Book Title: Jain Agam Prani kosha
Author(s): Virendramuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 88
________________ 74 जैन आगम प्राणी कोश मयूर [मयूर] ठाणं 7/41/1 ज्ञाता. 1/3/27 आकार-मैना से बड़ा तथा कबूतर से कुछ छोटा। Common Peafowl-मोर, मयूर। माणा लक्षण-ललाट पर नीला-काला थ्रश तथा स्कंध पर देखें-ढेलियालग कौबल्ट की तरह चमकते नीले धब्बे। चोंच तथा टांगों का रंग-काला। नर-मादा दोनों एक से प्रतीत होते हैं। मरुयवसभ [मरुतवृषभ] प्रश्नव्या. 4/4 विवरण-भारत में पाए जाने वाला यह पक्षी दिन में Ox-बैल देखें-आवल्ल गाना गाने वाले पक्षियों में अग्रणी है। केवल उड़ते समय मसगा [मशका) प्रज्ञा. 1/51 उत्त. 36/146 क्री-ई जैसी ध्वनि उत्पन्न करता है। Masaquito-मच्छर विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-भारत के पक्षी] आकार-लगभग .01 M.M. से 1 इंच तक लम्बा । लक्षण-इनके शरीर का रंग सफेद काला होता है। महिस [महिष] ज्ञाता. 1/2/7 उवा. 1/11 प्रश्नव्या. मुंह के आगे एक डंक-सा होता है, जिसके द्वारा यह 1/6 खून चूसता है। Buffalo भैंस विवरण-विश्व में इनकी सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती आकार-जंगली भैंस की अपेक्षा कुछ छोटी। हैं। नर-मच्छर पौधों या फलों के रस पर अपना जीवन लक्षण-अधिकतर भैंसों के शरीर का रंग काला तथा निर्वाह करते हैं। मादा-मच्छर प्रायः रक्त पीकर ही जीती कुछ काले भूरे रंग की भी होती हैं। सिर के ऊपर दो है। अनेक निरीक्षणों से यह सिद्ध किया गया कि मच्छर सींग होते हैं, जिनकी बनावट जातियों के आधार पर गहरे रंग पसंद करते हैं। रजस्वला महिला को नहीं विकसित होती है। काटते। मीठे की तरफ आकर्षित होते हैं। इनमें नए विवरण-विश्व भर में भैंसों की अनेक प्रजातियां पाई और विपरीत वातावरण को अनुकूल बनाने की जबर्दस्त क्षमता होती है। अफ्रीका का एनाफिलीज गैम्बिए' मच्छर मलेरिया फैलाने वाली एक प्रमुख प्रजाति है। ये इन्सान को काटते हैं और खून चूसते हैं। इनकी कुछ प्रजातियां भयंकर रोग फैलाती हैं। मसूर [मसूर] प्रज्ञा. 1/79 Malabar Whistling Thrush-कस्तूरा, मसूरिया, माइऔफौनियस। जाती हैं। हरियाणा में पाई जाने वाली मूर्रा-भैस 30 kg.-50kg. तक दूध देती है। इन भैंसों के सींग छोटे, मुड़े हुए एवं सुन्दर होते हैं। महिसी महिषी] आ. चू. 1/52 सू. 2/2/19 ठा. 8/10 भग. 2/94 Buffalo-भैंस देखें-महिस महुयर [मधुकर] ज्ञाता. 1/1/33 जम्बू. 2/12 ABlackBee-भौंरा देखें-छप्पय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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