा कबूतर आदि। देखें-पंगुल विमर्श-प्रज्ञा. 1/75 प्रश्नव्या. 4/7 में कवोय शब्द के बाद पारेवय शब्द पिपीलिया [पिपीलिका] प्रज्ञा. 1/50 उत्त. 36/137 आया है इससे यह स्पष्ट Ant-चींटी होता है कि कवोय एवं देखें-कीड़ी। पारेवय दोनों भिन्न-भिन्न प्रकार के कबूतर हैं। पियंगाला (पियंगाला) प्रज्ञा. 1/51 Apte, williams आदि Blister Beetle-फालामास्टर कोश में भी कापोत शब्द आकार-गोबरैला से कुछ बड़ा। का अर्थ धूसर रंग का लक्षण-दो जोड़ी पंख तथा तीन जोड़ी पैर वाला कीट। कबूतर एवं पारावत शब्द विवरण-इसकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। का अर्थ कबूतर की एक इसके शरीर में केनथ्ररीडिन नाम का द्रव्य होता है, जाति किया है। इसलिए यहां पर भी पारावत शब्द से जिसके कारण मनुष्य के शरीर पर (चमड़ी पर) फाला Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश हो जाता है। विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Incyclopedia in 77] Colour, Nature] पुंसकोइल, पुंसकोइलग [पुंस्कोकिलक] ठाणं पिसुग [पिसुग] जीव. 3/624 10/103 भग. 16/91 Assassin Bug-चीचड़, पिस्सू। Crow-Peasant, Coucal-महुका, कुका, कुक्कू, आकार-खटमल के समान। कोयल। लक्षण-इसका मुख आगे की ओर चोंच की तरह मुड़ा आकार-जंगली कौवे के तुल्य। होता हैं, जिससे यह खन चसता है। लक्षण-शरीर का रंग चमकीला काला। चोंच विवरण-इसकी 3000 से भी अधिक प्रजातियां पाई पीली-हरी और आंखें गहरी लाल होती हैं। मादा का जाती हैं। यह गाय, भैंस, भेड़ आदि के शरीर पर रंग भरा होता है जिस पर सफेद चित्तियां और धारियां आसानी से देखा जा सकता है। होती हैं। विवरण-विश्व में इसकी अनेक जातियां पाई जाती पिसुया पिशुका] प्रज्ञा. 1/50 [पा.] हैं। ये परजीवी प्राणी हैं क्योंकि ये अपना घोंसला नहीं Flea-पिस्सू बनाते और अंडे भी कौवे के घोंसले में देते हैं। कू-कू आकार-जूं के आकार वाले छोटे कीट। की मधुर आवाज के द्वारा पहचाने जाते हैं। लक्षण-छः टांगें तथा बिना पंख का कीट। विवरण-ये कई प्रकार के होते हैं जो भेड़-कुत्ते आदि पुलगपुलक] प्रज्ञा. 1/58 के खून से अपना जीवन निर्वाह करते हैं। अर्थात यह AKind of Crocodile-घड़ियाल की एक जाति। परजीवी प्राणी है। बीमारियों को फैलाने में इनका बहुत विमर्श : राजनिघंटु पृ. 601 में पुलक को गोह का बड़ा योगदान रहता है, जैसे-प्लेग मलेरिया, आदि। पर्यायवाची माना है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Nature, फसल देखें-गाह पीड़क कीट] पुलय [पुलक] आ.चू. 15/28/12 ठाणं 10/163 पीलग [पीलक] भग. 7/123 [पा.] जम्बू. 2/137 Worm-कीट, लट Golden oriole-पीलक देखें-अरक आकार-मैना के समान लगभग साढ़े नौ इंच लम्बा। लक्षण-शरीर का रंग-पके हुए आम की भांति पुलाकिमिय [पुलाकिमिय, पुलाकृमिक] भग. पीला। पंख और पंछ चमकीली काली। चोंच के सिर 15/186 प्रज्ञा. 1/49 की ओर जाती स्पष्ट काली रेखा तथा लाल चोंच। मादा AKind of Worm-मलद्वार में उत्पन्न होने वाली का रंग जैतूनी हरा होता है जिस पर महीन भूरी धारियां कृमि। होती हैं। आकार-2-10 मिलीमी. लम्बा। . विवरण-असम को छोड़कर भारत में पाया जाने वाला लक्षण-शरीर का रंग सफेद, सूई की भांति नुकीला यह पक्षी प्रातः काल रुक-रुक कर सीटीनुमा मधुर मुख। आवाज के द्वारा पहचाना जाता है। इसकी 30 विवरण-मनुष्य के मलद्वार में उत्पन्न होने वाला यह प्रजातियां पाई जाती हैं। यह अपना घोसला पेड़ों पर । परजीवी प्राणी है। इसका शरीर कई छल्लों से मिलकर लटकते हुए प्यालेनुमा बनाता है। बनता है। Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश 65 पुष्फबिंटिय [पुष्पवृन्तक] प्रज्ञा. 1/50 मा पोत्तिय [पोत्तिक] प्रज्ञा. 1/51, उत्त. 36/146 Trogoderma granarium Everts-खपरा कीट A Wasp-ततैया, टांटियों (राज.), वर्र, बीरड़ आकार-कुछ अंडाकार तथा लगभग 2.5 m.m.. (हरियाणा)। लम्बा कीट। आकार-लगभग 1-1/2 इंच लम्बा। लक्षण-लाल-भूरा रंग का शरीर । पूंछ के भाग पर रोएं लक्षण-शरीर पर पीले व काले रंग की धारियां होती गुच्छों में होते हैं। पौधे के फल, फूल, स्कंध आदि पर चिपक कर अपना आहार करते हैं। विवरण-गर्म एवं शुष्क प्रदेशों में इनकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। विभिन्न प्रकार की दरारों, सुराखों, बोरों की सीवन आदि इनके निवास स्थान हैं। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-फसल पीड़क कीट] पूयण [पूतन] सू. 1/3/73 Sheep-गाड़र, भेड़। देखें-अमिल पोंडरीय [पौण्डरीक] सू. 2/1/1-10 ठाणं. 10/139 प्रज्ञा. 1/79 . Spotted-billed, Grey Pelican- हवासिल, कुरेर, बिंदुचंचु, घूसर- पेलिकन। आकार-गिद्ध से बड़ा। लक्षण-नाटी-मोटी एवं बड़े आकार का जलीय पक्षी। शरीर का रंग धूसर और धूसर सफेद होता है। टांगें छोटी एवं मजबूत होती हैं। विवरण - भारत, पाकिस्तान आदि देशों में झीलों, नदियों के किनारे पाया जाने वाला यह पक्षी झुंड में रहना पसन्द करता है। बृहद् आकार के बावजूद यह पानी से निकल कर आसानी से कुशलता पूर्वक उड़ सकता है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. 210, 231] हैं। पूंछ के भाग पर एक जहरीला डंक होता है। विवरण-समूह में रहने का आदी यह एक सामाजिक प्राणी है। लकड़ी, मिट्टी आदि से अपना छत्ता बनाता है, जिसमें अनेक घर या छेद होते हैं। इसके शुष्क जहर में मौजद 0.4 प्रतिशत मैग्निशियम कई रोगों के लिए लाभकारी होता है। इसके काटने पर भयंकर दर्द तथा सूजन भी आ जाती है। अनेक बार डंक शरीर में रह जाता है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-जीव विचार प्रकरण] फलविंटिया [फलवृन्तका] प्रज्ञा. 1/50 Clerck or Materna (लिनायस)-फल चूस शलभ। आकार-1 से.मी. तक लम्बा कीट। लक्षण-शरीर का रंग हल्का भूरा तथा पीला सफेद। विवरण-भारत में इनकी लगभग 20 प्रजातियां पाई जाती हैं। यह फलों के बाह्य छिलके को क्षति पहुंचा कर रसपान करता है। इस क्षति से न केवल फल गिर जाते हैं वरन् अन्य कीटों द्वारा आक्रमण के लिए भी रास्ता प्रशस्त हो जाता है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-फसल पीड़क कीट] बंसीमुह [बंशीमुख] प्रज्ञा. 1/49 A Kind of Worm-वंशीमुख, वसीमुहा। Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 66 आकार - लगभग 1-4 इंच लम्बा लक्षण - शरीर का रंग काले से लेकर हरा तक होता है। मुंह के आगे सुई की भांति नुकीला डंक सा-हाता । है विवरण- इसकी विश्व भर में 300 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। यह एक प्रकार के कृमि के ही अन्तर्गत आता है। बग [बक] प्रज्ञा 1/79 Little Egret - किलचिया, कारचिया बगला, छोटा देखें - काउल्ली बगुला । बरहिण [बर्हिन] प्रज्ञा. 1/79 औ. 6 जी. 3/274 Common Peafown - मोर, मयूर । Fle आकार - लगभग 6-7 फीट तक लम्बा । लक्षण - शरीर का रंग कुछ भूरापन लिए हुए। 3-4 फीट लम्बी नेत्राकार चमकदार चित्रों से सजी हुई दुम । ग्रीवा के नीचे भाग में धात्विक हरी तथा भूरी बिन्दियां होती हैं। ग्रीवा का रंग चमकता नीला होता है। विवरण- भारत, बर्मा और लंका में पाया जाने वाला यह प्राणी पर्णपाती जंगलों में टोलियों के साथ रहता 1114794421ABY जैन आगम प्राणी कोश है। बर्मा में पैवो म्यूटिकस नामक मोर के सिर पर कलंगी नोकीली होती है। मादा के सिर पर कलंगी नर की अपेक्षा सुन्दर नहीं होती तथा उसके पंख भी चमकीले नहीं होते। आवाज कुछ तेज तथा रुक-रुककर निकलने वाली का आन, का आन जैसी, जो छः से आठ बार दोहराई जाती है। एक मोर के बोलने पर आस-पास के सभी मोर बोलना शुरू कर देते हैं। बलागा [बलाका] प्रश्नव्या. 1/9 ज्ञाता. 1/1/33 प्रज्ञा 1/79 Cattle Egret - सुर्खिया बगला, गाइ-बगला, पशु बगुला, बगुला 1 आकार- छोटे बगुले से कुछ बड़ा । लक्षण - शरीर का रंग सफेद तथ चोंच पीले रंग वाली। विवरण- विश्व में इनकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। ये घास चरते हुए पशुओं के इर्द-गिर्द टोलियां बनाकर भोजन करते हुए देखे जाते हैं । बहुपय [बहुपद] अनु. 327, 527 Millipede-बहुपैर वाला जीव, मिलीपेड। आकार - कानखजूरे के आकार वाला । लक्षण - शरीर लम्बा, पतला, छोटा, मोटा अनेक प्रकार का। शरीर का रंग जामुनी तथा अनेक पैर । विवरण- इनके शरीर के प्रत्येक खंड में से दो-दो पैरों की जोड़ी निकली होती है। स्पर्श करने पर भय के कारण सिक्के के समान गोल रूप धारण कर लेते हैं। पत्ते एवं मिट्टी इनका भोजन 1 [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - Nature, Incyclopedia in colour] बहिलग [बहिलग] निभा. 1486 देखें- आवल्ल Ox - बैल बाल [व्याल] ज्ञाता. 1/1/17, 206 प्रश्नव्या. 3/7 Tiger - बाघ, व्याघ्र देखें-वग्घ बाल [व्याल] ज्ञाता. 1/1/17, 206 प्रश्नव्या. 3/7 Snake-सांप देखें- अही Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश बाहुलेर [बाहुले] अनु. 544 Black Calf- काला बछड़ा देखें - गाव (गाय) बीयंबीजग [बीजंबीजक] भग. 13 / 154 A Kind of House Swift - बबीला, बतासी, अडिला । देखें- अडिल बीयवावय [बीजवायक] अनु. 321 A Kind of Crop Insect which feeds on grain - एक जंतु, बीजवापक । आकार - सूक्ष्म आकार वाला । लक्षण - इस कीट का प्रौढ़ छोटा, सुन्दर, हरा, भूरा रंग लिए होता है ।. विवरण - यह दालों आदि की फलियों में छेद कर नए पनप रहे बीजों को खाता जाता है । भमर [भ्रमर] प्रज्ञा 1/ 51 उत्त. 36/146 A Black bee - भौंरा, भंवरा । देखें - छप्पय भरिली [भरिली] प्रज्ञा. 1 / 51 beetle of Mango Stone - आम्र गुठली घुन आकार - फाला मास्टर से बड़ा । लक्षण - इस प्रौढ़ घुन की लम्बाई लगभग 8m.m. और चौड़ाई 4 mm तक होती है। रंग धूसर भूरा और इस प्रकार चित्रित होता है कि आम के पेड़ की छाल में घुल-मिल जाता है। बिना कुछ खाए महीनों गुजार देता है । विवरण - यह कीट निशाचर है, जब आम के फल लगने शुरू होते हैं तभी मादा घुन अंडे देने के लिए अपने थूथन और श्रृंग की सहायता से उपयुक्त स्थान की खोज करती है। आम की गुठली में इसका प्रवेश एक आश्चर्य पैदा करता है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- फसल पीड़क कीट ] भल्ल [भल्ल] प्रश्नव्या 1/6 Bear - भालू देखें- अत्थभिल्ल (भालू) और अच्छ (ऋक्ष) भसुय [भसूया] उशाटीप. 138 Bear - भालू देखें - अत्थभिल्ल (भालू) और अच्छ (ऋक्ष) भारुंडपक्खी [भारुंडपक्षी] औप. 27 राज. 813 उत्त. 4/6 A Kind of Fublous Bird - भारुंड पक्षी आकार - विशाल शरीर वाला पक्षी । लक्षण - इस पक्षी का शरीर एक, जीव दो और पैर तीन होते हैं । विवरण - रत्नद्वीप में पाया जाने वाला यह पक्षी बहुत भयानक होता है । बाघ, रीछ आदि विशालकाय जानवरों का मांस खाता है । इसका पेट एक, मुख दो तथा पैर तीन होते हैं। बीच का पैर दोनों जीवों के लिए सामान्य होता है और एक-एक पैर व्यक्तिगत । एक-दूसरे के प्रति बड़ी सावधानी बरतते हैं, सतत जागरूक रहते हैं । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-उत्तराध्ययन चूर्णि पृ. 117, वृहद्वृत्ति - पत्र 217, पंचतंत्र, कल्पसूत्र टीका] भास [भास] प्रश्नव्या 1/9 White Scavenger Vulture, pharachschicken - सफेद गिद्ध, गोवर गिद्ध, 67 भास । आकार - गंदा सफेद चील की भांति । लक्षण - शरीर पर काले पक्ष-पिच्छ । नंगा पीला सिर । चोंच पीली तथा छोटी । विवरण- भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश में पाया जाने वाला यह पक्षी खुले क्षेत्रों में मानव बस्तियों के आस-पास रहना पसंद करता है। भूमि पर मटक-मटक कर कुछ इठलाता हुआ चलता है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - K. N. Dave 192, 191, बसंतराज 8/37 कैयदेवनिघंटु पृ. 463] भिंग [भृंग] औप 46 Purple Sunbird -शकर खोरा, सूर्य पक्षी, भृंग पक्षी - घरेलू गौरैय्या से भी लगभग आधा । आकार- लक्षण - नर-मादा दोनों का रंग बहुत भड़कीला व चमकदार होता है। वक्ष के बीच चौड़ी काली पट्टी तथा चोंच लम्बी, पतली और टेढ़ी होती है, जिसे फूलों में Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 68 डालकर यह उसका रस चूसता है। और रस के साथ रहने वाले कीट को भी खा जाता है। विवरण- भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश में पाए जाने वाले शकर खोरे की मुख्य तीन प्रजातियां हैंयैलोबेकर्ड सनवर्ड, पर्पल सनवर्ड व पर्पल रम्पर्ड सनवर्ड । इसका घोंसला बया की तरह लटकने वाला होता है। शकरखोरे बगीचों, कुन्जों, झाड़-झंखाड़ वाले क्षेत्रों व हल्के पर्णपाती जंगलों में रहना पसंद करते हैं। उड़ते समय तेज व तीखी विच विच की ध्वनि से पहचाने जाते हैं । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - K. N. Dave पृ. 114] भिंग [भृंग] औप. 19 राज. 26 जीवा. 3/279 A Black bee - भंवरा देखें-छप्पय भिंगारग [भृंगारक] औप. 6 जीवा. 3/275 जम्बू. 2/12 The Black Drongo, King Crow-भुजंगा, कोतवाल, भृंगारक । आकार -बुलबुल से कुछ बड़ा। लक्षण - शरीर का रंग एकदम चटक चमकीला काला । पूंछ लम्बी एवं बीच से काफी फटी हुई । आंखों का रंग लाल । नर-मादा दोनों एक जैसे प्रतीत होते हैं। विवरण- भारत, पाकिस्तान आदि में इसकी • मुख्य चार प्रजातियां पाई जाती हैं। जिनमें भृंगराज और भुजंगा प्रसिद्ध है । यह कई तरह की कर्कश तथा डराने-धमकाने वाली आवाजें निकालता है । वैज्ञानिक भाषा में इसे जैन आगम प्राणी कोश डाइकूरस एहसिमिलिस (बैक्सटीन) कहते हैं 1 [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - K. N. Dave पृ. 62-63] 818 भिंगारी [भृंगारिण] उत्त. 36/147 Cricket-भृंगरीटक देखें- झिल्लिया नि attoed भेणासि [भेणासि] प्रश्नव्या. 1/9 Indian Lorikeet-भोरा, भोअरा, लटकन, भेणस । आकार - घरेलू गौरेया से कुछ बड़ा । लक्षण - छोटा, सुन्दर, चमकीला और घास जैसे हरा तोता। पूंछ छोटी एवं चौकोर । विवरण- भारत और लंका में पाया जाने वाला यह एक 'शाकाहारी पक्षी है। लंका लोरिक्यूलस वेरीलाइस नामक पक्षी का शिखर गहरा लाल और नेप नारंगी होता है। C Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश उड़ते समय या पत्तियों व फूलों पर चढ़ते समय तीन अक्षर को प्राप्त हो जाता है। यह बहुधा वृक्षों पर चढ़ जाता वाली ची-ची-ची की मधुर ध्वनि उत्पन्न करता है। है और कुशल तैराक भी होता है। मादा अपने अंडे पंक्षी [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-भारत के पक्षी, K.N. की भांति घोंसले में देती है। Dave पृ. 1441] भोगविस [भोगविष] प्रज्ञा. 1/70 भुयंग [भुजंग] ठाणं. 4/3 जम्बू. 2/15 उत्त. A Kind of Cobra-भोग विष, शरीर में विष वाले 14/34 सर्प, फन में विष वाले सर्प। Snake-सांप देखें-अही आकार-4-16 फीट लम्बा। भुयईसर [भुजगेश्वर] प्रश्नव्या. 4/7 लक्षण-शरीर का रंग गहरा जैतूनी से काला तक होता King Cobra-शेषनाग, शंखचूड, अहिराज, शाखामुती, है। इनके गर्दन की खाल फैलकर फन का रूप धारण कृष्ण नागम (तमिल) कारु नागम (मलयालम) कर लेती है। कृष्ण-सर्पम्।। विवरण-भारत, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया आदि में इनकी आकार-लगभग 10-18 फीट लम्बा। अनेक जातियां पाई जाती हैं। कोल ब्रिड़ी वर्ग के ये लक्षण-शरीर का रंग जैतूनी या गहरा भूरा से लेकर बिल्कुल काला तक होता है। जिस पर पीलापन और कालिमा लिए हुए कुछ पट्टियां होती हैं। कभी-कभी ये पट्टियां छोटी-छोटी चित्तियों से युक्त होने के कारण धब्बेदार रेखाएं जैसी लगती हैं। युवा शेषनाग का रंग नवजात से बिल्कुल भिन्न सदस्य अच्छे धावक होने के साथ कुशल तैराक भी होते होता है। विवरण-यह विशेष कर भोगि [भोगिन्। सुपा. 399 हिमालय, असम, Snake-सर्प गोवा, बर्मा, इन्डोचीन आदि में पाया जाता है। यह विश्व - देखें-अही . का सबसे अधिक विषमय और घातक सर्प है। कुपित होने पर अपना धड़ ऊपर उठाकर, फन फुलाए, मउलि [मुकली] प्रश्नव्या. 1/7 प्रज्ञा. 1/71 चमकीली आंखें निकालकर खड़ा हो जाता है। एक Without hood Snake-मुकली सर्प (बिना फन आदमी को मारने के लिए जितने विष की आवश्यकता वाले सप) होती है, उसका दस गुणा विष शेषनाग के एक दांत आकार-कुछ इंच से लेकर 40 फीट तक लम्बा। । मारने में निकलता है। यह इतनी जोर से श्वास खींचता लक्षण-इन सर्पो के फन नहीं होता तथा जबड़ों और है कि छोटे-मोटे प्राणी श्वास के साथ खिंचे चले आते तालु में क्रमशः नुकीले और ठोस दांत होते हैं। हैं। इसके द्वारा डसा गया व्यक्ति 8-10 मिनट में मृत्यु विवरण-विश्वभर में इनकी सैकड़ों जातियां पाई हैं। Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 70 जैन आगम प्राणी कोश जाती हैं। इस वर्ग के सर्प अधिकतर विषहीन एवं कम आकार-10 इंच लम्बा गिलहरी के समान दिखने विषवाले होते हैं। इनके शरीर का रंग चित्तकबरा, काला, वाला भुजपरिसर्प प्राणी। सफेद-भूरा आदि होता है। शेष विवरण के लिए लक्षण-अति कोमल एवं सुन्दर कबूतरी रंग का फर। द्रष्टव्य-अही लम्बी टांगें खरगोश की तरह प्रतीत होती हैं। विवरण-विशेष रूप से दक्षिण अमेरिका के चिली देश मंकुलहत्थि [मत्कुणहस्तिन्] प्रज्ञा. 1/65 में पाया जाने वाला यह प्राणी सूखी चट्टानों को खोद Elephant without Tusk-बिना दांत वाला हाथी सकता है। सूखी घास आदि खाने वाला शाकाहारी जीव या उसका बच्चा। देखें-कुंजर (हाथी) है। इनकी सुन्दर खाल के कारण इन्हें बहुतायत में मारा गया, जिससे ये अब केवल चिली देश में ही स्वतंत्र रूप मंगु [मद्गु सू. 