Book Title: Jain Agam Prani kosha
Author(s): Virendramuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 95
________________ जैन आगम प्राणी कोश एक जाति, सकुची मछली की एक जाति । देखें - वड (वट) वरतुरग [वरतुरग] प्रश्नव्या. 4/7 A Well bred Horse - श्रेष्ठ घोड़ा देखें- आइण्ण (आकीर्ण) वराडग [वराटक] उत्त. 36/129 प्रज्ञा. 1/49 Cow Rie-कौड़ी आकार-नीचे से चपटी एवं ऊपर से कुछ गोलाई लिए चिकनी सतह । लक्षण - नीचे का भाग सीधा एवं कटा हुआ। जिसके माध्यम से यह चलता है। विवरण - इसका मुलायम शरीर कठोर कवच से ढका होता है। भारतीय एवं अन्य समुद्रों में इसकी सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती हैं। नीचे पानी में मछली देखते ही उस पर कूद पड़ता है। उड़ते समय जोर से 'किल-किल' जैसी ध्वनि निकालता है । [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - K. N. Dave पृ. 352] WISTE TOSFER 02Sr E-vexinoM वसह [वृषभ] उत्त 11/19 अनु. 353 दसा. 10/15 Ox - बैल देखें- आवल्ल TIC वाउप्पइय [वातोत्पतिक] प्रश्नव्या. 1/8 Flying Dragon - उड़ने वाली छिपकली । आकार - सामान्य छिपकली से कुछ लम्बा । लक्षण - शरीर का रंग गहरा भूरा, जिस पर काले धब्बे तथा धारियां होती हैं। पंखों का रंग गहरा नारंगी, उनमें वराहि [वराही] प्रश्नव्या 1/7 A kind of Cobra-नाग की एक जाति, दृष्टि कई काली धारियां होती हैं। शरीर की लम्बाई लगभग विष - सर्प । देखें—दिट्रिट्ठविस 10 इंच, पूंछ की लम्बाई 5 इंच, पिछली छः-सात पसलियां धड़ के बाहर दोनों ओर खाल में निकली रहती हैं। इन पसलियों के बीच की झिल्ली उड़ते समय पैराशूट की भांति फैल जाती है, जिसके द्वारा इनको उड़ने में सहयोग प्राप्त होता है। वराह [वराह] प्रज्ञा. 1/64 अनु. 355 दसा. 6/3 Pig - सूअर देखें - कोल वरेल्लग [ वरेल्लग] प्रज्ञा. 1/79 BlackCapped King Fisher - कौरिल्ला, किलकिला, वरेल्लग Jain Education International 81 आकार - मैना और कबूतर के बीच के आकार का पक्षी । लक्षण - शरीर पर सुन्दर पोशाक-सी । चोंच लम्बी और नुकीली। सिर, गर्दन और नीचे का भाग चाकलेटी भूरा । विवरण - विश्व भर में इसकी 87 प्रजातियां पाई जाती हैं। शरीर का आकार 5 से 18 इंच तक होता है। शिकार करते समय यह पानी के ऊपर हवा में एक ही जगह काफी देर तक पंख मारकर ठहरे रहता है। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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