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आसानी से मार देता है। दुश्मन को भगाने के लिए अपनी रक्षक ग्रंथियों से तेज गंध वाला द्रव्य छोड़ता है। बिल में रहने वाला यह प्राणी पानी में भी आसानी से तैर सकता है ।
गंदीमुह [नंदीमुख] प्रज्ञा. 1/9 औ प. 6 Blackbeaded orioll - पीलक कृष्णशीर्ष ओरिओल, नंदीमुख ।
आकार - मैना
के तुल्य । लक्षण - स्वर्ण
की भांति पीला शरीर । सिर, कंठ
तथा ऊपरी वक्ष
बिल्कुल काला । चमकीली
गुलावी चोंच ।
गहरी लाल
आंखें। मादा के सिर का काला रंग हल्का होता है । विवरण- विश्वभर में इसकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। उड़ते समय बांसुरी की सी आवाज निकालता है ।
[विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य - K. N. Dave पृ. 78]
णंदियावत्त [नन्द्यावर्त] प्रज्ञा 1/49 जम्बू. 3/178, 4/28
A kind of Conch Shell - शंख की एक जाति । देखें-संख और संखनग
णक्क [नक्र] प्रज्ञा. 1/56
A kind of Timfish - तिमि मत्स्य की एक जाति । विमर्श - Apte, Williams अदि कोशों में नक्र शब्द का अर्थ मगरमच्छ, घड़ियाल किया है। किंतु प्रज्ञापना 1/56 में नक्र शब्द तिमि, तिमिंगल के अन्तर्गत आया
। अतः नक्र शब्द का अर्थ तिमि तिमिंगल मत्स्य की एक जाति होनी चाहिए। कारण कि घड़ियाल, मगरमच्छ का वर्णन प्रज्ञा. 1/55 में किया जा चुका है ।
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जैन आगम प्राणी कोश
गिंद [नागेन्द्र] आ. चू. 15/28/12 King Cobra - शेषनाग, शंखचूड । देखें- भुयईसर
णीणिया [नीनिका] प्रज्ञा. 1/51 [पा.]
A kind of Caipsid bug-कैपसिट कीट की एक जाति ।
देखें - अंधिया ।
उर [णेउर] प्रज्ञा. 1/49 दसा. 10/12 A kind of Worm कृमि की एक जाति, झिटिका (उड़िया) नउरा (तमिल), निरा (मलयालम) आकार- 1 मिलीमी. से कुछ इंच तक लम्बा । लक्षण - शरीर का रंग हल्का भूरा। नवजात वृक्षों एवं पौधों के तनों में निवास करता ।
विवरण - इसकी अनेक जातियां पाई जाती हैं। यह पौधों आदि के तनों में रहकर उनका गुदा खाता है, जिससे पौधे दिन-प्रतिदिन सूखते जाते हैं । यही कीट पूर्ण वयस्क होने पर तितली का सा रूप धारण कर लेता है।
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[विशेष विवरण के लिए द्रष्टव्य- फसल पीड़क कीट, Incyclapedia in Colour] णेउर [णेउर] प्रज्ञा. 1 / 51
A kind of Insect कीट की एक जाति । देखें- उर (II)
1981
तउसमिंजिया [त्रपुषमिंजका] प्रज्ञा. 1/50 उत्त.
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Tausmingiya-कटसरैया कीट, हल्दी कस्तूरी कीट, खीरा कीट ।
आकार - जूं से कुछ बड़ा ।
लक्षण - शरीर का रंग भूरा सफेद। मुंह के आगे दो चिपटे नुमा अंग 1
विवरण - कटसरैया, हल्दी, कस्तूरी और खीरा की बेल पर उत्पन्न होने वाला यह कीट अपने चिमटे नुमा अंग से रस पीता है । अत्यधिक मात्रा में इसका आक्रमण पौधे के लिए घातक होता है 1
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