1/7/15 से पाए जाते हैं। Snak-bird, Darter-जल काक, पनडुब्बी, बानवी, [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Manand Animals, सर्प पक्षी। Nature] आकार–चील से कुछ बड़ा। लक्षण-शरीर का रंग काला तथा पीठ पर रजत-धूसर मंडलि [मण्डलिन्] प्रज्ञा. 1/71 रंग की लकीरें होती हैं। सिर तथा ग्रीवा का रंग मखमली AVenomous Black Snake-मांडली सर्प, करैत, भूरा। ठोढ़ी तथा कण्ठ सफेद । सर्प जैसी पतली ग्रीवा। कंडलिया सर्प। नुकीली कटाराकार चोंच। आकार-लगभग 4 फीट लम्बा। विवरण-भारत, लक्षण-शरीर का रंग चमकीला काला या चटक पाकिस्तान, लंका कत्थई। पीठ पर आर-पार पतली श्वेत धारियां। पेट आदि देशों में पाया का रंग मोती के समान सफेद। जाने वाला यह एक विवरण-भारत, अफ्रीका एवं संयुक्त प्रान्त में पाया जलीय प्राणी है। झुंड जाने वाला यह सर्प नाग से भी चार-पांच गुणा विषैला की अपेक्षा अकेला होता है। छेड़े जाने पर यह सिर को शरीर की कुण्डलियों रहना इसका स्वभाव में छिपा कर निश्चिन्त हो जाता है और थोड़ी देर तक है। तैरते समय ग्रीवा चुप्पी के साथ बैठा रहता है। भारत में इसे मांडली, को छोड़कर पूरा शरीर कुंडलिया, करैत सर्प आदि के नाम से जानते हैं। पानी में डूबा रहता विमर्श : राजनिघंटु पृ. 600 में मंडलि सर्प को गोनास है। तेज झटके से का ही पर्यायवाची कहा है तथा पृ. 609 में जल सर्प चोंच बढ़ाकर शिकार का पर्यायवाची माना है। को दबोच लेता है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-जानवरों की दुनिया, [विशेष विवरण के Common Indian Snake] लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. 366] मंडुक्क [मण्डूक] ज्ञाता. 1/5/42 ठा. 4/5/4 सम. मंगुसा [मंगूसा] सू. 2/3/80, प्रश्नव्या. 1/6 प्रज्ञा. 19/1/2 भग. 8/87 1/77 Frog-मेंढक, दर्दुर। Chinchilla-गिलहरी के आकार का जीव, चिंचिला, आकार-केकड़े के समान। मंगूसा। लक्षण-शरीर की खाल चिकनी तथा जीभ चिपचिपी Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश 71 होती है। आगे वाली टांगें छोटी तथा पीछे की टांगें बड़ी मंस [मंस] जीव टीप, 40 भुज परिसर्प-विशेष। होती हैं। हरा, काला, पीला, भूरा लगभग सभी रंगों में Spotted Linseng-चित्तिदार लिनसेंग (मंस), मांस। पाए जाते हैं। आकार-लम्बाई में नकुल की भांति एवं ऊंचाई में पालतू बिल्ली से छोटा। लक्षण-लम्बे शरीर पर हल्के रंग के छोटे फर के बीच-बीच में गहरे. धब्बे फैले होते हैं। यह वृक्ष पर कुशलता पूर्वक चढ़ने वाला चतुर शिकारी प्राणी है। हिमालय वासी इसे मांस के नाम से जानते हैं। इसका सिर नोकीला, हाथ-पैर छोटे तथा पूंछ लम्बी होती है, जिसमें आठ से दस तक गहरे रंग के घेरे होते हैं। विवरण-पहाड़ी क्षेत्रों एवं हिमालय के जंगलों में पाया जाने वाला यह प्राणी भूमि पर पेट के बल रेंग कर अपने विवरण-समुद्रों, झीलों, तालाबों आदि में इसकी शिकार पर आक्रमण करता है। चूंकि यह बहुत पतला सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती हैं। यह एक उभयचर प्राणी होता है, इसलिए इसे गलती से प्रायः भारी शरीर वाला है। इसकी खाल नम होने के कारण सूर्य की गर्मी अधिक जहरीला सर्प समझ लिया जाता है। समय तक नहीं सह सकती। यह प्राणी अपने फेफड़ों [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-भारत के संकटग्रस्त के साथ-साथ अपनी खाल से भी श्वास ले सकता है। are groft, Man and Animals] इसको सभी वस्तुएं सफेद दिखाई देती हैं। कुछ मेंढ़क अपने पैरों की गद्दी की सहायता से पेड़ों पर भी चढ़ मंसकच्छभ [मांसकच्छप] प्रज्ञा. 1/57 सकते हैं। Leathery, Trunk Turtle-चीमड़ कछुआ, मांस अमरीका में एक पौंड से ऊपर वजन का मेंढक पाया बहुल कच्छप। जाता है जो डेढ़ गज लम्बे सांप को खा जाता है। पश्चिम आकार-त्रिकोणाकार शरीर वाला। लक्षण-शरीर का ऊपरी भाग-केरोपेस. चिकना और अफ्रीका में तीन फीट लम्वा मेंढक पाया जाता है, जिसकी टर्र-टर्र की आवाज कई कि.मी. तक सुनाई देती रबर जैसा होता है, जिसमें कुछ लम्बाई में उभरी हुई है। ब्राजील के टोडा नामक मेंढक की आंख के ऊपर रेखाएं होती हैं। पैरों का फैलाव 10 फुट तक तथा गर्दन दो छोटे-छोटे सींग होते हैं जो बहुत जहरीलें होते हैं। भारी होती है। क्लिपर के आगे का जोड़ा लंबा और पश्चिम कोलम्बिया में तीव्र विष वाले मेंढक पाए जाते तिकोना होता है। जबकि पीछे का जोड़ा चौड़ा और पूंछ हैं, जिनका विष 'कोबरा' से भी 20 गणा अधिक होता से मिला होता है। शरीर का रंग सामान्यतः सलेटी है। उस विष से 1500 व्यक्तियों की जान जा सकती काला सफेद धब्बे युक्त होता है। नीचे का भाग हल्का गुलाबी तथा कहीं-कहीं सफेद और काला होता मंदुय [मन्दुक] प्रश्नव्या. 1/5 [पा.] AKind of Crocodile-घड़ियाल की एक जाति देखें-गाह विवरण-हिंद महासागर में पाया जाने वाला यह कच्छप 400 से 700 k.g. तक होता है। इतना भारी होते हुए भी यह तैरने में अति कुशल तथा ताकतवर होता है। केवल अंडे देने के लिए ही पृथ्वी पर आता मंधादय [मन्धादय] सू. 1/3/71 Sheep-मेष, गाड़र। देखें-अमिल शेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-कच्छप Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12 जैन आगम प्राणी कोश मक्कड़ [मर्कट] आ. चू. 1/2 मगरमच्छों की बनावट विशेष रूप से जलीय जीवन के Monkey-बंदर अनुकूल होती है। नथुने और आंखें ऊपर की ओर देखें-कवि (कपि) काफी उभरी रहती हैं। आंखों के ऊपर एक विशेष प्रकार का पर्दा सा लगा रहता है, जिसे यह पानी के भीतर मक्कड़ा [मर्कटा] आ.चू. 1/2 निसि. 7/75 जाते ही चढ़ा लेता है। इसमें सूंघने की शक्ति, दृष्टि Spider-मकड़ी और सुनने की शक्ति बहुत तीव्र होती है। पाचन शक्ति देखें-कोली (मकड़ी) इतनी तीव्र होती है कि निगले हुए जानवरों की हड्डियां मामी. तक को गला डालती है। अपने हाजमें की तेज करने मक्कोड़ग [मक्कोडग] आ.चू. पृ. 290 के लिए यह अक्सर पत्थर के गोल-मटोल टुकड़ों को A Big black Ant.-मकोड़ा, चींटा। वानिय निगल जाता है। आकार-चींटी से बड़ा। मछलियों की तरह ये पानी के भीतर श्वास नहीं लेते लक्षण-चींटी की अपेक्षा इनके जबड़े बड़े एवं मजबूत और इन्हें श्वास लेने के लिए थोड़ी-थोड़ी देर बाद सतह होते हैं। कई बार ये प्राणी के शरीर को इतनी तेजी पर आना पड़ता है लेकिन आवश्यकता होने पर ये पांच से जबड़ों के द्वारा पकड़ लेते हैं किछुड़ाने पर नहीं छूटते। छह घंटे पानी के भीतर रह सकते हैं। ये अपने अण्डे अपितु दो टुकड़े हो जाते हैं। किनारे की रेत में गड्ढ़े खोद कर देते हैं और घास-पात, विवरण-इनकी अनेक प्रजातियां पायी जाती हैं। मिट्टी या बालू से ढक देते हैं। इनके दांत जीवन भर इनकी आदत भी चींटियों से काफी मिलती-जुलती है। गिरते रहते हैं और उनके स्थान पर नए दांत आ जाते (शेष विवरण के लिए देखें-कीड़ी) [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-जानवरों की दुनिया, मगर [मकर] प्रज्ञा. 1/59 Indian Reptiles] Alligator-मगरमच्छ । आकार-लगभग 3 मी. से 10 मी. लम्बा सरीसृप मग्गरिमच्छ [मकरीमत्स्य] प्रज्ञा. 1/56 प्राणी। Octopus-अष्टापद, आठ भुजाओं वाला जलीय लक्षण-शरीर एक प्रकार की मोटी खाल से ढका होता जंतु। है, जिस पर चौकोर खाने-खाने से कटे रहते हैं। सिर आकार-भुजाएं फैलाने पर एक सिरे से दूसरे सिरे की बड़ा और चपटा। जबड़े मजबूत और तेज दांतों की लम्बाई 20 फीट तक। पंक्ति वाले। पूंछ लम्बी और पैर छोटे। लक्षण-आक्टोपस की आठ भुजाएं होती हैं जिनमें विवरण-यह नदियों, झीलों और समुद्रों में पाया जाने दो कंटीली पंक्तियां बनी होती हैं। इनसे यह जानवरों को खाने के लिए पकड़ता है। वाला एक जलचर प्राणी है। भारत आदि गर्म देशों में इसकी अनेक जातियां पाई जाती हैं। सभी प्रकार के Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश विवरण-विशेषकर गरम समुद्रों में पाया जाने वाला आकार-प्रायः 7 से 10 मी. लम्बा। यह प्राणी दिन में किसी दरार आदि में छिपा पड़ा रहता लक्षण-शरीर श्रृंगी खोलयुक्त अस्थि-पट्टियों से ढका है। खतरे में फंस जाने पर शरीर से स्याही के रंग का होता है जिनसे यह प्राणी गहरे जैतूनी रंग का दिखता तरल पदार्थ निकालता है और अपनी रक्षा करता है। है। पूंछ के ऊपरी हिस्से के किनारे आरी के समान यह पीछे की ओर भी चल सकता है। प्रशान्त महासागर दिखाई देते हैं। में पाया जाने वाला आक्टोपस मनुष्य, भैंस आदि को विवरण-नदी मुख या मुहाना मगर सभी मगरों में बड़ा भी अपनी मजबूत भुजाओं से पकड़ लेता है। है और तटीय गरान (मेंग्रोव) नदी मुखों आदि में रहता [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Nature, सचित्र है। दांत इतने बड़े होते हैं कि मुंह बंद होने पर भी दिखाई विश्व कोश] देते हैं। नदीमुख मगर भारत के पूर्वी तट तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों में पाए जाते हैं। मग्गुक [मद्गुक] सू. 1/11/27 [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-मगर] Snake-birdor Darter-जल काक, पनडुबी, बानकी देखें-मंगु मयणसाला मयणसाला, मदनशलाका] ज्ञाता. 1/5/3, प्रश्नव्या. 1/9 औप. 6 जीवा. मच्छ [सत्स्य] प्रज्ञा. 1/55 3/275 Fish-मत्स्य दखें-झसहितीय Bank Mvna-मैना, गंगामैना. बरादमैना। आकार-सामान्य मैना की भांति। मच्छिया [मक्षिका] प्रज्ञा. 1/51 ज्ञाता. 1/16/29 लक्षण-लगभग 21 से.मी. लम्बा पीला, नीला और प्रश्नव्या. 1/32 प्रज्ञा. 1/51 धूसर रंग का पक्षी। सिर, गाल तथा ठोढ़ी का रंग काला। Fly Bee-मक्खी चोंच का रंग नारंगी। टांगें तथा नाखून भी नारंगी-पीले आकार-1 मि.मी. से 8-9 मि.मी. तक लम्बी। होते हैं। सिर पर कुछ लम्बे काले बाल होते हैं। लक्षण-शरीर का रंग काले से लेकर कत्थई भूरा तक। गंदे स्थानों पर रहना इनका स्वभाव है। विवरण-इनकी भारत में अनेक किस्में पाई जाती हैं। कुछ मक्खियां बहुत खतरनाक होती हैं। वे दूसरी मक्खियों को पकड़कर उनका खून पीती हैं। कुछ मक्खियां परजीवी होती हैं जो पशु आदि के शरीर से अपना जीवन निर्वाह करती हैं। मज्जार [मार्जार] प्रश्नव्या. 1/6 भ. 21/20 ज्ञाता. 1/8/42 Cat-बिल्ली देखें-कुलल मट्ठमगर [मृष्ठमकर] प्रज्ञा. 1/59 A Kind of Alligator, Crocodile Porasis Snider-मृष्ठमकर (मगरमच्छ की एक जाति), नदीमुख मगर। विवरण-भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश आदि में पाया जाने वाला यह पक्षी चलता कम और फुदकता अधिक है। यह स्टर्निडी परिवार का पक्षी है। केवल भारत में ही इसकी 18 प्रजातियां पाई जाती हैं। सामान्य मैना से कुछ हल्की बोली बोलने वाला यह प्लेटफार्म, मानव बस्ती के नजदीक रहना पसंद करता है। Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 74 जैन आगम प्राणी कोश मयूर [मयूर] ठाणं 7/41/1 ज्ञाता. 1/3/27 आकार-मैना से बड़ा तथा कबूतर से कुछ छोटा। Common Peafowl-मोर, मयूर। माणा लक्षण-ललाट पर नीला-काला थ्रश तथा स्कंध पर देखें-ढेलियालग कौबल्ट की तरह चमकते नीले धब्बे। चोंच तथा टांगों का रंग-काला। नर-मादा दोनों एक से प्रतीत होते हैं। मरुयवसभ [मरुतवृषभ] प्रश्नव्या. 4/4 विवरण-भारत में पाए जाने वाला यह पक्षी दिन में Ox-बैल देखें-आवल्ल गाना गाने वाले पक्षियों में अग्रणी है। केवल उड़ते समय मसगा [मशका) प्रज्ञा. 1/51 उत्त. 36/146 क्री-ई जैसी ध्वनि उत्पन्न करता है। Masaquito-मच्छर विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-भारत के पक्षी] आकार-लगभग .01 M.M. से 1 इंच तक लम्बा । लक्षण-इनके शरीर का रंग सफेद काला होता है। महिस [महिष] ज्ञाता. 1/2/7 उवा. 1/11 प्रश्नव्या. मुंह के आगे एक डंक-सा होता है, जिसके द्वारा यह 1/6 खून चूसता है। Buffalo भैंस विवरण-विश्व में इनकी सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती आकार-जंगली भैंस की अपेक्षा कुछ छोटी। हैं। नर-मच्छर पौधों या फलों के रस पर अपना जीवन लक्षण-अधिकतर भैंसों के शरीर का रंग काला तथा निर्वाह करते हैं। मादा-मच्छर प्रायः रक्त पीकर ही जीती कुछ काले भूरे रंग की भी होती हैं। सिर के ऊपर दो है। अनेक निरीक्षणों से यह सिद्ध किया गया कि मच्छर सींग होते हैं, जिनकी बनावट जातियों के आधार पर गहरे रंग पसंद करते हैं। रजस्वला महिला को नहीं विकसित होती है। काटते। मीठे की तरफ आकर्षित होते हैं। इनमें नए विवरण-विश्व भर में भैंसों की अनेक प्रजातियां पाई और विपरीत वातावरण को अनुकूल बनाने की जबर्दस्त क्षमता होती है। अफ्रीका का एनाफिलीज गैम्बिए' मच्छर मलेरिया फैलाने वाली एक प्रमुख प्रजाति है। ये इन्सान को काटते हैं और खून चूसते हैं। इनकी कुछ प्रजातियां भयंकर रोग फैलाती हैं। मसूर [मसूर] प्रज्ञा. 1/79 Malabar Whistling Thrush-कस्तूरा, मसूरिया, माइऔफौनियस। जाती हैं। हरियाणा में पाई जाने वाली मूर्रा-भैस 30 kg.-50kg. तक दूध देती है। इन भैंसों के सींग छोटे, मुड़े हुए एवं सुन्दर होते हैं। महिसी महिषी] आ. चू. 1/52 सू. 2/2/19 ठा. 8/10 भग. 2/94 Buffalo-भैंस देखें-महिस महुयर [मधुकर] ज्ञाता. 1/1/33 जम्बू. 2/12 ABlackBee-भौंरा देखें-छप्पय Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश 75 महुयर [मधुकर] प्रज्ञा. 21 ज्ञाता. 1/1/33 महोरग [महोरग] प्रश्नव्या. 1/7 प्रज्ञा. 1/68 जम्बू.2/12 जम्बू.3/115 Purple sunbird-शकर खोरा। Very Large Snake-एक विशाल सर्प, महोरग। देखें-भिंग आकार-एक अंगुल से अनेक हजार योजन तक [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. 114] लम्बा। विवरण-मनुष्य क्षेत्र से बाहर के द्वीप समुद्रों में उत्पन्न महयर मधकरा प्रज्ञा. 21 ज्ञाता. 1/1/33 होने वाला यह सर्प जल. स्थल-दोनों में विचरण करता जम्बू. 2/12 Honey bee-मधुमक्खी आकार-लगभग 1/2 इंच से 1 इंच लम्बा। माइवाइया [मातृवाहका] प्रज्ञा. 1/49 उत्त. लक्षण-शरीर का रंग काला-लाल, जिस पर आर-पार 3/128 रेखाएं होती हैं। पूंछ के भाग वाले स्थान पर एक डंक Matri-Vahaka-मातृवाहक, र Vahaka-मातृवाहक, चुडैल (गुज.) होता है। आकार-केंचुए के समान। विवरण-शहद के छत्तों में परिवार या कालोनी बना लक्षण-शरीर का रंग मटमैला। कर रहने वाली मधुमक्खियां सामाजिक प्राणी हैं। विवरण-यह गुजरात में अधिक पाया जाता है। एक-एक छत्ते में 75000 या इससे भी अधिक स्थानीय भाषा में इसे मातृवाहक, चुडैल आदि कहते मधुमक्खियां रहती हैं। हर छत्ते में मजदूर, सिपाही, नर, हैं। मादा एवं रानी मक्खी होती है। अंडे देने का कार्य केवल विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-जीव-विचार-प्रकरण] रानी मक्खी ही करती है। मधुमक्खियां अपनी साथियों को विशेष नृत्य द्वारा मायंग, मातंग मातंगा औ. 26 जी. 3/118 ठा. शहद या पराग पाने नर 10/113/1 विवा. 1/4/33 की सूचना देती हैं। Elephant-Eteft ढेर सारा शहद मिलने देखें-कुंजर (हाथी) पर ये मंडल नृत्य (राउंड डांस) करती रानी मालि [मालिन्] प्रज्ञा. 1/71 हैं। आपस में रगड़ना AKindof VenomousBlack Snake-मांडलीसर्प या मिलना पराग की एक जाति। पाने का सूचक है। देखें-मंडलि (मण्डलिन्) इनके और सांप के जहर में कई मजदूर मालूया [मालुका] प्रज्ञा. 1/50 उत्त. 36/137 समानताएं हैं। दोनों Lipaphis erysimi kaltenbach-मालूका, माहू से ही श्वसन तंत्र को आकार-छोटे (लगभग 2 M.M.) और सामान्यतया लकवा मार जाता हैं, गोलाकार कीट। जिससे मौत हो लक्षण-मुखांग वेधक और चूसने वाले होते हैं। इनकी सकती है। हालांकि मधुमक्खी के शुष्क जहर में मौजूद पीठ पर नितंब प्रदेश से निकली एक जोड़ी नलिका जैसी 0.4 प्रतिशत मैग्नेशियम फास्फेट बड़ा रोग नाशक होता बनावट मिलती है जिसे साइफन (नाल), कोर्निकल (छोटे सींग) आदि से जाना जाता है। Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश विवरण-संसार भर में इनकी सैकड़ों प्रजातियां पाई मेलिमिंद मेलिमिंद] प्रज्ञा. 1/70 [पा.] जाती हैं। इनमें रस चूसने की क्षमता बहुत अधिक होती A Kind of Viper-दुबोइया सर्प की एक जाति, है। यह अपनी सीरिंज जैसी अधस्त्वचीय सूंड को पौधे मेलिदा, हरागोनाश, कन्नाडीविरियम, कतकाइया नाग के कोमल ऊतकों में घुसाकर उसमें से पौधों का रस (उड़िया)। स्माद चूसता रहता है। आकार-3-4 फीट तक लम्बा। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-फसल पीड़क-कीट] लक्षण-शरीर का रंग हरा से लेकर गहरा भूरा तक। कई सर्पो के पीली-सफेद आड़ी धारियां भी होती हैं। माहए [मागध] उत्त. 36/148 पंबू पिट पाइपर नामक सर्प का मुख चौड़ा होने के कारण AKind of Insect-कीट की एक जाति दो मुख प्रतीत होते हैं। देखें-कीड (कीट) विवरण-विश्व-भर में इनकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। जैसे पंबू पिट पाइपर, रसल्स पाइपर, सॉस्केल्ड मिय [मग] सू. 1/4/9 ठाणं. 4/236 प्रश्नव्या. पाइपर आदि। इनकी सभी प्रजातियां विष वाली होती 1/6 हैं। पंबू पिट पाइपर क्रोधित होने पर अपना फन उठाकर Deer-सामान्य हिरण दुश्मन पर फुर्ती के साथ आक्रमण करता है। देखें-कुरंग महाकायाण विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Common Indian Snake, Indian Reptiles] मियवति [मृगपति] प्रश्नव्या. 4/ 4 नका Lion-सिंह मेसरा [मेसरा] प्रज्ञा. 1/792 देखें-सीह Black Tailed Godwit-गुडेरा, जंगराल, खग, मालगुझा, गाडविल, मेसरा। मुइंगा [मुइंगा] ओनि. 558 daon आंकार-तीतर से कुछ बड़ा। Ant-चींटी लक्षण-शरीर का रंग भूरा और चितकबरा। चोंच देखें-कीड़ीतानीतिक ऊपर की ओर थोड़ी मुड़ी हुई तथा नाजुक। उड़ते समय सफेद पूंछ के सिरे पर चौड़ी तथा काली-आड़ी पट्टी • मुगुस [मुगुंस] उवा. 2/12 प्रश्नव्या. 