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जैन आगम प्राणी कोश
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वाला यह पक्षी झीलों, नदियों आदि के किनारे झुंड के कापोती रंग के कबूतर को छोड़कर शेष सभी कबूतरों साथ देखा जाता है। यह काफी तेज उड़ने वाला एवं का ग्रहण करना चाहिए। मौका पड़ने पर बहुत खूबी से गोता भी लगा सकता विवरण के लिए द्रष्टव्य-कापोत Susmitalco है। उड़ते समय विशिष्ट प्रकार की गुनगुनाहट सुनाई देती है।
पाहुया [प्राभृता] प्रज्ञा. 1/50 [पा.] मारी हरी [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ. 118] A kind of Insect-कीट की एक जाति ।
देखें-कीड (कीट) पारिप्पव पारिप्लव] प्रश्नव्या. 1/9 प्रज्ञा. 1/79
पिंगलक्ख [पिंगलाक्ष] जीवा. 3/275 औ. 6 Whitebreasted Waterhen-जलमुर्गी, डोक, Painted Stork-जंघिल, डोख, कनकरी, झींगरी, जलकुक्कुटी।
विचित्र बलाक। आकार-तीतर से कुछ छोटा।
आकार-सफेद बलाक से कुछ बड़ा। लक्षण-शरीर का रंग स्लेटी-धूसर और भूरा। चोंच लक्षण-शरीर के ऊपर का रंग चमकीला हरा-काला। का आधार चमकीला लाल । लम्बी हरी टांगें और पैर सिर पर कुछ मुड़ी हुई लम्बी, भारी पीले रंग की चोंच। बड़े होते हैं।
पिच्छहीन चेहरा मोम जैसा पीला होता है। नर-मादा विवरण-विश्व भर में इसकी अनेक प्रजातियां पाई दोनों एक से प्रतीत होते हैं। जाती हैं। यह अपना अधिक समय पानी में ही विताता विवरण-भारत, पाकिस्तान, लंका, बर्मा आदि देशों है। सरकण्डों के नीचे बैठा हुआ जोर से तीखी तथा में पाया जाने वाला यह पक्षी झीलों, तालाबों आदि के एकाएक बंद होने वाली किर्रिक-क्रम-रेक-रेक जैसी किनारे झुंड या जोड़ों के साथ देखा जाता है। वोली निकालता है।TOBE
[विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave पृ.
395] पारेवय [पारापत] प्रज्ञा. 1/79 जम्बू. 3/35 उत्त. 34/6
पिंगुल [पिंगुल] प्रश्नव्या. 1/9 Common green Pigeon, Nilgiri wood The Spotted owlet-खकूसट, खूसटिया, चुगद । Pigeon-सामान्य हरा कबूतर आदि।
देखें-पंगुल विमर्श-प्रज्ञा. 1/75 प्रश्नव्या. 4/7 में कवोय शब्द के बाद पारेवय शब्द
पिपीलिया [पिपीलिका] प्रज्ञा. 1/50 उत्त. 36/137 आया है इससे यह स्पष्ट
Ant-चींटी होता है कि कवोय एवं
देखें-कीड़ी। पारेवय दोनों भिन्न-भिन्न प्रकार के कबूतर हैं।
पियंगाला (पियंगाला) प्रज्ञा. 1/51 Apte, williams आदि
Blister Beetle-फालामास्टर कोश में भी कापोत शब्द
आकार-गोबरैला से कुछ बड़ा। का अर्थ धूसर रंग का
लक्षण-दो जोड़ी पंख तथा तीन जोड़ी पैर वाला कीट। कबूतर एवं पारावत शब्द
विवरण-इसकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। का अर्थ कबूतर की एक
इसके शरीर में केनथ्ररीडिन नाम का द्रव्य होता है, जाति किया है। इसलिए यहां पर भी पारावत शब्द से जिसके कारण मनुष्य के शरीर पर (चमड़ी पर) फाला
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