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________________ 88 जैन आगम प्राणी कोश [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-जानवरों की दुनिया, यह पक्षी नदियों, झीलों आदि के किनारे टोलियों में देखा Nature, सचित्र विश्व कोश] जाता है। यह एक कुशल गोताखोर पक्षी है। उड़ते समय कुछ तीखी खरखराहट भरी सीए, सिक्क, सीए सिक्क सरभ [सरभ] प्रश्नव्या. 1/6 प्रज्ञा. 1/64 जैसी शीश ध्वनि निकालता है। A Fabulous Animals-अष्टापद, सरभ, परिसर, विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. DAve पृ. परासर। 450, भारत के पक्षी] देखें-परासर सल्ल [शल्य] सू. 2/3/80 प्रश्नव्या. 1/8 प्रज्ञा. सरहा [सरघा] देशी नाम माला 2/73 1/76 Honey bee-मधुमक्खी , Anteater, spiny Anteater, Echidna-कंटीला आकार-सामान्य मक्खी से कुछ बड़ा। चींटीखोर, एंकिडना, सिल्ल। लक्षण-काले भूरे तथा पीली पट्टियों से ढंका हुआ आकार-सेही से बड़ा। शरीर। इनके दो जोड़े पंख तथा पूंछ के पिछले हिस्से लक्षण-सेही की भांति पीठ पर पीले कांटे, जिसका में विषैला डंक होता है। जी रंग सिरों पर काला होता है। पेट पर कांटे नहीं केवल विवरण-चींटियों की तरह मधुमक्खियां भी बड़े समूह बाल ही होते हैं। टांगें छोटी तथा नाखून मजबूत एवं में रहती हैं। कभी-कभी एक छत्ते में 75000 के लगभग तेज होते हैं। मधुमक्खियां रहती हैं। यह अपना छत्ता मोम से बनाती विवरण-आस्ट्रेलिया, न्यूगिनी तथा उनके निकटवर्ती है। कुछ मधुमक्खियां फूलों से मकरन्द लाने का काम करती हैं, कुछ अपने शरीर से पैदा हुए मोम से छत्ता बनाती हैं। कुछ छत्तों को साफ करती हैं। इस तरह सभी मधुमक्खियां अपने-अपने नियत कार्य को करती हैं। सराडि [शराटि, सराडि] गरुडवहो. 118 Lesser whistling Teal-सिल्ही, सिलकही लघुशरालि। आकार-पालतू बत्तख से कुछ छोटा। लक्षण-शरीर का रंग फीका भूरा और मैरुनचेस्टनट होता है। नर-मादा दोनों एक जैसे होते हैं। धीमे-धीमे पंख फड़फड़ाता हुआ जैकाना पक्षी की भांति उड़ान भरता है। विवरण - भारत, पाकिस्तान, नेपाल आदि देशों में पाए जाने वाला। द्वीपों में पाया जाने वाला यह एक स्तनपायी जीव है। स्तनपायी होते हुए भी मादा अंडे देती है। वह भी शरीर में बनी एक थैली में रख देती है। यह अपने तेज नाखूनों से सख्त जमीन को भी बड़ी तेजी से खोद डालता है। चिपचिपी एवं लम्बी जीभ के द्वारा यह चींटियों और दीमकों को आसानी से पकड़ लेता है। खतरा महसूस होने पर अपने शरीर पर कांटों को खड़ा कर गेंद की तरह गोल हो जाता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016052
Book TitleJain Agam Prani kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirendramuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1999
Total Pages136
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary, Dictionary, Agam, Canon, & agam_dictionary
File Size17 MB
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