1/8 दिखाई देती है। सिर, ग्रीवा तथा वक्ष का रंग मोरचाई Chinchila-मंगूसा, चिंचिला omo लाल (रस्टीरेड) होता है। देखें-मंगुस विवरण-विश्व में इनकी अनेक प्रजातियां पाई मुद्धय [मुर्धज] प्रज्ञा. 1/58 [पा.] जाती हैं। खारी तथा AKind of Crocodile-घड़ियाल की एक जाति। अलवणीय जलों वाले देखें-गाह कच्छ स्थलों में बहुधा मूसग [मूषक] सू. 2/3/80 प्रज्ञा. 1/76 काफी सघन टोलियों में Mouse, Rat-चूहा अन्य अलग चिड़ियों के देखें-उंदुर (चूहा) साथ देखी जाती हैं। हमेशा सतर्क रहने और मेंढ़ में] ठाणं. 4/323 प्रबल उड़ान के कारण 'Sheep-भेड़, गाडर, मेष देखें-अमिल लोग इसे आखेट पक्षी के Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश. 77 नाम से पहचानते हैं। विमर्श : नालन्दा हिन्दी कोश, माणक हिन्दी कोश [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-भारत के पक्षी, सचित्र आदि में रोज्झ का अर्थ नीलगाय किया है। जबकि विश्व कोश] प्रज्ञापना 1/64 में गवय के बाद रोज्झ शब्द आया है। गवय का अर्थ नीलगाय होता है। अतः रोज्झ नीलगाय मोत्तिय [मोक्तिक] प्रज्ञा. 1/49 जम्बू. 2/24 की ही एक प्रजाति होनी चाहिए। A peart Oyster-मूत्रिक, सीप की एक जाति देखें-गवय देखें-सीप रोहिय रोहिय] प्रश्नव्या 1/6रायहंस [राजहंस] प्रज्ञा. 1/79 भग. 11/133 Blue Bull-नील गाय, रोझ। ज्ञाता. 1/1/19 विमर्श : अल्पपरिचित शब्द कोश में रोहित शब्द का Flamingo-राजहंस, वोग हंस, श्रेष्ठ हंस, छाराज अर्थ रोज्झ, कैयदेवनिघंटु में छोटा सियार तथा ऋग्वेद बागो। 1/84/10 में लाल अश्व किया है। आकार-घरेलू राजहंस खड़ा होने पर चार फुट ऊंचा। देखें-गवय लक्षण-लम्बी टांगें और लम्बी गर्दन, शरीर का रंग सफेद । हुक्के के सामान मुड़ी हुई गुलाबी रंग की चोंच। रोहियमच्छ [रोहितमत्स्य] प्रज्ञा. 1/56 नर-मादा एक जैसे होते हैं। Rohit Fish-रोहित मछली, रोहु मछली, बाम मछली। विवरण-राजहंस हंसों में सबसे बड़े आकार की जाति आकार-3-4 फीट लम्बी सांप के तुल्य प्रतीत होने है। इनका भोजन, कृमि, कीट, लार्वा, कच्छ पौधे के वाली मछली। बीज आदि हैं। इसका आदि निवास स्थान हिमालय की लक्षण-शरीर सेहर रहित तथा रंग पिलद्दोंह भूरा। मानसरोवर झील माना जाता है। आयु (Eagle) उकाब हांगरी मछली के तुल्य गलफड़ न होकर कई शिगाफ-से के बराबर। न्याय के प्रसंग में हंस की उपमा प्रसिद्ध कटे होते हैं। शरीर से एक प्रकार की बिजली का करेंट है-न्याय में हंसनि ज्यों विलगावहु । दूध को दूध और निकालकर अपने शिकार को बेहोश कर देती है। पानी को पानी। इस उपमा को वैज्ञानिक स्तर पर अभी विवरण-बाम-मछली अपने अंडे अंटलांटिक आदि तक सिद्ध नहीं किया जा सका है। .. समुद्रों में देकर नदियों और तालाबों में लोट जाती है और फिर अंडे देने के लिए हजारों मील चलकर फिर रिट्ठग [रिष्टक] उत्त. 34/4 समुद्र के उसी स्थान पर आती है। Jungle Crow-जंगली कौवा, बड़ा काक, ढिंकड़ा, विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-रेंगने वाले जीव, द्रोण काक, डाल कौवा। देखें-ढंक . राजनिघंटु-मांसादि वर्ग] रिसह [ऋषभ] प्रश्नव्या 4/7 Ox, Bull-बैल, सांड़। देखें-आवल्ल रोहिणीय रोहिणीक] प्रज्ञा. 1/50 AKind of Sykids-कीट की एक जाति। देखें-ओवइया रुरु [रुरु] प्रश्नव्या. 1/6 प्रज्ञा. 1/64 A species of antelope, Black Deer-काला हिरण, रूरू। देखें-किण्हमिय (कृष्णमृग) रोज्झ [रोज्झ] प्रज्ञा. 1/64 उत्त. 19/56 Blue Bull-नीलगाय, रोझ। लंभणमच्छ [लंभणमत्स्य] प्रज्ञा. 1/56 Eel Fish-ईल मछली, लंभणमत्स्य आकार-25 मी. लम्बा जलचर-प्राणी। लक्षण-शरीर का रंग काला, सिर गोलाकार । सिर की Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 78 जैन आगम प्राणी कोश लुकंडी [लुकंडी] प्रज्ञा. टी.प. 254 Fox-लोमड़ी देखें-कोकंतिय लम्बाई, चौड़ाई 2 1/2मी. । शरीर भूरे रंग के छल्लों से युक्त। विवरण-महासमुद्रों में पायी जाने वाली इस मछली को सर्वप्रथम पूर्वी आस्ट्रेलिया के पास 1964 में फ्रेंच के प्राणी शास्त्रज्ञ रोबर ली सेरेक ने देखा। इसकी त्वचा खुरदरी और बिना शिल्क वाली होती है। बिना दांत वाला मुंह सफेद रंग का। आंखों का रंग हल्का-हरा। पूरे शरीर का व्यास 70-75 C.M. होता है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-ManandAnimals, रेंगने वाले जीव] लालाविस [लालाविष] प्रज्ञा. 1/70 A Snake Having A drivelpoison, Ringhal-लालविष (लार में विष वाले) आकार-लगभग 8 फीट से 13 फीट तक लम्बा। लक्षण-इन सर्पो की थूथन आगे की ओर निकली रहती है। शरीर का रंग काला या हल्का भूरा होता है। क्रोधावस्था में फुफकारों के साथ विष थूकता है। विवरण-एकमात्र अफ्रीका में पाए जाने वाला यह सर्प अत्यन्त खतरनाक एवं विषधारी होता है। इसमें दो विशेषताएं होती हैं- (1) क्रोध करने पर यह मुंह से फुफकारों के साथ ऐसी तेजी से विष थूकने लगता है कि उसकी बौछार 2 1/2-3 हाथ तक जाती है (2) यह अन्य नागों के समान अंडे नहीं, बच्चे देता है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-जानवरों की दुनिया, Snakes of Southern Africa) लंभणमच्छ [लंभणमत्स्य] प्रज्ञा. 1/564 Sound Fish-ध्वनि करने वाली मछली. साही मछली, लंभणमछली आकार-कई फीट लम्बा।कठीण लक्षण-यह मछली गौरैया मछली की भांति अपना शरीर फुला लेती है। इसके शरीर पर साही की तरह तेज काटे रहते हैं। जो शरीर के फूलने पर खड़े हो जाते हैं। विवरण-गौरैया मछली की भांति अजीब सूरत की यह मछली समुद्रों में पाई जाती है। जिसे साही, आवाज करने वाली मछली, लंभग मत्स्य आदि नामों से जाना जाता है। इसके शरीर पर कांटे साही की तरह लगते हैं। शरीर फूल जाने पर यह इधर-उधर जाने में असमर्थ होती है, लेकिन ऐसी दशा में किसी दुश्मन का इस पर लावग [लावका सू. 2/2/6, प्रज्ञा. 1/79 दसा. 6/3 Indian or yellow legged button Quail-at, पीतपद लाविका। आकार-तीतर के आकार वाला रोम पक्षी। लक्षण-चमकती हुई पीली टांगें और चोंच । ग्रीवा का रंग नारंगी बादामी। शरीर की लम्बाई लगभग 10 इंच। विवरण-इसका भोजन बीज, कीड़े-मकोड़े आदि हैं। यरोप में पाया जाने वाला लार्वा सर्दियों के दिनों में अफ्रीका चला जाता है, सर्दियों के बाद पुनः लौट आता है। इसकी आवाज देर तक सुनाई देने वाली नगाड़े की भांति होती है। हमला करने का साहस नहीं होता। जब दुश्मनों का लिक्ख [लिक्ष] जम्बू. 2/6 अनु. 395, 399 खतरा दूर हो जाता है तब साही मछली अपने भीतर Anit, or A Tiny louse-लिक्ष देखें-जूया की हवा को मुंह और गलफड़ों से निकाल देती है। हवा निकलते समय बड़ी तेज आवाज होती है। लिक्ख [लिक्ष] आ.चू. 13/38 भग. 6/125, [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-रेंगने वाले जीव, जम्बू. 2/6, 40 जानवरों की दुनिया] Lesser Florican-लिख, खरमोर । Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश आकार-मुर्गे के समान। लक्षण-शरीर का रंग बलुआ पाण्डु तथा काले धब्बे युक्त। गर्दन व टांगें लम्बी। नर पक्षी के पीठ पर मुड़े हुए पिच्छक नहीं होते। पंखों के अधिकांश भाग पर सफेद आभा। विवरण-बड़ी-बड़ी घास वाले देहाती क्षेत्रों में रहने वाला यह पक्षी हुक्ना पक्षी की तरह उड़ान भरता है तक हाता है, जिस पर सफद आर शबता रंग के सुन्दर परन्तु जल्दी-जल्दी पंख फड़फाड़ाते समय इसकी चित्र बने होते हैं। पट विवरण-इनकी अनेक प्रजातियां जंगलों में वृक्षों के ऊपर पाई जाती हैं। मादा सर्प अपने बच्चे धरती पर देती है। बच्चे जन्म लेने के बाद वृक्ष पर चढ़ जाते हैं। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-जानवरों की दुनिया, Common Indian Snake] वंजुलग [वन्जुलग] प्रज्ञा. 1/79 ठाणं 10/82/1 Little Grebe, or Dabchick-पनडुब्बी, लओकरी, आकृति लपविग का छाया के समान प्रात होता है। बैजुलक। नर पक्षी हर बार कूदते समय कंठ से कुछ कर्कश-सी आकार-कबूतर से कुछ बड़ा पुच्छहीन पक्षी। लक्षण-शरीर का रंग-बादली। नीचे का भाग रेशमी लघु ध्वनि करता है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave सफेद तथा चोंच नुकीली। विवरण-भारत, पाकिस्तान, लंका आदि देशों में पाया 330] जाने वाला यह पक्षी कुशल तैराक तथा गोताखोर होता लोट्टिया [लोट्टिया] ज्ञाता. 1/1/157 है। आहट सुनते ही झटपट पानी में इतनी सफाई से Young Female elephant-हाथी की छोटी बच्ची घुस जाता है कि तरंग-चिन्ह भी दिखाई नहीं देते। देखें-कुंजर कि झीलों, नदियों आदि में यह अपने छोटे पंखों को लोमठिका लोमठिका] जीव.टी.प. 38 , जल्दी-जल्दी फड़फड़ाते हुए कुछ दौड़ता, कुछ उड़ता Fox-लोमड़ी देखें-कोकंतिय और एक-दूसरे का पीछा करता रहता है। विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. लोहितपत्त [लोहितपत्र] प्रज्ञा. 1/51 462-63] Butterfly of Red wings-लोहित पंख वाली तितली देखें-किण्हपत्त कति जिवित वग्गुली [वल्गुली] सू. 1/4/35 भग. 13/152, वइउल [व्यतिकुल] प्रज्ञा. 1/71 प्रज्ञा. 1/78 A Kind of Boya-बौआ, विटपिन सर्प, वाइनसर्प, Great Stone Plover-बड़ा काखानाक, महान व्यक्ति सर्प, गूबरा, अंकोरा (बंगाली) मनीयर, रुकै पाषाण-प्लावर। (मराठी), कोमबेरी-मूरकेन (तमिल)। आकार-घरेलू मुर्गे से कुछ छोटा। आकार-1-4 फीट तक लम्बा। लक्षण-शरीर का रंग ऊपर से भूरा तथा नीचे से सफेद लक्षण-शरीर का रंग चमकीला हरा से गहरा लाल होता है। चोंच मजबूत तथा ऊपर की ओर मुड़ी हुई। Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 80 जैन आगम प्राणी कोश ऐनक के समान बड़ी विशाल पीली आंखें। वच्छग [वत्सक] दस. 5/22 सू. 2/2/69 विवरण-विश्व में इसकी अनेक प्रजातियां पाई जाती Calf-बछड़ा देखें-गाव (गौ) हैं। यह प्रायः सांध्य एवं रात्रिचर प्राणी है। तेज धावक के साथ-साथ अच्छा तैराक भी होता है। वट्टग [बर्तक] सू. 2/2/18 प्रश्नव्या. 1/9, [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave-39] 2/12 विवा. 1/7/16 Common orgrey Quail-वटेर, घगुस बटेर, घूसर वग्गुरिया [वग्गुरिका] ठाणं. 7/43 वटेर Deer-हिरण आकार-लगभग तीतर के समान मांसल शरीर वाला। देखें-कुरंग (हिरण) यी लक्षण-शरीर का रंग धूमिल-पीला तथा भूरा। ऊपर के भाग में पीली धारियां। वग्ध [व्याघ्र] प्रज्ञा. 1/66, 11/21 जम्बू. 2/36, विवरण-विश्व भर में इसकी अनेक प्रजातियां पाई 136 जाती हैं। इसकी उड़ान तेज तथा सीधी होती है। Tiger-बाघ आकार-सिंह से कुछ बड़ा। वड [वट] प्रज्ञा. 1/56 लक्षण-शरीर का रंग लालिमा लिए हुए पीला होता Flying fox, Large Bat fish-लोमड़ी के आकार की मछली, सकुची मछली, बड़ी चमगादड़ मछली। आकार-लगभग 20 फीट तक लम्बा। लक्षण-इन मत्स्यों की बड़ी-बड़ी डेविलरें होती हैं जो देखने में चमगादड़ सी प्रतीत होती हैं। लम्बी दुम पर एक बड़ा तेज कांटा रहता Manta ray विवरण-समुद्र में इनकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। कुछ मत्स्यों की शक्ल चमगादड़ जैसी, है, जिस पर आड़ी-तिरछी काली धारियां होती हैं। पैरों कुछ की लोमड़ी की - के पंजे मजबूत एवं नुकीले होते हैं। भांति, कुछ की पतंग विवरण-भारत, एशिया और आस-पास के द्वीपों में जैसी होती है। शरीर का वजन 1/2 टन तक होता है। पाया जाने वाला यह प्राणी रात को ही शिकार के लिए पूंछ लम्बी एवं एक या दो कांटे युक्त होती है। निकलता है। इसकी सूंघने की शक्ति और दृष्टि विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-Manandanimals, कमजोर होती है, पर सुनने की शक्ति बहुत ही अच्छी रेंगने वाले जीव, जानवरों की दुनिया] होती है। यह चुपचाप बिना दिखे, बिना आवाज किए तथा बिना गंध के शिकार के पास तक पहुंचता है और वडगर [वटकर] प्रज्ञा. 1/56 [पा.] छलांग लगाकर उस पर टूट पड़ता है। AKind of Large bat fish-चमगादड़ मछली की Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश एक जाति, सकुची मछली की एक जाति । देखें - वड (वट) वरतुरग [वरतुरग] प्रश्नव्या. 4/7 A Well bred Horse - श्रेष्ठ घोड़ा देखें- आइण्ण (आकीर्ण) वराडग [वराटक] उत्त. 36/129 प्रज्ञा. 1/49 Cow Rie-कौड़ी आकार-नीचे से चपटी एवं ऊपर से कुछ गोलाई लिए चिकनी सतह । लक्षण - नीचे का भाग सीधा एवं कटा हुआ। जिसके माध्यम से यह चलता है। विवरण - इसका मुलायम शरीर कठोर कवच से ढका होता है। भारतीय एवं अन्य समुद्रों में इसकी सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती हैं। नीचे पानी में मछली देखते ही उस पर कूद पड़ता है। उड़ते समय जोर से 'किल-किल' जैसी ध्वनि निकालता है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - K. N. Dave पृ. 352] WISTE TOSFER 02Sr E-vexinoM वसह [वृषभ] उत्त 11/19 अनु. 353 दसा. 10/15 Ox - बैल देखें- आवल्ल TIC वाउप्पइय [वातोत्पतिक] प्रश्नव्या. 1/8 Flying Dragon - उड़ने वाली छिपकली । आकार - सामान्य छिपकली से कुछ लम्बा । लक्षण - शरीर का रंग गहरा भूरा, जिस पर काले धब्बे तथा धारियां होती हैं। पंखों का रंग गहरा नारंगी, उनमें वराहि [वराही] प्रश्नव्या 1/7 A kind of Cobra-नाग की एक जाति, दृष्टि कई काली धारियां होती हैं। शरीर की लम्बाई लगभग विष - सर्प । देखें—दिट्रिट्ठविस 10 इंच, पूंछ की लम्बाई 5 इंच, पिछली छः-सात पसलियां धड़ के बाहर दोनों ओर खाल में निकली रहती हैं। इन पसलियों के बीच की झिल्ली उड़ते समय पैराशूट की भांति फैल जाती है, जिसके द्वारा इनको उड़ने में सहयोग प्राप्त होता है। वराह [वराह] प्रज्ञा. 1/64 अनु. 355 दसा. 6/3 Pig - सूअर देखें - कोल वरेल्लग [ वरेल्लग] प्रज्ञा. 1/79 BlackCapped King Fisher - कौरिल्ला, किलकिला, वरेल्लग 81 आकार - मैना और कबूतर के बीच के आकार का पक्षी । लक्षण - शरीर पर सुन्दर पोशाक-सी । चोंच लम्बी और नुकीली। सिर, गर्दन और नीचे का भाग चाकलेटी भूरा । विवरण - विश्व भर में इसकी 87 प्रजातियां पाई जाती हैं। शरीर का आकार 5 से 18 इंच तक होता है। शिकार करते समय यह पानी के ऊपर हवा में एक ही जगह काफी देर तक पंख मारकर ठहरे रहता है। Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 82 विवरण - मद्रास, मलाया प्रायद्वीप, जावा, सुमात्रा, वोर्निया द्वीपों के घने जंगलों में पाया जाने वाला यह प्राणी उड़ते-उड़ते ही वायु में पतंगों को पकड़ लेता है और एक वृक्ष से दूसरे वृक्ष पर आसानी से पहुंच जाता है। 50 फीट से भी अधिक ऊंचाई पर उड़ सकता है। उड़ने के कारण इसे उत्पतिक छिपकली के नाम से भी जानते हैं। तितली जैसे रंगीन पंख होने के कारण शत्रुओं से अपनी रक्षा आसानी से कर लेता है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - Indian Reptiles, विश्व के विचित्र जीव-जंतु ] वाणर [वानर] आ.चू. 15/28 विवा. 1/2/67 Monkey-बंदर देखें - कवि (कपि) वायस [वायस] आ. 9/4/10 आ. चू. 1/161 उवा. 7/50 प्रश्नव्या. 1/9 House Crow- कौवा, देसी कौआ । देखें - काक वारण [ वारण] प्रश्नव्या. 4/7 औप. 19 Elephant-हाथी देखें - कुंजर (हाथी) वालग [व्यालक, वालग] भग. 11 / 138, जम्बू. 1/37 पर्युषणाकल्प - 32, 42 Snake- सांप देखें- अही वास [वर्ष] प्रज्ञा. 1/49 Earth Worm-केंचुआ देखें- गण्डूयलग जैन आगम प्राणी कोश वासीमुह [वासीमुख] उत्त. 36/128 Vasimukh - वासी मुख, वसुले के तुल्य मुंह वाला कीट । आकार - लगभग 1-3 इंच तक लम्बा । लक्षण - शरीर का रंग भूरा से लेकर हरा तक होता है । दूर से देखने पर शरीर पर कई छल्ले दिखाई देते हैं। विवरण - इनकी कई प्रजातियां हैं, जैसे- Vasimukha, Curchlidlae (वासीमुख, कुर्कुलिमोनिडे) आदि। इन जीवों का मुख वसुला या छेनी के समान होता है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- फसल पीड़क कीट, Nature, जीव-विचार-प्रकरण] वाह [वाह] सू. 1/2/59 प्रश्नव्या. 1/20 Horse घोड़ा देखें- अस्स (अश्व) विछिए [वृश्चिक] उत्त. 36/147 Scorpion-बिच्छू देखें-विच्छुत विग [क] भग. 3/209 प्रश्नव्या. 1/6, जम्बू. 2/36 Walf-भेड़िया । देखें - ईहागिम विच्छुत [वृश्चिक] प्रज्ञा. 1/51 Scorpion-बिच्छु आकार - लगभग दो इंच से 10 इंच तक लम्बाई । मकड़ी की प्रजाति का एक जन्तु । लक्षण - इसकी आठ टांगें होती हैं। आगे की ओर दो चिमटे के समान अंग होते हैं जो इसे अपना शिकार पकड़ने में मदद करते हैं। पीछे की ओर पेट के हिस्से का बढ़ा हुआ लम्वा भाग होता है जिसका अन्त एक Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश 83 डंक के रूप में होता है। विज्झिडियमच्छ विज्झिडियमत्स्या प्रज्ञा. 1/56 विवरण-बिच्छू की अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। A Kind of Fish-मत्स्य की एक जाति, यह सूखे नेत्रों, पानी, गोबर आदि तथा पथरीले स्थानों विज्झिडियमत्स्य। देखें-झसमाग में पाया जाता है। रात्रि के समय भोजन के लिए सक्रिय विडिम [विडिम] प्रज्ञा. 2/49 Kid-बालमृग। विमर्श-प्रस्तुत प्रकरण में खग्ग के बाद विडिम शब्द आया है। खग्ग का अर्थ गेंडा होता है। विडिम शब्द का अर्थ बाल मृग और गेंडा है। इसलिए यहां बालमृग ही ग्रहण किया गया है। देखें-किण्हमिय (कृष्णमृग) वितत पक्खि [विततपक्षिन] सू. 2/4/81 ठाणं. 4/551 A Kind of Bird-वितत पक्षी, पक्षी-विशेष। होता है तथा दिन में अपने स्थान पर छिपा रहता है। विवरण-मनुष्य क्षेत्र के बाहर पाए जाने वाले इन यह अपने डंक का उपयोग किसी विशेष परिस्थिति पक्षियों के पंख सदा खुले या विस्तृत होते हैं। उत्पन्न होने पर ही करता है। इसके डंक का विष मनुष्य के लिए तो इतना खतरनाक विदंसग [विदंसक] प्रश्नव्या. 