Book Title: Jain Agam Prani kosha
Author(s): Virendramuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 131
________________ जैन आगम प्राणी कोश (परिशिष्ट-2) 117 सिहि सिहि मायंग, मातंग मालि मिय मियवति मुगुंस मुद्धय मूसग मेंढ मेलिमिंदा मेसरा रायहंस रिट्ठग वरतुरग वराडग वराह वराहि वरेल्लग वसह वाउप्पइय सतवच्छ सप्पी समुग्गय समुग्गय समुग्गपक्षी समुद्दवायस सरंड सरंब सरड सरव सरभ सराडि सल्ल ससय साण सामलेर सारंग सारंग सिहीमच्छ सीह सीमागार सुग सुणगा सुंसुमार सुंसुमार सुयपिंट सुवण्ण वाणर सेडी रिसह रुरु रोज्झ रोहिय रोहिमच्छ लंभणमच्छ लंभणमच्छ सेण सेदसप्प सेहा . सेहा सोंडमगरा सुणी सारंग लुंकड़ी लालाविस लिक्ख लोट्टिया लोमठिका वइउल वंजुलग वग्गुली वग्गुरिया वग्य वच्छग वट्टग वायस वारण वालग वाह विग विज्झडियमच्छ विडिम विततपक्खि विदंसग वियग्ध विलय विराल विस्संभरा विहंगम वीरल्ल वेढला वेणुदेव वेसर वोंड सउणि संड सदंसगतुंड संवर सकुलिया सहमच्छ सतपत्त सारंग सारंग सारंग सारस सारा सारिआ सालग सालिसच्छियमच्छ सालिसच्छियमच्छ सावय सियाल सिरिकंदलग सिरीसिवा सिवा सिहि सूयर सोयरिग हंस हत्थी-पूयणया हत्थिसोंडा हय हरपोंडरीय हरिण हलाहला हलिद्दपत्त हलीमुह हलीसागर हालाहल हुडुक्क वड वडगर वडवा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 129 130 131 132 133 134 135 136