Book Title: Jain Agam Prani kosha
Author(s): Virendramuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 21
________________ जैन आगम प्राणी कोश पर दानेदार चकत्ते होते हैं। यह एक साथ दो भिन्न दिशाओं में देखने की क्षमता रखता है । क्योंकि सिर को बिना घुमाए आंखों को किसी भी दिशा में घुमा सकता है। पूंछ लम्बी तथा घड़ी की स्प्रिंग की तरह कुंडलित होती है । विवरण- इसकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। पेड़ों पर रहने वाला गिरगिट जीभ से शिकार नहीं पकड़ता बल्कि शिकार के बहुत पास जाकर सीधे मुंह से शिकार पकड़ता है। जमीन पर रहने वाला गिरगिट अपने शिकार पर दोनों आंखें फोकस कर काफी दूर से बिजली की गति से जीभ बाहर फेंकता है। गोंद जैसे चिपचिपे स्राव में शिकार चिपक जाता है, जिसे यह तुरंत मुंह में खींच लेता है । शिकार को चबाता नहीं। सीधे निगल जाता है। [विवरण के लिए द्रष्टव्य- रेंगने वाले प्राणी, जानवरों की दुनिया, Indian Reptiles अहिसलाग [ अहिसलाग] प्रज्ञा. 1/71 Jones saind Boya - दुमुंही सर्प, राजसर्प, श्रेष्ठ सर्प, अहिसलाग । देखें- चक्कलड़ा, चक्कवुंडा । अही [अहि] प्रज्ञा. 1/68, 71 Snake- सांप, सर्प । आकार - कुछ इंच से लेकर लगभग 40 फुट तक लम्बा । लक्षण - लम्बा, बलखाने वाला शरीर । खाल के ऊपर Jain Education International चीमड़ छिलके रहते हैं। इनके छाती की हड्डी नहीं होती है और न पैर । बिलों में रहने वाले सांपों को छोड़कर अधिकतर सांपों की दृष्टि अत्यन्त तीव्र होती है। आंखें पलक रहित और पारदर्शी खाल से ढकी रहती हैं। यही कारण है कि इनकी आंखें सदा खुली हुई और घूरती हुई-सी दिखाई देती हैं। ये सीधे न चलकर टेढ़े-मेढ़े या लहरदार ढंग से चलते हैं। 7 विवरण- भारत में सांपों की लगभग 300 प्रजातियां और विश्व भर में 2500 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से लगभग 500 जातियां ही अधिक विषैली हैं। विषैले सांपों के मुंह में दो विष-दंत होते हैं जो लम्बे और पोले होते हैं, जिनकी जड़ के पास विष की थैली होती है। जब सांप किसी के शरीर में अपने विष-दंत गड़ाते हैं तो विष की थैली पर दबाव पड़ता है और दांतों द्वारा विष शरीर में प्रवेश कर जाता है। सांप की रीढ़ में मनुष्य की रीढ़ की अपेक्षा बहुत अधिक छोटी-छोटी हड्डियां होती हैं । इसीलिए ये अपने को इधर-उधर मोड़ते हुए रेंग सकते हैं या कुंडली मार कर बैठ सकते हैं। ये तेजी से दौड़ सकते हैं, पेड़ पर भी चढ़ सकते हैं, पानी पर तैर सकते हैं। जो सांप दिन में शिकार करते हैं उनकी आंखों की पुतली गोल होती है और जो रात्रि में विचरण करते हैं, उनकी आंखों की पुतली बिल्ली के समान लंबी अंडाकार होती है। इनमें सूंघने की शक्ति अत्यधिक होती हैं। दुशाखी जीभ थोड़ी-थोड़ी देर में बाहर निकालते रहते हैं। अजगर, वाइनसांप, वाइपर आदि कुछ सांपों को छोडकर शेष सांप अंडे ही देते हैं । आइण्ण [आकीर्ण] द.चू. 2/6 दसा. 10/14 Horse of Good breed - जातिवान् घोड़ा । अथर्ववेद में अश्व को तीन श्रेणियों में विभक्त किया # है- अधम, मध्यम और उत्तम । उत्तम जाति के घोड़े दस योजन (15 मील) से 12 योजन (18 मी.) की यात्रा एक दिन में कर सकते हैं। ये इतने समझदार होते हैं कि मालिक के इशारे पर कार्य में प्रयुक्त हो जाते हैं। प्राचीन काल में कंबोज के घोड़े अपनी अनेक विशेषताओं के कारण प्रसिद्ध थे । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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