1/20 नहीं होता लेकिन अन्य जीवों के लिए बहुत घातक सिद्ध Crested Hawk Eagle-शाहबाज, शिखी श्येन हो सकता है। बिच्छु जब मनुष्य को डंक मारता है तब उकाब, शिकरा, चिपका, चपाक। देखें-उलाण वह डंक के माध्यम से काटे हुए स्थान पर विष छोड़ देता है। इसका विष ऐंठन तथा अस्थाई पक्षाघात भी वियग्घ [व्याघ्र] ला सकता है। __Tiger-बाघ देखें-वग्घी मादा बिच्छु नर बिच्छु से काफी बड़ी और गुस्सैल होती है। वह नर बिच्छु के छोटे से भी अपराध को क्षमा नहीं विलय [विलय] भग. 12/61 करती और उसे मार कर खा जाती है। इसके बच्चों Golden oriole-विचित्र पंख वाला पतंगा। की संख्या 25 से 30 तक होती है, जिनको लाद कर देखें-पीलक इधर-उधर घूमा करती है। विरली [विरली] उत्त. 36/147 विचित्तपक्ख [विचित्रपक्ष] प्रज्ञा. 1/51 sala A Kind of Cricket-झिंगुर की एक जाति। Moth of many Colour wings-विचित्र पंख वाला देखें-भिंगारी (शृंगरीटक) पतंगा। देखें-पतंग विराल [विडाल] आ.चू. 1/52 ज्ञाता. 1/1/178 विचित्रपत्तए [विचित्रपत्रक] उत्त. 36/148 उत्त. 32/13 दसा. 7/24 Butterfly of many colour wings-विचित्र पंख Wild cat-वन बिलाव (बिल्ला)। वाली तितली। देखें-किण्हपत्त। आकार-सामान्य विलाव से बड़ा। Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश लक्षण-शरीर का रंग हल्के भूरे से लेकर सलेटी तक वीरल्ल [वीरल्ल] प्रश्नव्या. 1/9 होता है, जिस पर कभी-कभी गहरे भूरे रंग के धब्बे होते Laggar Falcon-बाज पक्षी, लग्गर। हैं। पैर लम्बे एवं पूंछ छोटी होती है। पंजे बर्फ पर चलने देखें-शेन (श्येन) K.N. Dave पृ. 183 के लिए गद्दीदार होते हैं। कानों पर बालों का एक बड़ा । गुच्छा तथा चेहरे पर लंबी मूंछे होती वेढला वेढला] प्रज्ञा. 1/58 [पा.] AKind of Crocodile-घड़ियाल की एक जाति। विवरण-अधिक ऊंचाई के जंगलों में पाए जाने वाला देखें-ग्राह यह प्राणी पेड़ों पर चढ़ सकता है और पानी में तैर सकता वेणुदेव [वेणुदेव] सू. 1/6/21 Golgen Eagle-गरुड़ देखें-गरुड़ वेसर [वेसर] प्रश्नव्या. 1/9 Frown Hawk-owl-चुघट, बसरा, भूरा बाज-उल्लू। आकार-कबूतर से बड़ा। लक्षण-शरीर का रंग धूसर-भूरा तथा नीचे से सफेद, जिस पर लाल-भूरी पट्टियां होती हैं। विवरण-भारत, लंका आदि देशों में पाया जाने वाला यह पक्षी शक्ल एवं उड़ान में बाज से बहुत है। शक्तिशाली मजबूत पंजों की वजह से बकरी, हिरण मिलता-जुलता है। दिन में वृक्षों पर विश्राम करता है अदि को अपना शिकार बना लेता है। bataomo. तथा रात्रि में शिकार के लिए निकलता [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-भारत के संकटग्रस्त है। अऊ-ऊऊ-ऊक 6 से 20 बार दोहराने वाली बोली वन्य प्राणी, Nature, जानवरों की दुनिया] से पहचाना जाता है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. विस्संभरा [विसंभरा] प्रज्ञा. 1/76 सू. 2/3/80 220, वर्णरत्नाकर] Moles, Shrews-छडूंदर देखें-छुछिका वोंड [वोंड] ज्ञाता. 1/17/14/1विहंगम [विहंगम] दस. 1/3 Boli Little-egret-छोटा, बगुला, किलचिया। ABlack bee-भौंरा देखें-छप्पय (भौंरा) देखें-काउल्ली विहंगम [विहंगम] दस. 1/3 मिनाही . Purple Sunbird-शकर खोरा, सूर्य पक्षी NA देखें-महुयर सउणि [शकुनि] सू. 2/2/19 Black winged Kite-कपासी, मसुनवा, शकुनि। देखें-जमग वीयविंटिका [बीजवृन्तका] प्रज्ञा, 1/50 A Kind of Trogoderma Granarium Everts-खपरा कीट की एक जाति। 20 biw देखें-पुप्फविंटिया संख [शंख] प्रज्ञा. 1/49, उत्त. 36/128 Conch shell-TC आकार-विभिन्न प्रकार का। लक्षण-अनेक रंगों एवं बिना रीढ़ वाले इन जीवों के Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश शरीर पर कड़ा खोल होता है। कुछ के एक तथा कुछ संवर [संवर] प्रज्ञा. 1/64 प्रश्नव्या 1/6 के दो खोल भी होते हैं। श्री Antelope-मृग की एक जाति, (बारह सींगा) विवरण-अधिकांशतः पानी में रहते हैं। पानी में प्राप्त आकार-सामान्य हिरण से कुछ बड़ा। चूने से अपना खोल बनाते हैं। शंखराज का खोल इनमें लक्षण-शरीर पर सुंदर रंग की ऊनी खाल होती है। गर्मियों में इसके शरीर का रंग हल्का हो जाता है। सिर पर शाखायुक्त सींगों का जाल होता है। विवरण-ये उत्तरी तथा पूर्वी भारत, उत्तर प्रदेश, असम, मध्य सबसे बड़ा होता है। 75,000 तरह के जीवं इन खोलों प्रदेश के दलदली अथवा सूखी घास वाले वनों में पाये में रहते हैं। जाते हैं। इनके सींग नियमित अंतरालों पर झड़ते हैं। नए सींगों पर एक मखमली आवरण होता है। वयस्क संखणग [शंखगण] प्रज्ञा. 1/49, उत्त. 36/ होने पर जब सींग कठोर हो जाते हैं तो आवरण हट 128 जाता है। यह 30 से 50 तक की संख्या वाले बड़े झुंडों Shells-शंखनक (छोटे शंख, शंखनी) में रहना पसंद करता है। आकार-विभिन्न आकार प्रकार वाले। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-विश्व के विचित्र लक्षण-घुमावदार, चपटे, शंकु आदि आकार तथा| जीव-जंतु] विभिन्न रंगों वाले होते हैं। विवरण-75,000 किस्में पाई जाती हैं। ये समुद्र एवं संवुक्क [संवुक्क] प्रज्ञा. 1/49 गरम पानी के स्रोतों में पाए जाते हैं। इनका शरीर इतना Snail-घोंघा (शम्बूक) कोमल होता है कि छोटे से भी रेत के कण को सहन आकार-शंख एवं सिप्पी के तुल्य। नहीं कर सकते। संड [शण्ड, षण्ड] भग. 2/66 ज्ञाता. 1/1/24 उवा. 1/57 Bull-बैल, सांड़ देखें-आवल्ल सदंसगतुड [सदंशकतुण्ड] प्रश्नव्या. 3/18 [पा.] Jungle-crow-ढंक, बड़ा काक, द्रोण काक, ढिंकणा (राज.)। देखें-ढंक लक्षण-शरीर बहुत कोमल किन्तु उस पर एक कठोर खोल होता है। पैर चौड़े एवं बड़े। जमीन पर रेंगने वाले प्राणी हैं। . Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 86 जैन आगम प्राणी कोश विवरण-मीठे पानी के समद्रों में एवं स्थल पर पाए सतपत्त शतपत्रा प्रज्ञा. 1/48 राज. 23 जीवा. जाने वाले घोंघे अनेक प्रकार के होते हैं। घोंघे के खोल 3/259, 291 में एक ही खंड होता है। प्रायः शाकाहारी जीव है। घोंघे Golden backed wood pecker-कठफोड़वा, के विशेष प्रकार की जीभ होती है, जिस पर सैकड़ों सोनपीठा कांटेदार दांत होते हैं। दांत इतने मजबत होते हैं कि आकार-मैना से थोडे बडे आकार का लगभग 12 इंच अन्य सिप्पी आदि के खोल को भी चबा जाते हैं। लम्बा पक्षी। लक्षण-शरीर का रंग लाल-भूरा तथा बादामी होता सकुलिया [सकुलिया] अनु. 321 है। पंख तथा दुम में काली-तिरछी धारियां होती हैं। Black winged kite-शकुनि, कपासी, मसुनवा। गहरे लाल रंग का अनुकपाल शिखर तथा मुकुट होता देखें-जमग है। जबान लम्बी तथा नुकीली होती है। सोहमच्छ [श्लक्ष्यमत्स्य] प्रज्ञा. 1/56 विवरण-विश्व में इसकी 210 प्रजातियां पाई जाती AKind of Angler fish-एंगरफिश की एक जाति, हैं। यह पेड़ों के तनों तथा डालों पर सर्पिलाकार तरीके प्रकाश पैदा करने वाली मछली, गूंज मछली, सण्हमत्स्य से चढ़ सकता है तथा उलटा भी चढ़ सकता है। यह (तमिल), सांढयमत्स्य (मलयालम)। अपनी खुराक के लिए पेड़ के तने को अपनी चोंच से आकार-कुछ फीट से सवा मी. तक लम्बा। ठोकता रहता है। अमेरिकी वैज्ञानिकों के अनुसार लाल लक्षण-मुंह काफी बड़ा एवं अनेक दांतों वाला। मुंह सिर वाला कठफोड़वा इतनी जोर से पेड़ की छाल पर के आगे राड्स लम्बे तंतुओं (Fillaments) की भांति चोंच मारता है कि टक्कर का वेग (Impact Velocity) होते हैं, जिनके सिरों पर प्रकाश पैदा करने वाले बल्ब 13 मील प्रति घंटा (20.9 KM/N) होता है। उड़ते वक्त लगे रहते हैं। एक तेज ध्वनि निकालता है जो कर्कश चहचहाट जैसी विवरण-समुद्र में लगभग एक किलोमी. की गहराई होती है। में इन मछलियों विमर्श-कैयदेवनिघंटु पृ. 461 में शतपत्र शब्द को मोर की अनेकजातियां तथा तोतें का पर्यायवाची माना है। पाई जाती हैं। ये [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave-118] मछलियां अपना शिकार पकड़ने के सतवाइया [शतपादिका] प्रज्ञा. 1/50 लिए फिशिंग Centiped-कानखजूरा देखें-गोम्हि राड्स और ल्यूर्स (Fishing Rods सत्तवच्छ [शतवत्स] प्रज्ञा. 1/79 and Lures) का Black Tailed Godwit-गुडेरा, जंगराल, खग, इस्तेमाल करती मालगुझा देखें-मेसरा हैं। समुद्र की गहराई में काफी सदावरी [शतावरी] उत्त. 36/138 अंधेरा होने के A Kind of Insect-कीट की एक जाति। कारण प्रकाश देखकर छोटी-छोटी मछलियां स्वयं ही देखें-हालाहल नजदीक आकर शिकार बन जाती हैं। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-विश्व के विचित्र सप्पी [सी] सम. 30/18 जीव-जंतु, जानवरों की दुनिया, Man and animals] Femal Cobra-नागिन. देखें-नाग Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश समुग्गय [समुग्गक] ज्ञाता. 1/17/14 Otter-जल-विलाव, जल मानुष, ऊदबिलाव। देखें-उद्द सरंड [सरंड] प्रज्ञा. 1/76 AKind of Chameleon-गिरगिट की एक जाति। देखें-अहिलोढ़ी समुग्गय [समुद्रगक] ज्ञाता. 1/17/14 Snake-bird, Darter-जलकाक, पनडुब्बी। सरंब [शरम्ब] प्रश्नव्या. 1/8 Snake-Skink-नागर बामणी देखें-छीरल देखें-मंगु समुग्गपक्खी [समुद्रपक्षी] सू. 2/3/81 भग. 15/186, सरड [सरट] प्रज्ञा. 1/76 सू. 2/3/80 प्रश्नव्या. 1/9 Akind of Chameleon-गिरगिट की एक जाति। Sea Bird-समुद्रपक्षी देखें-अहिलोढ़ी। विवरण-मनष्य क्षेत्र से बाहर पाए जाने वाले इन पक्षियों के पंख सदा अविकसित रहते हैं। अर्थात सरव [सरव] सू. 2/3/80 डिब्बे के आकार सदृश इनके पंख सदा ढंके रहते Pangolin-साल, सिल्लू, वनरोहू, काठपोह, सार, सरैव। आकार-लम्बी पूंछ एवं गोह के समान प्रतीत होने समुद्दलिक्खा [समुद्रलिक्षा] प्रज्ञ. 1/49 वाला प्राणी। Sea-Louse-समुद्र-लिक्षा लक्षण-इसकी लम्बाई 2-5 मी. तक होती है। सारे विवरण-समुद्र में अनेक प्रकार के द्वीन्द्रिय प्राणी पाए शरीर और दुम के ऊपर कड़ी प्लेटें खपरैल की भांति जाते हैं। जिनमें से समुद्रलिक्षा नाम की एक प्रजाति लगी रहती हैं। मुख दंत विहीन तथा छोटा होता है। है जो लीख (नँ) के समान होती है। विवरण-भारत, जावा, बोर्नियो, फिलिपाइन्स तथा विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-सचित्र विश्व कोश, निकटवर्ती द्वीपों आदि में पाया जाने वाला यह एक Nature] स्तनपायी प्राणी है। खतरा महसूस होने पर यह अपने को कवच में बंद करके गेंद जैसा बन जाता है। यह समुद्दवायस समुद्रवायस) भग. 13/158 प्रज्ञा. 1/78 Brownheaded Gull-समुद्रकाक, धोमरा बभ्रुशिर गल। आकार-जंगली कौवा से बड़ा। लक्षण-शरीर का रंग ऊपर से धसर नीचे से सफेद होता है। गर्मियों में सिर का रंग काफी जैसा भूरा हो जाता है। सर्दियों में सिर का रंग सफेद धूसर होता है। विवरण-समुद्रतट, बड़ी नदियों या झीलों के किनारे पाए जाने वाला यह पक्षी झुंडों में देखा जाता दिन भर अपने बिल में रहता है और रात्रि के समय [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave शिकार के लिए निकलता है। अपनी लम्बी जीभ से पृ. 337] दीमक और चींटियां खाता है।। है। Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 88 जैन आगम प्राणी कोश [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-जानवरों की दुनिया, यह पक्षी नदियों, झीलों आदि के किनारे टोलियों में देखा Nature, सचित्र विश्व कोश] जाता है। यह एक कुशल गोताखोर पक्षी है। उड़ते समय कुछ तीखी खरखराहट भरी सीए, सिक्क, सीए सिक्क सरभ [सरभ] प्रश्नव्या. 1/6 प्रज्ञा. 1/64 जैसी शीश ध्वनि निकालता है। A Fabulous Animals-अष्टापद, सरभ, परिसर, विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. DAve पृ. परासर। 450, भारत के पक्षी] देखें-परासर सल्ल [शल्य] सू. 2/3/80 प्रश्नव्या. 1/8 प्रज्ञा. सरहा [सरघा] देशी नाम माला 2/73 1/76 Honey bee-मधुमक्खी , Anteater, spiny Anteater, Echidna-कंटीला आकार-सामान्य मक्खी से कुछ बड़ा। चींटीखोर, एंकिडना, सिल्ल। लक्षण-काले भूरे तथा पीली पट्टियों से ढंका हुआ आकार-सेही से बड़ा। शरीर। इनके दो जोड़े पंख तथा पूंछ के पिछले हिस्से लक्षण-सेही की भांति पीठ पर पीले कांटे, जिसका में विषैला डंक होता है। जी रंग सिरों पर काला होता है। पेट पर कांटे नहीं केवल विवरण-चींटियों की तरह मधुमक्खियां भी बड़े समूह बाल ही होते हैं। टांगें छोटी तथा नाखून मजबूत एवं में रहती हैं। कभी-कभी एक छत्ते में 75000 के लगभग तेज होते हैं। मधुमक्खियां रहती हैं। यह अपना छत्ता मोम से बनाती विवरण-आस्ट्रेलिया, न्यूगिनी तथा उनके निकटवर्ती है। कुछ मधुमक्खियां फूलों से मकरन्द लाने का काम करती हैं, कुछ अपने शरीर से पैदा हुए मोम से छत्ता बनाती हैं। कुछ छत्तों को साफ करती हैं। इस तरह सभी मधुमक्खियां अपने-अपने नियत कार्य को करती हैं। सराडि [शराटि, सराडि] गरुडवहो. 118 Lesser whistling Teal-सिल्ही, सिलकही लघुशरालि। आकार-पालतू बत्तख से कुछ छोटा। लक्षण-शरीर का रंग फीका भूरा और मैरुनचेस्टनट होता है। नर-मादा दोनों एक जैसे होते हैं। धीमे-धीमे पंख फड़फड़ाता हुआ जैकाना पक्षी की भांति उड़ान भरता है। विवरण - भारत, पाकिस्तान, नेपाल आदि देशों में पाए जाने वाला। द्वीपों में पाया जाने वाला यह एक स्तनपायी जीव है। स्तनपायी होते हुए भी मादा अंडे देती है। वह भी शरीर में बनी एक थैली में रख देती है। यह अपने तेज नाखूनों से सख्त जमीन को भी बड़ी तेजी से खोद डालता है। चिपचिपी एवं लम्बी जीभ के द्वारा यह चींटियों और दीमकों को आसानी से पकड़ लेता है। खतरा महसूस होने पर अपने शरीर पर कांटों को खड़ा कर गेंद की तरह गोल हो जाता है। Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश 89 की आवाजें आसानी से सुन सकता है। गफ [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-जानवरों की दुनिया, विश्व के विचित्र जीव-जंतु, सचित्र विश्व कोश] ससय [शशक] ज्ञाता. 1/1/154 प्रश्नव्या. 1/6 विवा. 1/4/161 Rabbit-खरगोश आकार-सेही के समान। लक्षण-शरीर का रंग सफेद से लेकर लाल तक होता है। पिछले दो पैर काफी लम्बे और मजबूत होते हैं। साण [श्वन्] आ.चू. 4/12 ठाणं. 5/299 भग. 3/34 प्रश्नव्या. 1/6 Dog-कुत्ता आकार-छोटे-बड़े अनेक प्रकार के। लक्षण-शरीर का रंग सफेद से लेकर भूरा-लाल तक पुरामा संशोधन गोवरपेय विवर पोखरा आदरसोच का रियर जिनसे यह चौकड़ियां भरता हुआ तेजी से दौड़ सकता होता है। कुछ कुत्तों के कान बड़े एवं कुछ के छोटे होते है। कान लम्बे और चौकन्ने होते हैं। हैं। कुछ के कान खड़े एवं कुछ के नीचे झुके हुए होते विवरण-इसकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं हैं। इनके दांत मजबूत और तेज होते हैं। घ्राण इन्द्रिय जैसे-स्नोशू, रेगिस्तानी, पालतू, हिमालयी और बेल्जियम बहुत सूक्ष्मग्राही होती है। का खरहा आदि। खतरे के समय यह बिल्कुल दम विवरण-विश्व भर में इनकी सैकड़ों प्रजातियां पाई साधकर पड़ा रह सकता है। दौड़ते-दौड़ते एकाएक रुक जाती हैं। ब्लड हाउण्ड कुत्ता अपराधियों का पता लगाने जाता है और तुरन्त दिशा बदल देता है। जंगली खरगोश में पुलिस के बहुत काम आता है। अल्शेशियन कुत्ता विलों में रहते हैं। ये बिल जमीन में नीचे ही नीचे सुरंगों भी जासूसी विभाग में कार्य करता है। यह बहुत निडर की भांति बने होते हैं। और होशियार होता है। प्रदर्शनियों में कुत्तों को छः भागों कुछ खरगोशों के पैर तथा कान बड़े होते हैं, जिन्हें खरहा में बांटा जाता है-खिलाड़ी, गैर-खिलाड़ी, काम करने कहा जाता है। खरगोश को मनुष्य की तरह पसीना नहीं वाले, शिकारी, हेरियर और खिलौना कुत्ते। कुछ विशेष आता क्योंकि उसके लम्बे कानों से शरीर की गर्मी बाहर जाति के कुत्ते अनेक कार्य करने में दक्ष होते हैं जैसेनिकलती रहती है। खरगोश के कानों में बहुत सारा अंधे को रास्ता दिखाना, भेड़ों एवं दूसरे जानवरों को रक्त होता है। जब वह तेजी से दौड़ता है तब यही रक्त एकत्रित करना, संपत्ति की रक्षा करना आदि। हवा के सम्पर्क में रहने से ठंडा रहता है और पूरे शरीर भारत के जंगलों में पाया जाने वाला सोनहा कुत्ता बहुत में इसका संचार होने से शरीर का तापमान संतुलित शक्तिशाली एवं खूखार होता है। इनकी टोलियां तेंदुए बना रहता है। इसके कान आगे-पीछे, दाएं-बाएं हर बाघ, सिंह पर भी हमला कर उन्हें अपना शिकार बना दिशा में घूम सकते हैं। जिससे यह अपने चारों तरफ लेती हैं। Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 90 सामलेर [शाबलेय] पर्युषण कल्प. 544 Calf of a spotted cow-चित्तकबरी गाय का बछड़ा । देखें - गाव (गाय) सारंग [सारंग] प्रश्नव्या. 10/16, प्रज्ञा. 1/ 51 जम्बू. 3/3 #5 5345513 Koel, Crow-Pheasant or Coucal-कोयल, महुका । देखें-पुंसकोइला सारंग [सारंग] प्रश्नव्या. 10/16, प्रज्ञा. 1/57 जम्बू. 3/3 Elephant-हाथी देखें- कुंजर (हाथी) सारंग [सारंग] प्रश्नव्या. 10/16, प्रज्ञा. 1/51, जम्बू. देखें - सीह (सिंह) 3/3 सारंग [सारंग] प्रश्नव्या. 10/16, प्रज्ञा. 1/51 जम्बू. 3/3 A Spotted Deer - चितकबरा हिरण । आकार - बारहसींगा हिरण की भांति । लक्षण - शरीर का रंग भूरा-पीला चितकबरा होता है । कई हिरणों का शरीर सुनहरा भी होता है । सिर पर 2 से 8-10 तक श्रृंगशाखाएं होती हैं । विवरण- इनकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं जैसे थामिन, हांगुल, कस्तूरी मृग आदि । थामिन हिरण की खाल खुरदरी और पतली | होती है। इसके सींग विशेष प्रकार के लगभग गोलाकार होते हैं । हांगुल हिरण के शरीर का रंग हलका या गहरा भूरा और पूंछ के पास नितंब पर सफेद धब्बा होता है। इनके शरीर के दोनों ओर का तथा पैरों का रंग पीलापन लिए होता है। सिर पर कई कांटेनुमा सींग होते हैं। प्रत्येक सींग की 5 से 10 तक श्रृंग शाखाएं होती है । कस्तूरी मृग के शरीर का रंग लाल भूरा या सुनहरा लाल होता है । इनके सींग नहीं होते किन्तु एक जोड़ी मुड़े हुए दांत होते हैं। इनकी नाभि में कस्तूरी की गोलाकार ग्रंथि होती है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - K. N. dave पृ. 