Book Title: Jain Agam Prani kosha
Author(s): Virendramuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 101
________________ जैन आगम प्राणी कोश समुग्गय [समुग्गक] ज्ञाता. 1/17/14 Otter-जल-विलाव, जल मानुष, ऊदबिलाव। देखें-उद्द सरंड [सरंड] प्रज्ञा. 1/76 AKind of Chameleon-गिरगिट की एक जाति। देखें-अहिलोढ़ी समुग्गय [समुद्रगक] ज्ञाता. 1/17/14 Snake-bird, Darter-जलकाक, पनडुब्बी। सरंब [शरम्ब] प्रश्नव्या. 1/8 Snake-Skink-नागर बामणी देखें-छीरल देखें-मंगु समुग्गपक्खी [समुद्रपक्षी] सू. 2/3/81 भग. 15/186, सरड [सरट] प्रज्ञा. 1/76 सू. 2/3/80 प्रश्नव्या. 1/9 Akind of Chameleon-गिरगिट की एक जाति। Sea Bird-समुद्रपक्षी देखें-अहिलोढ़ी। विवरण-मनष्य क्षेत्र से बाहर पाए जाने वाले इन पक्षियों के पंख सदा अविकसित रहते हैं। अर्थात सरव [सरव] सू. 2/3/80 डिब्बे के आकार सदृश इनके पंख सदा ढंके रहते Pangolin-साल, सिल्लू, वनरोहू, काठपोह, सार, सरैव। आकार-लम्बी पूंछ एवं गोह के समान प्रतीत होने समुद्दलिक्खा [समुद्रलिक्षा] प्रज्ञ. 1/49 वाला प्राणी। Sea-Louse-समुद्र-लिक्षा लक्षण-इसकी लम्बाई 2-5 मी. तक होती है। सारे विवरण-समुद्र में अनेक प्रकार के द्वीन्द्रिय प्राणी पाए शरीर और दुम के ऊपर कड़ी प्लेटें खपरैल की भांति जाते हैं। जिनमें से समुद्रलिक्षा नाम की एक प्रजाति लगी रहती हैं। मुख दंत विहीन तथा छोटा होता है। है जो लीख (नँ) के समान होती है। विवरण-भारत, जावा, बोर्नियो, फिलिपाइन्स तथा विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-सचित्र विश्व कोश, निकटवर्ती द्वीपों आदि में पाया जाने वाला यह एक Nature] स्तनपायी प्राणी है। खतरा महसूस होने पर यह अपने को कवच में बंद करके गेंद जैसा बन जाता है। यह समुद्दवायस समुद्रवायस) भग. 13/158 प्रज्ञा. 1/78 Brownheaded Gull-समुद्रकाक, धोमरा बभ्रुशिर गल। आकार-जंगली कौवा से बड़ा। लक्षण-शरीर का रंग ऊपर से धसर नीचे से सफेद होता है। गर्मियों में सिर का रंग काफी जैसा भूरा हो जाता है। सर्दियों में सिर का रंग सफेद धूसर होता है। विवरण-समुद्रतट, बड़ी नदियों या झीलों के किनारे पाए जाने वाला यह पक्षी झुंडों में देखा जाता दिन भर अपने बिल में रहता है और रात्रि के समय [विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य-K.N. Dave शिकार के लिए निकलता है। अपनी लम्बी जीभ से पृ. 337] दीमक और चींटियां खाता है।। है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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