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भूमिका
आगम साहित्य ज्ञान का खजाना है । उसमें अनेक विषयों का निबन्धन है । उसमें जीव राशि का विशद वर्णन हैं। उस प्रसंग में वनस्पति, प्राणी, खनिज आदि की लम्बी तालिकाएं उपलब्ध हैं । आगम संपादन के साथ कोश निर्माण का कार्य भी चल रहा है । छः कोश प्रकाश में आ चुके हैं। अध्ययन और शोध कर्ताओं के लिए वे बहुत उपयोगी सिद्ध हुए हैं। जैन आगम प्राणी कोश इस श्रृंखला का सातवां ग्रंथ है ।
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भगवती, प्रज्ञापना, जीवाजीवाभिगम, प्रश्नव्याकरण, उत्तराध्ययन में प्राणियों के नाम विपुल मात्रा में, विपुल परिमाण में हैं । अन्य आगमों में भी यत्र-तत्र वे मिलते हैं । उन नामों की पहचान करना बहुत कठिन कार्य है । व्याख्या ग्रंथों में उनके बारे में विशद जानकारी कहीं-कहीं उपलब्ध है । अनेक प्रसंगों पर “लोकतश्चावगन्तव्या " इतना सा उल्लेख मिलता है । वनस्पति और प्राणी दोनों की पहचान अपेक्षित थी । वनस्पति कोश में अनेक ग्रंथों के आधार पर वनस्पति के शब्दों की पहचान की गई। प्राणियों की पहचान का कार्य शेष था। मुनि वीरेन्द्र कुमार जी ने इस दिशा में कार्य शुरू किया। कार्य सरल नहीं था। क्योंकि किसी एक ग्रंथ में सबकी पहचान उपलब्ध नहीं है । इस कार्य के लिए लगभग 40 ग्रंथों का अध्ययन किया गया। Dr. K.N. Dave ने पक्षियों पर शोध प्रबन्ध लिखा है, जिसमें प्रश्नव्याकरण सूत्र में वर्णित पक्षी वाचक शब्दों की पहचान का प्रयास किया गया । अन्य किसी ग्रंथ में जैनागामों में उपलब्ध प्राणियों के विषय में कार्य नहीं किया गया। यह पहला कार्य है, जिसमें द्वीन्द्रिय से लेकर पंचेन्द्रिय तक के लगभग सभी प्राणियों की पहचान की गई है। इससे चिरकालिक अपेक्षा की पूर्ति हुई है । इस श्रम साध्य कार्य में डॉ. दीपिका कोठारी का काफी योग रहा। प्रस्तुत ग्रंथ में प्राणियों के विवरण के साथ-साथ चित्र भी दिए गए हैं। भारतीय जीव-जंतुओं के विषय में जानकारी प्राप्त करने वालों के लिए यह एक उपयोगी ग्रंथ होगा ।
जैन विश्व भारती,
लाडनूं
17 मई, 1998
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- आचार्य महाप्रज्ञ
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