132] जैन आगम प्राणी कोश सारंग [सारंग] प्रश्नव्या. 10/ 16, प्रज्ञा. 1/51, जम्बू. 3/3 Small green billed Malkoha - पपीहा, चातक, कपरा । आकार - कबूतर के तुल्य । लक्षण - शरीर का रंग ऊपर से ग्रे तथा नीचे से सफेद होता है, जिस पर भूरी धारियां होती हैं। चोंच गहरी हरी तथा आंख के गिर्द साफ नीली चकत्ती युक्त एवं पूंछ लम्बी होती है । विवरण- विशेष रूप से भारत में पाया जाने वाला यह पक्षी कोयल की भांति चतुर एवं धोखा देने में दक्ष होता है। मादा पपीहा अपना अंडा बैब्लर के घोंसले में देती है । उड़ते समय या बैठा हुआ यह बड़ी तेज आवाज में पांच-छः बार ब्रेन फीवर ब्रेन फीवर बोलता है । सारंग [सारंग] प्रश्नव्या. 10/16, प्रज्ञा. 1/5, जम्बू. 3/3 Common Peafowl-मयूर देखें-ढेलियालग सारंग [सारंग] प्रश्नव्या. 10/16, प्रज्ञा. 1/ 51 जम्बू. 3/3 Flamingo - राजहंस, वोगहंस । द्रष्टव्य- राजहंस Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश 3/3 सारंग सारंग] प्रश्नव्या. 10/16 प्रज्ञा. 1/51 जम्बू. वया, कृष्णपक्ष वया, सर्वोवया। आकार-गौरैया के समान। ABlack bee-भंवरा देखें-छप्पय (भंवरा) लक्षण-चमकदार सुनहरा पीला शिखर । सफेद कंठ और शरीर के निचले भाग पर काली पट्टी। मादा शालक सारस [सारस] ठाणं. 7/41/2 ज्ञाता. 1/5/3 का शिखर-भूरा तथा कान के पीछे एक धव्वा होता है। प्रश्नव्या. 1/9 अनु. 3/3 विवरण-तालाबों, झीलों एवं सरकण्डों वाले क्षेत्रों में Sarus crane-सारस पाया जाने वाला यह पक्षी अकेला रहना पसंद नहीं आकार-4-5 फीट की ऊंचाई वाला पक्षी। करता। यह मादा को रिझाने के लिए जानबूझ कर पंख लक्षण-शरीर का रंग ग्रे (धूसर) होता है, पैर तथा फड़फड़ाता है और बिना तेल दिए साइकिल के सिर का रंग लाल और पंख रहित होते हैं। पहिए की जैसी हल्की चूं-धूं या झींगुर की कूजन से विवरण-भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश आदि में पाया । मिलता-जुलता हंसी-ट्सि सिंक-ट्स जैसा मृदु गीत गाता जाने वाला यह पक्षी अपने आदर्श प्रेम के लिए प्रसिद्ध है। जोड़े में से एक की मृत्यु होने पर दूसरा भी कुछ । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-भारत के पक्षी, दिनों के बाद वियोग में प्राण त्याग देता है। मुगल जानवरों की दुनिया] बादशाह जहांगीर ने सारसों का विशेष अध्ययन किया था। सालिसच्छियमच्छ [शालिशस्त्रिक मत्स्य] प्रज्ञा. 1/56 सारा [सारा] सू. 2/3/80 प्रज्ञा. 1/76 A Civet-Cat-Fish-कैट फीस, पठिन। Pangolin-पेंगोलीन, साल, सिल्लू, बनरोहू, काठपोह, आकार-2-6 फीट लम्वा। सरैव, सार। लक्षण-शरीर का रंग सलेटी। मुंह पतला एवं देखें-सरव छोटे-छोटे दांतों वाला। पीठ पर बड़ा और नुकीला कांटा। सारिआ [सारिका] प्रवचनसारोद्वार-569 विवरण-यह मछली पकड़े जाने पर बिल्ली की तरह Hill myna-पहाड़ी मैना कर्कश स्वर करती है। इस मछली की आंखें गंदे पानी आकार-सामान्य मैना से बड़ा। में काम नहीं देतीं। इसलिए प्रकृति ने इन्हें काफी लक्षण-शरीर का रंग काला तथा पंखों पर सुस्पष्ट बड़ी-बड़ी मूंछे दी हैं, जिसके द्वारा ये इधर-उधर सफेद धब्बे। चोंच तथा टांगें काली। सिर पर चमकीले फिर सकती हैं। इनका वजन 5 मन तक होता नारंगी-पीले धब्बे और मस्से होते हैं। विवरण–पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाने वाला यह पक्षी विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-रेंगनेवाले जीव, कबूतर और हार्नेबिल की भांति शुद्ध शाकाहारी होता Marine Tropical Fish] है। लड़ते समय इसके पंख हरे कबूतर की तरह ध्वनि उत्पन्न करते हैं। जैसे किसी बर्त सालिसच्छियमच्छ [शालिशस्त्रिक मत्स्य] प्रज्ञा. 1/56 . विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. 141] AKind of Ricefish-तंदुल मत्स्य की एक जाति। विवरण-तिमि. तिमिंगल आदि मत्स्यों के कान में सालग [शालकप्रश्नव्या. 1/9 शालिशिक्थ नामक मत्स्य रहते हैं, जिनका आकार Blackbreasted Weaver Bird-सालक, कंठवाल चावल के दाने के बराबर होता है। वे मत्स्यों के कान हो। Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 92 का मल खाकर जीवन निर्वाह करते हैं। वे अपने मन में ऐसा विचार करते हैं। यदि हमारा शरीर इन मत्स्यों के समान होता तो मुंह से एक भी प्राणी जीवित न निकल पाता। हम संपूर्ण को खा जाते। इस प्रकार के अशुभ अध्यवसाय के द्वारा मृत्यु को प्राप्त कर नरक में जाते हैं। शेष विवरण के लिए द्रष्टव्यतिमि । सावय [सावय] प्रश्नव्या 3/7 Seal - शील, जनव्याघ्र, वालरस, सबका (मलमालय), साविया (तेलुगू) आकार - लगभग छः मीटर तक लम्बा । लक्षण - शरीर का रंग हल्का भूरा से काला-सफेद तक होता है । इनके पंजे बत्तख के पैर की भांति होते हैं । ये पंजे तैरने में इनकी मदद करते हैं। बच्चों के शरीर की खाल बहुत मुलायम होती है। विवरण - समुद्रों में इनकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। उत्तरी समुद्र की शील सर्दियों के दिनों में समुद्र में घूमती रहती हैं। गर्मियों में ये हजारों मील की यात्रा कर वेरिंग सागर में प्रिणिलोफ द्वीप समूह के द्वीपों के किनारे इकट्ठी हो जाती हैं। वालरस नामक शील के मुंह के आगे दो लम्बे दांत निकले रहते हैं। कुछ नर सीलों का वजन कई हजार किलो तक होता है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- रेंगने वाले जीव, Indian Reptiles] सिंगिरीडी [श्रृंगिरीटी] उत्त. 36/147 प्रज्ञा. 1 /51 A kind of Spider- मकड़ी की एक जाति । देखें - कोली जैन आगम प्राणी कोश सिप्पिय [शुक्तयः] उत्त 36/128 Oyster - सीप आकार - शंखों की भांति छोटे एवं बड़े आकार के । लक्षण - शरीर का रंग सफेद-भूरा होता है। दो मजबूत खोलों के बीच के छिद्र से ये जीव अपने पैरों के द्वारा गति करते हैं । एक विवरण - नदियों, समुद्रों आदि में इनकी सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती हैं। सच्चा मोती विशेष प्रकार के सीप में निकलता है। रेत का एक कण भी इनके मुलायम शरीर के लिए असहनीय होता है। जब किसी कारण से रेत का कण सीप के भीतर प्रवेश कर जाता है तो उस कण से अपनी सुरक्षा के लिए सीप एक विशेष प्रकार के द्रव्य का स्राव करता है। वही स्राव कालान्तर में मोती का रूप धारण कर लेता है। सीप की लम्बाई 1/2 इंच से एक गज तक हो सकती है । शेष - विवरण के लिए द्रष्टव्य-सिप्पिसंवुडा । सिप्पिसपुड [ शुक्तिसंपुट] प्रज्ञा. 1/49 Oyster Clame-संपुटाकार सीप । आकार- संपुटाकार । लक्षण - मजबूत चूल से जुड़े दो खोल होते हैं, जिसमें से एक जोड़ी नलिका खोल के किनारे से बाहर पहुंचती है । एक नली से पानी भीतर जाता है जिसमें खाद्य पदार्थ, जंतु एवं आक्सीजन मिली रहती है । विवरण- मीठे एवं खारे पानी में इसकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। यह एक विना रीढ़ का जीव है। प्रशांत महासागर में पाए जाने वाले दानवसीप (दानवक्लैम) का वजन 225 KG तक तथा लम्बाई-चौड़ाई 1 1/2 मीटर तक हो सकता है। [शेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-सिप्पिय] सियाल [श्रृंगाल] प्रश्नव्या 1/6 प्रज्ञा. 1/66, 11/21 जम्बू. 2/36 Jackal - गीदड़, सियार देखें - कोल्लग सिरिकंदलग [ श्रीकंदलक] प्रश्नव्या 1/6 प्रज्ञा. 1/63 A kind of Donkey -गधे की एक जाति । देखें - खर ( गधा ) s www.cel She Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-विश्व के विचित्र जीव-जंतु ॥] सिरीसिवा [ सरीसृपा ] सू. 1/7/15 Komodo-Dragon - जलसर्प आकार - राक्षस के समान आकार वाला जलचर सर्प । लक्षण - मुख से ज्वाला निकालने वाला यह प्राणी 7 से 10 मी. तक लम्बा होता है। जिह्वा सामान्य सांप की भांति दो भागों में विभक्त होती है। शरीर का रंग चमकता हुआ लाल होता है। विवरण - यह महासमुद्रों में पाया जाता है। फ्रेंच के प्राणिशास्त्रज्ञ ने इसे सर्वप्रथम 1959 में देखा । यह अपने शिकार एवं रक्षा के लिए मुख से भयंकर ज्वाला निकालता है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - Man and animals सूत्र. चूर्णि पृ. 158] सिवा [शिवा] उत्त. 22/4 अनु. 323 Female Jackal- सियारनी देखें - कोल्लग se सिहि [शिखिन् सू. 1/11/27 भग 7/123 ज्ञाता. 1/1/29 Common Peafowl - मोर, मयूर । देखें-ढ़ेलियालग सिहि [शिखिन् सू. 1/11/27 भग 7/123 ज्ञाता. 1/1/29 Red Jungle Fowl-मुर्गा | देखें- कुक्कुट Saye सिहीमच्छ [शिखीमत्स्य] सू. 1/11/27 A Fish having A Long Pointed Mouth - नोकीली थूथन वाली मछली, तेगा-मछली, शिखीमत्स्य । आकार - 10-15 फीट तक की लम्बाई वाला मत्स्य । लक्षण - शरीर का रंग कुछ काला। ऊपरी थूथन आगे की ओर बढ़कर तलवार की भांति लम्बा और नुकीला होता है। विवरण - समुद्रों में पाया जाने वाला यह मत्स्य अत्यन्त खतरनाक होता है। नुकीली थूथन के माध्यम 93 से यह शिकार करता है। शिकार के समय में अपने शरीर को तेजी से आगे की ओर बढ़ाकर किसी मछली के शरीर में या अन्य प्राणी के शरीर में अपना नुकीला थूथन गड़ाकर उसे चट कर जाता है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- रेंगने वाले जीव, जानवरों की दुनिया ] सीह [सिंह] प्रश्नव्या. 1/6 प्रज्ञा. 1/66 जम्बू. 2/15 Lion - शेर, सिंह आकार - बाघ की अपेक्षा छोटा । लक्षण - चर्मावरण का रंग रेतिया भूरा या हल्का पीला होता है, जिसमें कोई निशान नहीं होता। जबकि इसके बच्चों पर धब्बे तथा लकीरें होती हैं। इनकी श्रवण शक्ति अत्यंत विकसित होती है। सिंह के अयाल होती है । सिंहनी के अयाल नहीं होती । Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 94 विवरण - भारत (विशेष रूप से गुजरात के गीर वनों में) और अफ्रीका के जंगलों में इनकी कई प्रजातियां पाई जाती हैं। यह रात्रिचर शिकारी है और घने जंगलों में रहना पसंद करता है। यह एक सामाजिक प्राणी भी है इसलिए अपने परिवार के साथ रहता है। इसके परिवार में 2-4 कम उम्र के सिंह, कई सिंहनियां व सिंह - शावक होते हैं । यह सारा परिवार 24 घंटे में से 18 घंटे अक्सर सोते ऊंघते गुजार देता है। शिकार का दायित्य प्रायः सिंहनियों पर ही होता है और नर शिकार के बाद समूह में सम्मिलित हो जाते हैं। यह 80k.m. प्रति घंटे की रफ्तार से अपने शिकार का पीछा करता है । एक पंजा शिकार की पीठ पर तथा दूसरा छाती या पसलियों पर रखकर शिकार को पकड़कर नीचे गिराता है। शिकार की गर्दन में दांत चुभाकर तब तक पकड़कर रखता है जब तक कि वह दम घुटने से मर नहीं जाता। सीमागार [ सीमाकार] प्रज्ञा. 1/58 Lesion, or क्रोकोडाइल्स पेलुस्ट्रिस - सीमागार या दलदलीय मकर । आकार - लगभग 3 1/2 मी. लम्बा । लक्षण - इसकी थूथन छोटी नदीमुख मगर जैसी होती है । शरीर का रंग हल्का जैतूनी भूरा होता है । विवरण - यह जम्बू एवं कश्मीर, हिमालय प्रदेश, पंजाब और रेगिस्तानी क्षेत्रों को छोड़कर संपूर्ण भारत में पाया जाता है। इसकी गति बहुत धीमी होती है। [शेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-ग्राह] सुक्किलपत्त [ शुक्लपत्र] प्रज्ञा. 1/51 Butterfly of White Wings - श्वेत पंख वाली तितली । देखें - किण्हपत्त सुग [शुक] ज्ञाता 1/1/3 जीवा. 3/597 Blue Winged Parakeet- तोता, शुक, मदनमौर आकार मैना के समान । लक्षण - शरीर का रंग बड़ा आकर्षक तथा कालर पर जैन आगम प्राणी कोश चमकदार नीली-हरी धारी । सुस्पष्ट नीले पंख तथा पुच्छ । चोंच मजबूत और मुड़ी हुई। पंजे का आधा भाग आगे की ओर तथा आधा पीछे का भाग पीछे की ओर मुड़ा हुआ होता । विवरण - विश्व भर में इसकी सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती हैं। न्यूगिनी का बौना तोता केवल साढ़े सात C. M. लम्बा होता है। आस्ट्रेलिया का काला तोता लगभग एक मीटर बड़ा होता है। तोता आवाज ग्रहण करके उसे कई बार दोहरा सकता है। कुत्ते का भौंकना, बिल्ली की म्याऊ म्याऊं या बच्चे के रोने जैसी आवाज निकाल सकता है। यह एक शुद्ध शाकाहारी प्राणी है 1 सुणगा [शुनक] सू. 2/2/19 ज्ञाता. 1/1/178 प्रज्ञा. 1/66 जम्बू. 2/36 Dog कुत्ता देखें - साण (कुत्ता) सुंसुमार [सुंसुमार, शिशुमार] प्रज्ञा. 1/60 Gangetic Porpoise - सूंस मछली, शिशुक, शिशुघ्न । आकार - मगरमच्छ के समान । लक्षण - शरीर का रंग सफेद-काला शिल्क युक्त होता । मगरमच्छ की भांति पैर छोटे होते हैं । विवरण - महासमुद्रों में पाया जाने वाला यह प्राणी दैत्याकार होता है । इसका मुख शरीर के अंदर होने पर भी श्वास बाहर छोड़ता है। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - Manand animals, शब्दकल्पद्रुम, कैयदेवनिघंटु-मांसवर्ग] सुंसुमार [सुमार, शिशुमार] प्रज्ञा. 1/60 Dolphin - शिशुमार, सुंसुमार, डॉलफिन, सिहों (असम) सूंस ( वंगला) । आकार - प्रायः 2-3 मी. लम्बा जलीय प्राणी । लक्षण - नदियों में पाए जाने वाले डॉलफिन का जबड़ा आगे से पतला, चपटा तथा चोंचनुमा होता है। मुंह दोनों जबड़ों के बीच में होता है, जिसमें 27-32 दांत होते हैं। समुद्री डॉलफिन का थूथन छोटा किन्तु स्पष्ट होता है । इसके जबड़े में कुल 130 दांत होते हैं । Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश 95 विवरण-महानदियों एवं महासमुद्रों में इनकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। यह समुद्री स्तनधारियों की श्रेणी में आता है। मनुष्य के बाद इसको ही सबसे बुद्धिमान प्राणी माना गया है। यह मनुष्यों की काफी मदद करता है और जल्दी-जल्दी इनसे मित्रता कर लेता है। यह अपनी आंखों से नहीं देख सकता। डॉलफिन को सांस लेने के लिए बार-बार जल की सतह पर आना पड़ता है। यह एक बहत अच्छा तैराक है जो 40 से 50 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से तैरता है। इसमें सुनने की शक्ति बहुत तेज होती है। आवाज के आधार पर दिशा का अनुमान लगाने में तो इन्हें महारत हासिल होती है। नर की अपेक्षा मादा डॉलफिन ज्यादा बड़ी होती है। लक्षण-शरीर का रंग सफेद तथा चकत्ते युक्त । नाग की तरह फन उठाकर आक्रमण करता है। विवरण-यह नाग की ही एक प्रजाति है जो नाग की अपेक्षा कम विषैला होता है। भारत, मलायाद्वीप, जावा आदि के जंगलों में पाया जाता है। सेहा सेहा] प्रज्ञा. 1/79 Common grey Hornbill- चलोतरा, धनेश, सेलगिल्ली। आकार-चील के आकार का एक भद्दा परन्तु विचित्र पक्षी। लक्षण-शरीर का रंग भूरा-ग्रे होता है। इसकी अनोखी चोंच काफी बड़ी मुड़ी हुई और काली तथा सफेद होती है। चोंच के ऊपर एक विशेष टोपी-सी होती है। मादा में यह टोपी अपेक्षाकृत छोटी होती है। सुयविंट [शुकवृन्त] प्रज्ञा. 1/50nt to bnts A Kind of Rectinophor a gossypiella Saunders-सूंडी की एक जाति देखें-हिल्लिया सुवण्ण [सुपर्ण] प्रज्ञा. 2/30 जम्बू. 3/24/1,2 आ. चू. ठाणं 3/464 सम. 34/1 Crested Hawk-Eagle-शाहबाज देखें-विदंसग सेडी [सेड़ी] प्रज्ञा. 1/79 Lesser Whistling Teal-सिल्ही, सिलकहीं मान देखें-सराडि सेण [श्येन] सू. 1/2/2 प्रश्नव्या. 1/9 उवा. 7/50 Laggar falcon-बाज पक्षी, लग्गर। देखें-वीरल्ल विवरण-भारत, अफ्रीका और एशिया में पाया जाने वाला यह पक्षी अंजीर, बरगद और पीपल के वृक्षों पर देखा जाता है। वृक्ष के खोखले तने को मादा धनेश सिमेंट जैसे पदार्थ से बंद कर केवल एक दरार सी छोड़ देती है ताकि नर उसमें से उसे भोजन पहुंचा सके। प्रवेश-द्वार का प्लास्टर इतना मजबूत होता है कि उसका कोई भी दुश्मन आसानी से घोंसले की दीवार तोड़कर प्रवेश नहीं कर सकता। विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. DAve पृ. 159, 161, विश्व के विचित्र जीव-जंतु] सेदसप्प [श्वेदसर्प प्रज्ञा. 1/70 Snake ofWhite Colour, Akind of Cobra-श्वेत सर्प, धामन, सराइ-पम्बू (तमिल), चेरा (मलयालम), गोला संप (तेलुगू) आकार-3-5 फीट लम्बा। Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 96 जैन आगम प्राणी कोश सेहा सेधा] प्रज्ञा. 1/76 सू. 2/3/80 प्रश्नव्या. 1/8 Hystrix, Porcupine-साही, सेही। आकार-लगभग 56 से.मी. लम्बा तथा 5-6 से.मी. लम्बी पूंछ वाला प्राणी। सोत्तिय [शौक्तिक] प्रज्ञा. 1/49 A kind of pearn Oyster-सौत्रिक, सीप की एक जाति। देखें-सिप्पिय सुणी [शुनी] सू. 1/3/8 प्रज्ञा. 11/23 Bitch-कुतिया देखें-साण (श्वन्) सूयर [शूकर] उत्त. 1/56 सू. 1/3/36 उवा. 7/50 Pig-सूअर देखें-कोल और कोलसुणग लक्षण-शरीर पर काफी बड़े-बड़े कांटे होते हैं जो सिरे सुभगा शुभगा] प्रज्ञा. 1/50 जम्बू. 4/164 पर हुकों की तरह मुड़े होते हैं। इनके तेज दांत कठोर A Kind of Insect-सुभग, त्रपुषमिंजका की एक वस्तुओं को भी कुतर देते हैं। जाति। देखें-तउसमिंजिया विवरण-यह एक शाकाहारी, सीधा-सादा और सुस्त प्राणी है। इसको दुश्मन के आक्रमण का भय नहीं होता। सुईमुह [शुचीमुख] प्रश्नव्या. 1/9 जरा सी आहट होते ही यह अपने नुकीले कांटे खड़ा Baya, कर लेता है। शेर भी इससे घबराता है। जब शेर इसको Weaver पंजा मारता है तो पंजों में कांटे चुभ जाते हैं। दर्द के Bird- बया, कारण शेर कराह उठता है। कांटा मांस के अन्दर टूट शुचिमुख। जाने पर और शरीर में जहर फेल जाने से शेर की मृत्यु आकार-गौरेया तक हो जाती है। साही पेड़ की लकड़ी और छाल के से मिलताअन्दर का हिस्सा विशेष रुचि से खाता है। यह दिन जुलता पक्षी। के समय बिल में रहता है और रात्रि के समय भोजन लक्षण-शरीर की तलाश में निकलता है। का रंग भूरा गेहुंआ। ऊपर सोंडमगरा [शोण्डमकरा] प्रज्ञा. 