________________
__ मेरी संसारपक्षीया बहिन समणी रश्मिप्रज्ञा जी (साध्वी रक्षित यशा जी) का लिपिकरण एवं अनेक कार्यों में सहयोग रहा है, तदर्थ-साधवाद। चित्रों के संकलन में भिक्ष चेतना परिषद (गंगाशहर) एवं जैन दर्शनमाला (गंगाशहर) के योगदान को विस्मत नहीं किया जा सकता। कोश सम्बन्धी पुस्तकों को उपलब्ध कराने में ग्रंथागार के पुस्तकालयाध्यक्ष श्री के.सी. गुप्ता जी एवं अन्य लोगों का सहयोग भी उल्लेखनीय है। प्रकाशन व्यवस्था में कुशलराजजी समदड़िया एवं श्री पन्नालाल जी बांठिया की कार्यशीलता भी इस कार्य को निष्टा तक पहुंचाने में उपयोगी सिद्ध हुई है। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. वी.सी. लोढ़ा ने इस को का पारायण कर विद्वत्तापूर्ण पुरोवाक लिखा। उनके प्रति मेरी मंगल भावना।
ज्ञात अज्ञात, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जिन-जिनका सहयोग प्राप्त हुआ है, उनके प्रति कृतज्ञता एवं शुभाशंसा।
आशा है प्रस्तुत ग्रंथ न केवल आगम अध्येताओं के लिए उपयोगी होगा, अपितु प्राणी-विज्ञान, पर्यावर'' विज्ञान आदि विभिन्न शाखाओं के अध्येताओं के लिए भी उपयोगी सिद्ध होगा तथा उनकी जिज्ञासा को संता करने में सहयोगी बनेगा।
- मुनि वीरेन्द्र कुमार
स्वास्थ्य निकेतन, लाडनूं 22.5.98
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org