1/59डया गहरी धारियां [A Alligator having a Trunk] A kind of और नीचे का Alligator-शौण्डमकर (मगरमच्छ की एक जाति) हिस्सा सफेद विवरण-शौंडमगर मगर की एक जाति है। इनका गेहुंआं होता है थूथन सामान्य मगर से कुछ भिन्न तथा हाथी के सूंड इसकी दुम के समान लम्बा होता है। इनकी पूंछ इतनी शक्तिशाली छोटी-चौड़े सिरे होती है कि ये प्राणियों को पूंछ से धक्का देकर पानी वाली शंकु रूपी में गिरा देते हैं। और काफी [शेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-मगर] मजबूत होती है। Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगमणी कोश 97 नर-मादा में विशेष अन्तर नहीं होता। सोवच्छिय [सौवत्सिक] प्रज्ञा. 1/50 विवरण-भारत, लंका आदि देशों में इसकी मुख्य तीन A king of Insect-कीट की एक जाति, सोवत्सिक। प्रजातियां पाई जाती हैं। बया एक कुशल कारीगर है, देखें-कीड (कीट) घोंसला बनाने की दक्षता में सभी पक्षी इससे पीछे हैं। वयों के घोंसलें बबूल, ताड आदि वृक्षों की डालियों में हस हस] आ.चू. 15/28 सू. 1/4/48 ठा. 7/41/1 रिटार्ट की तरह लटकते हुए दिखाई देते हैं। पालतू बया भग. 9/189 को लोग अंगूठी दिखाकर कुएं में फेंकते हैं और यह Flamingo-राजहंस, वोग हंस, श्रेष्ठ हंस, छाराज उसके पीछे इतनी फुर्ती से झपटता है कि पानी में गिरने वागों। से पहले ही अंगूठी को चोंच में पकड़ लेता है, सर्कसों देखें-राजहंस में इस पक्षी के अद्भुत करिश्मे देखने को मिलते हैं। हत्थीपूयणया [हस्तिपूतनया] प्रज्ञा. 1/65 वैज्ञानिक लोग इसे प्लौसिअस फिलीपाइनस (लिनीअस) A kind of Elephant-हाथी की एक प्रजाति। के नाम से जानते हैं। [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. देखें-कुंजर (हाथी) 88-89, 94] हत्थिसोंड़ [हस्तिशौण्ड] प्रज्ञा. 1/50 A Kind of Caterpiller-हस्तिसुण्डी। सूईमुहा [शुचिमुखा] प्रज्ञा. 1/49 आकार-सामान्य सुण्डी के समान। Pyrilla-सूचिमुख लक्षण-विभिन्न आकर्षक रंगों वाला यह कीट आकार-शरीर की लम्बाई लगभग 18 मि.मी.। केटरपीलर के समान खण्ड-खण्ड शरीर वाला होता है। लक्षण-यह पुआल रंग का कीट है। इसके सिर के विवरण इसकी हजारों प्रजातियां पाई जाती हैं। आगे तेज नुकीली चोंच जैसा थूथन होता है। मानसून की पहली अच्छी वर्षा के बाद इसकी उत्पत्ति विवरण-यह भारत में गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में होती है। पाया जाता है और फसल को नुकसान भी पहुंचाता। विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-फसल पीड़क कीट, सचित्र विश्व कोश [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-फसल पीड़क कीट] हय [हय] प्रश्नव्या. 1/6 प्रज्ञा. 2/30, 49 जम्बू. 2/65 सोमंगल [सौमंगला प्रज्ञा. 1/49 उत्त. 36/128 Horse-घोड़ा देखें-अस्स (अश्व) Somagla, PoisonInsect-सौमंगल, विषैला कीट। आकार-1 मि.मी. से 1 सेमी. तक लम्वा। हरपोंडरीय [हृदपोंडरीक] प्रश्नव्या. 1/9 Spotted or grey Pelican-हवासिल, करेर। लक्षण-शरीर का रंग मटमैले से काला तक होता है। देखें-पोंडरीय विवरण-गंदगी वाले स्थानों में इनकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। इसके काटने से खुजली के हरिण हरिण] उत्त. 32/37 साथ जलन होती है। Deer-मृग देखें-सारंग (चित्तकवरा हिरण) सोयरिय [शोकरिक] अनु. 302/6 Pig-सूअर देखें-कोल (सूअर) और कोलसुणग। हलाहला [हलाहला] देशी. 8/63 Snake Skink-सांप की बामणी, नागर बामणी। देखें-छीरल Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 98 हलिपत्त [हरिद्रापत्र] प्रज्ञा. 1/51 Butterfly of Yellow wings - हरिद्रपत्र वाली तितली । देखें - किण्हपत्त हलिमच्छ [हलिमत्स्य] प्रज्ञा. 1/56 Pipe Fish - पाइप मछली, हल के आकार वाली मछली । आकार - नली एवं हल के आकार की लम्बी और पतली मछली । लक्षण – इन मछलियों का शरीर हड्डी की कड़ी खोल के भीतर ढंका रहता है। शरीर का रंग हल्का हरा तथा थूथन हल की भांति मुड़ी हुई । विवरण - यूरोप, अमेरिका और अफ्रीका के समुद्रों में पाए जाने वाली यह मछली, घोड़ा मछली की भांति आड़ी-तिरछी तैरती है और अपनी दुम के सिरे को किसी पौधे में लपेटकर पानी में एक स्थान पर टिकी रहती है। घोड़ा मछली की भांति अंडों की सुरक्षा का दायित्व भी नर मछली पर ही होता है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-जानवरों की दुनिया, रेंगने वाले जीव] जैन आगम प्राणी कोश हलीमुह [हलीमुख] जम्बू. 3/35 Avocet - कुशिया चाह आकार - तीतर की अपेक्षा कुछ बड़ा । | लक्षण - काले-सफेद रंग की आकर्षक कच्छ चिड़िया, जिसके पंख लम्बे नीले और पिच्छहीन होते हैं। काली चोंच ऊपर की ओर कुछ झुकी रहती है। नर-मादा दोनों एक से प्रतीत होते हैं विवरण- भारत तथा बर्मा में पाया जाने वाला यह पक्षी जलमग्न पेड़-पौधों व कीचड़ वाली जगहों में काफी दौड़ता फिरता है। उड़ते समय बार-बार ऊंचे स्वर वाली साफ तेज 'क्लीइट' जैसी त्वरित ध्वनि करता है 1 [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - K. N. Dave पृ. 361] हलीसागर [हलीसागर] प्रज्ञा. 1/56 A kind of Pipe Fish - पाइप मछली की एक जाति । देखें- हलिमच्छ हालाहला [हालाहल] प्रज्ञा. 1/50 A kind of Insect- हालाहल, कीट की एक जाति 1 आकार- छोटे, मोटे, लम्बे अनेक आकार वाले । लक्षण - इस वर्ग के प्राणी का शरीर जुड़ा हुआ सा प्रतीत होता है। पैरों की तीन जोड़ियां होती हैं। कुछ पंख वाले तथा कुछ बिना पंख वाले भी होते हैं । विवरण- चींटी, गोवरैला, दीमक आदि इस वर्ग के सदस्य हैं। इनकी हजारों प्रजातियां वृक्षों, पेड़-पौधों, मनुष्यों एवं जानवरों के शरीर में प्राप्त होती हैं । हालाहल [हालाहल] भग. 15/1 प्रज्ञा. 1/50 Jones Saind Boya - दुमुंही सर्प । विमर्श : राजनिघंटु पृ. 602 में हालाहला शब्द को अज्जिका का पर्यायवाची माना 1 देखें- चक्कलड़ Shent हिल्लिया [हिल्लिया] प्रज्ञा 1/50 Pectinophora Gossypiella Saunders -गुलावी डोडा सूंडी । Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश आकार-शरीर एक सेमी. तक लम्बा। आकार-तीतर की अपेक्षा कुछ छोटा। लक्षण-यह गहरा मटमैला भूरे रंग का शलभ है। लक्षण-सलेटी धूसर रंग की छोटी व मोटी पूंछ तथा कपास आदि के डोडों में सूक्ष्म छिद्र से प्रवेश कर बीज लम्बे पैर । चेहरा तथा वक्ष सफेद। दुम का निचला भाग और रेशा निर्माण करने वाले ऊतकों को खा जाता है। जग की भांति चमकीला लाल। नर-मादा दोनों एक से विवरण-इसकी भारत में अनेक प्रजातियां पाई जाती प्रतीत होते हैं। हैं। वैज्ञानिक भाषा में इसे 'पेक्टीनीफोरा गोसिपेला विवरण-भारत.पाकिस्तान, लंका,अण्डमान निकोबार सांडर्स' के नाम से पहचाना जाता है। इसकी उम्र काफी आदि में पाया जाने वाला यह पक्षी आमतौर पर शर्मीला लम्बी होती है। और चुप रहता है। चलते-फिरते समय इसकी मोटी पूंछ [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-फसल पीड़क कीट, ऊपर-नीचे, उठती-गिरती रहती है। उड़ते समय तेज, Nature] कर्कश एक स्वर वाली किर्र-क्वैक-क्वैक, किर्र-क्वैक, क्वैक या कूक-कूक-कूक जैसी ध्वनि करता है। हुडुक्क [हुडुक्क] भग. 9/182 ज्ञाता. 1/1/33 [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. White Waterhen-हुडुक्क जलमुर्गी, दाहुक। 295] Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 100 जैन आगम प्राणी कोश (परिशिष्ट-1) ( परिशिष्ट-1 अकार आदि अनुक्रम से प्राकृत शब्द, हिन्दी एवं अंग्रेजी अर्थ अंक अवधिका अंधग अस्स अंधिय अस्सतर अच्छ अहिणूका अच्छिल अहिलोढ़ी अच्छिरोडए अहिसलाग दीमक Termite घोड़ा Horse खच्चर Mule सर्पिणी Female Snake मादा गिरगिट Female Chamileon मुंहीसर्प, राजसर्प, श्रेष्ठ सर्प, अहिसलाग Jones saind Boya सांप, सर्प Snake जातिवान् घोड़ा Horse of good breed वाज, कालाबाज, करनकुल, आडासेतीक Black ibis धुंघराले वालों वाला भाग्यशाली अच्छिवेहए अही अट्टिकच्छभ आइण्ण अड आडासेतीय शंख राज की एक जाति A kind of Canch Shell अंधक सर्प A kind of Snake कैपसिट बग (कीट), अंधा Caipisid bug रीछ Sloth Bear टिड्डी की एक जाति A kind of Locust टिड्डी की एक जाति A kind of Loucust टिड्डी की एक जाति A kind of Loucust वाजचोंचा कच्छप, अस्थि वहुल कच्छप Hawksbill गौरैया, गृह चटक चिड़िया House Sparrow बवीला, बतासी,अडिला House Swift छोटी चमगादड़ The small Bat अणुल्लक, छोटा काष्टकीट A small Wood-Worm भालू Bear भेड़, गाडर, उरभ्र, मेंढ Sheep वकरी, मेष Goat अजगर, पेरिया पम्बू मालाई पम्वू, मलाम पम्वू Python कृमि, लट Worm पागल कुत्ता Rabid dog अलस, छोटा जहरीला कीट A small poisonous animal अडिल अडिल आवत्त घोड़ा अणुल्लक अत्थभिल्ल आवल्ल अमिल आस अय आसालिय अयगर आसीविस A horse with curly hair considered lucky बैल Bull घोडा Horse एक बहुत विशाल सांप Very large Snake आशीविष A snake having poison in large tooth इन्द्रगोपक Insect of red & white colour इंद्रकायिक Insect of red & white colour भेड़िया Wolf अरक इंदगोवय अलक्कडअ इंदकाइय अलस ईहामिय Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश (परिशिष्ट-1) ༦མྨཾ; उक्कङ उक्कल उक्कलिय उक्कोस उग्गविस उट्ट उह उद्दसंग उद्देसग उद्देहिया उप्पाड़ उप्पाय उरग उरब्भ उरुलुंचग उलाण उलूक उसभ उस्सासविस करणी चूहा, मूषक, उंदरा Mouse, Rat कीट की एक जाति A kind of Insect मकड़ी, उक्कड़, अष्टा- पद, उत्कल Spider मकड़ी की एक जाति A kind of Spider कोहासा, समुद्री उकाव, उत्क्रोश White bellied sea eagle उग्रविष The Snake of powerful poison ऊंट Camel ऊदविलाय, जलमानुष Otter खटमल Bed Bug दीमक Termite दीमक Termite दीमक की एक जाति A kind of white Ant दीमक Termite सर्प Snake भेड़, मेष, मेंढ Sheep घीया अथवा कटु का कीट, उरुग Insect of pumpkin शाहवाज, बाज, शिकरा, चिपका, चपाक Crested Hawk-Eagle उल्लू, घुग्घू Indian great horned Owl बैल, सांड़ Bull उच्छवासविष A kind of Cobra मेप, भेड़ Sheep एगओव एलग ओभंजिया ओलावी ओवइय ओहार ओहिंजलिया 'कंक कंथग कंदलग कंदलग कंदलग कंबोय कच्छभ कट्ठाहार कणग कणिक्कामच्छ कण्णत्तिय कण्हसप्प कप्पास सिमिंजिय शंख की जाति Akind of Conch shell भेड़, मेष, मेंढ • Sheep केकड़ा की एक जाति A kind of lobster मादावाज, मादाशाह - वाज Female crested Hawk-Eagle कीट की एक जाति, औपपातिक A kind of Sykid बाज चोंचा कच्छप, अस्थि बहुल कच्छप Hawksbill केकड़ा की एक जाति A kind of Lobster कोहासा, सफेदचील, कंक White bellied sea-eagle कंथक घोड़ा A species of Horse घोड़े की एक जाति A kind of horse उड़ने वाली गिलहरी, उड़न मनकी Flying Squirrel सिरि, कटकोडिया, कंदलग Chestnut buillied Nuthatch अफगानिस्तान के एक भाग में उत्पन्न घोड़ा 101 A species of Horseborn in a province of Afghanisthan कछुआ, कच्छप Tortoise, Turle काष्ठहारक, घुन Woord worm, furniture beetle अनाज के घुन Grain-Worm तंदुल मत्स्य की एक जाति A kind of rice Fish जंगली मुर्गा, धूसरवन कुक्कट Grey jungle Fowl कालसर्प, अहीराज, कृष्ण सर्प, संखमुखी संखचुर Black Cobra कर्णासस्थि मिंजक, कपास की सफेद मक्खी White fly in the kernel of cotton seed Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 102 "कमल कमल कमेड कमेड करभ करभ कलभ कलहंस कलुय कवि कविंजल कविंजल कविंजल कविजल कविल कबोय, कवोयग, कवोत, कबोतग कसाहिय काउल्ली काओदर सुंदर हिरण A beautiful deer कैम, खारीम, फार्म, कमल Purple Moorhen गिलहरी Squirrel छिपकली Lizard ऊंट का बच्चा Young of Camel हाथी का बच्चा Young of Elephant 30 वर्ष का हाथी Thirty years old Elephant अत्यंत घूसर रंग का हंस, कलहंस, स्वान, वीरवा Barheaded Goose कृमि की एक जाति, कलुस A kind of Worm बंदर Monkey बड़ा पत्रिंगा, लाल सिर का पत्रिंगा, तीतर, पतेना, Blue tailed bee eater पपीहा, चातक, कपक, उपक Common hawk, Cuckoo or Brainfever bird गौरैया, गृह-घटक House Sparrow तीतर, सफेद तीतर Grey Partidge काला तीतर, कविल Black partridge घूसर रंग का कबूतर Blue rock Pigeon गैरुएं रंग का सर्प, कषा Snake of white-red colour धिक सर्प छोटा वगुला, किल चिया, करचिया Little Egret करत, काकोदर, काला गदैत, कालोदर, कालातरी, कंदर, कातुविरियन Common krait काक कादंवग कामदुहाधेनु कामंजुग कारंडव कालोइक किण्हपत्त किण्डमिग किमिय कीड कीडज कीड़ी कीर कीव कुंकुण कुंच, कोंच कुंजर कुंथु कुंदुल्लुय कुक्कुड़ जैन आगम प्राणी कोश (परिशिष्ट-1) कौवा, देसी कीवा, घरेलू कीवा House Crow कलहंस, वीरवा, कांदवक Barheaded Goose कामधेनु गाय A fabulous cow yielding all desires पीपी, कुण्डई, कटोई, पिहु, पिहुआ, कामंयुग Winged Jacana बत्तख, अयरी, ठेकरी, खुशकुल, सरार, कारण्डक Coot नकुल की एक जाति, मंगूसा, चिचिला, कालोकी Chinchilla कृष्ण पत्र वाली तितली Butterfly of black wings काला हिरण Black deer, Black buck कृमि Worm कीट, कीड़े Insect कृमिकोश, रेशम का कीड़ा Silk-worm, Silk-cocoon चींटी Ant तोता, सुगा, कीर, रक्ततुण्ड Parakeet किवी, किव Kiwi पिस्सू की एक जाति A kind of flea कोंच, कुंज, कुंच, कुरर, खर क्रोंच, कर्करा Demoiselle-crane हाथी Elephant कुंथु Very very small insect उल्लू, घुग्घू Indian great horned ow! मुर्गा, जंगली मुर्गा, धूसर बन कुक्कुट Grey Junle fowl Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश (परिशिष्ट-1) कुक्कुड़ कुक्कुह कुच्छिकिमिय कुम्म कुरंग कुरर कुररी कुररी कुरल कुलक्ख कुलल कुलल कुलाल कुलाल कुलाल कुलीकोस कोइल, कोइला कोंडलग कोकतिय पिस्सू की एक जाति A kind of flea स्केल्स, कुक्कुह, कुम्बर, मोजेक Scelsa उदरप्रदेश में पैदा होने वाले कृमि A worm found in the cavity of the abdomen कछुआ, कूर्म, कच्छप Toroise, Turtle साधारण मृग, बादामी या तामड़े रंग का मृग General deer खरक्रौंच, कर्करा, कुंज, कुरर Demoisella crane सरित गंगाचील, टिहरी, कुररी River tern टेहरी, कुररी, भारतीय गुम्फ, कुररी Indian whiskeredturn मछली मार, मछरंग, मत्स्य कुररी, कुरल Osprey लाल मुनिया, कलाक्ष सिनिवाज, नकलखौर Red munia, Waxbill मार्जार, विलाव Cat डोगरा चील, कुलल Crested Serpent eagle मार्जर, बिलाव Cat उल्लू Mottled Wood Owl जंगली मुर्गा, मुर्गा, वन कुक्कुट Red junle fowl वागहंस, राजहंस, हंस, छाराज बागो Flamingo कोयल, कोकिला, कूक्कू Koel कोरा, कोंडलग, कोंगरा, कांगड़, मुर्गा Kora, water cock लोमड़ी Fox कोणाल कोत्यलवाहग कोल कोल कोल कोलसुणग कोलसुनय कोलाहा कोली कोल्लग कोल्लुक कोसिकार कीड़ कोहंगक, कौरंग खंजण खग्ग, खज्जोत, खन्न खर खर खलुंक कोरा, कोंडलग, कोंगरा, कांगाड़ जलमुर्गा Kora, water cock सड़ान पैदा करने वाला कीट A kind of insect चूहे की विशेष जाति, कोल Lemming काष्ठ-कीट Wood-worm, Furniture beetle सूअर Pig जंगली सूअर, बनेला सूअर, वन्य वराह Wild Pig, Wild Bor जंगली कुत्ता Wild Dog करैत सांप की एक जाति A Kind of Krait Snake मकड़ी Spider सियार Jackal गीदड़, सियार Jackal रेशम का कीड़ा Silk-worm, silk-cocoon जलकोपी, पीपी, कुनजै क्रोधाङ्ग, कामंयुग Bronze Winged Jacana मामुला, खंजन, वृहत् शक्ल, खंजन large Pied Wagtail खग्गी, गेंडा 103 Rhinoceros प्रकाश पैदा करने वाला कीट, जुगनू A fire-Fly, Glow-Worm चाऊपिन, घंटी जैसी आवाज करने वाला मत्स्य, खन मछली Chaupein अंधा बगुला, बुला नामक जल पक्षी, खर Paddybird, Pond heron गधा Donkey अयोग्य बैल Restive Ox, Restive Bull Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 104 खवलमच्छ खाडइल, खाडहिल, खाडलिल्ल खाडहिल्ल खाइहेल्ल खार खुरदुग खुल्लय गंड गंडूयलग गंडूयलग गन्धग गंधहत्थि गंभीर गहभ गय गरुल गलियस्स गवय गवल गवेलक गहरा गहरा . चाऊपिन की एक जाति, खन्न मछली की एक जाति A kind of Chauepein fish गिलहरी Squirrel डकविल, प्लैटिपस, वत्तख चोंचा, खारी Duck-billed, platypus धर्मकीट Skin insect समुद्री शंख के आकार Shells गेंडा, खग्ग, गंड Rhinoceros केंचुआ Earth Worm गंडोला, पेट की कृमि A worm found in the abdomen गन्धक सर्प A kind of snake श्रेष्ठ हाथी Elephant of good breed केकड़ा की एक जाति A kind of Crab, गधा Donkey हाथी Elephant गरुल पक्षी, गरुड़ पक्षी Golden Eagle अविनीत घोड़ा Restive Horse नील गाय, रोझ, गवय Blue Bull जंगली भैंसा, विशन Wild Buffalo भेड, गाडर, मेंढ के छोटे शंख Sheep गिद्ध White backed or Bengal vulture गेहवाला, बगवाद, भट जल रंक Ruffand Reeve गागर गाव- गाय गावी गाह गिद्ध गोकण्ण गोजलीय गोण गोणस गोमय कीडग गोमाऊ गोम्ही गोरक्खर गोरमिग गोरहग गोलोम ऐह गोह घरोइल घुण घूय घुल्ला जैन आगम प्राणी कोश (परिशिष्ट-1) गागर, गर्गर मत्स्य, गागूरा मत्स्य Gagar-fish गाय Cow गाय Cow घड़ियाल, गेवियल Crocodile, Geviyelis gentetices गीध, गिद्ध White backed, Bengal vuture चौसींगा हिरण, गोकर्ण A Deer Antelope Picta गोजलीक, जौक की एक जाति A kind of leech बैल, सांड़, खाग्गड़ Ox, Bull गोनस, वोड्, घोनस, गोनास Russells Viper गौवरेला Beetle श्रृंगाल, सियार Jackal कानखजूरा Centipede जंगली गधा, गौर-खर, घोड़ खर Wild Donkey, Wild Ass गौरमृग, सफेद हिरण White Deer तीन वर्ष का छोटा बछड़ा Calf गोलोम, जौंक की एक जाति A kind of leech सोह, दिषखपरिया, चंदन Lizard पीलक, पान पीलक, पीलाखंजन Yellow wagtail छिपकली की एक जाति, घरेलू छिपकली Kind of Lizard घुण Wood-Worm, A weevil उल्लू, घुग्घू Indian Great Horned owl घोंघरी, छोटा शंख A kind of shell Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश (परिशिष्ट-1) घोड़ग घउरग चंदण चकोर चक्कलड़ा चक्कबुंडा, चकुलेंडा चक्काग चक्कबाग चडग चमर चम्मट्ठिल चास चिङग, चित्तचिल्लय चित्तपक्ख चित्तपत्त चित्तलणा चित्तलि चिल्ललक चोर घोड़ा Horse गुन्द्रा, गूल, चकोर Common or Blue Legged busturd Quall चंदनिया, अक्ष Chandana गुन्द्रा, गुलू, चकोर Common or Blue Legged busturd-Quail जॉस सैण्ड बोआ, दु मुंही सर्प, राजसर्प, श्रेष्ठ सर्प, तेलिया सर्प, सेवी पम्बू वला, अनसप Jones Saind Boya चकवा, चकवी, सुर्खाव The Ruddy Sheldrake, चक्रवाक The Ruddy Sheldrake, Brahminy duck चिड़िया, गृह घटक, गौरैया House Sparrow चमरी गाय A kind of Ox called yak चमगादड़ A bat नीलकंठ, सवजक, चाष, पाला पित्ता, पालकुर्वी Roller, Blue Jay रुगेल चरचरी, चिड़िया चिडिग Indian pipit तेंदुआ, गुलदार, चित्तचिल्ला Panther चित्तिदार पंख वाला पतंगा Moth of spotted wings चितिदार पंख वाली तितली Butterfly of Spotted Wings चीतल White Spotted Antelope नाग की एक जाति, चितल A Kind of Cobra चीता Cheetah चोरा, रेटेल Ratel छगल छप्पय छप्पय छाणविच्छुय छीरल छीरविरालिया छुद्दिका छेलिय जंबुव ལྦ་ जमग जगग्गव जरुल जलकारि जलचारिय जलबिच्छु जसोउया जलोय, जलूग जलोय जालग जालग जाहक बकरा / बकरी Goat जूं, छप्पय Louse भंवरा A black Bee गोबर का बिच्छु Scorpion of dung नागर वामणी, सांप की वामणी, वामणी, क्षीरल Snake-Skink गंध बिलाव, स्कंक Skunky civet cat, Weasel हुंदरी Moles, Shrewis छोटी बकरी Lamb सियार, गीदड़ Jackal शकुनि, कपासी, मसुनवा, कृष्ण पक्ष चील, जमग Black Winged Kite बूढ़ा बैल Old Ox वृक्ष का भृंग, जरुल, कृमिकोश Beetle of Tree केकड़ा, जलकारि, जलचरा Lobster, Crab केकड़ा Crab, Lobster जल का विच्छु Scorpion of Water जलोयुक्त, जौंक की एक जाति A kind of Leech जौंक Leech बड़ी बतासी, जलौक Alpine Swift जालक, कीट की एक जाति A kind of Worm मकड़ी Spider जाहक, झाऊ चूहा, कांटों वाला चूहा Hedgehog 105 Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 106 जैन आगम प्राणी कोश (परिशिष्ट-1) जीवंजीव णेउर जुगमच्छ गुद्रा, गूलु, चकोर Common or Blue legged bustard मछली की एक जाति A kind of fish तरुण बैल Young Ox णेउर जुवंगव तउसमिजिया जूया तंतबग झस Louse मछली, मत्स्य Fish झिंगुर Cricket तंदुलमच्छ झिंगिरा तणविंटिय झिंगिरिड़ा झिंगुर झिल्लिया टिटिभी कृमि की एक जाति, झिटिका, नउरा, निरा A kind of worm कीट की एक जाति A kind of insect कट सरैया कीट, हल्दी कस्तूरी कीट, खीराकीट Tausmingiya तिलचट्टा Cockraoch तंदुलमच्छ, मत्स्य की एक जाति A Kind of Fish, Rice Fish खपराकीट की एक जाति A kind of Trogoderm gramarium everts तृणाहारक, पत्राहारक Crop Pest त्वचाविष A kind of Cobra लकड़बग्घा Hyena टिड्डी Locust भटतीतर, तीतर Common Sandgrouse तीतर, घूसर तीतर तेंदु के फल का भुंग Beetle of Ebony tree तिमि मत्स्य, वज्राभु-कुलिश A kind of Fish, Timifish तिमिंगल मत्स्य Timingal Fish गिलहरी Squirrel हंस . तिड Cricket झिंगुर तणाहारा Cricket टिटहरी, टिटीरी, टिटूरी जिर्रिआ, तयाविस मिरवा, छोटा वाटन Plover तरच्छ डांस A kind of Large Sized Mosquito टिड्डी, फड़का, विट्ठिल,मिथा, टिड, पुल-पोंडु, झिटिका, जिट्टी, नाक तोड़ तितिर Locust जंगली वौवा, डाल कौवा, ढींकड़ा, तितिर बड़ा काक, टिंक जंगली कौवा, द्रोण-काक, तिंदुग ढिंक कौआ, बड़ा काक तिमि Junle Crow पिस्सू, ढिंकुण तिमिंगल Flea मयूरनी, मोरनी तिल्लहटिका Female Common Peatown नकुल Mongoose पीलक, कृष्णशीर्ष ओरिओल, णंदीमुख तेदुरणमज्जिया Black beaded orioll शंख की एक जाति तोट्ठा A kind of Conch Shell तिमि मत्स्य की एक जाति A kind of Timifish शेषनाग, शंखचूड दगतुंड King Cobra कैपसिट कीट की एक जाति दगरक्खस A kind of Caipsid bug ढिंकुण टेलियालग णउल तुरग घोड़ा णंदीमुह Horse तेदुरण मज्जिया A kind of insect कृमिकोश, रेशम का कीट Silk-worm, Silk-Cocoon णंदियावत्त णक्क दंस डांस णागिंद A kind of Large Sized Mosquito लग्गर, रघट, खगान्तक, दगतुंड़ Laggar-falcon जलराक्षस Sea devil णीणिया Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश (परिशिष्ट- 1 ) दहुर दहुर दब्भपुष्क दब्बीकर दिव दिली दिलिवेढ्य दिव्या दिविग दीविय दुलि दुहओवत्ता दोल धत्तरट्ट धवलवसह धेणु नंदमाणग नंदावत्त नाग नाग मेंढक Frog छिपक, दाब-चिरी चपक, नाइट जार Frog-bird, Night-jar दर्भपुष्क सर्प, दर्भकु सुम, पत्रपुष्फ Frog-bird, Night-jar फन वाले सांप The expanded hood of a Snake, A Snake having A Hood दृष्टिविष सर्प A kind of Cobra घड़ियाल की एक जाति A kind of Crocodile पूंछ से लपेटने वाला जलीय प्राणी, समुद्री घोड़ा Sea-horse, Hipcocampus कोरल, दीप्ति युक्त चमकीला सर्प Koral चित्तदार तेंदुआं Leopard चित्रक/ पाखता, चित्ता फाखता, पर्की Spotted Dove कच्छप Tortoise Turtle दिआवर्त A small Shell or A kind of Shell हरे रंग की टिड्डी, खड - माकड़ी Locust of green colour कलहंस, धृतराष्ट्र Barheaded goose सफेद बैल White Ox गाय Cow गायक चिड़िया, नंदमाण Song bird मकड़ी की एक जाति A kind of Spider नाग Cobra हाथी Elephant निस्सासविस नीय नीलच्छाय नीलपत्त नीलमिग पंगुल पक्खिविराली पडागा पडागा पडागाति पडागा पड्डिका पत्तविच्छु पत्ताहार पयंग पयलाइया परस्सर परस्पर परिसर पल्लोय निःश्वास विष A kind of Cobra तिलचट्टा की एक जाति A kind of Cockroach ललिता, पाना-कारा, कुरुवी, नीलपरी Fiary Blue bird नील पत्र वाली तितली Butterfly of Blue wings नीलमृग Blue deer खकूसट, खूसटिया, चुगद, विन्दुकित उलूक The Spotted owlet उड़ने वाली लोमड़ी, बड़ी चमगादड़ Flying fox, the large fruit Bat पताका वाली माउली A fish having a flag, Monster पताका वाला सर्प, उड़ने वाला सर्प, कालाजीन, माल-कारावला Flying-Snake, Golden Tree-Snake समुद्री गाय, उड़ने वाली मछली Sea Cow, Flying Fish पाड़ी, बछिया Calf पत्र विच्छु, पत्र वृश्चक Scorpion of Leaf पत्राहारक Crop Pest पतंग Moth बीवर, प्रचलिका Beaver चॉम्बेट, परस्पर Wombat अष्टापद, शरभ, परासर, परिसर 107 A Fabulous animal अष्टापद, शरभ, परिसर A Fabulous animal पल्लोय, काष्ठकीट Wood-worm Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 108 पसय पाठीण पायकुक्कुड़ पायहंस पारिप्पव पारेवय पाहुया पिंगलक्ख पिंगुल पिपीलिया पियंगाला पिसुग पिसुया पीलग पुंसकोइल, पुसको लग पुलग पुलय पुलाकिमिय पुप्फविटिय गौर, दो खुरवाला जंगली पशु India Bison पाठीन मत्स्य, पठिन-मत्स्य, वागुस, वागुजा-रक, कण्टकपार्श्व, वर्तुल मत्स्य A kind of Fish लाल वन कुक्कुट, पदकुक्कुट, जंगली मुर्गा Red Jungle Fowl गिरिंभा, गुड़गुड़ा, पायहंस Cottonteal जलमुर्गी, डोक, जलकुक्कुटी Whiterbreasted Waterhen सामान्य हरा कबूतर Common green Pigeon, Nilgirl wood Pigeon कीट की एक जाति A kind of insect जंघिल, डोख, कनकरी, झींगरी, विचित्र चलाक Painted Stork खकूसट, खूसटिया, चुगद The Spotted owlet चींटी Ant फालामास्टर Blister Beetle चींचड़, पिस्सू Assassin Bug पिस्सू Flea पीलक Golden oriole महुका, कुका, कूक्कू Crow-Peasant, Couca घड़ियाल की एक जाति A kind of Crocodile कीट, लट Worm मलद्वार में उत्पन्न होने वाली कृमि A kind of Worm खपरा कीट Trogoderma granarium Everts पूयण पोंडरीय पोत्तिय फलविटिय बंसीमुह बग वरहिण वलागा बहुपय बहिलग बाल बाल बाहुलेर वीयंयीग वयवावय भमर भरिली भल्ल भसुय भाडपक्खी जैन आगम प्राणी कोश (परिशिष्ट-1) गाड़र, भेड़ Sheep हवासिल, कुरेर, बिंदुचंचु धूसरपेलिकन Spotted-billed, Greypelican ततैया, टाटिया, वर्र, बीरड़ A Wasp फलचूस शलभ Clerk or Materna बंशीमुख, वसीमुहा A kind of Worm किलचिया, कारचिया, वगला, छोटा वगुला Little Egret मोर, मयूर Common Peafown सुर्खिया वगला, गाइ बगला, पशु बगला, बगुला Cattle Egret बहुपैर वाला जीव, मिलीपेड Millipede वैल Ox वाय, व्याघ्र Tiger सांप Snake काला बछड़ा Black Calf ववीला वतासी अडिला A kind of House Swift एक जंतु, वीजवापक A kind of Crop insect wich feeds on grain भौंरा, भंवरा A Black bee आप गुठली पुन Beetle of Mango Stone भालू Bea भालू Bear भारुडपक्षी Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश (परिशिष्ट-1) 109 मक्कड़ा भास मक्कोडग भिंग मगर भिंग मग्गरिमच्छ A kind of Fabulous Bird सफेद गिद्ध, गोवर गिद्ध, भास White Scanvenger Vulture, pharachschicken शंकर खोरा, सूर्य पक्षी भृग पक्षी Purple Sunbird भंवरा A Black Bee भुजंगा, कोतवाल, शृंगारक Black Drongo, King Crow भंगरीटक Cricket भोरा, भोअरा, लटकन, भेणस Indian Lorikeet भिंगारग मग्गुक भिंगारी मच्छ भेणासि मच्छिया भुयंग सांप मज्जार भुयईसर मट्ठमगर , Snake शेषनाग, शंखचूड़, अहिराज, शाखामुती, कृष्णनागम, कारुनागम, कृष्ण सर्पम् King Cobra भोग विष, शरीर में विष वाले सर्प.फन में विष वाले सर्प A kind of Cobra मयणसाला भोगविस मयूर मकड़ी Spider मकोड़ा, चींटा A Big black Ant मगरमच्छ Alligator अष्टापद, आठ भुजाओं वाला जलीय जंतु Octopus जलकाक, पनडुब्बी, वानवी Snake-bird or Darter मत्स्य Fish मक्खी Fly Bee विल्ली Cat मृष्टमकर, नदीमुख मगर A kind of Alligator, Crocodile Porasis Snider मैना, गंगामैना, बरादमैना Bank Myna मोर, मयूर Common Peafowl वैल Ox मच्छर Mosquito कस्तूरा, मसूरिया, माईऔफोनियस Malabar Whisting Thrush भैंस Buffalo भौंरा A Black bee शकरखोरा Purple Sunbird मधुमक्खी Honey bee एक विशाल सर्प, महोरग Very Large Snake मातृवाहक, चुडैल Matri-Vahaka हाथी Elephant मांडलीसर्प की एक जाति A kind of Venomous Black Snake भोगि सर्प मरुयवसभ मउलि मसगा मंकुलहत्यि मसूर मंग महिस मंगुसा महुयर मंडलि महुयर Snake मुकलीसर्प With out hood Snake विना दांत वाला हाथी या उसका बच्चा Elephant without Tusk जलकाक, पनडुब्बी, बानवी, सर्पपक्षी Snake-bird, Darter गिलहरी के आकार का जीव, चिंचिला, मंगूसा Chinchilla मांडली सर्प, करैत कुंड लिया सर्प A venomous Black Snake मेंढक, दर्दुर Frog घड़ियाल की एक जाति A kind of Crocodile मेष, गाडर Sheep चित्तिदार लिनसेंग, मांस Spotted Linseng चीमड़ कछुआ, मांस बहुल कच्छप Leathery, Truck Turtle मंडुक्क महुयर मंदुय महोरग मंधादय माइवाहया मंस मातंग मंसकच्छभ मालि Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 110 मालुया माहए मिय मियवति मुइंगा मुगुंस मुखय मूसग मेंट मेलिमिंद मेसरा मोत्तिय रायहंस रिट्ठग रिसह रुरु रोज्न रोहिय रोहियमच्छ रोहिणीय मालूका, माहू Lipaphis erysimi Kaltenbach कीट की एक जाति A kind of Insect सामान्य हिरण Deer सिंह Lion चींटी Ant. मंगूसा, चिचिला Chinchilla घड़ियाल की एक जाति A kind of Crocodile चूहा Mouse, Rat भेड़, गाडर, मे Sheep दुबोइया सर्प की एक जाति, मेलिदा, हरा गोनाश, कन्नाडीविरयम, कतकाइया नाग A kind of Viper गुडेरा, जंगराल, खग, मालगुझा, गाडविल, मेसरा Black Taled Godwif मूत्रिक, सीप की एक जाति A peart Oyster राजहंस, बोगहंस श्रेष्ठ हंस, छाराजबागो Flamingo जंगली कौवा, वड़ाकाक, ढिंकड़ा, द्रोण काक, डालकीवा Jungle Crow बैल, सड़ Ox Bull काला हिरण A spepcies of antelope, Black Deer नीलगाय, रोझ Blue Bull नील गाय, रोझ Blue Bull रोहित मछली, रोहू मछली, बाम मछली Rohit Fish कीट की एक जाति A kind Sykids लंभणमच्छ लभणमच्छ लुंकड़ी लालाविस लावग लिक्ख लिक्ख लोट्टिया लोमठिका लोहितपत्त वइछल बंजुलग बग्गुली वग्गुलिया वग्घ वच्छग वट्टग वड वडगर बडवा जैन आगम प्राणी कोश (परिशिष्ट-1) ईलमछली, लंभणमत्स्य Eel fish ध्वनि करने वाली मछली, साही मछली, लंभण मछली Sound Fish लोमड़ी Fox लालाविष सर्प A Snake Having A drive Poison, Ringhal लावा, पीतपदलाविका Indian or yellow legged button Quail लिक्ष Anit, or A tiny louse लिख, खरमोर Lesser Florican हाथी की छोटी बच्ची Young Female elephant लोमड़ी Fox लोहित पंख वाली तितली Butterfly of Red wings बौआ, विटपिन सर्प, वाइनसर्प, व्यतिसर्प, गूवरा, अंकोरा, मनीयर A kind of Boya पनडुब्बी, डुवडुबी, लओकरी, बैंजुलक Little Grebe or Dabchick बड़ा कारवानाक, महान पाषाण प्लावर Great Stone Plover हिरण Deer बाघ Tiger बछड़ा Calf बटेर, घूगुस, बटेर, धूसर बटेर Common orgrey Quail लोमड़ी के आकार की मछली, सकुची मछली, बड़ी चमगादड़ मछली Flying fox, Large Bat fish चमगादड़ मछली की एक जाति, सकुची मछली की एक जाति A kind of Large bat fish घोड़ी Mare Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश (परिशिष्ट-1) 111 वरतुरग विदंसग वराडग वियग्घ वराह श्रेष्ठ घोड़ा A Well bred Horse कौड़ी Cowre सूकर Pig नाग की एक जाति, दृष्टि विष सर्प A kind of Cobra कौरिल्ला, किलकिला, वरेल्लग Black Capped King Fisher विलय वराहि विरली वरेल्लग विराल वसह वैल विस्संभरा वाउप्पइय विहंगम वाणर विहंगम शाहबाज, शिखश्येन उकाव, शिकरा, चिपका, चपाक Crested Hawk Eagle बाघ Tiger पीलक Golden Oriole झिंगुर की एक जाति A kind of Cricket वन बिलाव Wild Cat छंछूदर Moles, Shrews भौंरा A Black bee शकर खोरा, सूर्य पक्षी Purple Sunbird खपरा कीट की एक जाति A kind of Trogoderma granarium Everts बाज पक्षी, लग्गर Lagger Falcon घड़ियाल की एक जाति A kind of Crocodile गरुल Golden Eagle चुघट, बसरा, भूरावाज उल्लू Brown Hawk-owl छोटा बगुला, किलचिया Brown Littlw-Egret कपासी, मसुनवा, शकुनि Black winged Kite वायस वीयविंटिया वारण Ox उड़ने वाली छिपकली Flying Dragon बंदर Monkey कौआ, देसी कौआ House Crow हाथी Elephant सांप Snake केंचुआ Earth-worm वासीमुख, वसुले के तुल्य मुंह वाला कीट Vasimukh घोड़ा Horse वीरल्ल वालग वेढला वास वेणुदेव वासीमुह वेसर वाह वोंड विछिए विच्छु सउणि विग संख शंख विच्छुत संखणग विचित्तपक्ख संड विचित्रपत्रए Scorpion भेड़िया Wolf विच्छु Scorpion विचित्र पंख वाला पतंगा Moth of many colour wings विचित्र पंखों वाली तितली Butterfly of Many colour wings मत्स्य की एक जाति, विज्झिडियमत्स्य A kind of fish विततपक्षी, पक्षी विशेष A kind of Bird सदंसगतुंड Conch shell शंखनक Shells बैल, सांड़ Bull ढंक, बड़ाकाक, द्रोण काक, ढिंकणा Jungle-Crow मृग की एक जाति Antelope घोंघा Snail विज्झिडियमच्छ संवर विततपक्खि संवुक्क Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 112 जैन आगम प्राणी कोश (परिशिष्ट-1) सकुलिया सामलेर सण्हमच्छ सारंग सारंग सतपत्त सारंग सतवाइया सारंग सत्तवच्छ सारंग सदावरी सारंग सप्पी सारंग समुग्गय सारंग समुग्गय सारंग समुग्गपक्खी सारा समुद्दलिक्खा शकुनि, कपासी, मसुनवा Black winged kite एंगरफिश की एक जाति, प्रकाश पैदा करने वाली मछली, गूज मछली, सहमत्स्य A kind of Angler fish कठफोड़वा, सोनपीठा Golden backed wood pecker कानखजूरा Centiped गुडेरा, जंगराल, खग, मालगुझा Black Tailed Godwit कीट की एक जाति A kind of Insect नागिन Femal Cobra जल-बिलाव, जल मानुष, ऊदबिलाव Otter जलकाक, पनडुब्बी Snake-bird, Darter समुद्र पक्षी Sea-bird समुद्र-लिक्षा Sea-Louse समुद्रकाक, धोमरा, वर्धशिर गल Brownheaded Gull गिरगिट की एक जाति A kind of Chameleon नागर बामणी Snake-Skink गिरगिट की एक जाति, A Kind of Chameleon साल, सिल्लू, वनरोहू, काठपोह, सार, सरैव Pangolin अष्टापद, सरभ, परिसर, परासर A Fabulous Animals मधुमक्खी Honey bee सिल्ही, सिलकही, लघुशरालि Lesser Whistling Teal कंटीला चींटीखोर, एकिडना, सिल्ल Anteater, spiny Anteater, Echidna खरगोश Rabbit कुत्ता Dog चिकवरी गाय का बछड़ा Calf of a spotted cow कोयल, महुका Koel, Crow-Pheasant or Coucal हाथी Elephant सिंह Lion चितकबरा हिरण A Spotted Deer पपीहा, चातक, कपरा Small green billed Malkoha मयूर Common-Peafowl राजहंस, वोगहंस Flamingo भंवरा A Black bee सारस Sarus Crane पेंगोलीन, साल, सिल्लू, वनरोहू, काठपोह, सरैव, सार Pangolin पहाड़ी मैना Hill myna सालक, कंठवाल वया, कृष्णपक्ष वया, सर्वो बया Black breasted Weaver Bird तंदुल मत्स्य की एक जाति A Civet-Cat-Fish A kind of Ricefish सील, जलव्याघ्र, वालरस, सवका, साविया Seal मकड़ी की एक जाति A kind of Spider सीप Oyster संपुटाकार सीप Oyster, Claime गीदड़, सियार Jackal गधे की एक जाति A kind of Donkey जलसर्प Komodo-Dragon समुद्दवायस सारिआ सरंड सालग सरंब सालिसच्छिय मच्छ सरड सरव सावय सरभ सिंगिरीडी सरहा सिप्पिय सराडि सिप्पिसंपुड सल्ल सियाल ससय सिरिकंदलग साण सिरीसिवा Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश (परिशिष्ट-1) 113 सिवा सूयर सिहि सिहि मुर्गा सिहीमच्छ सीह सीमागार सुक्किलपत्त सुग हंस सुणगा सुंसुमार सुंसुमार सुयविंट सियारनी Female Jackal मोर, मयूर सुभगा Common Peafowl सुईमुह Red Jungle Fowl नोकीली थूथन वाली मछली, तेगा मछली सूईमुहा A Fish having A long pointed mouth शेर, सिंह सोमंगल Lion सीमागार या दलदलीय मकर सोयरिय Lesion श्वेत पंख वाली तितली सोवच्छिय Butterfly of White Wings तोता, शुक, मदनमौर Blue Winged Parakeet कुत्ता Dog हत्थी-पूयणया सूंसमछली, शिशुक, शिशुघ्न Gangetic Porposie हत्थिसोंडा शिशुमार, सुंसुमार, डॉलफिन, सिहों, संस Dolphin हय सूंडी की एक जाति, A kind of Rectinophoragossypiella हरपोंडरीय Saunders शाहवाज हरिण Crested Hawk-Eagle सिल्ही, सिलकहीं हलाहला Lesser Whisting Teal वाजपक्षी, लग्गर हलिद्दपत्त Lagger falcon श्वेत सर्प, थामन, सराइपम्वू, चेरा, गोला हलिमच्छ सांप Snake of White Colour, A kind of हलीमुह Cobra चलोतरा, धनेश, सेलगिल्ली हलीसागर Common grey Hornbill साही, सेही हालाहल Hystrix, Porcupine सौण्डमकर हालाहल A kind of Alligator सौत्रिक, सीप की एक जाति हिल्लिया A kind of pearl Oyster कुतिया . • हुडुक्क Bitch सूकर Pig सुभग, त्रपुषमिंजक की एक जाति A kind of Insect वया, सुचिमुख Baya Weaver Bird सुचिमुख Pyrilla सौमंगल, विषैला कीट Somangia, Poison Insect सूकर Pig कीट की एक जाति, सोवत्सिक A kind of Insect राजहंस, वोगहंस, श्रेष्ठहंस, छाराजबागों Flamingo हाथी की एक प्रजाति A kind of Elephant हस्तिसुण्डी A kind of Caterpillar घोड़ा Horse हवासिल, कुरेर Spotted or grey Pelican मृग Deer सांप की वामणी, नागर वामणी Snake Skink हरिद्रपत्र वाली तितली Butterfly of Yelow wings पाइप मछली, हल के आकार की मछली Pipe Fish कुशिया चाह Avocet पाइप मछली की एक जाति A kind of Pipe fish कीट की एक जाति A kind of Insect दुमुंही सर्प Jones Sained boya गुलावी डोड़ा सूंडी Pectinophora Gossypiella Saunders हुडुक्क, जल मुर्गी दाहुक White Waterhen सुवण्ण सेडी सेण सेदसप्प सेहा सेहा सोंडमगरा सोत्तिय सुणी Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 114 जैन आगम प्राणी कोश (परिशिष्ट-2) परिशिष्ट-2 पुलय द्वीन्द्रिय जीव-जिन जीवों के स्पर्शन और रसन-ये दो इन्द्रियां होती हैं, वे द्वीन्द्रिय जीव हैं। अंक गंडूयलग समुद्दलिक्खा अणुल्लक गोजलोय पुलाकिमिय सिप्पिय अरक गोलोम बंसीमुह सिप्पिसपुंड अलस धुल्ला माइवाहया सोत्तिय एगओवत्त जलोउया मोत्तिय सुभग कलय जलोय, जलूय वास सुईमुह किमिय जालग वासीमुह सुईमुहा कुच्छिकिमिय णंदियावत्त संख हिल्लिया खुल्लय दुहओवत्ता संखणग गंडूयलग पल्लोय संवुक्क त्रीन्द्रिय जीव-जिन जीवों के स्पर्शन, रसन और घ्राण-ये तीन इन्द्रियां होती हैं, वे त्रीन्द्रिय जीव हैं। मालुया मुइंगा अवधिका इंदगोवय इंदकाइय उक्कड़ उक्कल उक्कलिय उइंसग उद्देसग उद्देहिया उप्पाड़ उप्पाय उरूलुंचग ओवाइया कट्ठाहार कणग कीड़ी कुंथु कोत्थलवाहग कोल कोसियारकीड़ खुरदुग घुण चंदन छप्पय जूया तउसमिंजिया तणविंटिय तणाहार तिंदुग तेदुरणमज्जिया पत्राहार पाहुया पिपीलिया पिसुया पुप्फबिंटिया फलविंटिय बहुपय बीयवावय मक्कोड़ग रोहिणीय लिक्ख वीयविंटिया सतवाइया सदावरी सोमंगला सोवच्छिय हालाहल हुँधिय चतुरिन्द्रिय जीव-जिन जीवों के स्पर्शन, रसन, घ्राण, और चक्षु-ये चार इन्द्रियां होती हैं, वे चतुरिन्द्रिय जीव कीडज गोमाऊ जालग अच्छिल कुकुंण चित्तपक्ख झिंगिरा अच्छिरोडए कुक्कुड़ चित्तपत्तए झिंगिरिडा अच्छिवेहए कुक्कुह छप्पय झिल्लिया ओभंजिया कोलि छाणविच्छुय इंस ओहिंजलिया कोसियारकीड़ जरूल डोल कट्ठाहार खज्जोत जलकारी ढिंकुण कप्पासट्टियमिंजिय गंभीर जलचारिय णीणिया कीड़ गोमयकीडग जलविच्छ्य णेउर Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश (परिशिष्ट-2) 115 तंतवग पयंग पियंगाला तिड्ड तोट्ठा पिसुग पेत्तिय मसगा महुयर महुयर माहए लोहियपत्त विरली विहंगम सरहा सारंग सिंगिरीडी सुक्किलपत्त हलिमच्छ दोल नंदावत्त भमर भरिली भिंगारी मक्कड़ा मच्छिया विंछिए विच्छत नीय नीलपत्त पत्तबिच्छुय विचित्तपक्ख विचित्तपत्तए पंचेन्द्रिय जीव-जिन जीवों के स्पर्शन, रसन, घ्राण, चक्ष तथा श्रोत्र-ये पांच इन्द्रियां होती हैं, वे पंचेन्द्रिय जीव हैं। अधंग अच्छ अट्टिकच्छभ अड अडिल अडिल अत्थभिल्ल अमिल अय अयगर अलक्कडअ अस्स अस्सतर अहिणुका अहिलोढ़ी अहिसलाग अही आइण्ण आड़ासेतीय आवत्त आवल्ल आस आसालिय आसीविस ईहामिय उंदुर उक्कोस उग्गाविस उट्ट उद्द उरग उरब्भ उलाण उलूक उभस उस्सासविस ऊरणी एलग ओलावी ओहार कंक कंथग कंदलग कदंलग कंदलग कंबोय कच्छभ कणिक्कामच्छ कण्णत्तिय कण्हसप्प कमल कमल कमेड़ कमेड़ करभ करभ कलहंस कवि कविंजल कविंजल कविंजल कविंजल कविल कवोय कवोयग, कवोत, कवोतग कसाहिय काउल्ली काओदर काक कादंवग कामदुहाधेणु कामंजुग कारंडव कालोइक किण्हपत्त किण्हमिग कुलक्ख कुलल कुलल कुलाल कुलाल कुलाल कुलीकोस कोइल, कोइला कोंडलग कोकंतिय कोणालग कोल कोल कोलसुणग कोलसुनय कोलाहा कीर कोल्लग कोल्हुक कोहंगक, कोरंग खंजन खग्ग खन्न खर कीव कुंच, कोंच कुंजर कुंदुल्लुय कुक्कड़ कुम्म कुरंग कुरर खलुंक खवल्लमच्छ खाडइल, खाडहिल खार गंड कुररी कुरल Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 116 गन्धक गंधहत्थि गद्दभ गय गरुल गलियस्स गवय गवल गवेलग गहरा गहरा गागर गाव, गाय गावी गाह गिद्ध कोकण्ण गोण गोणस गोम्ही गोरक्खर गोरमिग गोरहग गोह गोह घरोइल घूय घोडग चउरग चकोर चक्कलड़ा, चक्कवुंडा, चक्कुलेंडा चक्काग, चक्कावाग चडग चमर चम्मलि चास चिड़ग, चिड़िग चित्तचिल्लय चित्तलग चित्तलि चिल्लल चोर छगल छीरल छीरविरालिया छुद्दिका छेलिय जंबुय जमग जरग्गव जलोय जाहक जीवंजीव जुगमच्छ जुवंगव झस टिट्टिभी ढंक ढिंक ढेलियालग णउल मंदीमुह णक्क णागिंद पोडर तंदुलमच्छ तयाविस तरच्छ तित्तिर तित्तिर तिमि तिमिंगल तिल्लाहटिका तुरग दगतुंड दगरक्खस दद्दुर दहुर दब्धपुप्फ दव्वीकर दिडिविस दिली दिलिवेढय दिव्वा दीविग दीविय दुलि धत्तरद्रु धवलवसह घेणु नंदमाणग नाग नाग निस्सासविस नीलच्छाय नीलमिय पंगुल पक्खिविराली पडागा पडागा पड़ागातिपडागा पडिका पचलाइया परस्पर परासर परिसर पसय पाठीण पायकुक्कुड पायहंस पारिप्पव पारेवय पिंगलक्ख पिंगुल पीलग पुंसकोइल पुलग पूयण पोंडरीय बग वरहिण बलागा जन आगम प्राणी कोश (परिशिष्ट-2) बहिलग बाल बाल बाहुलेर बीयंबीयग भल्ल भसुय भारुंडपक्खी भास भिंग भिंग भिंगारग भेणासी भुयंग भुयइसर भोगविस भोगि मउलि मंकुलहत्यि मंगु मंगुसा मंडलि मंडुक्क मंदुय मंधादय मंस मंसकच्छप मगर मग्गरिमच्छ मग्गुक मच्छ मज्जार मट्ठमगर मयणसाला मयूर मरुयवसभ मसूर महिस महिसी महुयर महोरग Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश (परिशिष्ट-2) 117 सिहि सिहि मायंग, मातंग मालि मिय मियवति मुगुंस मुद्धय मूसग मेंढ मेलिमिंदा मेसरा रायहंस रिट्ठग वरतुरग वराडग वराह वराहि वरेल्लग वसह वाउप्पइय सतवच्छ सप्पी समुग्गय समुग्गय समुग्गपक्षी समुद्दवायस सरंड सरंब सरड सरव सरभ सराडि सल्ल ससय साण सामलेर सारंग सारंग सिहीमच्छ सीह सीमागार सुग सुणगा सुंसुमार सुंसुमार सुयपिंट सुवण्ण वाणर सेडी रिसह रुरु रोज्झ रोहिय रोहिमच्छ लंभणमच्छ लंभणमच्छ सेण सेदसप्प सेहा . सेहा सोंडमगरा सुणी सारंग लुंकड़ी लालाविस लिक्ख लोट्टिया लोमठिका वइउल वंजुलग वग्गुली वग्गुरिया वग्य वच्छग वट्टग वायस वारण वालग वाह विग विज्झडियमच्छ विडिम विततपक्खि विदंसग वियग्ध विलय विराल विस्संभरा विहंगम वीरल्ल वेढला वेणुदेव वेसर वोंड सउणि संड सदंसगतुंड संवर सकुलिया सहमच्छ सतपत्त सारंग सारंग सारंग सारस सारा सारिआ सालग सालिसच्छियमच्छ सालिसच्छियमच्छ सावय सियाल सिरिकंदलग सिरीसिवा सिवा सिहि सूयर सोयरिग हंस हत्थी-पूयणया हत्थिसोंडा हय हरपोंडरीय हरिण हलाहला हलिद्दपत्त हलीमुह हलीसागर हालाहल हुडुक्क वड वडगर वडवा Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 118 1. अंग विज्जा 2. अनुयोग द्वार सूत्र 3. (प्राकृत टेक्स्ट सोसायटी बनारस सन् 1957 ) 4. 5. वाचनाप्रमुख - गणाधिपति तुलसी संपादक - आचार्य महाप्रज्ञ प्रकाशक - जैन विश्व भारती, लाडनूं अभिधान चिन्तामणि कोश लेखक - कलिकाल सर्वज्ञ श्रीमद् हेमचन्द्राचार्य अनुवादक-संपादक- विजय कस्तूर सूरि प्रकाशक- जसवंतलाल गिरधरलाल शाह अहमदाबाद वि.सं. 2013 अल्प परिचित शब्द कोश आयार चूला संपादक - मुनि नथमल ( आचार्य महाप्रज्ञ ) प्रकाशक -- जैन विश्व भारती, लाडनूं । 6. आयुर्वेदीय शब्दकोश (संस्कृत, संस्कृत मराठी) संपादक - आयुर्वेदाचार्य वेणीमाधव शास्त्री जोशी आयुर्वेद विशारद नारायणहरी जोशी प्रकाशक - महाराष्ट्र राज्य साहित्य अणि संस्कृति मंडल सन् 1968 7. Encyclopedia Britannica 8. Encyclopedia American 9. English Pali Distionary PB Motilal Banarsi Das Delhi 10. Inavine Tropical Fish Ken Denham First published great Britian 1971 By John Barthalomew and Son Limited. परिशिष्ट-3 संदर्भ-ग्रंथ सूची 11. The Book of INDIAN REPTILES J.C. Daniel Bombay Naturai -istory Society 12. The Concise Reference Encyclopeidia compliled in association with the oxford University Press 13. उत्तरज्झयणाणि संपादक - मुनि नथमल ( आचार्य महाप्रज्ञ ) प्रकाशन - जैन विश्व भारती, लाडनूं ई. सन् 1978 14. उवासगदसाओ संपादक - मुनि नथमल ( आचार्य महाप्रज्ञ ) प्रकाशन - जैन विश्व भारती, लाडनूं सन् 1974 15. औपपातिक जैन आगम प्राणी कोश (परिशिष्ट-3) संपादक - मुनि नथमल ( आचार्य महाप्रज्ञ ) प्रकाशन - जैन विश्व भारती, लाडनूं सन् 1974 16. कन्नड़ शब्द कोश 17. COMMON INDIAN SNAKES - (A Field Guide) -Romulus Whitaker -S.G. Wasani for Maomillan India Limited 13. A King Cobra's Sped ibid Ghose, S.K. (1948) 19. कैदेवनिघंटु संपादक व व्याख्याकार-आचार्य प्रियव्रत शर्मा, डॉ. गुरुप्रसाद व शर्मा प्रकाशन - चौखमा ओरियन्टालिया, वाराणसी प्रथम प्रकाशन 1979 20. जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति संपादक - मुनि नथमल ( आचार्य महाप्रज्ञ ) प्रकाशन - जैन विश्व भारती, लाडनूं प्रकाशन 1974 21. जानवरों की दुनिया (प्रकाशक, लेखक, अप्राप्य ) 22. ज्ञाताधम्मकहाओ वाचना प्रमुख - आचार्य श्री तुलसी संपादक - युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ प्रकाशन - जैन विश्व भारती, लाडनूं Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन आगम प्राणी कोश (परिशिष्ट-3) 119 23. जीव विचार वृत्ति-आत्मानन्द जैन पुस्तक प्रकाशन-आगरा संपादक-1978 हस्तलिखित 24. जीव विचार प्रकरण-सचित्र वादिवेताल श्री शान्ति सरिश्वर जी म. सा. द्वारा विरचित श्री आदिनाथ जैन श्वेताम्बर संघ चिकलेट, बैंगलूर 25. जीवाजीवाभिगम संपादक-मुनि नथमल (आचार्य महाप्रज्ञ) प्रकाशन-जैन विश्व भारती, लाडनूं प्रथम संस्करण सन् 1974 26. Jain Sutrah Herman Jokobi 27. ठाणं संपादक-मुनि नथमल (आचार्य महाप्रज्ञ) प्रकाशन-जैन विश्व भारती, लाडनूं प्रथम संस्करण सन् 1974 28. दसवेआलियं संपादक-मुनि नथमल (आचार्य महाप्रज्ञ) प्रकाशन-जैन विश्व भारती, लाडनूं प्रथम संस्करण सन् 1974 29. दशाश्रुतस्कन्ध मूल पाठ वाचना-प्रमुख-आचार्य श्री तुलसी संपादक-युवाचार्य महाप्रज्ञ प्रकाशन-जैन विश्व भारती, लाडनूं 30. Distionary Sanskrit English by Vaman Sivram Apte 31. डिंगलकोश 32. धन्वन्तरि निघंटु संपादक एवं व्याख्याकार डॉ. झारखण्डे ओझा पी.ची.डी. रीडर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. उमापति मिश्र एम.डी. (आयुर्वेद) प्रकाशक-आदर्श विद्या निकेतन, वाराणसी प्रथम संस्करण सन् 1985 33. नालन्दा वृहद हिन्दी कोश 34. Purnell's first Encyclopedia in Colour 35. Purnell's concise encylopedia of nature Michacl-Chinery 36. पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित स्नेक्स, वर्ड्स, एनीमल्स और इनसेक्ट्स के विशेषज्ञों के आलेख के. आधार पर 37. पाइअसद्दमहण्णओ संपादक-हर गोविन्द दास प्रकाशक-प्राकृत टेस्ट सोसायटी, बनारस सन् 1963 38. Poisonous Snakes of Sourthern Africa Visser John, Howard Timmins cape Town 1964 39. प्रज्ञापना, याचना-प्रमुख-आचार्य श्री तुलसी संपादक-युवाचार्य महाप्रज्ञ प्रकाशक-जैन विश्व भारती, लाडनूं 40. प्रश्नव्याकरण, वाचनाकार-आचार्य श्री तुलसी . संपादक-युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ प्रकाशक-जैन विश्व भारती, लाडून 41. फसल पीड़क कीट एस. प्रधान नेशनल ट्रस्ट बुक्स 42. Birds in Sanskrit Literature K.N. Dave P.B. Motilal Banarsidas, Delhi First Edition 1985 43. भगवई वाचना-प्रमुख-आचार्य श्री तुलसी संपादक-युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ प्रकाशक-जैन विश्व भारती, लाडनूं 44. भारत के पक्षी सलीम अली हरियाणा साहित्य अकादमी, चंडीगढ़ 45. भारत के संकटग्रस्त वन्य प्राणी और उनका संरक्षण-एस.एम. नायर नेशनल ट्रस्ट बुक्स 46. महाभारत गीताप्रेस गोरखपुर संपादक-नारायण राम आचार्य सन् 946 Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 120 जैन आगम प्राणी कोश (परिशिष्ट-3) 37 47. महापुराण ज्ञान विद्या पीठ, दिल्ली 48. माणक हिन्दी कोष 49. Man and Animals Yari Dmitriyen Radura Publishers Masco 50. राजनिघंटु श्रीमन्नरहरि पंडित विरचित व्याख्याकार-डॉ. इन्द्रदेव त्रिपाठी आयुर्वेदाचार्य बी.आई.एम.एस.डी.एस. प्रकाशक-कृष्णदास अकादमी सी. (आ.), वाराणसी प्रथम संस्करण वि.सं. 2036 51. राजप्रश्नीय वाचना-प्रमुख-आचार्य श्री तुलसी • संपादक-युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ प्रकाशक-जैन विश्व भारती, लाडनूं 52. राजस्थानी शब्दकोश सं. डॉ. सीताराम लालस चौपासनी शिक्षा समिति, जोधपुर 53. राजस्थानी शब्द कोश 54. रेंगने वाले प्राणी-सुरेश सिंह 1966 सस्ता साहित्य मण्डल प्रकाशन दिल्ली 55. A Reptiles and Amphibia of Cutch State MCCANNC. (1935) 56. A Reptiles and Amphibian Miscellny J. Bombay nat Hist. Soc. 41 : 742-764 MCCANNC. 1940 57. सचित्र विश्व कोश - भाग-2 जीवजंतु पेड़-पौधे, राजपाल एण्ड संस 58. Snakes of Southern Africa, Purnell and Sons Capetown 1962 ___Fitzsimons V.F.M. 59. Snakes of Australia Angus and Robertson Sydney 1969 Kinghorn J.R. 60. Snakes of Europe David and Charles Ltd. great Britain 1971 Steward J.W. 61. A Snaskrit English distionary Sir. Monier, Williams 62. समवायांग सूत्र वाचना-प्रमुख-आचार्य श्री तुलसी संपादक-युवाचार्य महाप्रज्ञ प्रकाशक-जैन विश्व भारती, लाडनूं 63. शब्दकल्पद्रुम 64. सुश्रुत संहिता अनुवादक-अत्रिदेव प्रकाशक-मोतीलाल बनारासी दास, दिल्ली 65. सूयगड़ो भाग-2 वाचना-प्रमुख-आचार्य श्री तुलसी संपादक-युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ प्रकाशक-जैन विश्व भारती, लाडनूं 66. सूर्य प्रज्ञप्ति वाचना-प्रमुख-आचार्य श्री तुलसी संपादक-युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ प्रकाशक-जैन विश्व भारती, लाडनूं 67. वायुपुराण विश्व के विचित्र जीव जंतु 68. ए.एस. हाशमी, पुस्तक महल खारी बावली, दिल्ली 69. वैजयंति कोश वैद्यक शब्द सिंधु कविराज श्री नगेन्द्रनाथ सेन वैद्य वाराणसी-दिल्ली 70. बृहद् हिंदी कोश संपादक-कालिकाप्रसाद, राजवल्लभ सहाय मुकन्दिलाल श्रीवास्तव प्रकाशक-ज्ञान मंडल लि. वाराणसी 71. Venormous Animals of the World Prentice Hall Inc. New Jersey 175 Caras Rogar 72. हरिवंश पुराण प्रकाशक-ज्ञान विद्यापीठ (दिल्ली) 73. हरियाणवी शब्द कोश 74. हिन्दी शब्द सागर Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आज से लगभग तीन वर्ष पूर्व पूज्य गुरुदेव श्री तुलसी, आचार्य श्री महाप्रज्ञ के सान्निध्य में भगवतीसत्र के संपादन का कार्य चल रहा था। संपादन के अन्तर्गत एक स्थान पर अनेक पशु-पक्षियों के नामों का उल्लेख आया। उनके अर्थावबोध के लिए व्याख्या ग्रंथों का अवलोकन किया गया। किन्तु व्याख्याकारों ने भी इनमें से अनेक शब्दों को लोकतश्चावगन्तयाः लोकतो वेदितव्याः' 'पक्षी विशेषः, पश-विशेषः' आदि आदि कहकर उनके अवबोध की पूर्ण अवगति नहीं की। विभिन्न कोशों का अवलोकन करने के बाद भी हम निर्णायक स्थिति तक नहीं पहुंच पाए। तब गुरुदेव ने फरमाया-वनस्पति कोश की भांति यदि प्राणी कोश भी तैयार हो जाए तो चिर अपेक्षित कार्य की संपूर्ति संभव यह स्पष्ट है कि इस प्रकार का कार्य सरल नहीं है। प्राकृत भाषा में प्रयुक्त प्राणीवाचक शब्द वस्तुतः किस प्राणी-विशेष के परिचायक हैं, उसे सही सही जान लेना एवं आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के संदर्भ में उसकी तुलनात्मक प्रस्तुति कर देना एक बहुत ही श्रमसाध्य कार्य है। एक ही प्रजाति के प्राणियों की विभिन्न नस्लों के लिए अलग-अलग नामों का प्रयोग जहां हुआ है, वहां उनके बीच रहे हुए अन्तर का स्पष्टीकरण करना और भी अधिक कठिन है। प्रस्तुत कोश में यथासंभव इन बातों पर विशेष ध्यान दिया गया For Private &Personal Use Only www.ial Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ উতেচাথা তাঁর Ci Dii / Jain Edo T = For Privast an